भाई महावीर

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                         (30 अक्टूबर, 1921 – 3 दिसंबर, 2016)

30 अक्टूबर, 1921 को जन्मे भाई महावीर एक कुशल संगठक एवं प्रशासक थे। उन्होंने भारतीय जनसंघ के साथ अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। जनसंघ में शामिल होने से पहले वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक थे। उन्होंने कई किताबें लिखी और राज्यपाल बनने से पूर्व दो बार राज्य सभा के सदस्य रहे। उन्होंने एम.ए., अर्थशास्त्र में पीएच.डी. और दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून (एलएलबी) की पढ़ाई की।

वह महान स्वतंत्रता सेनानी भाई परमानंद के पुत्र थे। भाई परमानंद आर्य समाज के सदस्य और हिंदू महासभा के नेता थे। भाई महावीर आर्य समाज की पृष्ठभूमि के साथ बड़े हुए और लाहौर के दयानंद एंग्लो-वैदिक कॉलेज में पढ़ने चले गए।

भाई महावीर 1938 में लाहौर में राजा भाऊ पाटूरकर द्वारा स्थापित एक शाखा में रा.स्व. संघ में शामिल हुए। 1942 में वे प्रचारक बने और 2 साल तक जालंधर में उस पद पर काम किया। 1944 से 1947 के बीच वे लाहौर में रा.स्व. संघ के कार्यवाह रहे। विभाजन के बाद वह जालंधर में बस गए और एक व्याख्याता के रूप में काम किया। वह 1956 में दिल्ली चले आए और पंजाबी शरणार्थियों के लिए स्थापित पंजाब यूनिवर्सिटी कॉलेज में व्याख्याता के रूप में काम किया।

1950 के अंत में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने एक नई राजनीतिक पार्टी ‘भारतीय जनसंघ’ बनाने के लिए दिल्ली में कार्यकर्ताओं के एक कोर समूह की बैठक की। भाई महावीर वसंतराव ओक और बलराज मधोक के साथ इस समूह में शामिल थे। उन तीनों ने 27 मई, 1951 को जालंधर में जनसंघ की पंजाब-दिल्ली शाखा की स्थापना की, जो बाद में 21 अक्टूबर को स्थापित राष्ट्रव्यापी ‘भारतीय जनसंघ’ का हिस्सा बन गई। भाई महावीर को पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री दायित्व दिया गया। उन्होंने एक वर्ष तक उस पद पर काम किया। वे जनसंघ की कार्यसमिति में बने रहे। भाई महावीर जनसंघ और बाद में भारतीय जनता पार्टी में वरिष्ठ पदों पर बने रहे। वे 1968-74 और 1978-84 के दौरान राज्य सभा के लिए चुने गए। 1998 में उन्हें मध्य प्रदेश के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया और 2003 तक वह उस पद पर बने रहे। भाई महावीर का विवाह श्रीमती कृष्णा कुमारी से हुआ था, जिनका 14 दिसंबर, 2012 को नई दिल्ली में निधन हो गया। भाई महावीर का 3 दिसंबर, 2016 को दिल्ली में उनके निवास पर निधन हो गया।

भाई महावीर का जीवन परिचय

• उनके पिता श्री भाई परमानंद एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्हें अंग्रेजों ने मौत की सजा सुनाई थी। बाद में सजा को कालापानी में बदल दिया गया

• डीएवी कॉलेज, लाहौर में अर्थशास्त्र व्याख्याता के रूप में काम करना शुरू किया

• बाद में कैंप कॉलेज, करनाल में व्याख्याता बने

• डीएवी (पीजी) सांध्य कॉलेज, दिल्ली में प्राध्यापक रहे

• आकाशवाणी प्रकाशन लिमिटेड के एमडी रहेे

• पंजाबी अकादमी के उपाध्यक्ष रहे

• भाई परमानंद स्मारक समिति के सचिव रहे

• राजधानी कॉलेज के शासी निकाय के अध्यक्ष रहे

• विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े

• 1938 में रा.स्व. संघ के साथ जुड़ाव हुआ

• भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य रहे

• जनसंघ के प्रथम महामंत्री बने

• 1968-69 तक दिल्ली प्रदेश जनसंघ के अध्यक्ष रहे

• भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के गठन के समय से ही सदस्य रहे

• 1968-74 और 1978-84 तक राज्यसभा सदस्य रहे

• राज्य सभा अधीनस्थ विधान समिति के 1982-84 तक सभापति रहे

• 1996 से राज्यपाल बनने तक भाजपा की केंद्रीय अनुशासन समिति के अध्यक्ष रहे