वित्तीय समाधान और जमाराशि बीमा विधेयक, 2017 पेश किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 14 जून को वित्तीय समाधान और जमाराशि बीमा विधेयक 2017 के पेश किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इस विधेयक में बैंकों, बीमा कंपनियों और वित्तीय संस्थाओं में दिवालियापन की स्थिति से निपटने के लिए एक व्यापक समाधान से जुड़े प्रावधान उपलब्ध होंगे।

वित्तीय समाधान और जमाराशि बीमा विधेयक, 2017 के लागू होने पर एक समाधान निगम की स्थापना हेतु मार्ग प्रशस्त होगा। इससे इस विधेयक की अनुसूचियों में सूचीबद्ध क्षेत्रवार अधिनियम के समाधान संबंधी प्रावधानों को समाप्त करने अथवा संशोधित करने में मदद मिलेगी। इसके परिणामस्वरुप जमा राशि बीमा और ऋण गारंटी निगम अधिनियम, 1961 को समाप्त करने से लेकर जमा राशि बीमा अधिकारों के स्थानांतरण और समाधान निगम के प्रति उत्तरदायित्व कायम करना भी संभव होगा।

समाधान निगम वित्तीय प्रणाली के स्थायित्व और दृढ़ता का संरक्षण करेगा और एक तर्कसंगत सीमा तक बाध्यताओं के दायरे में उपभोक्ताओं का संरक्षण करेगा तथा एक संभव सीमा तक लोगों के धन का भी संरक्षण करेगा।

सरकार ने हाल में गैर वित्तीय संस्थाओं के तरलता समाधान के लिए तरलता और दिवालियापन संहिता, 2016 (कोड) को लागू किया है। प्रस्तावित विधेयक वित्तीय क्षेत्र के लिए एक समाधान कार्यक्रम प्रस्तुत करके कोड के प्रतिपूरक की भूमिका निभाता है। इसके लागू हो जाने पर कोड के साथ यह विधेयक अर्थव्यवस्था के लिए एक व्यापक समाधान आधारित कार्यक्रम उपलब्ध करेगा।

वित्तीय समाधान और जमाराशि बीमा विधेयक, 2017 का लक्ष्य वित्तीय तौर पर खस्ताहाल वित्तीय सेवा प्रदाताओं के उपभोक्ताओं को राहत देना है। खस्ताहाल कारोबारों को बचाने के लिए सार्वजनिक धन के इस्तेमाल को सीमित करके वित्तीय संकट के समय में वित्तीय सेवा प्रदाताओं के बीच अनुशासन स्थापित करना भी इसका लक्ष्य है।

दूसरी ओर, संकट के समय आवश्यक औजार उपलब्ध कराकर, पर्याप्त रोकथाम के उपायों को सुनिश्चित करके अर्थव्यवस्था में वित्तीय स्थायित्व कायम रखने में मदद मिलेगी। इस विधेयक का लक्ष्य बड़ी संख्या में खुदरा जमाकर्ताओं के लाभ के लिए जमाराशि बीमा के मौजूदा ढांचे को सशक्त और सुसंगत बनाना है। इसके अलावा, इस विधेयक के माध्यम से खस्ताहाल वित्तीय संस्थाओं की समस्याओं के निदान के लिए लगने वाले समय और धन में कमी लाना भी इसका लक्ष्य है।