भाजपा एवं भारत

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भाजपा स्थापना दिवस (6 अप्रैल) पर विशेष लेख

शिव प्रकाश

देश में राष्ट्रवाद, गरीब कल्याण, भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों के संरक्षण, पारदर्शिता का आचरण करते हुए कांग्रेस के सम्मुख विकल्प प्रस्तुत करने के लिए डाॅ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नेतृत्व में भारतीय जनसंघ की स्थापना हुई। भारतीय राजनीति के मूर्धन्य विद्वान पं. दीनदयाल उपाध्याय द्वारा ‘एकात्म मानववाद’ का वैचारिक आधार देकर जिसको पोषित करने का कार्य किया गया। अपने जन्म से सतत वृद्धि की ओर अग्रसर यह दल लोकतंत्र की रक्षा के लिए आपातकाल के समय जनता पार्टी में विलीन हो गया।

6 अप्रैल, 1980 को मुंबई सागर तट पर अटल गर्जना के साथ “अंधेरा छंटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा” के संकल्प के साथ भारतीय राजनीतिक क्षितिज पर नई पार्टी भारतीय जनता पार्टी के नाम से नए दल के रूप में प्रकट हुई। जिसका नेतृत्व भारतीय राजनीति के सूर्य ‘भारत रत्न’ अटल बिहारी वाजपेयी ने किया।

आज वही भारतीय जनता पार्टी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में 18 करोड़ सदस्यता के साथ विश्व की सबसे बड़ी पार्टी है। केंद्र सहित देश के अनेक राज्यों में भाजपानीत सरकारें हैं। अपने राष्ट्रवादी विचार, गरीब के कल्याण की नीति, प्रखर एवं प्रामाणिक नेतृत्व के कारण देश के लिए वरदान सिद्ध हुई है।

राजनीति के माध्यम से राष्ट्रवाद की स्थापना करते हुए राष्ट्रीय एकात्मता को पुष्ट करने का विचार भाजपा ने अपने जन्मकाल से रखा। बूथ से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन तक लोकतंत्र का पालन करते हुए देश में लोकतंत्र का रक्षण भारतीय जनता पार्टी का संकल्प बना। समाज में बिना किसी भेदभाव के विकेंद्रित

राजनीति के माध्यम से राष्ट्रवाद की स्थापना करते हुए राष्ट्रीय एकात्मता को पुष्ट करने का विचार भाजपा ने अपने जन्मकाल से रखा। बूथ से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन तक लोकतंत्र का पालन करते हुए देश में लोकतंत्र का रक्षण भारतीय जनता पार्टी का संकल्प बना। समाज में बिना किसी भेदभाव के विकेंद्रित अर्थव्यवस्था का पालन करते हुए गरीब का उत्थान यही लक्ष्य है। बिना किसी भेदभाव के अपनी-अपनी पूजा पद्धतियांे का पालन करते हुए देश के विकास में सभी का सहयोग एवं ‘देश प्रथम’ सिद्धांत का पालन करते शुद्ध आचरण से देशवासियों की सेवा भाजपा का लक्ष्य बना

अर्थव्यवस्था का पालन करते हुए गरीब का उत्थान यही लक्ष्य है। बिना किसी भेदभाव के अपनी-अपनी पूजा पद्धतियांे का पालन करते हुए देश के विकास में सभी का सहयोग एवं ‘देश प्रथम’ सिद्धांत का पालन करते शुद्ध आचरण से देशवासियों की सेवा भाजपा का लक्ष्य बना।

