भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी

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   भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी भारत के राजनीतिक इतिहास में एक शिखर पुरुष हैं। वे एक कुशल राजनेता, प्रशासक, कवि व पत्रकार थे। उन्होंने राजनीति को दलगत और स्वार्थ की वैचारिकता से अलग हटकर अपनाया और उसको जिया भी। राजनीतिक जीवन के उतार-चढ़ाव में उन्होंने अपने को सदैव संयमित रखा। राजनीति में धुर विरोधी भी उनकी विचारधारा और कार्यशैली के कायल थे। उन्होंने पोखरण जैसा आणविक परीक्षण कर विश्व में भारत की शक्ति का अहसास कराया।

अटलजी ने 21वीं सदी के मजबूत, समृद्ध और समावेशी भारत की आधारशिला रखी। विभिन्न क्षेत्रों में उनकी दूरगामी नीतियों ने भारत के प्रत्येक नागरिक के जीवन को स्पर्श किया। अटलजी की जीवटता और संघर्ष के कारण ही भारतीय जनता पार्टी का उत्तरोत्तर विकास हुआ। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के संदेश को प्रसारित करने के लिए देशभर की यात्रा की।

अटलजी काे कविताओं से बड़ा प्रेम था। कविताओं को लेकर उन्होंने कहा था कि मेरी कविता जंग का एलान है, पराजय की प्रस्तावना नहीं। वह हारे हुए सिपाही का नैराश्य-निनाद नहीं, जूझते योद्धा का जय संकल्प है। वह निराशा का स्वर नहीं, आत्मविश्वास का जयघोष है। उनकी कविताओं का संकलन ‘मेरी इक्यावन कविताएं’ खूब चर्चित रहा जिसमें… ‘हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा’…खास चर्चा में रही।

जीवन परिचय

श्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर स्थित शिंदे की छावनी में हुआ था। अटलजी के पिता का नाम श्री कृष्ण बिहारी वाजपेयी और मां का नाम श्रीमती कृष्णा वाजपेयी था। अटलजी भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य थे। वे 1968 से 1973 तक भारतीय जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। श्री वाजपेयी 10 बार लोक सभा के सांसद रहे। वहीं, वे दो बार 1962 और 1986 में राज्यसभा के सांसद भी रहे।

सन् 1957 से 1977 तक वे लगातार बीस वर्षों तक जनसंघ के संसदीय दल के नेता रहे। उन्होंने आपातकाल के खिलाफ संघर्ष किया। आपातकाल के बाद देश की जनता द्वारा चुनी गयी मोरारजी देसाई की सरकार में वे विदेश मंत्री बने। इस दौरान संयुक्त राष्ट्र अधिवेशन में उन्होंने हिंदी में भाषण दिया और वे इसे अपने जीवन का अब तक का सबसे सुखद क्षण बताते थे।

सिद्धांतों पर अडिग रहते हुए विचारधारा की राजनीति करने वाले श्री वाजपेयी भारतीय जनता पार्टी की स्थापना के बाद पहले अध्यक्ष बने। उन्होंने तीन बार 1996, 1998-99 और 1999-2004 में प्रधानमंत्री के रूप में देश का प्रतिनिधित्व किया। श्री अटल बिहारी वाजपेयी को 2015 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। 16 अगस्त, 2018 को श्री वाजपेयी का देहावसान हो गया।

राष्ट्र निर्माता अटलजी

देश की प्रगति के लिए अटलजी ने ‘स्वर्णिम चतुर्भुज’ योजना का आरम्भ किया। इसके अंतर्गत वह देश के महत्त्वपूर्ण शहरों को लम्बी-चौड़ी सड़कों के माध्यम से जोड़ना चाहते थे। इसका अधिकांश कार्य अटलजी के कार्यकाल में पूर्ण हुआ। इससे जहां आम व्यक्ति की यात्रा सुविधाजनक हुई, वहीं व्यापारिक और क़ारोबारी गतिविधियों को भी प्रोत्साहन मिला। साथ ही, अटलजी ने पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ सम्बन्ध सुधारने की दिशा में सदैव पहल की।

अटलजी ने विज्ञान और तकनीक की प्रगति के साथ देश का भविष्य जोड़ा। उन्होंने परमाणु शक्ति को देश के लिए आवश्यक बताकर 11 मई, 1998 को पोखरन में पांच परमाणु परीक्षण किए। परमाणु परीक्षण के कारण अमेरिका और उसके मित्र राष्ट्रों ने भारत पर प्रतिबंध लगा दिया, लेकिन अटलजी ने प्रतिबंधों की परवाह न करते हुए भारत को स्वावलम्बी राष्ट्र बनाने की दिशा में कार्य किया।

संक्षिप्त परिचय

  •  25 दिसंबर, 1924 को ग्वालियर में जन्म
  •  1957 में पहली बार लोकसभा पहुंचे
  •  भारत और पाकिस्तान के बीच कटु संबंधों को सुधारने का प्रयास किया; 1999 में लाहौर बस यात्रा की
  •  1996 में पहली बार, 1998 में दूसरी बार, 1999 में तीसरी बार प्रधानमंत्री बने
  •  1998 में पोखरण परीक्षण करके दृढ़ नेतृत्व का परिचय दिया और विश्व को भारत की परमाणु क्षमता का अहसास कराया
  •  भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित
  •  16 अगस्त, 2018 को देहांत