‘मैं’ से ‘हम’ की यात्रा ही योग है: नरेंद्र मोदी

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प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 2 मार्च को ऋषिकेश में आयोजित वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय योग सम्मेलन को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के आयोजन के लिए संभवत: ऋषिकेश से बेहतर कोई अन्य स्थान नहीं हो सकता था। वास्तव में यह एक ऐसी जगह है जहां संत, तीर्थयात्री, आम आदमी और मशहूर हस्तियां समान रूप से शांति और योग के वास्तविक तत्वों की तलाश में सदियों से आते रहे हैं। मैं ऋषिकेश में पवित्र गंगा नदी के तट पर बड़ी तादाद में दुनिया भर से आए लोगों को देख रहा हूं और इसे देखकर मुझे जर्मनी के महान विद्वान मैक्समूलर का कथन याद आता है। उन्होंने कहा था-

‘यदि मुझसे पूछा गया कि किस आसमान तले मानव मस्तिष्क ने अपने कुछ सर्वोत्तम उपहार विकसित किए, जीवन की सबसे बड़ी समस्याओं पर गहराई से सोचा गया और समाधान निकाला गया, तो मुझे भारत की ओर इशारा करना चाहिए।’ मैक्समूलर से लेकर आज ऋषिकेश में उपस्थित हुए आप में से तमाम लोग- जो अपनी साधना में बेहद सफल रहे हैं- जब वास्तविक सत्य की खोज के लिए आगे बढ़े तो उनका गंतव्य भारत रहा और अधिकतर मामलों में उस खोज ने उन्हें योग के लिए प्रेरित किया।

उन्होंने कहा कि भारत में हम मानते हैं कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के मोर्चे पर हमारा अनुसंधान आत्मा के भीतर की गहराई की खोज भी है जो दोनों विज्ञान और योग है। श्री मोदी ने कहा कि योग लोगों को जीवन के साथ जोड़ने और फिर मानव जाति को प्रकृति से जोड़ने की एक संहिता है। यह हमारी स्वयं की सीमित भावना को विस्तार देता है ताकि हम अपने परिवार, समाज और मानव जाति को खुद के विस्तार के रूप में देख सकें। इसलिए स्वामी विवेकानंद ने कहा था, ‘जीवन का विस्तार ही मृत्यु का संकुचन है।’

उन्होंने कहा कि योग के अभ्यास से एकता की भावना- मन, शरीर और बुद्धि की एकता- पैदा होती है। हमारे परिवारों के साथ एकता, हम जिस समाज में रहते हैं उसके साथ, साथी मानव के साथ, सभी पशु-पक्षी एवं पेड़-पौधे, जिनके साथ हम अपने सुंदर ग्रह को साझा करते हैं, के साथ एक होना ही योग है।
श्री मोदी ने कहा कि ‘मैं’ से ‘हम’ की यात्रा ही योग है। व्यक्ति से समष्टि तक यह यात्रा है। मैं से हम तक की यह अनुभूति, हम से वयम तक का यह भाव विस्तार, यही तो योग है। यह यात्रा एक प्राकृतिक सह-उत्पाद के रूप में अच्छे स्वास्थ्य के लिए अतिरिक्त लाभ, मन की शांति और यहां तक कि जीवन में समृद्धि प्रदान करती है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि योग व्यक्ति को विचार, क्रिया, ज्ञान और भक्ति में एक बेहतर मानव बनाता है। योग को केवल शरीर को स्वस्थ रखने के लिए किए जाने वाले व्यायाम के रूप में देखना बिल्कुल अनुचित होगा। योग शारीरिक व्यायाम से परे है।
श्री मोदी ने कहा कि आधुनिक जीवन के तनाव से शांति की खोज में अक्सर लोग तंबाकू, शराब और यहां तक कि ड्रग्स आदि नशीले पदार्थों का सेवन करने लगते हैं। ऐसे में योग आपको कालातीत, सरल और स्वास्थ्यवर्द्धक विकल्प प्रदान करता है। इसके पर्याप्त प्रमाण हैं कि योगाभ्यास आपको तनाव एवं जीवनशैली संबंधी गंभीर स्थितियों से उबरने में मदद करता है।

उन्होंने कहा कि दुनिया आज आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन की दोहरी चुनौतियों से भी जूझ रही है। ऐसे में इन समस्याओं के स्थायी समाधान के लिए दुनिया की नजरें भारत और योग पर टिक गई हैं। जब हम विश्व शांति की बात करते हैं तो विभिन्न देशों के बीच भी शांति होनी चाहिए। ऐसा तभी संभव हो सकेगा जब समाज के भीतर शांति हो। केवल शांतिपूर्ण परिवार ही शांतिपूर्ण समाज का गठन कर सकते हैं। केवल शांतिपूर्ण व्यक्ति ही शांतिपूर्ण परिवार बना सकते हैं। योग व्यक्तियों, परिवार, समाज, राष्ट्र और अंतत: पूरी दुनिया में सद्भाव और शांति लाने का तरीका है।

श्री मोदी ने कहा कि योग के जरिये हम एक नए युग का निर्माण करेंगे जो एकता और समरसता का युग होगा। जब हम जलवायु परिवर्तन से मुकाबले की बात करते हैं तो हम उपभोग यानी ‘भोग’ की जीवनशैली से योग की ओर बढ़ना चाहते हैं। योग अनुशासन एवं विकास की जीवनशैली के लिए एक मजबूत स्तंभ साबित हो सकता है। ऐसे समय में जब निजी लाभ और उसे हासिल करने के लिए पुरजोर कोशिश करने पर जोर दिया जा रहा हो, योग एक अलग स्फूर्तिदायक दृष्टिकोण प्रदान करता है।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय परंपराओं में व्यक्तिगत स्वच्छता पर काफी जोर दिया गया है। उसमें न केवल शरीर को साफ रखने पर जोर दिया गया है बल्कि घर, कार्यस्थल और पूजा करने की जगह की साफ-सफाई को काफी प्राथमिकता दी गई है।