राजनीति से परे

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शिवप्रकाश

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार के 8 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। अष्ट पूर्ति के इस वर्ष को भारतीय जनता पार्टी सेवा, सुशासन एवं गरीब कल्याण वर्ष के रूप में संपूर्ण देश में मना रही है। सुदूर ग्रामीण एवं वनवासी क्षेत्र में फैले समाज तक मोदी सरकार के संदेश को पहुंचाने के लिए भाजपा के लाखों कार्यकर्ता 15 दिन तक सक्रिय रहेंगे। प्रतिष्ठित नागरिक, किसान, महिला, अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अल्पसंख्यक समाज तक अनेक प्रकार के कार्यक्रमों के माध्यम से गरीब कल्याण के संदेश को पहुंचाने का यह कार्य संपन्न होगा। देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले बड़े प्रकल्पों की जानकारी भी देश के नागरिकों को हो, इसके लिए अनेक कार्यक्रमों का भी आयोजन होगा।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के द्वारा गत 8 वर्षों में देश के उत्थान के लिए अनेक अनुकरणीय पहल हुई है। मोदीजी के हृदय की संवेदना, उनकी सक्रियता, विकास के प्रति उनकी विशिष्ट दृष्टि, समस्याओं का सूक्ष्म अध्ययन, उचित समय पर उचित निर्णय आदि अनेक गुण उनको शेष से कुछ अलग एवं विशेष बनाते हैं। राजनीतिक नेता एवं दल का स्वभाव सामान्यत: एक चुनाव से दूसरे चुनाव तक सोचना, येन-केन प्रकारेण चुनाव जीतने तक रहता है। इसी कारण लोकलुभावन वायदे एवं योजनाएं ही राजनीतिक दल बनाते हैं, लेकिन मोदीजी ने 8 वर्षों में अनेक ऐसे निर्णय लिए हैं जिन्हें आगामी दशकों तक समाज स्मरण करेगा| इन्हीं निर्णयों एवं कार्यों के कारण देश मोदीजी की सरकार को ‘वरदान’ मानता है।

कोई भी देश तभी आगे बढ़ सकता है जब वहां के सभी नागरिक दैनिक जीवन में अनुशासन का पालन करते हुए अपने कर्तव्य का निर्वाह करें। अपने भाग्य का निर्णय कुछ नेताओं और दलों को सौंपकर आलोचक वृत्ति अपनाने से आज तक कोई भी देश दुनिया में आगे नहीं बढ़ा। इसी सिद्धांत का स्मरण पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम हमको कराते थे। वे कहते थे कि भारत का नागरिक जब विदेश में जाकर वहां के नियमों का पालन कर सकता है, तब वही नागरिक भारत में आकर अपने हाथ का कचरा सड़क पर क्यों फेंकता है। मोदीजी ने स्वच्छता अभियान के माध्यम से संपूर्ण नागरिकों में इस कर्तव्य भाव को जगाया है। आज संपूर्ण देश में इसकी अनुभूति छोटे बच्चे से लेकर वृद्ध तक में की जा सकती है। हम अपने सार्वजनिक स्थलों में इस परिवर्तन को प्रत्यक्ष देख सकते हैं।

समाज में घटता लिंगानुपात संपूर्ण समाज के लिए एक विकट समस्या उत्पन्न कर सकता है। यह समस्या किसी एक दल की न होकर संपूर्ण समाज की है। इसका अनुभव करते हुए मोदीजी ने ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ के माध्यम से इसका समाधान का मार्ग सुझाया। सेल्फी विथ डॉटर, सुकन्या समृद्धि योजना आदि अनेक योजनाओं का परिणाम है कि लिंगानुपात में गुणात्मक परिवर्तन तो आया ही है, साथ ही साथ कन्या भ्रूण हत्या में कमी, शिक्षा, महिलाओं के प्रति सम्मान, बराबरी का अधिकार, निर्णयों में भागीदारी भी बढ़ी है। समाज में महिलाओं के प्रति देखने की दृष्टि में ही परिवर्तन हुआ है। उदाहरण ही देना हो तो मऊ जनपद (उत्तर प्रदेश) में लिंगानुपात 2014-15 694 से बढ़कर 2019-20 में 951 हुआ।