हमारा देश विविधताओं से युक्त देश है। भाषा, जाति, पूजा पद्धति, खानपान, रंग-रूप एवं पहनावा हम सबको एक-दूसरे से भिन्न दिखाते हैं। सतही तौर पर विचार करनेवाले एवं विदेशी षड्यंत्रों से प्रभावित अनेक लोगांे ने इस विविधता को विभेद मानकर अपनी राजनीति का आधार बनाया। यह एक राष्ट्र नहीं, अपितु जातियों में परस्पर संघर्ष, आदिवासी-शहरवासी, सवर्ण-दलित आदि के आधार पर अपनी रोटियां एवं वोट की फसल काटने का प्रयास किया। भाजपा प्रारंभ से ही एक राष्ट्र, एक जन, एक संस्कृति के सिद्धांत के आधार पर राजनीति करती आई है। विविधता इसकी कमजोरी नहीं, इस देश का सौंदर्य है। उत्तर-पूर्वांचल ने भी भाजपा को चुनाव जिताकर इस स्वर को प्रकट किया है। इसलिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि न तो अब उत्तर-पूर्वांचल दिल्ली से दूर है और न ही दिल से दूर है। बंद, चक्का जाम, आतंक अब समाप्त होकर वहां विकास की धारा बह रही है। कश्मीर 370 से मुक्त होकर केसर की सुगंध ले रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अनूठी पहल ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के अंतर्गत काशी तमिल संगमम ने एकात्मता के विश्वास को गहरा दिया है। वेरूवाड़ी, कच्छ, कश्मीर के लिए संघर्ष करनेवाले भाजपा नेतृत्व ने राष्ट्रवाद एवं राष्ट्रीय एकात्मता के भाव को जन-जन में जागृत किया है। इसी कारण देश के कोने-कोने से लेकर दुनिया के सुदूर स्थानों तक लाखों लोग देशभक्ति का समवेत स्वर ‘भारत माता की जय’ का उद्घोष कर रहे हैं।

देश के राजनीतिक धरातल पर सक्रिय दल अपने दल के अंदर का लोकतंत्र खोते जा रहे हैं। चुनाव प्रक्रिया का पालन या तो है नहीं अथवा दिखावा मात्र है। कांग्रेस सहित देश की सभी क्षेत्रीय पार्टियां परिवारवाद के संकट से ग्रसित है। इस कारण उन दलों का प्रतिभावान नेतृत्व कुंठित होकर दल छोड़ रहा है अथवा निष्क्रिय है। जो दल अपनी पार्टी में लोकतंत्र का पालन नहीं कर सकते उनसे देश के लेाकतंत्र की रक्षा की अपेक्षा नहीं की जा सकती है। कांग्रेस ने तो देश पर आपातकाल थोपकर लोकतंत्र को कुचलने का कार्य किया ही है।

परिवारवाद के कारण देश का लोकतंत्र खतरे में आ सकता है। यह आशंका अपने संविधान निर्माताओं के मन में भी थी। भाजपा ने अपने संविधान का पालन करते हुए निश्चित अवधि में बूथ से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव तक की प्रक्रिया का पालन करते हुए देश के लोकतंत्र की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व बलिदान किया है। भाजपा ही एक मात्र ऐसा दल है जिसने लोकतंत्र की रक्षा के लिए अपने दल का अस्तित्व समाप्त किया है।

लोकतांत्रिक संस्थाओं के प्रति सम्मान के इस व्यवहार ने भारतीय जनता के मन में भाजपा नेतृत्व के प्रति विश्वास को बढ़ाया है, जबकि अन्य दल चुनाव आयोग, ईवीएम एवं न्यायालय पर प्रश्नचिह्न ही खड़ा करने का कार्य कर रहे हैं।

गांधीजी अपने आर्थिक चिंतन में देश का विकास स्वदेशी एवं विकेन्द्रित अर्थव्यवस्था के आधार पर चाहते थे। ग्राम पंचायत उनके स्वराज का आधार था। पं. दीनदयाल उपाध्याय ने सरकारों की सफलता का आधार गरीब कल्याण (अंत्योदय) को माना। स्वदेशी, सादगी, विकेंद्रित अर्थव्यवस्था से हम अपनी आर्थिक उन्नति करें, यह विचार उन्होंने दिया। किसान के खेत को पानी, रोजगार; यह उनकी अर्थव्यवस्था के आधार थे। ‘उत्पादन में वृद्धि, खर्च में संयम’ यह सिद्धांत उन्होंने दिया। प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के द्वारा संचालित प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, स्वर्णिम चतुर्भुज योजना, नदियों को जोड़ने का प्रकल्प एवं सर्वशिक्षा अभियान; गरीब उत्थान एवं देश के ढांचागत विकास के अनुकरणीय उदाहरण हैं। उसी परंपरा में बहुगुणित वृद्धि करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीजी की गरीब कल्याण की अनेक योजनाएं, क्रियान्वयन में तकनीकी उपयोग, कृषि सिंचाई योजना एवं आत्मनिर्भरता का मंत्र गांधीजी एवं दीनदयालजी की कल्पनाओं का साकार रूप है, जिससे गरीब का विश्वास अर्जित करते हुए देश आर्थिक क्षेत्र में तीव्र गति से बढ़नेवाली अर्थव्यवस्था है।

