आकांक्षी भारत के लिए सर्वसमावेशी बजट

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बजट 2021-22 की पूरे देश में हर वर्ग द्वारा भूरि-भूरि प्रशंसा हुई है। कोविड-19 महामारी की पृष्ठभूमि में प्रस्तुत इस बजट की प्रतीक्षा पूरे देश में बहुत ही बेसब्री से हो रही थी। इसमें कोई संदेह नहीं कि यह बजट जन-जन की अपेक्षाओं पर न केवल खरा उतरा है वरन् इसने उन अपेक्षाओं के पार जाकर आने वाले दिनों में भारतीय अर्थव्यवस्था की एक लंबी छलांग की भूमिका भी तैयार कर दी है। भारतीय अर्थव्यवस्था जो तेजी से पुनर्बहाली के मार्ग पर है, इस भविष्योन्मुखी बजट से और भी अधिक सशक्त हुई है। इस सर्वसमावेशी बजट में न केवल महामारी की चिंताओं के निवारण के लिए देश के सामने सुदृढ़ रणनीति प्रस्तुत है, बल्कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के आह्वान को भी आत्मसात् किया गया है। यही कारण है कि आर्थिक विशेषज्ञों से लेकर आमजन तक इस बजट के दूरदर्शी दृष्टिकोण का स्वागत कर रहे हैं। इसमें कोई शंका नहीं कि इस बजट से भारतीय अर्थव्यवस्था को तेज गति मिलेगी जिससे देश दहाई के आंकड़े की विकास-दर प्राप्त कर सकेगा।

बजट के छह स्तंभ कोविड के पश्चात् की अर्थव्यवस्था के उन आधारों को संबल प्रदान करते हैं जिससे किसानों की आय को दुगुना, सुदृढ़ अवसंचना का निर्माण एवं युवाओं को अपार अवसर प्राप्त होंगे। एक ओर जहां टीकाकरण अभियान के लिए भारी राशि का आवंटन कर बजट ने महामारी से उबरने के लिए तुरंत के उपाय किए हैं, वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य क्षेत्र में 137 प्रतिशत की भारी बढ़ोतरी कर भविष्य के लिए दिशा सुनिश्चित किया गया है। केन्द्र की 17,788 ग्रामीण 11,024 शहरी स्वास्थ्य केंद्रों के साथ प्रधानमंत्री ‘आत्मनिर्भर भारत’ स्वास्थ्य योजना, जल आपूर्ति की सर्वव्यापी कवरेज, ‘स्वच्छ भारत-स्वस्थ भारत’ योजना जन-जन को स्तरीय एवं स्वस्थ जीवन के साथ-साथ पूरे स्वास्थ्य क्षेत्र में आमूल-चूल परिवर्तन होगा। साथ ही, राष्ट्रीय अवसंरचना में भारी निवेश के साथ-साथ सड़क एवं राजमार्गों के िलए अब तक सबसे बड़े बजटीय प्रावधान से आत्मनिर्भर भारत की नींव पड़ेगी। भारत-माला परियोजना, आर्थिक कोरिडोर, एक्सप्रेसवे, रेल अवसंरचना, बसों एवं मेट्रो परियोजनाओं से शहरी अवसंरचना का सुदृढ़ीकरण, ऊर्जा अवसंरचना की मजबूती, बंदरगाह, जलमार्ग, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस में भारी बजटीय प्रावधान भविष्य के भारत को प्रतिबिंबित करते हैं।

बजट में आकांक्षी भारत के समावेशी विकास के लिए भी व्यापक प्रावधान किए गए हैं। कृषि उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य जहां कुल लागत का डेढ़ गुणा सुनिश्चित िकया गया है, दुग्ध उत्पादन, पशुपालन एवं मछली पालन जैसे क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देकर किसानों के आय को दोगुना करने की दिशा में सुदृढ़ कदम बढ़ाए गए हैं। ग्रामीण अवसंरचना के लिए आवंटन बढ़ाकर, प्रवासी मजदूरों के लिए ‘एक राष्ट्र-एक राशन कार्ड’ जैसी योजना एवं मध्यम, छोटे एवं सूक्ष्म उद्योगों के लिए विशेष प्रावधानों से ग्रामीण अर्थव्यवस्था सशक्त होगी। साथ ही, बजट में मानव पूंजी को सुदृढ़ करने के लिए 15000 विद्यालयों में एनईपी के अवयवों के क्रियान्वयन, 100 नए सैनिक विद्यालय, लेह में केंद्रीय विश्वविद्यालय तथा उच्चतर शिक्षा आयोग का गठन एवं एक छत्रक निकाय की स्थापना करने का दूरदर्शी कार्यक्रम है। जनजातीय क्षेत्रों में 750 एकलव्य माॅडल विद्यालय तथा कौशल विकास के लिए किए गए बजटीय प्रावधान से देश के मानव पूंजी में गुणात्मक वृद्धि होगी। नवोन्मेष एवं अनुसंधान में निवेश कर संपूर्ण अनुसंधान व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण का मार्ग प्रशस्त हुआ है। पूरे बजट में ‘न्यूनतम सरकार-अधिकतम शासन’ का सिद्धांत व्यवस्था के सरलीकरण एवं प्रभावी, पारदर्शी एवं जनता के लिए सुलभ-सुगम व्यवस्था के निर्माण के प्रयासों में देखा जा सकता है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ठीक ही कहा है कि यह आत्मनिर्भरता के लिए एक सक्रिय दृष्टिकोण वाली बजट है। प्रधानमंत्री श्री नरेद्र मोदी के ‘विजन’ को दर्शाने वाले इस बजट के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण बधाई की पात्र हैं। इस बजट ने न केवल महामारी की चुनौतियों को अवसर में बदला है, बल्कि यह सही अर्थों में आकांक्षी भारत का सर्वसमावेशी बजट है।

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