कृषि क्षेत्र में सुधारों का एक नया युग शुरू

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डाॅॅॅ. अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय केंद्र, नई दिल्ली में आयोजित भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक के दूसरे दिन 9 सितंबर 2018 को कृषि पर प्रस्ताव पारित हुआ। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने यह प्रस्ताव प्रस्तुत किया, जिसका अनुमोदन केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी एवं छŸत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने किया।

इस प्रस्ताव में कहा गया है कि देश के कृषि क्षेत्र में गत वर्षों में हुए सुधारों एवं किसानों के हित में उठाये गये बहुआयामी क़दमों के लिए भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र की भाजपा सरकार के कार्यों की सराहना करती है तथा प्रधानमंत्री श्री मोदी का हार्दिक अभिनंदन करती है। हम यहां कृषि पर पारित प्रस्ताव का पूरा पाठ प्रकाशित कर रहे हैं :

किसानों की आय दुगुना करने की ओर मोदी सरकार के बढ़ते कदम

सबसे पहले, यह राष्ट्रीय कार्यकारिणी पिछले चार वर्षों के दौरान कृषि क्षेत्र को पुनर्जीवित करने और इसमें सुधारों का एक नया युग शुरू करने के लिए वर्तमान सरकार द्वारा किए गए कार्यों की पूरी तरह से सराहना करती है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी कृषि स्तर के साथ-साथ भूमिगत स्तर पर भी किसानों को भारतीय अर्थव्यवस्था के केंद्रस्थल में लाने और नीति को प्राथमिकता देने के लिए बड़े पैमाने पर किए गए कार्यों की भी प्रशंसा करती है। इस मातृभूमि के सुपूत के रूप में किसानों के गौरव और सम्मान को वापस लाने के लिए वर्तमान सरकार द्वारा किया जा रहा काम भी बेहद सराहनीय है।

भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की एक निर्णायक भूमिका है। 2011 की जनगणना के अनुसार, देश की 54.6% आबादी कृषि और इससे सम्बंधित गतिविधियों में से जुड़ी हुई है और देश के GDP का 17.6% इस क्षेत्र से आता है। आज के चार साल पहले केंद्र में श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में सरकार बनने से पहले यह क्षेत्र ‘संकटग्रस्त’ स्थिति में था। कृषि क्षेत्र की इस महत्वपूर्ण भूमिका को ध्यान में रखते हुए, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने पिछले चार वर्षों में कृषि को उसकी संकटग्रस्त स्थिति से निकालने तथा इसके पुनरुत्थान और उसमें आत्मनिर्भरता की नींव रखने के लिए एक के बाद एक ठोस कदम उठाये। गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं अन्य भाजपा नेतृत्व वाले राज्य सरकारों द्वारा ढांचागत नीति निर्माण और कार्यक्रम बनाकर देश में कृषि विकास के संदर्भ में पिछले कुछ वर्षों में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की है। इन सभी प्रयासों ने पूरे देश में खेती से जुड़े समुदाय के बीच कृषि विकास की दिशा में अविश्वसनीय सफलता को दर्शाया है। भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारणी कृषि क्षेत्र में किये उल्लेखनीय कार्यों में लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के प्रति आभार ज्ञापित करते हुए उनका अभिनंदन करती है।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सत्ता संभालने के बाद, भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने दृढ़ संकल्प के साथ किसानों के कल्याण के लिए कृषि विकास की एक व्यापक नीति अपनाई है। पिछली सरकारों ने किसानों के साथ छलावा करने और उन्हें भ्रमित करने का काम करते हुए उनकी समस्याओं और चिंताओं के प्रति अत्यधिक उपेक्षा का भाव रखा। इसी उपेक्षा भाव का परिणाम था कि हमें एक ऐसी कृषि अर्थव्यवस्था विरासत में मिली, जिसमें सिंचाई, विपणन, भंडारण, उर्वरक उत्पादन, वित्त और फसल बीमा जैसे बुनियादी ढांचे की कमी थी। ऐसी अव्यवस्थित कृषि नीति और सरकार की उपेक्षा के कारण देश भर के किसानों को आत्महत्या करने के लिए मजबूर होना पड़ता था। लेकिन भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में केंद्र में एनडीए सरकार के गठन के साथ ही, सरकार ने लाभकारी मूल्य, सिंचाई, कृषि वित्त, विपणन, फसल बीमा और कृषि सहायक गतिविधियां आदि विषयों पर पूर्ण शक्ति और एकाग्रता के साथ काम करना शुरू किया।

