भ्रष्टाचार बनाम विकास की लड़ाई

| Published on:

संजीव कुमार सिन्हा

कर्नाटक विधानसभा चुनाव–प्रचार जोरों पर है। पूरा प्रदेश चुनावी रंग में रंग गया है। प्रदेश की सभी राजनीतिक पार्टियों ने कमर कस ली हैं। राजनेता प्रचार–प्रसार में जुट गए हैं। यहां तीन प्रमुख दल हैं – कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी और जनता दल (सेक्युलर)। यह चुनाव काफी अहम हो गया है, इसलिए देशभर के लोगों की निगाहें इस पर टिकी हैं। पूरे देश में भाजपा की लहर चल रही है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह के यशस्वी नेतृत्व में पार्टी दिनोंदिन नई उंचाइयां प्राप्त कर रही है। आज भाजपा केंद्र में जहां अपने दम पर पूर्ण बहुमत की सरकार चला रही है, वहीं देश के कुल 22 राज्यों में भाजपा एवं उसके सहयोगी दलों की सरकारें हैं। इस क्रम में अब बड़े राज्यों में सिर्फ कर्नाटक ही ऐसा राज्य है, जहां कांग्रेस की सरकार बची है। यहां के नतीजे इसलिए मायने रखते हैं, क्योंकि इसके बाद कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और लगभग एक साल बाद केंद्र में भी आम चुनाव होने हैं।

कर्नाटक में भाजपा ने इस बार श्री बी. एस. येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री का प्रत्याशी घोषित किया है। दक्षिण भारत में भाजपा को सशक्त करने वालों में उनका अहम योगदान रहा है। वे कर्नाटक के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। वर्तमान में वे कर्नाटक प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस ने भी स्पष्ट कर दिया है कि मुख्यमंत्री श्री सिद्धारमैया के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी।

कर्नाटक विधानसभा की 224 सीटों के लिए 12 मई को राज्य में मतदान होना है और वोटों की गिनती और परिणाम की घोषणा 15 मई को होनी है। चुनाव की तिथि की घोषणा के साथ ही कर्नाटक में तत्काल प्रभाव से आचारसंहिता लागू हो गई है। कर्नाटक में चुनाव के दौरान ईवीएम के साथ–साथ वीवीपैट मशीन का भी इस्तेमाल किया जाएगा। खास बात ये है कि इस बार कर्नाटक में सभी ईवीएम पर प्रत्याशियों की तस्वीर भी लगी होगी। ईवीएम में गड़बड़ी के आरोप को ध्यान में रखते हुए ये कदम उठाया गया है। चुनावी खर्च को लेकर भी आयोग सभी पार्टियों पर पैनी नजर रखेगा। एक उम्मीदवार चुनाव में 28 लाख रुपये से ज्यादा खर्च नहीं कर पाएगा।

राज्य की कुल जनसंख्या 6.4 करोड़ हैं, जिसमें 4.9 करोड़ वोटर हैं। युवा मतदाताओं की तादाद 15.4 लाख है।

2013 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को 36.53 वोट प्रतिशत के साथ 122 सीटें, भाजपा को 19.89 वोट प्रतिशत के साथ 44 और जेडीएस को 20.19 प्रतिशत वोट के साथ 40 सीटें प्राप्त हुई थी। इसके एक साल बाद हुए लोकसभा चुनावों में भाजपा ने राज्य की 28 सीटों में से 17 पर जीत दर्ज की थी, कांग्रेस के खाते में 9 सीट और जेडीएस को 2 सीटें मिली थीं।

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में तीनों प्रमुख दल ‘रथयात्रा’ के माध्यम से प्रदेश का भ्रमण कर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी ने ‘नव कर्नाटक निर्माण परिवर्तन यात्रा’ निकालकर पूरे प्रदेश में जन–जागरण किया। इसका नेतृत्व श्री बी.एस. येदियुरप्पा ने किया। कांग्रेस ने ‘जन–आशीर्वाद’ रैली निकाली, वहीं जनता दल (सेक्युलर) ने ‘‘कर्नाटक विकास वाहिनी’’ के माध्यम से प्रदेश का प्रवास किया।

इस बार चुनाव में प्रमुख मुद्दे हैं – विकास, भ्रष्टाचार, किसानों की आत्महत्या, खराब कानून–व्यवस्था, राष्ट्रीय विचार के कार्यकर्ताओं की हत्या।

कांग्रेस सरकार हर मोर्चे पर विफल रही है। सरकार में व्याप्त कुशासन के चलते लोगों में आक्रोश है। सिद्धारमैया सरकार भ्रष्टाचार का पर्याय बन गई है। देश के जिन राज्यों में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार है, उनकी सूची में कर्नाटक शीर्ष पर है। सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज द्वारा सरकारी कामों को कराने के लिए दिए जाने वाले घूसों के आधार पर भ्रष्ट राज्यों की एक सूची तैयार की गई। इस सर्वे में 20 राज्यों के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के 3,000 लोगों की राय ली गई। सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले एक साल के दौरान कम से कम एक बार करीब एक तिहाई लोगों को सरकारी काम कराने के दौरान भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ा। श्री सिद्धारमैया 40 लाख की घड़ी पहनते हैं। उनके मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप में रेड पड़ रही है, कई बेनामी संपत्तियां पकड़ी गईं, मंत्रियों पर हत्या तक के आरोप लगे।