तथाकथित धर्मनिरपेक्षता के नाम पर भारतीय संस्कृति एवं भारतीय समाज पर आक्रमण ही अनेक राजनीतिक दलों की परंपरा बन गई थी। जो जितनी अधिक एवं कठोर गाली देगा वह सबसे बड़ा धर्मनिरपेक्षवादी हो गया था। भ्रष्टाचार में आंकठ डूबे नेता एवं दल अपने धर्मनिरपेक्षतावाद का आवरण ओढ़कर देशवासियों को शिक्षा दे रहे थे। जो हिंसा में लिप्त वह धर्मनिरपेक्ष होने का ढोंग रच रहे थे।

2014 से पूर्व प्रतिदिन के समाचार-पत्रों में भ्रष्टाचार सुर्खियों में रहता था। राजनेता एवं राजनीतिक दल जैसे भ्रष्टाचार में आंकठ डूबे थे। सरकारी संपत्ति हमारे व्यक्तिगत उपयोग के लिए है, जैसे सिद्धांत गढ़े जा रहे थे। 2014 के बाद प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ‘न खाऊंगा, न खाने दूंगा’ का उद्घोष कर राजनीति में पारदर्शिता की मिसाल कायम की

धर्मनिरपेक्षता के नाम पर भगवान श्रीराम के अस्तित्व को ही नकार दिया था। धर्मनिरपेक्षता तुष्टीकरण का पर्याय हो गई थी। समाज दुःखी मन से इन दलों के कारनामों को देख रहा था। भाजपा ने कहा कि हम विकास में कोई पक्षपात न करते हुए सभी को न्याय देंगे। अपने सांस्कृतिक मान बिंदुओं के गौरव के लिए भाजपा ने कदम से कदम मिला कार्य किया। आज भारत का सांस्कृतिक गौरव सूर्य के समान चमक रहा है। विश्व में चोरी करके ले जायी गयी मूर्तियों को वापिस लाने का कार्य हो अथवा श्रीराम मंदिर का भी कारिडोर, केदारनाथजी का सौंदर्यीकरण, महाकाल लोक का निर्माण; सभी अपनी गौरव गाथा कह रहे थे। सूफी संतों से संपर्क, बोहरा एवं पसमांदा मुस्लिम समाज के विकास की योजनाएं एवं वन डे वन चर्च जैसे प्रयास प्रधानमंत्री श्री मोदीजी के सर्वधर्म समभाव के भाव को प्रकट करते हैं।

2014 से पूर्व प्रतिदिन के समाचार-पत्रों में भ्रष्टाचार सुर्खियों में रहता था। राजनेता एवं राजनीतिक दल जैसे भ्रष्टाचार में आंकठ डूबे थे। सरकारी संपत्ति हमारे व्यक्तिगत उपयोग के लिए है, जैसे सिद्धांत गढ़े जा रहे थे। 2014 के बाद प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ‘न खाऊंगा, न खाने दूंगा’ का उद्घोष कर राजनीति में पारदर्शिता की मिसाल कायम की। ‘देश प्रथम’ के सिद्धांत का पालन करनेवाले अनेक राजनीतिक कार्यकर्ता भाजपा की देन है, जिन्होंने सत्ता के प्रतिष्ठान पर पहुंचकर भी अपनी ईमानदारी की छवि को बनाया है। राजनीति में सब कुछ जायज है, जहां यह सिद्धांत प्रतिपादित किया जाता था, वहीं ईमानदारी से सरकार चलाई एवं पुनः बनाई जा सकती है, यह भाजपा नेतृत्व ने सिद्ध किया है। इसके कारण जीवन-मूल्य राजनीति में जीवित है। यह विश्वास जनता में जाग्रत हुआ है।

देश की स्वतंत्रता एवं विकास में सभी का योगदान है, इसके आधार पर सभी महापुरुषों का सम्मान, परमाणु विस्फोट एवं रक्षा क्षेत्र में आधुनिक सेना एवं शस्त्रों के द्वारा भारत को सम्मानित स्थान विश्व में भाजपा ने दिलाया है। विश्व भर में भारतीय संस्कृति की श्रेष्ठता स्थापित की है। इसका परिणाम है, केवल भारत ही नहीं संपूर्ण विश्व भारतीय जनता पार्टी को एवं उसके नेतृत्व को आशाभरी दृष्टि से देख रहा है। भाजपा भारत की आकांक्षाओं को पूर्ण करनेवाली पार्टी है जो अपने सेवाभाव से भारत के लिए वरदान सिद्ध होगी।

लेखक भाजपा के राष्ट्रीय सह महामंत्री (संगठन) हैं