जब भाजपानीत एनडीए ने केंद्र में सरकार बनायी, तब देश में खाद्य उत्पादों की कमी और आयात निर्भरता की स्थिति थी। विशेष रूप से दालें और खाद्य तेलों की कमी के चलते खाद्य वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही थीं। एक तरफ, देश बड़ी मात्रा में दालों और खाद्य तेलों का आयात कर रहा था और ये आयात बहुत तेज दर से बढ़ रहे थे। देश को गेहूं, जिसमें हमने दशकों पहले ही आत्मनिर्भरता हासिल कर ली थी, वह भी आयात करने के लिए मजबूर होना पड़ा था। हमारे किसानों के कड़ी मेहनत करने के बावजूद भी उन्हें गरीबी तथा ऋणधारक की स्थिति में रहने के लिए मजबूर होना पड़ता था। किसानों को लाभ पहुंचाने की बजाय कृषि उत्पादों की बढ़ती कीमतें सट्टेबाजों और काले बाज़ार को लाभ पहुंचा रही थीं। इन परिस्थितियों को देखते हुए, इस सरकार ने 2022 तक किसानों की आमदनी को दोगुना करने का संकल्प किया और इसके प्रति कार्य करने की दिशा में तेज़ी से लग गयी। आज जब हम उस स्थिति की तुलना वर्तमान स्थिति से करते हैं तो पाते हैं कि सरकार कृषि क्षेत्र को न सिर्फ संकटग्रस्त क्षेत्र के दायरे से बाहर निकाला है, बल्कि इस क्षेत्र से जुड़े किसानों के जीवन में बेहतरी के अनेक द्वार भी खोले हैं।

न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी: लागत + 50 प्रतिशत)

अपने उत्पादन के लिए किसानों को लाभकारी और सर्वोत्तम मूल्य प्राप्त करवाना इस सरकार की पहली प्राथमिकता रही है। इससे पहले तक केवल 22 कृषि वस्तुओं में न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया जा रहा था। लेकिन वर्ष 2018-19 के बजट में, सरकार ने उत्पादन की लागत का कम से कम 50 प्रतिशत और जोड़कर सभी उत्पादनों के लिए एमएसपी प्रदान करने की घोषणा की, जिसके फलस्वरूप केंद्र सरकार ने 4 जुलाई, 2018 को 14 खरीफ फसलों के लिए एमएसपी की घोषणा की। इस घोषणा के तहत, लागत में 50 से 97 प्रतिशत और जोड़कर न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया गया है। मिसाल के तौर पर, सामान्य धान के लिए 50 प्रतिशत जोड़ा गया है। तूर के लिए 65.4 प्रतिशत जोड़ा गया है, उरद के लिए 65 प्रतिशत, बाजरा के लिए 97 प्रतिशत और कपास के लिए 58.75 प्रतिशत जोड़ा गया है। नए प्रावधानों के तहत दिया गया एमएसपी पहले की तुलना में 11.3 प्रतिशत से 52.5 प्रतिशत तक अधिक है।
सरकार द्वारा गन्ना किसानों की समस्याओं को हल करने के लिए एक विशेष पहल की गई थी और गन्ना किसानों को 5.5 रुपये प्रति क्विंटल की दर से केंद्र सरकार की वित्तीय सहायता दी जा रही है और 8000 करोड़ रुपये का व्यापक पैकेज भी इथेनॉल उत्पादन में वृद्धि के लिए चीनी उद्योग की क्षमता बढ़ाने के लिए प्रदान किया गया है।

