जैसाकि ‘मन की बात’ 100 के आंकड़े को छू रहा है; इसने देश भर में बड़े पैमाने पर जन प्रयासों को एक नयी गति दी है

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अनुराग सिंह ठाकुर

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को वैश्विक स्तर पर एक असाधारण प्रतिभा वाले संप्रेषक के रूप में स्वीकार किया जाता है जो जनता के साथ त्वरित संबंध स्थापित कर लेते हैं। उनका व्याख्यात्मक कौशल उनकी क्षमताओं का केवल एक उदाहरण हैं। जिस ईमानदारी के साथ वह बोलते हैं, जिस ईमानदारी के लिए वह जाने जाते हैं और पिछले आठ वर्षों में उन्होंने लोगों के साथ जो विश्वास-आधारित संबंध बनाए हैं, वे सभी एक जन वक्ता के रूप में उनके कौशल को और अधिक निखारते है।

उनके समावेशी दृष्टिकोण को जनसांख्यिकी में अभूतपूर्व स्वीकृति मिली है। यह प्रधानमंत्री श्री मोदी का विकास का जन-केंद्रित मॉडल है जिसने उन्हें बड़ी संख्या में लोगों का प्रिय बना दिया है और यह लोगों के साथ निरंतर संवाद का उनका गैर-अभिजात्य विचार है, जिसे अब हम ‘मन की बात’ के रूप में जानते हैं, जिसका शुभारंभ अक्टूबर, 2014 को किया गया था। वर्षों से यह निरंतर महीने के आखिरी रविवार को प्रसारित किया जा रहा है। यह एक रेडियो वार्ता के रूप में आरंभ हुआ था और अब इसे विभिन्न प्लेटफार्मों से कई भाषाओं में प्रसारित किया जा रहा है।

अगर आप आंख बंद करके मन की बात सुनेंगे तो आपको लगेगा कि मोदीजी गांव की चौपाल पर बैठे हैं, लोगों से बातचीत कर रहे हैं, सुन रहे हैं, उनसे बात कर रहे हैं और जरूरत पड़ने पर उन्हें सलाह भी दे रहे हैं, या किसी अनुकरणीय कार्य के लिए किसी की तारीफ कर रहे हैं

‘मन की बात’ से हम मोदीजी के व्यक्तित्व के दो पहलुओं से अवगत होते हैं— पहला, एक मजबूत, शक्तिशाली, उद्देश्यपूर्ण प्रधानमंत्री मोदी; और दूसरा, विनम्र, सज्जन और परिवार के नेतृत्वकर्ता मोदीजी। अगर आप आंख बंद करके मन की बात सुनेंगे तो आपको लगेगा कि मोदीजी गांव की चौपाल पर बैठे हैं, लोगों से बातचीत कर रहे हैं, सुन रहे हैं, उनसे बात कर रहे हैं और जरूरत पड़ने पर उन्हें सलाह भी दे रहे हैं, या किसी अनुकरणीय कार्य के लिए किसी की तारीफ कर रहे हैं। हाल ही में उन्होंने ऐसे दुर्घटना पीड़ित परिवारों के साथ अपनी बातचीत साझा की, जिन्होंने अपने प्रियजनों के अंग दान करने का फैसला किया था। मोदीजी ने उस बातचीत का इस्तेमाल अंगदान के नेक विचार को बढ़ावा देने के लिए किया।

ऐसे कई उदाहरण दिए जा सकते हैं, जिनमें जलवायु समस्या से निपटने से लेकर स्वास्थ्य और स्वच्छता तक और नागरिकों को उनके श्रेष्ठ कार्यों के लिए बधाई देने तक शामिल हैं। प्रधानमंत्री श्री मोदी की मन की बात अनिवार्य रूप से वास्तविक जीवन की कहानियों और अनुभवों के बारे में है, ऐसी कहानियां जो वास्तविक भारत को दर्शाती हैं जो लुटियंस दिल्ली की संकीर्ण सीमाओं से परे मौजूद है। जो बताता है कि मन की बात का प्रत्येक एपिसोड इतना लोकप्रिय क्यों है और इसे हजारों प्रतिक्रियाएं क्यों मिलती हैं। यह कार्यक्रम नागरिकों का स्नेह प्राप्त करता है, क्योंकि यह उनकी चिंताओं के बारे में है।

‘मन की बात’ का पहला एपिसोड 3 अक्टूबर, 2014 को प्रसारित किया गया था। यह 30 अप्रैल, 2023 को 100 एपिसोड पूरे करेगा। मन की बात अपनी विषय वस्तु, डिजाइन, बातचीत और लोगों के साथ संवाद करने के मामले में अद्वितीय है। ऑल इंडिया रेडियो के माध्यम से 262 स्टेशनों और 375 से अधिक निजी और सामुदायिक स्टेशनों के साथ दुनिया का सबसे बड़ा रेडियो नेटवर्क – प्रधानमंत्री की बात को सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से विविध आबादी वाले एक विशाल जनसमूह तक पहुंचाता हैं। उन्हें न केवल सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक मुद्दों को लेकर प्रेरित करता हैं, बल्कि दुनिया की चुनौतीपूर्ण समस्याओं जैसेकि जलवायु संकट, अपशिष्ट प्रबंधन और ऊर्जा संकट आदि के प्रति भी जागरूक बनाता है।