किसानों की आत्महत्या बड़ा मुद्दा है। राज्य में पिछले पांच सालों में 3515 किसानों ने आत्महत्या की है। राज्य के कृषि विभाग के मुताबिक अप्रैल 2013 से लेकर नवंबर 2017 के बीच 3515 किसानों ने आत्महत्या की है। राज्य में कृषि संकट एक गंभीर समस्या बनकर उभरा है। प्रदेश में कानून–व्यवस्था ध्वस्त है। भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 24 कार्यकर्ताओं की लगातार हत्याएं कर दी गईं, लेकिन सरकार ने दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं की। दो साल पहले बुद्धिजीवी एमएम कलबुर्गी की हत्या हुई थी। पिछले साल पत्रकार गौरी लंकेश की भी हत्या हुई। इस मामले में भी कर्नाटक पुलिस अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है।

सिद्धारमैया सरकार की नाकामियों के प्रति लोगों में बेहद आक्रोश हैं। इससे हताश होकर कांग्रेस सरकार ने लिंगायत को अल्पसंख्यक का दर्जा देना तय कर दिया। यहां प्रश्न उठता है कि अगर सिद्धारमैया इतने गंभीर थे तो चार साल तक उन्होंने क्यों कुछ नहीं किया और चुनाव से ठीक पहले इसकी घोषणा कर दी। यही नहीं, केंद्र की यूपीए सरकार भी लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा देने के प्रस्ताव को पहले ही खारिज कर चुकी है।

भाजपा को केंद्र में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में हुए काम का लाभ मिल रहा है। राज्य की जनता जिन केंद्रीय योजनाओं से सबसे ज्यादा लाभान्वित हुई है, उनमें प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, बेटी बचाओ–बेटी पढ़ाओ, स्वच्छ भारत अभियान, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना, प्रधानमंत्री जनधन योजना, प्रधानमंत्री मुद्रा बैंक योजना, स्टार्ट अप इंडिया, प्रधानमंत्री आवास योजना और सुकन्या समृद्धि योजनाएं शामिल हैं। 14वें वित्त आयोग में मोदी सरकार ने कर्नाटक सरकार को 2,19,506 करोड़ रुपये आवंटित किये हैं जो यूपीए सरकार की तुलना में लगभग ढाई गुना ज्यादा है। उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त उज्ज्वल डिस्कॉम योजना के लिए लगभग 4300 करोड़, डिस्ट्रिक्ट मिनिरल फंड के तौर पर 34533 करोड़, स्मार्ट सिटी के लिए 960 करोड़, अमृत योजना के लिए 4953 कोर्ड, स्वच्छ भारत अभियान के लिए 204 करोड़, बेंगलुरु मेट्रो के लिए 2600 करोड़, स्वायल हेल्थ कार्ड के लिए 31 करोड़, प्रधानमंत्री सिंचाई योजना के लिए 405 करोड़, प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए 219 करोड़ और नये सड़कों के निर्माण के लिए 50 प्रोजेक्ट्स हेतु लगभग 27 हजार करोड़ रुपये दिए गए हैं।

उन्होंने कहा कि इस तरह कर्नाटक को 14वें वित्त आयोग की अनुदान राशि के अलावा विकास के लिए विभिन्न परियोजनाओं में 1,10,000 करोड़ रुपये और अधिक मिले हैं। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में मुद्रा योजना के तहत 39 लाख लोन जारी हुये हैं, जिसके अंतर्गत 39,441 करोड़ रुपये निर्गत किये जा चुके हैं, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत राज्य में 6.12 लाख गैस कनेक्शन वितरित किये गए हैं,और 11 करोड़ जन–धन एकाउंट खोले गए हैं। इन सभी योजनाओं के चलते राज्य में लोगों का जीवन स्तर तेजी से सुधरा है।

जिस प्रकार से सिद्धारमैया सरकार के शासन में भ्रष्टाचार हुए हैं, सांप्रदायिक राजनीति तेज हुई है, किसानों को आत्महत्या करने पर मजबूर होना पड़ा है, कानून–व्यवस्था ध्वस्त हुए हैं, राष्ट्रीय विचार के कार्यकर्ताओं की चुन–चुनकर हत्याएं हुई हैं, इससे कर्नाटक की जनता त्रस्त है। भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस सरकार के कुशासन के खिलाफ जमकर अभियान चलाए। श्री बी. एस. येदियुरप्पा के नेतृत्व में ‘परिवर्तन यात्रा’ निकाली गई, जिसे अभूतपूर्व जन–समर्थन मिला। जनता प्रदेश में बदलाव चाह रही है।