‘नमामि गंगे’ योजना से केवल गंगा ही नहीं, संपूर्ण देश की नदियों, जल एवं पर्यावरण के प्रति समाज की दृष्टि में परिवर्तन हुआ है। जल का सीमित उपयोग, जल की एक-एक बूंद का प्रयोग, जलसंधारण आदि सभी के प्रति जागरूकता आयी है। स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव वर्ष में प्रत्येक जिले में 75 अमृत सरोवर हमारे देश की जल की समस्या के समाधान में सहायक होंगे। रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के प्रयोग से की हुई खेती से उत्पन्न अन्न हमको बीमार बना रहा है। उत्तम स्वास्थ्य के लिए जैविक, प्राकृतिक खेती एवं गौ आधारित कृषि का बढ़ावा हमारे लिए अचूक रामबाण उपाय सिद्ध होगा। अर्थ संकल्प में स्वीकृत अब गंगा के किनारे 5 किलोमीटर का गलियारा प्राकृतिक खेती के लिए होगा एवं 20 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल जैविक खेती से युक्त होगा।

8 वर्षों की शासन अवधि में समाज जागरण, देशभक्ति का उद्घोष, विकास की नियोजित दृष्टि, भारत को आगे बढ़ाने की ललक सामान्य नागरिक में मोदीजी ने जगाई है। विश्व भर मे फैले भारतीयों को भारत से जोड़ना एवं विश्व में भारत की प्रतिष्ठा को स्थापित करने का अद्वितीय कार्य मोदीजी के द्वारा हुआ है। सांस्कृतिक जागरण का जो कार्य मोदीजी के द्वारा हुआ है, उसकी अनुगूंज दशकों तक सुनाई देगी

भ्रष्टाचार हमारे देश को दीमक की तरह खा रहा है। मोदीजी का यह संकल्प ‘न खाऊंगा, न खाने दूंगा’ उनके पारदर्शी, सुशासन के प्रति प्रतिबद्धता के संकल्प का स्मरण कराता है। भ्रष्टाचार रोकने के लिए तकनीक का प्रयोग, ई-बैंकिंग व्यवस्था, डीबीटी स्कीम सहायक बनी है। अब उचित व्यक्ति तक निश्चित धनराशि पहुंच रही है। विकास शृंखला में आकांक्षी जिलों का विकास उनकी विकास के प्रति एक अलग दृष्टि को प्रकट करता है।

चिकित्सा क्षेत्र में आयुर्वेद का विकास एक सराहनीय पहल है। कोरोना के अनुभव ने आयुर्वेद को वैश्विक स्वास्थ्य समाधान के रूप में स्थापित किया है। आयुर्वेद में बजट का बढ़ाना, आयुर्वेद पर शोध एवं आयुर्वेद पर्यटन के माध्यम से विश्व भर में आयुर्वेद को स्थापित किया जा रहा है। आयुर्वेद के साथ ही साथ योग अब विश्व भर में लोकप्रिय विषय बना है। वैश्विक मांग की पूर्ति के लिए प्रशिक्षित योग सेना तैयार करने का प्रयास हो रहा है। 21 जून योग दिवस अब विश्व भर में स्थापित हुआ है। मास्को से माले तक 19 मिशनों एवं वाणिज्य दूतावासों में योग की शिक्षकों की नियुक्ति हुई है।

देशभर में खादी खरीदने के आग्रह के परिणाम स्वरूप खादी की बिक्री बढ़ी है। खादी के माध्यम से स्वदेशी, कुटीर उद्योग एवं रोजगार आदि सभी क्षेत्रों में लाभ हुआ है। कांग्रेस केवल खादी के नारे ही लगाती रही, मोदीजी ने पुनः देश में खादी को स्थापित कर दिया। 2014 में 66.81 लाख रुपये की बिक्री हुई, वहीं 13 नवंबर, 2020 एक ही दिन में 111.40 लाख रुपये की बिक्री हुई है।

