केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि वर्ष 2015-16 (शुभारम्भ) में सूखा निरोधन, प्रसार कार्य एवं जिला सिंचाई योजना बनाने हेतु 555.5 करोड़ रुपये जारी किए गए। इसके अंतर्गत 175 करोड़ रुपये मनरेगा के अंतर्गत जल संरक्षण हेतु पक्के निर्माण कार्यों में सामग्री घटक को पूरित करने एवं 259 करोड़ रुपये देश के 219 बारंबार सूखा प्रभावित जिलों में तथा केन्द्रीय भू-जल बोर्ड द्वारा चिन्हित अति दोहित 1071 ब्लॉकों में भूजल पुनर्भरण (रिचार्ज), सूखा शमन तथा सूक्ष्म जल भंडारण सृजन के लिए राज्यों को जारी किए गए। वर्ष 2016-17 में सूखा निरोधन उपायों के लिए 520.90 करोड़ रुपये की राशि राज्यों को जारी की गई। अब तक 56,226 जल संचयन संरचनाएं और 1,13,976 हेक्टेयर की सिंचाई क्षमता सृजित की गई। 675 जिला सिंचाई योजनाएं तैयार की गई हैं। यह बात उन्होंने 14 अक्टूबर को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित भारत जल सप्ताह-2017 के समापन सत्र में कही।
उन्होंने जानकारी दी कि कृषि मंत्रालय को प्रति बूंद अधिक फसल नामक योजना के क्रियान्यवन की जिम्मेदारी दी गई है। ‘प्रति बूंद अधिक फसल’ घटक के अंतर्गत सूक्ष्म सिंचाई के लिए वित्त वर्ष 2011-14 के दौरान राज्यों को कुल 3699.45 करोड़ रुपये जारी किए गए थे और सूक्ष्म सिंचाई के अधीन 16.14 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को लाया गया था। वहीं, वित्त वर्ष 2014-17 के दौरान राज्यों को कुल 4509 करोड़ रुपये जारी किए गए और सूक्ष्म सिंचाई के अधीन 18.38 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को लाया गया है, जो कि अब तक का सर्वाधिक क्षेत्र है।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2016-17 के दौरान प्रधानमंत्री कृषि िसंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) को ‘प्रति बूंद अधिक फसल’ के लिए 1991.17 करोड़ रुपये जारी किए गए, जो वर्ष 2015-16 में जारी 1,556.73 करोड़ रुपये की तुलना में लगभग 28 प्रतिशत अधिक है। वर्ष 2015-16 में सूक्ष्म सिंचाई के अधीन 5.7 लाख हेक्टेयर क्षेत्र लाया गया था तथा वर्ष 2016-17 में 8.39 लाख हेक्टर क्षेत्र को सूक्ष्म सिंचाई के तहत लाया गया, जो कि अब तक का सर्वाधिक क्षेत्र है। कृषि मंत्री ने कहा कि वर्ष 2017-18 के लिए ‘प्रति बूंद अधिक फसल’ के अंतर्गत 3400 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है, जिसके सापेक्ष सितम्बर, 2017 तक 1601.40 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है। सूक्ष्म सिंचाई के तहत वर्ष 2017-18 में 12 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को इसमें जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है।
पीएमकेएसवाई को कमान क्षेत्र विकास सहित दिसम्बर 2019 तक चरणबद्ध तरीके से 76.03 लाख हेक्टेयर की क्षमता के साथ 99 वृहत और मध्यम सिंचाई परियोजनाओं को पूर्ण करने के उद्देश्य से मिशन मोड में कार्यान्वित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सूखे की समस्या से स्थायी निजात पाने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की शुरुआत की गई है। इस योजना के मिशन मोड वाले क्रियान्वयन में तीन मंत्रालय सम्मिलित हैं जिसकी अगुवाई जल संसाधन मंत्रालय कर रहा हैं। पीएमकेएसवाई का उद्देश्य न केवल सुनिश्चित सिंचाई हेतु स्रोतों का सृजन करना है, बल्कि ‘जल संचय’ और ‘जल सिंचन’ के माध्यम से सूक्ष्म स्तर पर वर्षा जल का उपयोग करके संरक्षित सिंचाई का भी सृजन करना है।
कृषि मंत्री ने कहा कि भारत में विश्व की आबादी की 17 प्रतिशत जनसंख्या तथा 11.3 प्रतिशत पशुधन निवास करते हैं, जबकि अपने देश में विश्व का मात्र 4 प्रतिशत जल संसाधन उपलब्ध है। ऐसे में हमारे समक्ष इतनी बड़ी मानव तथा पशुधन आबादी को पानी की आपूर्ति करने की अभूतपूर्व चुनौती है।
उन्होंने कहा कि देश में कुल 200.8 मिलियन हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है, जिसमें से मात्र 95.8 मिलियन हेक्टेयर भूमि सिंचित है जो कि कुल क्षेत्रफल का केवल 48 प्रतिशत है, अतः 52 फीसदी असिंचित कृषि भूमि में उन्नत कृषि अपनाने हेतु आवश्यक जल की आपूर्ति कराना भी चुनौतीपूर्ण होगा। समुचित जल प्रबंधन करके ही इस चुनौती का सामना करना संभव है। कृषि मंत्री ने कहा कि 2015-16 से 2019-20 के दौरान 50,000 करोड़ रुपये निवेश कर संपूर्ण सिंचाई आपूर्ति श्रृंखला, जल संसाधन, वितरण नेटवर्क और खेत-स्तरीय अनुप्रयोग समाधान विकसित करके ‘हर खेत को पानी’ उपलब्ध कराया जाएगा।