समावेशी राजनीति का उत्कृष्ट उदाहरण

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श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के साथ ही भारतीय लोकतंत्र की परिवर्तनकारी शक्ति में विश्वास और भी सुदृढ़ हुआ है। देश के एक सुदूर क्षेत्र के आदिवासी समुदाय की एक महिला का राष्ट्रपति पद तक की यात्रा, जिस पर आज हर भारतीय को गर्व हो रहा है; किसी को भी एक चमत्कार लग सकता है। यह मात्र किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, वरन् पूरे राष्ट्र, उसके संविधान, लोकतंत्र तथा ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की गौरवपूर्ण उपलब्धि है। यह एक ऐसा महत्वपूर्ण अवसर है जब समाज के अंतिम व्यक्ति का विश्वास सरकार के ‘अंत्योदय’ के लिए प्रतिबद्धता पर और भी गहरा हुआ है तथा ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ का मंत्र फलीभूत होता दिख रहा है। देश के सुदूर क्षेत्रों तक भी यह संदेश गया है कि वे भारत के साथ एकात्म हैं तथा देश के हाशिए पर रहनेवाले कमजोर से कमजोर वर्ग को भी यह पुनः अनुभूति हुई है कि भारत उनका भी है। श्रीमती मुर्मू की भारी अंतर से विजय से देश के उच्च आदर्शों एवं मूल्यों के लिए प्रतिबद्धता की दृढ़ संकल्पशक्ति पुनः प्रमाणित हुई है। यह एक ऐतिहासिक अवसर है, उत्सव मनाने का समय है।

आज जब राष्ट्र आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद को श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के द्वारा सुशोभित किया जाना एक प्रकार से आजादी से  निकला  ‘अमृत’ ही है, जिससे राष्ट्रीय जीवन और भी अधिक ऊर्जावान बनेगा

आज जब पूरा देश सबसे बड़े संवैधानिक पद पर आदिवासी महिला के आसीन होने का उत्सव मना रहा है, यह भी एक सच्चाई है कि इस अवसर को आने में देश की स्वतंत्रता के बाद भी 75 वर्ष लग गए। यह सौभाग्य का विषय है कि देश के गरीब एवं वंचित वर्ग के किसी व्यक्ति का राष्ट्रपति के पद को सुशोभित करने का स्वप्न उस समय साकार हुआ है, जब पूरा राष्ट्र आजादी का 75वां वर्ष मना रहा है। श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को राजग प्रत्याशी के रूप में मनोनीत कर भाजपा ने सर्वसमावेशी राजनीति के लिए अपनी प्रतिबद्धता को पुनः देश के सामने रखा है। भाजपा ने पुनः राष्ट्र के कमजोर, वंचित, महिला एवं युवाओं में व्याप्त असीम संभावनाओं पर विश्वास व्यक्त किया है। आज जब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में देश में व्यापक परिवर्तन हो रहा है, देश के हर वर्ग का सशक्तीकरण हो रहा है एवं हर व्यक्ति राष्ट्र के विकास में सहभागी बन रहा है।

आज जब राष्ट्र आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद को श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के द्वारा सुशोभित किया जाना एक प्रकार से आजादी से निकला ‘अमृत’ ही है, जिससे राष्ट्रीय जीवन और भी अधिक ऊर्जावान बनेगा। श्रीमती द्रौपदी मुर्मू एक ऐसी महिला के संघर्ष का प्रतिनिधित्व करती हैं जो आदिवासी समुदाय के होने के साथ-साथ देश के एक सुदूर क्षेत्र से आती हैं। वे करोड़ों भारतीयों के लिए प्रेरणा हैं जिन्हें उनके संघर्षशील जीवन से संबल प्राप्त होगा। सार्वजनिक जीवन के कई दायित्वों का निर्वहन कर उन्होंने गरीब, वंचित, पीड़ित एवं उपेक्षितों की सेवा करते हुए निरंतर गरीबी एवं विपरीत परिस्थितियों से संघर्ष किया। उनके व्यापक प्रशासनिक अनुभव, संवेदनशीलता एवं लोगों के लिए प्रतिबद्धता से निश्चित ही पूरे देश को लाभ मिलेगा। साथ ही, श्री रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति पद पर पांच वर्षों का गौरवपूर्ण कार्यकाल पूरा किया है तथा इस सर्वोच्च संवैधानिक पद के उच्च आदर्शों एवं गरिमा को और भी अधिक बढ़ाया है। उनकी उत्कृष्ट सेवा, अनुभव, गरिमापूर्ण आचरण एवं असाधारण नेतृत्व क्षमता के लिए राष्ट्र सदा उनका ऋणी रहेगा। आज जब पूरा राष्ट्र आदिवासी समुदाय की महिला द्वारा राष्ट्रपति पद को सुशोभित किए जाने पर उत्सव मना रहा है, श्री रामनाथ कोविंद के गरिमापूर्ण कार्यकाल पर राष्ट्र को गर्व हो रहा है।

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