एमएसपी के अलावा, किसानों को सरल प्रणाली से, बिना किसी अवरोध के अपनी उपज के लिए लाभकारी मूल्य प्रदान करने के लिए अनेक पहलें की गई हैं। अप्रैल 2016 में, ई-नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट (e-NAM) योजना शुरू की गई, जिसमें 585 मंडियां अभी तक जोड़ी जा चुकी हैं। कई बाजारों में ऑनलाइन व्यापार भी शुरू हुआ है। वर्ष 2019-20 तक, इसके अतिरिक्त 425 मंडियां ई-एनएएम के तहत जोड़ी जाएंगी। इसके माध्यम से, किसान अपने उत्पादों को पूरे भारत में कहीं भी बेच सकते हैं और सबसे अच्छी कीमत प्राप्त कर सकते हैं। न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना के तहत अधिक से अधिक कृषि उत्पादन मौजूदा सरकार द्वारा खरीदकर किसानों को अत्यंत लाभान्वित किया गया है। वर्ष 2010-11 और 2013-14 के बीच केवल 5 लाख मीट्रिक टन तिलहन खरीदे गए थे, जबकि वर्ष 2014-15 और 24 जुलाई 2018 के बीच तक 23 लाख मीट्रिक टन तिलहन खरीदे गए हैं, जो कि पहले से 360% अधिक है। इसी प्रकार, दालों की खरीद में 35 गुना की वृद्धि हुई है। इसके अलावा, 16.71 लाख मीट्रिक टन दालों की खरीद भी NAFED और SFAC द्वारा की गई है, जो यूपीए सरकार के दौरान पहले कभी नहीं हुआ था। पिछली सरकार की तुलना में वस्त्र मंत्रालय ने पिछले 4 वर्षों में 325 प्रतिशत अधिक कपास खरीदी है। इसी तरह वस्त्र मंत्रालय द्वारा जूट की खरीद में 172 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। केंद्र सरकार ने पिछले चार वर्षों में खरीद के माध्यम से किसानों के उत्पादन को उनका सही मूल्य दिलवाने के लिए अभूतपूर्व काम किया है।

बजटीय आवंटन: उत्पादन में बढ़ोतरी

यूपीए सरकार के अंतिम 5 वर्षों (2009-14) में, कृषि के लिए 1,21,000 करोड़ रुपए का बजटीय प्रावधान था। जबकि, मोदी सरकार के पांचों बजट में, यह आवंटन रु 2,11,700 करोड़ तक बढ़ाया गया है; यानी, पहले से 74.5 प्रतिशत अधिक। यह वृद्धि साॅइल हेल्थ कार्ड, कृषि ब्याज सब्सिडी, सिंचाई, दालों के विकास, आपदा प्रबंधन, FPO, फसल बीमा जैसी सभी योजनाओं में दिखती है।

कृषि विकास की दिशा में निर्धारित प्रयासों के चलते, हमारा खाद्य उत्पादन वर्ष 2017-18 तक 279.51 मिलियन टन तक पहुंच गया है, जो वर्ष 2010-11 और 2014-15 के बीच औसत उत्पादन से लगभग 9.35 प्रतिशत अधिक है। यूपीए सरकार के दौरान, कई वर्षों तक दालों का उत्पादन स्थिर था और स्थिति यह थी कि 1960 में जहां देश में दालों की प्रति व्यक्ति उपलब्धता 70 ग्राम प्रति दिन थी, वह वर्ष 2013-14 तक घटकर केवल 40 ग्राम हो गई थी। तिलहन और दालों के लगभग स्थिर उत्पादन के कारण, आयात से देश की जरूरतों को पूरा करने के लिए बड़ी मात्रा में मूल्यवान विदेशी मुद्रा बाहर भेजी जा रही थी। इन खाद्य पदार्थों की कमी के कारण दालों और खाद्य तेलों की कीमतें बढ़ती जा रही थीं।