देश में उत्कृष्ट एवं रचनात्मक कार्यों के प्रोत्साहन के लिए पदम पुरस्कार महामहिम राष्ट्रपति जी द्वारा दिए जाते हैं। कुछ दशकों पूर्व पद्म पुरस्कार का राजनीतिकरण विवाद का विषय बना था। प्रधानमंत्री मोदीजी ने इस प्रक्रिया को बदला। अब पुरस्कार के लिए व्यक्ति की पहचान नहीं, बल्कि उसके कार्य की पहचान आधार बन गया है। अब किसानों, गांव एवं कस्बों में रहने वाले गुमनाम लोग को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया जा रहा हैं। मैला ढोने वाली अलवर राजस्थान की महिला उषा चौहान पद्म श्री पाकर अपने को गौरवान्वित अनुभव कर रही हैं।

देश में लाल बत्ती के उपयोग पर प्रतिबंध लगाकर वीआईपी होने की मानसिकता पर ही मोदीजी ने प्रहार किया। उनका मानना है कि जिस नियम एवं अनुशासन के पालन की अपेक्षा सभी देश के नागरिकों से है, वही जनप्रतिनिधि को भी पालन करना चाहिए। जनप्रतिनिधि सेवा भाव से ही विचार करें इसका संदेश भी स्वयं मेट्रो ट्रेन मे यात्रा करके मोदीजी ने दिया है। समाज की कसौटी पर खरा उतरना, सदैव जवाब देह रहना जनप्रतिनिधियों को मोदीजी का सतत संदेश है।

परिवारवाद लोकतंत्र के लिए खतरा है। इस कारण परिवारवाद पर प्रहार करते हुए लोकतंत्र को समृद्ध करने के प्रयास हुए है। नई पीढ़ी को समाविष्ट करने के लिए युवाओं को आगे लाना, न्यू इंडिया के मोदीजी के संकल्प को समृद्ध करता है।

‘मन की बात’ देशभर में सकारात्मक ऊर्जा संचार का माध्यम बनी है अच्छे व्यक्तियों के कार्यों को आगे लाना, सकारात्मक प्रयोगों की चर्चा, उत्सवों का महत्व, महापुरुषों के प्रति श्रद्धा आदि विषय समाज के सामने ‘मन की बात’ के माध्यम से आए हैं। युवाओं को प्रेरणा देने वाले अनेक प्रयोगों की चर्चा, मन की बात में हुई है। ‘एक भारत—श्रेष्ठ भारत’ का भाव जगा है। धारा 370 एवं 35-ए हटाकर देश की एकता को सुदृढ़ करने का ऐतिहासिक कार्य हुआ है।

हमारी सनातन संस्कृति का लोक कल्याणकारी स्वरूप विश्व के प्रति हमारा ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ का संदेश अपने भाषणों के माध्यम से सदैव विश्व भर में मोदीजी ने दिया है। अपने श्रद्धा स्थानों को पुनः स्थापित करने के अनेक उदाहरण जैसे श्री राम मंदिर का निर्माण, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण, बाबा केदारनाथ का सौन्दर्यकरण जगतगुरु आदि शंकराचार्यजी की प्रतिमा की प्रतिष्ठा का माध्यम मोदीजी बने हैं। सभी मतावलम्बियों के श्रद्धा स्थानों पर जाकर श्रद्धा व्यक्त करने का मोदीजी का प्रयास सांस्कृतिक एकता को स्थापित करता है| विद्वानों का मानना है कि सांस्कृतिक पुनरुत्थान का जो प्रयास महारानी अहिल्याबाई ने आज से लगभग 300 वर्ष पहले किया था, वही इस सदी में मोदीजी के द्वारा हो रहा है।

8 वर्षों की शासन अवधि में समाज जागरण, देशभक्ति का उद्घोष, विकास की नियोजित दृष्टि, भारत को आगे बढ़ाने की ललक सामान्य नागरिक में मोदीजी ने जगाई है। विश्व भर मे फैले भारतीयों को भारत से जोड़ना एवं विश्व में भारत की प्रतिष्ठा को स्थापित करने का अद्वितीय कार्य मोदीजी के द्वारा हुआ है। सांस्कृतिक जागरण का जो कार्य मोदीजी के द्वारा हुआ है, उसकी अनुगूंज दशकों तक सुनाई देगी।

(लेखक भाजपा के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री हैं)