कृषि सुधारों से कृषि क्षेत्र का होगा कायाकल्प

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ज जब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के करिश्माई एवं दूरदर्शी नेतृत्व में पूरा देश तेज गति से आगे बढ़ रहा है, अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में व्यापक परिवर्तन देखा जा सकता है जिससे आम जन-जीवन में भारी सुधार हो रहा है। जहां एक ओर हाल में हुए कृषि सुधारों का पूरे देश में स्वागत हो रहा है, वहीं दूसरी ओर कुछ निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा फैलाए गए भ्रम के कारण किसान समुदाय का एक वर्ग कुछ बिंदुओं पर आपत्ति जता रहा है। अब जबकि सरकार इन आपत्तियों पर खुले मन से विचार कर रही है तो ऐसे प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि पूरी प्रक्रिया का राजनीतिकरण कर संवाद को तर्कहीन मांगों को उठाकर बाधित किया जा सके। ध्यान देने योग्य है कि जब भी असंगत मांगों पर अड़ियल रूख अपनाया गया है, जनता ने कभी ऐसे रवैये को समर्थन नहीं दिया है।

कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) अधिनियम, 2020; कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा अधिनियम, 2020 तथा आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 ऐसे तीन कानून है, जिसकी मांग कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए इस क्षेत्र के हितधारकों द्वारा कई वर्षों से उठाए जा रहे थे। इन सुधारों के लिए देशभर में विभिन्न मांगों पर लंबे समय से चर्चा हो रही थी तथा अनेक किसान नेता, कृषि विशेषज्ञ व विभिन्न राजनैतिक दल इसकी मांग कर रहे थे। इन सुधारों से किसान दशकों के बंधनों से मुक्त हो गए हैं और अब अपनी उपज अपने पसंद के किसी भी खरीददार को बेचने के लिए स्वतंत्र हैं। इतना ही नहीं, किसान अब देश के किसी भी भाग में अपनी उपज बेच सकता है। इन कानूनों ने न केवल किसानों को स्वतंत्र किया है, बल्कि स्पर्धात्मक बाजार भी उपलब्ध कराया है जिससे उन्हें अपनी उपज का अधिकतम दाम मिल सकेगा। साथ ही, कृषि क्षेत्र में आधुनिकतम तकनीक, बेहतर बाजार व्यवस्था एवं खाद्य प्रसंस्करण अवसंरचना के निर्माण से आधुनिकीकरण का मार्ग प्रशस्त होगा। किसान अब व्यापार एवं निर्यात की गतिविधियों से सीधा जुड़ पाएगा। इन सुधारों का लाभ किसानों को तत्काल तो मिलेगा ही, साथ ही आने वाले समय में उनका सशक्तिकरण भी होगा और कृषि क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था का एक मजबूत अंग बनकर उभरेगा।

इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि मोदी सरकार ऐसी सरकार है, जिसने पहली बार किसान हितैषी, ग्रामीण जीवन केंद्रित एवं कृषि क्षेत्र के लिए कई ऐतिहासिक कार्य किए हैं। भारत के इतिहास में पहली बार मोदी सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) कृषि लागत का डेढ़ गुना तय किया है। इतनी ही नहीं, पिछले छह वर्षों में एमएसपी में निरंतर बढ़ोतरी की है। नए फसलों को इसके दायरे में लाया है और लगातार रिकार्ड खरीदारी की हैं। देश के इतिहास में पहली बार नीम-कोटेड यूरिया के माध्यम से खाद में कालाबाजरी खत्म कर किसानों को आसानी से खाद-बीज उपलब्ध कराया गया है और इनके लिए लंबी-लंबी लाइनें खत्म की हैं। मोदी सरकार द्वारा लाई गई व्यापक फसल बीमा योजना से अब फसल को लेकर हर किसान की चिंताएं खत्म हुई हैं और सुरक्षा का मजबूत भाव उनके मन में उत्पन्न हुआ है। पीएम-किसान सम्मान निधि के माध्यम से देश के इतिहास में पहली बार किसानों के खाते में अब तक एक लाख करोड़ रुपए से अधिक सीधे हस्तांतरित किए जा चुके हैं। इनके अलावा मत्स्य पालन, बागवानी एवं दूग्ध उत्पादन जैसे अन्य कृषि से संबद्ध क्षेत्रों के विकास के लिए कई ऐतिहासिक कदम उठाए गए हैं। मोदी सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र एवं किसानों के लिए किए गए कार्यों को यदि विस्तार से बताया जाए तो कई खंड लिखने पड़ेंगे।

मोदी सरकार किसानों की आय दुगुनी करने, कृषि के आधुनिकीकरण एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन के लिए कृत-संकल्पित है। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि वर्तमान व्यवस्था में जमे निहित स्वार्थी तत्व भ्रम का वातावरण बना किसानों को आधारहीन आशंकाओं से दिग्भ्रमित कर सुधारों का मार्ग अवरूद्ध करना चाहते हैं। सरकार द्वारा इन भ्रम, चिंताओं एवं आशंकाओं को निर्मूल प्रमाणित करने के प्रयासों से देश के बड़े भू-भाग में किसान इन सुधारों की आवश्यकताओं समझ रहे हैं और इन कानूनों का खुले दिल से समर्थन भी कर रहे हैं। आज जब पूरा देश हर क्षेत्र में सुधारों का भारी समर्थन कर रहा है, इन कृषि सुधारों से 21वीं सदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ का मार्ग निश्चय ही प्रशस्त होगा।

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