दालों की कीमत 150 से 200 रुपये तक पहुंच गई थी और दाल, जो आम आदमी के लिए प्रोटीन का महत्वपूर्ण स्रोत हैं,उनकी पहुंच से बाहर हो रही थी। सरकार के व्यापक प्रयासों के कारण, जिन दालों का उत्पादन वर्ष 2013-14 में केवल 18.5 मिलियन टन था, वह वर्ष 2017-18 तक 24.51 मिलियन टन हो गया। नतीजतन, आज दालों का आयात लगातार घट रहा है और यह 2016-17 में 66.5 मिलियन टन से घटकर 2017-18 में केवल 56.5 लाख टन हो गया है, जिसके फलस्वरूप 9,775 करोड़ रुपये की मूल्यवान विदेशी मुद्रा की बचत हुई है। अप्रैल-मई 2018 के दो महीनों में, दालों का आयात केवल 545 करोड़ रुपये का था। दालों के मामले में देश आज लगभग पूर्ण आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। तिलहनों का उत्पादन भी काफी बढ़ गया है और जो उत्पादन वर्ष 2010-11 और 2014-15 के बीच 265 मिलियन टन था, वह वर्ष 2017-18 में, 15.9 प्रतिशत की वृद्धि से अब 307.15 मिलियन टन हो गया है। सरकार द्वारा घोषित कीमतों और सरकारी एजेंसियों द्वारा खरीद के कारण किसानों को अधिक से अधिक दालें, तिलहन और अन्य फसलों का उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। सस्ती कीमतों पर अधिक आपूर्ति के कारण उपभोक्ताओं को भी फायदा हो रहा है, जिससे कि व्यापारियों और कंपनियों द्वारा अटकलों के व्यापार (speculation) पर रोकथाम लग गयी है।

कृषि विकास के लिए व्यापार नीति

किसानों को कृषि वस्तुओं के आयात के कारण होने वाले घाटे से बचाने के लिए, कृषि वस्तुओं पर आयात शुल्क बढ़ाया गया है और विशेष रूप से दालों के आयात पर मात्रात्मक प्रतिबंध (quantitative restrictions) लगाए गए हैं। इसके अलावा, दालों की सभी किस्मों के निर्यात पर लगे प्रतिबंधों को नवंबर 2017 से हटा दिया गया है। चने के निर्यात को बढ़ाने के लिए 7 प्रतिशत की दर का incentive दिया जा रहा है। उत्पादन पर incentive और आयात पर नियंत्रणों के कारण, दालों का आयात घट गया है। तिलहनों के बढ़ते उत्पादन से खाद्य तेल आयात में वृद्धि दर भी घट गई है; साथ ही साथ अनेक कृषि वस्तुओं के निर्यात को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।

इसके अलावा, वर्ष 2018-19 बजट में Farmers Producer Organization (एफपीओ) के लिए आवंटन किया गया है, ताकि किसानों को एकजुट किया जा सके। यूपीए सरकार के 10 वर्षों में केवल 223 एफपीओ पंजीकृत थे, जबकि मोदी सरकार के 4 वर्षों में 521 एफपीओ पंजीकृत हुए हैं। इस बीच, NABARD द्वारा 2154 एफपीओ भी पंजीकृत किए गए हैं। इसके अलावा, किसी भी तरह से किसान के शोषण के बिना contract farming को बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन ने देश में किसान की आय बढ़ाने और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी मदद की है। वर्ष 2014-15 से पहले, देश में दालों में कोई आत्मनिर्भरता नहीं थी। वर्ष 2013-14 तक, 16 राज्यों के 482 जिलों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन में शामिल किया गया था, जिसे वर्ष 2016-17 तक सभी 29 राज्यों के 638 जिलों तक बढ़ा दिया गया है। बजटीय आवंटन में भी वृद्धि हुई है। कृषि विज्ञान केंद्र, कृषि विश्वविद्यालयों आदि के माध्यम से दालों के उत्पादन में वृद्धि के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

किसानों की लम्बे समय तक आय सुनिश्चित करने के लिए, सूखे, बाढ़, तूफ़ान जैसे प्राकृतिक आपदाओं के कारण उन्हें होने वाले नुकसान से बचाना महत्वपूर्ण है। इस संबंध में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत वर्तमान सरकार ने फसल बीमा योजना के लिए गंभीर कदम उठाए हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों का जोखिम बहुत कम दरों पर कम हो रहा है। भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने पहले की किसी भी सरकार की तुलना में फसल बीमा के लिए सबसे अधिक धनराशि आवंटित की है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में अब तक 4 करोड़ किसान शामिल किए गए हैं और कुल बीमा राशि 1,31,000 करोड़ रुपये है। जबकि वर्ष 2013-14 में यूपीए सरकार के दौरान कृषि बीमा के लिए बजटीय प्रावधान केवल 2151 करोड़ रुपये था, जिसे बढ़ाकर वर्ष 2018-19 बजट में 13,000 करोड़ कर दिया गया,अर्थात 6 गुना वृद्धि हुई है।