प्रसार भारती 52 भाषाओं और बोलियों में ‘मन की बात’ का अनुवाद और प्रसारण करता है, जिसमें 11 विदेशी भाषाएं भी शामिल हैं। इस कारण यह कार्यक्रम देश के सबसे दूरस्थ क्षेत्रों के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर भारतीय डायस्पोरा तक अपनी पहुंच को सुनिश्चित करता है। ‘मन की बात’ भारत का पहला वस्तुतः पहला रेडियो कार्यक्रम है जो टीवी चैनलों द्वारा एक साथ प्रसारित किया जाता है: दूरदर्शन नेटवर्क के 34 चैनल और 100 से अधिक निजी सैटेलाइट टीवी चैनल इस अभिनव कार्यक्रम को पूरे देश में प्रसारित करते हैं, जिससे इस पारंपरिक माध्यम के प्रति नए सिरे से लोगों की रुचि पैदा हुई है। फरवरी, 2022 से हर महीने विशेषज्ञों और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के चेंजमेकर्स के लेखों के साथ एक स्मार्ट क्यूरेटेड बुकलेट भी प्रकाशित की जाती है, जो डिजिटल रूप से 60 मिलियन से अधिक लोगों तक पहुंचती है।

इतने बड़े प्रभाव के साथ, ‘मन की बात’ को सामाजिक क्रांति के रूप में देखा गया है, जो जनभागीदारी को एक नया आयाम देता है। इस कार्यक्रम की परिकल्पना और कार्यान्वयन नागरिकों की भागीदारी और भागीदारी के विचार पर टिकी हुई है, जो कार्यक्रम के नाम से लेकर विषयों के चयन और प्रधानमंत्री द्वारा इस कार्यक्रम में शामिल किए जाने वाले कार्यों में परिलक्षित होती है।

‘मन की बात’ का प्राथमिक उद्देश्य प्रधानमंत्री और नागरिकों के बीच सीधा संबंध स्थापित करना है। हर महीने प्रधानमंत्री को देश भर से लाखों पत्र मिलते हैं। कार्यक्रम के दौरान लोगों के साथ टेलीफोन पर बातचीत करना भी उनके लिए सामान्य बात है। जनप्रतिनिधियों और जनता के बीच संचार का ऐसा तरीका लोकतंत्र और शासन में जनता के विश्वास को और अधिक मजबूत करता है

‘मन की बात’ का प्राथमिक उद्देश्य प्रधानमंत्री और नागरिकों के बीच सीधा संबंध स्थापित करना है। हर महीने प्रधानमंत्री को देश भर से लाखों पत्र मिलते हैं। कार्यक्रम के दौरान लोगों के साथ टेलीफोन पर बातचीत करना भी उनके लिए सामान्य बात है। जनप्रतिनिधियों और जनता के बीच संचार का ऐसा तरीका लोकतंत्र और शासन में जनता के विश्वास को और अधिक मजबूत करता है।

आठ वर्षों में अपने 99 एपिसोड के सफल प्रसारण के दौरान मन की बात ने न केवल महत्वपूर्ण मुद्दों के बारे में जागरूकता पैदा करने का प्रयास किया है, बल्कि नागरिकों को सामाजिक और राष्ट्रीय मुद्दों पर पहल करने के लिए भी प्रेरित किया है। अपनी स्थापना के बाद से मन की बात कार्यक्रम जन आंदोलन के एक प्रभावी उपकरण के रूप में उभरा है। प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए सामाजिक संदेश कुछ ही घंटों में सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगते हैं और कुछ ही हफ्तों में एक जन आंदोलन बन जाते हैं। स्वच्छ भारत अभियान, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, कोविड-19 टीकाकरण और हर घर तिरंगा इसके कुछ शानदार उदाहरण हैं। हाल ही में, मन की बात के 88वें एपिसोड में प्रधानमंत्री ने जल संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डाला और नागरिकों से अपने इलाके में अमृत सरोवर बनाने का आग्रह किया। कुछ महीनों के भीतर यह संदेश एक जन आंदोलन में परिवर्तित हो गया और देश भर में कई अमृत सरोवरों का निर्माण किया गया।

एक सशक्त भारत के निर्माण के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हुए मन की बात हमारी राष्ट्रीय और वैश्विक सफलताओं को सामने लाने पर केंद्रित है, जो नागरिकों में गर्व, अपनेपन और राष्ट्रवाद की भावना पैदा करने के साथ लोगों से राष्ट्र के विकास में भाग लेने का आग्रह करता है।

89वें एपिसोड में प्रधानमंत्री ने भारत के 100 यूनिकॉर्न्स को लेकर चर्चा की। 91वें एपिसोड में हर घर तिरंगा अभियान की सामूहिक भागीदारी और राष्ट्रव्यापी सफलता का जश्न मनाया गया। ‘मन की बात’ के साथ प्रधानमंत्री ने कल्याणकारी योजनाओं और नीतियों को नागरिकों तक पहुंचाने और जागरूकता पैदा करने के लिए सफलतापूर्वक एक तंत्र को स्थापित किया है।

महामारी के संकट के बीच भी इस कार्यक्रम ने लोगों को सूचित रखने और उन्हें टीका लगवाने के लिए प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत की वैक्सीन की कहानी की सफलता का श्रेय काफी हद तक मन की बात को जाता है। इसकी प्रासंगिकता और महत्व के लिए केवल यही पर्याप्त शब्द है।

(लेखक केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण और खेल मंत्री हैं)