हम देश में यूनिवर्सल स्वास्थ्य कवरेज के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए हमने विभिन्न पहलों का शुभारंभ किया है। केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जे.पी. नड्डा ने 11 दिसंबर को यूनिवर्सल स्वास्थ्य कवरेज दिवस, 2017 मनाने के उद्देश्य से आयोजित एक समारोह में ये बातें कहीं। वित्त राज्य मंत्री श्री एस.पी. शुक्ला भी इस अवसर पर उपस्थित थे। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री और वित्त राज्य मंत्री ने ‘लक्ष्य’ – प्रसव कक्ष गुणवत्ता सुधार पहल के साथ-साथ परिधीय क्षेत्रों में शिशुओं के सामान्य एवं जटिल प्रसव का प्रबंधन करने वाले स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए सुरक्षित प्रसव मोबाइल एप का भी शुभारंभ किया और इसके साथ ही प्रसूति उच्च निर्भरता इकाइयों (एचडीयू) एवं गहन देखभाल इकाइयों (आईसीयू) के लिए परिचालन दिशा-निर्देश भी जारी किये।
श्री नड्डा ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि यह वर्ष विशेष अहमियत रखता है, क्योंकि राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 को मंजूरी दी गई है, जिसमें किसी वित्तीय कठिनाई के बगैर ही स्वास्थ्य के उच्चतम संभव स्तर की प्राप्ति की परिकल्पना की गई है। उन्होंने कहा कि सरकार ने मरीजों द्वारा अपनी जेब से किये जाने वाले अतिरिक्त व्यय (ओओपीई) में कमी के लिए ठोस कदम उठाए हैं। वर्ष 2014 में मिशन इन्द्रधनुष का शुभारंभ किया गया था, जिसे सबसे बड़ी वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य पहलों में शुमार किया जाता है।
अब तक मिशन इन्द्रधनुष के चार चरण पूरे हो चुके हैं और इस दौरान 528 से भी अधिक जिलों में 2.5 करोड़ बच्चों तक इसकी सफल पहुंच हो चुकी है। श्री नड्डा ने बताया कि हम टीकों की संख्या में बढ़ोतरी करने पर भी अपना ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं। हमने रोटावायरस टीका, न्यूमोकोकल संयुग्म वैक्सीन (पीसीवी) और खसरा-रूबेला (एमआर) वैक्सीन के साथ-साथ वयस्कों के लिए जेई टीका भी लांच किया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री डायलिसिस कार्यक्रम का भी शुभारंभ किया गया है, जिसके तहत 1.43 लाख मरीजों ने 1,069 डायलिसिस इकाइयों से नि:शुल्क सेवाएं प्राप्त की हैं। इसके अलावा नि:शुल्क दवा एवं निदान कार्यक्रम से भी ये मरीज लाभान्वित हुए हैं। इसी तरह लगभग 47 लाख मरीज रियायती दवाओं की खरीद के जरिए अमृत फार्मेसी से लाभान्वित हुए हैं।
श्री नड्डा ने उपस्थित लोगों को यह भी जानकारी दी कि व्यापक प्राथमिक देखभाल सुलभ कराने के लिए सरकार ने 1.5 लाख उप-सेवा केन्द्रों को स्वास्थ्य एवं वेलनेस केन्द्रों में तब्दील करने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि मंत्रालय अब स्वास्थ्य एवं वेलनेस केंद्रों के जरिए व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल का प्रावधान करने की दिशा में अग्रसर है।
सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए वित्त राज्य मंत्री श्री एस.पी शुक्ला ने कहा कि सरकार सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज सुनिश्चित करने हेतु आवश्यक संसाधन सुलभ कराने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि सरकार ने वित्त वर्ष 2017-18 के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय के बजट में 27.7 प्रतिशत की वृद्धि की है।
लक्ष्य- प्रसव कक्ष गुणवत्ता सुधार पहल
इस बात के पर्याप्त साक्ष्य हैं कि विशेषकर शिशुओं के जन्म के समय प्रसव कक्षों में देखभाल की गुणवत्ता बेहतर करना अत्यंत जरूरी है, ताकि मां एवं नवजात शिशु दोनों के ही जीवन को कोई खतरा न हो। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ‘लक्ष्य- प्रसव कक्ष गुणवत्ता सुधार पहल’ का शुभारंभ कर रही है। ‘लक्ष्य’ से प्रसव कक्षों और ऑपरेशन थियेटर में गर्भवती मां की देखभाल बेहतर होने की उम्मीद है। इससे नवजात शिशुओं के जन्म के समय अवांछनीय प्रतिकूल स्थिति उत्पन्न होने से बचा जा सकेगा। यह पहल सरकारी मेडिकल कॉलजों के अलावा जिला अस्पतालों (डीएच), ज्यादा डिलीवरी लोड वाले उप-जिला अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी अमल में लाई जाएगी।
प्रसूति उच्च निर्भरता इकाइयों (एचडीयू) एवं गहन देखभाल इकाइयों (आईसीयू) के लिए परिचालन दिशा-निर्देश
नवजात शिशु के जन्म के समय मां की मृत्यु की संभावनाएं कम करने के लिए जटिल मामलों में अत्यधिक देखभाल सुनिश्चित करना अत्यंत जरूरी है। इसके लिए भारत सरकार ने वर्ष 2016 में प्रसूति उच्च निर्भरता इकाइयों (एचडीयू) एवं गहन देखभाल इकाइयों (आईसीयू) की स्थापना हेतु परिचालन दिशा-निर्देश जारी किये थे। इन दिशा-निर्देशों के तहत प्रसूति उच्च निर्भरता इकाइयों (एचडीयू) एवं गहन देखभाल इकाइयों (आईसीयू) की एक व्यापक अवधारणा पेश की गई थी। अब हम प्रसूति उच्च निर्भरता इकाइयों (एचडीयू) एवं गहन देखभाल इकाइयों (आईसीयू) के लिए परिचालन दिशा-निर्देश जारी कर रहे हैं। ये दिशा-निर्देश दरअसल मौजूदा राष्ट्रीय दिशा-निर्देशों के पूरक साबित होंगे और इनसे राज्यों एवं राज्य स्तरीय नीति निर्माताओं को मेडिकल कॉलेजों एवं जिला अस्पतालों में उन गहन देखभाल इकाइयों की स्थापना एवं परिचालन करने में मदद मिलेगी, जो गर्भवती महिलाओं और हाल ही में नवजात शिशुओं को जन्म देने वाली माताओं को समर्पित होंगी।
सुरक्षित प्रसव एप
सुरक्षित प्रसव एप एक मोबाइल हेल्थ टूल है, जिसका उपयोग परिधीय क्षेत्रों में शिशुओं के सामान्य एवं जटिल प्रसव का प्रबंधन करने वाले स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए किया जा सकता है। इस एप में महत्वपूर्ण प्रसूति प्रक्रियाओं पर नैदानिक निर्देशात्मक फिल्में डाली गई हैं, जिनसे स्वास्थ्य कर्मचारियों को अपने कौशल को व्यवहार में लाने में मदद मिलेगी। यह एप प्रशिक्षण देने, प्रदर्शन इत्यादि में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इस एप को भारतीय संदर्भ के अनुसार तैयार किया गया है। कुछ जिलों में इसका फील्ड परीक्षण किया जा चुका है और इसे विशेषकर उन स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए काफी उपयोगी पाया गया है, जो मातृत्व देखभाल से जुड़े हुए हैं।