साॅइल हेल्थ कार्ड

साॅइल हेल्थ कार्ड योजना पहले की सरकारों द्वारा कभी गंभीरता से नहीं ली गई थी, जिसके कारण किसान अपनी मिट्टी के स्वास्थ्य के अनुसार सूचित निर्णय नहीं ले पाता था। भाजपा की अगुआई वाली एनडीए सरकार के तहत साॅइल हेल्थ कार्ड के प्रावधान को 13 गुना से ज्यादा बढ़ा दिया गया है। अब तक लगभग 15 करोड़ किसानों को देश में मिट्टी के हेल्थ कार्ड जारी किए गए हैं। मिट्टी के स्वास्थ्य के अनुसार गुणवत्ता वाले बीज और पोषक तत्वों की उपलब्धता करवाई जा रही है।

फ़र्टिलाइज़र

यूपीए शासन के दौरान, किसान उर्वरकों (फ़र्टिलाइज़र) की कमी से जूझ रहे थे। अब उर्वरक कमी एक ऐतिहासिक बात बन गयी है। नीम लेपित यूरिया का विचार वर्ष 2014-15 से पहले किसी के मन में नहीं आया था; लेकिन अब देश के सभी किसानों को नीम लेपित यूरिया प्रदान किया जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप पौधा संरक्षण और मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार हुआ है। रसायनों का उपयोग भी काफी कम हो गया है और फसल की पैदावार में वृद्धि हुई है। साथ ही, गैर-खेत और अवैध उद्देश्यों के लिए यूरिया का उपयोग भी कम हो जाता है। बंद उर्वरक कारखानों की बहाली के लिए 50,000 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है और सरकार अपना नया यूरिया संयंत्र स्थापित करने जा रही है।

सिंचाई; प्रति ड्रॉप अधिक फसल

प्रधानमंत्री कृषि कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) के तहत, ‘more crop per drop’ के उद्देश्य से हर खेत की सिंचाई करने की योजना लागू की गई है। यह योजना सूखे की समस्या से छुटकारा पाने के लिए बहुत उपयोगी साबित होगी। वर्ष 2010-11 और 2013-14 के बीच, 23 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को माइक्रो सिंचाई के अंतर्गत लाया गया था जो वर्ष 2014-15 और 2017-18 के बीच 28.9 लाख हेक्टेयर सूक्ष्म सिंचाई तक बढ़ गयी है। PMKSY के अंतर्गत दिसंबर 2019 तक, 76.03 लाख हेक्टेयर क्षमता के 99 प्रमुख और मध्यम सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने के लिए एक अतिरिक्त बजटीय प्रावधान किया गया है। NABARD के तहत 40000 करोड़ रुपये के विशेष सिंचाई फंड भी बनाए गए हैं। नतीजतन, 18 योजनाओं पर काम मार्च 2018 तक पूरा हो चुका है और 47 योजनाओं पर 80 प्रतिशत से अधिक काम पूरा हो गया है।

कृषि ऋण

वर्ष 2013-14 में 7 लाख करोड़ रुपये के कृषि ऋण के प्रावधान को वर्ष 2018-19 में 11 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है। केंद्र सरकार कृषि ऋण पर 5 प्रतिशत ब्याज सब्सिडी देती है, जिसके बदले में किसानों को अपने कृषि ऋण पर केवल 4 प्रतिशत ब्याज का भुगतान करना होता है। कई राज्य सरकारें 4 प्रतिशत ब्याज सब्सिडी भी देती हैं और इसलिए किसानों को पूरी तरह से ब्याज-मुक्त ऋण मिलता है। वर्ष 2013-14 में, यह ब्याज सब्सिडी केवल 6000 करोड़ रुपये थी, जो वर्ष 2018-19 में 15000 करोड़ रुपये हो गई है।

ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन

सरकार यह मानती है कि खेती केवल बढ़ते अनाज, दालें, तिलहन, गन्ना और अन्य नकदी फसलों तक ही सीमित नहीं होती है। ग्रामीण इलाकों में आय और रोजगार बढ़ाने के लिए पशुपालन, कुक्कुट, मछली पकड़ना, मशरूम उत्पादन, बांस और संबंधित उद्योग, बागवानी, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, डेयरी, मधुमक्खी पालन, जैविक खाद आदि क्षेत्र प्रमुख योगदानकर्ता बन सकते हैं। इसके लिए, किसानों की आय बढ़ाने और विभिन्न योजनाओं द्वारा उनका रोजगार बढ़ाने के अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। 2018-19 के बजट में डेयरी और मछली पकड़ने में काम कर रहे लोगों को किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा की घोषणा की गई है। यह पहली बार हुआ है कि भूमिहीन लोगों के लिए भी किसान क्रेडिट कार्ड सुविधा प्रदान की गई है।

कृषि वस्तुओं के भंडारण के लिए गोदामों और ठंडे भंडारों में बड़ा निवेश किया जा रहा है ताकि किसानों को नुकसान से बचाया जा सके। खाद्य प्रसंस्करण के माध्यम से मूल्यवर्धन को प्रोत्साहित किया जा रहा है। पारंपरिक कृषि विकास योजना के अंतर्गत जैविक खेती पर जोर दिया जा रहा है और किसानों को भी सौर ऊर्जा को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

पशुधन विकास

आजादी के बाद पहली बार नरेंद्र मोदी सरकार ने पशुधन की स्वदेशी नस्लों के संरक्षण और प्रचार के लिए राष्ट्रीय गोकुल मिशन लॉन्च किया है। इस योजना के तहत, रु. 546.15 करोड़ राज्यों को अब तक जारी करे जा चुके गया है। इसके अलावा दो नए राष्ट्रीय कामधेनु प्रजनन केंद्र (इटारसी, मध्य प्रदेश में, चिंतला देवी, आंध्र प्रदेश में), 20 गोकुल ग्राम, प्रति वर्ष 50 लाख की क्षमता वाले एक नए अत्याधुनिक (फ्रोज़ेन) वीर्य केंद्र स्थापित किया गया है। स्वदेशी नस्लों के क्षेत्र में असाधारण काम के लिए गोकू रतन और कामधेनु पुरस्कार भी शुरू किया गया है। गोबर की खाद पर मोदी सरकार द्वारा सब्सिडी देने से पशु पालक और जैविक खेती करने वाले दोनों को लाभ मिला। भेड़ पालन करने वाले किसानों कि संवृद्धि की योजना नाबार्ड के माध्यम से चलायी जा रही है जिसमें कालीन, ऊन के काम में काफी प्रोत्साहन मिल रहा है।

हरित ऊर्जा

सरकार ने एक नई जैव-इथेनॉल नीति भी शुरू की जिसका लक्ष्य हर साल 1 अरब लीटर इथेनॉल की कुल उत्पादन क्षमता के साथ परियोजनाओं की स्थापना के लिए 5000 करोड़ रुपये के निवेश को बढ़ावा देना है। एक तरफ ये नीति कृषि और किसानों की आय को स्थिरता प्रदान करेगी तो दूसरी तरफ इस का उद्देश्य देश की विशाल ऊर्जा आयात निर्भरता को कम करना है। यह नीति इथानोल ब्लेंडिंग प्रोग्राम (ईबीपी) के लिए गुड़-आधारित इथेनॉल उत्पादन के पारंपरिक दृष्टिकोण के मुकाबले लिग्नोसेल्युलोसिक बायोमास से जैव-इथेनॉल के उत्पादन को बढ़ावा देने पर भी केंद्रित है।

