गत दो अगस्त को केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार भारत सरकार ने नीलामी के लिए 72,098 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम रखा था, जिसमें से 51,236 मेगाहर्ट्ज (कुल का 71 प्रतिशत) 1,50,173 करोड़ रुपये की बोली के साथ बेचा गया।
वार्षिक किश्तों की गणना में ब्याज दर 7.2 प्रतिशत है और कुछ प्रतिभागी अधिक अग्रिम भुगतान भी कर सकते हैं।
पहली बार 600 मेगाहर्ट्ज बैंड नीलामी के लिए रखा गया था। इस बैंड के लिए कोई बोली प्राप्त नहीं हुई थी। मोबाइल टेलीफोनी के लिए 600 मेगाहर्ट्ज बैंड का उपकरण इकोसिस्टम अभी तक विकसित नहीं हुआ है। कुछ वर्षों में यह बैंड महत्वपूर्ण हो सकता है।
700 मेगाहर्ट्ज में 5जी इकोसिस्टम अच्छी तरह से विकसित है। इसका एक बड़ा सेल आकार है और बुनियादी ढांचे की आवश्यकता कम है। यह बैंड एक बड़ी रेंज और अच्छी कवरेज उपलब्ध करता है। मैसर्स रिलायंस जियो ने अखिल भारतीय 10 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम प्राप्त किया है।
800 से 2,500 के बीच के बैंड के लिए प्रतिभागियों ने मुख्य रूप से क्षमता बढ़ाने और 4जी कवरेज में सुधार के लिए स्पेक्ट्रम हेतु बोली लगाई है।
मिड बैंड यानी 3300 मेगाहर्ट्ज बैंड अच्छी प्रवाह क्षमता (थ्रूपुट) प्रदान करने में महत्वपूर्ण है। तीनों मौजूदा ऑपरेटरों ने इस बैंड में स्पेक्ट्रम प्राप्त कर लिया है। ऑपरेटरों द्वारा मौजूदा 4जी क्षमता को बढ़ाने और 3300 मेगाहर्ट्ज बैंड में 5जी सेवाएं उपलब्ध कराने की संभावना है।
एमएम वेव बैंड यानी 26 गीगाहर्ट्ज में उच्च प्रवाह क्षमता है, लेकिन इसकी रेंज बहुत कम है। इस बैंड के कैप्टिव या गैर-सार्वजनिक नेटवर्क के लिए उपयोग किए जाने की संभावना है। इस बैंड में पूरे विश्व में फिक्स्ड वायरलेस एक्सेस (एफडब्ल्यूए) लोकप्रिय हो रहा है। एफडब्ल्यूए को उच्च घनत्व/भीड़ वाले शहरी क्षेत्रों में फाइबर के विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। सभी चार प्रतिभागियों ने इस बैंड में स्पेक्ट्रम प्राप्त किया है।
मैसर्स मेटल स्क्रैप ट्रेडिंग कॉरपोरेशन (एमएसटीसी), भारत सरकार का एक सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम नीलामकर्ता है।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किए गए सुधारों और स्पष्ट नीति निर्देश के परिणामस्वरूप सफल स्पेक्ट्रम नीलामी हुई। इससे यह भी पता चलता है कि दूरसंचार क्षेत्र विकास की राह पर अग्रसर है।