100 करोड़ टीकाकरण देश की शक्ति का प्रतिबिंब है : नरेन्द्र मोदी

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यदि बीमारी कोई भेदभाव नहीं करती है, तो टीकाकरण में भी कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। इसलिए यह सुनिश्चित किया गया कि पात्रता को लेकर वीआईपी संस्कृति, टीकाकरण अभियान पर हावी न हो सके

त 22 अक्टूबर को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 100 करोड़ टीकाकरण का लक्ष्य हासिल करने पर राष्ट्र को संबोधित किया। राष्ट्र को संबोधित करते हुए श्री मोदी ने 100 करोड़ वैक्सीन खुराक की कठिन लेकिन उल्लेखनीय उपलब्धि की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि 130 करोड़ देशवासियों के समर्पण का परिणाम है और यह सफलता भारत की सफलता है तथा प्रत्येक देशवासी की सफलता है।

श्री मोदी ने कहा कि 100 करोड़ टीकाकरण सिर्फ एक आंकड़ा भर नहीं है, बल्कि देश की शक्ति का प्रतिबिंब है, यह इतिहास के एक नए अध्याय का निर्माण है। यह ‘न्यू इंडिया’ की एक तस्वीर है। ‘न्यू इंडिया’, जो कठिन लक्ष्य निर्धारित करता है और उसे प्राप्त करना भी जानता है।

उन्होंने कहा कि आज कई लोग भारत के टीकाकरण कार्यक्रम की तुलना दुनिया के अन्य देशों से कर रहे हैं। श्री मोदी ने कहा कि भारत ने जिस गति से 100 करोड़, 1 अरब के आंकड़े को पार किया है, उसकी भी प्रशंसा हो रही है। उन्होंने ध्यान दिलाया कि इस किस्म के विश्लेषण में हालांकि भारत द्वारा की गई शुरुआत की बात को अक्सर छोड़ दिया जाता है।

भारत ने अपने नागरिकों को न सिर्फ टीके की 100 करोड़ खुराकें दी हैं, बल्कि यह काम निःशुल्क भी किया है। भारत को दुनिया में फार्मा हब के रूप में जो स्वीकृति मिली है, उसे और मजबूत किया जाएगा

श्री मोदी ने कहा कि विकसित देशों के पास टीकों के शोध एवं विकास के मामले में दशकों की विशेषज्ञता थी। भारत ज्यादातर इन देशों द्वारा बनाए गए टीकों पर निर्भर रहता था। उन्होंने कहा कि इसी वजह से जब सदी की सबसे बड़ी महामारी आई, तो इस वैश्विक महामारी से लड़ने की भारत की क्षमता को लेकर कई सवाल उठाए गए। टीके की 100 करोड़ खुराक की यह उपलब्धि हासिल कर कई सवालों जैसे कि दूसरे देशों से इतने टीके खरीदने के लिए भारत को पैसा कहां से मिलेगा? भारत को टीका कब मिलेगा? भारत के लोगों को टीका मिलेगा भी या नहीं? क्या भारत इस महामारी को फैलने से रोकने के लिए पर्याप्त संख्या में लोगों का टीकाकरण कर पाएगा? का जवाब दिया गया।

निःशुल्क किया गया टीकाकरण का काम

श्री मोदी ने जोर देकर कहा कि भारत ने अपने नागरिकों को न सिर्फ टीके की 100 करोड़ खुराकें दी हैं, बल्कि यह काम निःशुल्क भी किया है। उन्होंने कहा कि भारत को दुनिया में फार्मा हब के रूप में जो स्वीकृति मिली है, उसे और मजबूत किया जाएगा।

श्री मोदी ने कहा कि कोरोना महामारी की शुरुआत में लोग इस बात को लेकर चिंतित थे कि भारत जैसे लोकतंत्र में इस महामारी से लड़ना बहुत मुश्किल होगा। इस किस्म के सवाल भी उठाए गए कि क्या इतना संयम और अनुशासन यहां संभव होगा? उन्होंने कहा कि हमारे लिए लोकतंत्र का अर्थ है, सबको साथ लेकर चलना, सबका साथ। इस देश ने ‘मुफ्त टीका और सबके लिए टीका’ अभियान की शुरुआत की। गरीब-अमीर, ग्रामीण-शहरी लोगों को समान रूप से टीके की खुराकें दी गईं।

उन्होंने कहा कि इस देश का एक ही मंत्र है कि अगर रोग कोई भेदभाव नहीं करता, तो टीकाकरण में भी कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसी वजह से यह सुनिश्चित किया गया कि टीकाकरण अभियान में कोई वीआईपी संस्कृति हावी न हो।

श्री मोदी ने कहा कि इस बात को लेकर भी सवाल उठाए गए थे कि भारत में ज्यादातर लोग टीका लेने के लिए टीकाकरण केंद्र नहीं जायेंगे। दुनिया के कई बड़े विकसित देशों में आज भी टीके को लेकर होने वाली हिचकिचाहट एक बड़ी चुनौती बनी हुई है, लेकिन भारत की जनता ने टीके की 100 करोड़ खुराकें लेकर इसका जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि एक अभियान ‘सबका प्रयास’ होता है और अगर सभी के प्रयासों को समन्वित किया जाए, तो परिणाम आश्चर्यजनक होते हैं। श्री मोदी ने कहा कि सरकार ने इस महामारी के खिलाफ देश