ऑपरेशन ग्रीन

सरकार ने देश में TOP (टमाटर, प्याज और आलू) की कीमत अस्थिरता को रोकने के लिए एक रोड मैप बनाया है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के आवंटन को 2018-19 बजट में दोगुना करके1400 करोड़ कर दिया गया है। गरीब और मध्यम वर्ग के लोग टमाटर, प्याज और आलू की कीमत में अस्थिरता का सामना कर रहे हैं। ऑपरेशंस ग्रीन के तहत सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए एक स्थिर रोड मैप तैयार करेगी कि टमाटर प्याज आलू साल भर देश के हर कोने में बिना अस्थिर कीमतों के उपलब्ध हो। 2018 के बजट में इस उद्देश्य के लिए 500 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित किया गए हैं। 104 cold storage बनाने के अलावा, सरकार सभी 42 मेगा फूड पार्कों में कृषि परीक्षण सुविधाओं भी स्थापित कर रही है, ताकि कृषि-वस्तुओं के निर्यात को पूरी क्षमता प्राप्त हो सके।

सफेद क्रांति

भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बन गया है और कुल वैश्विक दूध उत्पादन में लगभग 19 प्रतिशत योगदान देता है। पिछले चार वर्षों में दूध उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 2010-14 की तुलना में, 2014-18 के दौरान दूध उत्पादन 23.69 प्रतिशत बढ़ गया है। इस अवधि के दौरान डेयरी किसानों की आय में भी 30.45 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

नीली क्रांति

जहां एक ओर पिछले चार वर्षों में दुग्ध क्रांति तेज़ी से बढ़ी है तो वहीं मछली उत्पादन में भी भारी वृद्धि हुई है। मछली, जो प्रोटीन का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, का भारत में कुल उत्पादन वर्ष 2010-14 के दौरान 355.16 लाख टन था, जो श्री नरेंद्र मोदी जी सरकार के चार वर्षों (2014-18) के दौरान, 26.01 प्रतिशत बढ़कर 447.55 लाख टन हो गया है। भारत अब मत्स्यपालन के मामले में दूसरी नंबर पर आ गया है। यह क्षेत्र, जो देश में 1.5 करोड़ लोगों को रोजगार प्रदान करता है, देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भाजपा की अगुआई वाली एनडीए सरकार ने देश में मत्स्यपालन क्षेत्र में मछुआरों के लिए बुनियादी ढांचे के विकास और उनके कल्याण के लिए कई उपाय किए हैं।
भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी कृषि के क्षेत्र में उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए नरेंद्र मोदी सरकार की सराहना करती है। पंडित दीन दयाल उपाध्याय की विचारधारा को आगे बढ़ाते हुए श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार का लक्ष्य गांवों में समृद्धि लाना है। वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने की दिशा में अप्रत्याशित प्रगति की गई है। पूर्व सरकारों ने केवल किसानों को लाभ देने को लेकर झूठे वादे किए हैं। हालांकि, श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने इस कार्य को सच्चे ढंग से पूरा में काम किया। हमारे देश के मेहनती किसानों और श्रमिकों के प्रयासों के साथ सही दिशा में कृषि उत्पादन बढ़ने से और ग्रामीण गैर-कृषि गतिविधियों में वृद्धि होने से ग्रामीण क्षेत्रों में आय और रोजगार तेजी से बढ़ रहा है। इस स्थिति को और बेहतर बनाने के लिए पूरे देश के खेती समुदाय के निरंतर और सक्रिय समर्थन के चलते श्री नरेंद्र मोदी के सक्षम नेतृत्व में भाजपा की अगुवाई में एनडीए सरकार इस दिशा में निरंतर आगे बढ़ने का वादा करती है।
वर्तमान सरकार का ध्यान स्थायी ग्रामीण आजीविका सुनिश्चित करने, किसानों के लिए सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था, समग्र जैव सुरक्षा और पर्यावरणीय नुकसान की रोकथाम और एक गतिशील संयोजन के माध्यम से खाद्य सुरक्षा और केंद्रित पोषण सहायता में वृद्धि जैसे विषयों पर केन्द्रित है।
देश के कृषि क्षेत्र में गत वर्षों में हुए सुधारों एवं किसानों के हित में उठाये गये बहुआयामी क़दमों के लिए भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी एक बार फिर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व की केंद्र की भाजपा सरकार के कार्यों की सराहना करती है तथा प्रधानमंत्री श्री मोदी का हार्दिक अभिनंदन करती है।
भाजपा नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार श्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में सम्पूर्ण किसान समुदाय के लगातार समर्थन तथा सक्रिय सहयोग से इस स्थिति में और सुधार लाने का वादा करती है।