विश्वस्तरीय रिसर्च पर केंद्र सरकार का जोर

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केद्रीय गृह राज्यमंत्री डॉ. सत्यपाल सिंह ने 1 जनवरी 2018 को लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी कि केंद्र की राजग सरकार ने उच्च शिक्षा संस्थानों में शिक्षा स्तर को बेहतर बनाने और अनुसंधान की सुविधा उपलब्ध करने के लिए विशेष ध्यान दिया है। अमेरिका, ब्रिटेन, इजराइल, नोर्वे, न्यूजीलैंड जैसे देशों के साथ संयुक्त अनुसंधान कार्यक्रम बनाए गए हैं, ताकि शिक्षा संस्थानों के संकायों को उच्चस्तरीय बनाए जा सके, शिक्षकों को अनुसंधान करने का अवसर मिले और विश्व स्तरीय उपकरणों और सुविधाओं के लिए अंतर-विश्वविद्यालय केंद्रों की स्थापना की जा सके। भारत सरकार ने विभिन्न योजनाओं को लागू किया है, जिनमें प्रमुख निम्न हैं-

उच्चतर आविष्कार योजना (यूएवाई): यूएवाई योजना का उद्देश्य आईआईटी संस्थानों में नए आविष्कारों को बढ़ावा देना है, ताकि विनिर्माण उद्योगों की समस्याओं को हल किया जा सके, आविष्कार करने वाली मानसिकता को प्रोत्साहन मिले, शिक्षा जगत और उद्योग के बीच समन्वय लाया जा सके तथा प्रयोगशालाओं और अनुसंधान सुविधाओं को सुदृढ़ किया जा सके।

अनुसंधान, नवोन्मेष और प्रौद्योगिकी पर प्रभाव (आईएमपीआरआईएनटी): समाज से जुड़े क्षेत्रों की पहचान करना है, जिसमें नवोन्मेष व वैज्ञानिक अनुसंधान की आवश्यकता है। इस योजना का उद्देश्य इन क्षेत्रों में अनुसंधान के लिए बड़ी धनराशि की उपलब्धता सुनिश्चित करना है। अनुसंधान कार्यों के परिणाम से ग्रामीण/शहरी क्षेत्रों के लोगों के जीवन स्तर में सुधार सुनिश्चित किया जाना चाहिए। इस योजना के तहत आने वाले प्रस्तावों के लिए 50 प्रतिशत की धनराशि गृह मंत्रालय द्वारा तथा शेष 50 प्रतिशत धनराशि संबंधित मंत्रालय/विभाग/उद्योग/गैर-गृह मंत्रालय स्रोत से उपलब्ध कराई जाएगी।

आईआईटी संस्थानों में अनुसंधान पार्कों की स्थापना: सरकार ने आईआईटी दिल्ली, आईआईटी गुवाहाटी, आईआईटी कानपुर, आईआईटी हैदराबाद और आईआईएससी बंगलुरू में पांच नए अनुसंधान पार्कों के निर्माण की मंजूरी दे दी है। प्रत्येक अनुसंधान पार्क के निर्माण के लिए 75 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की गई है। आईआईटी मुंबई और आईआईटी खड़गपुर में कार्यरत दो अनुसंधान पार्कों को चालू रखने के लिए 100 करोड़ रुपये (प्रत्येक) की धनराशि स्वीकृत की गई है। विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग ने आईआईटी गांधीनगर के अनुसंधान पार्क के लिए 90 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित किया है।

गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम (क्यूआईपी): डिग्री और डिप्लोमा स्तर के संस्थानों के संकाय सदस्यों की विशेषज्ञता को बेहतर बनाने और क्षमता निर्माण करने के लिए।

मार्गदर्शन: प्रतिष्ठित संस्थान के अंतर्गत एक हब बनाना, जो प्रौद्योगिकी संस्थानों के मध्य समन्वय स्थापित कर सके।

उच्च शिक्षा संस्थानों को विश्वस्तरीय शिक्षण व अनुसंधान संस्थानों के रूप में परिवर्तित करने के लिए 29.08.2017 को एक अधिसूचना जारी की गई और संबंधित दिशा-निर्देश 7.09.2017 को प्रकाशित किए गए।

चयनित विश्वविद्यालयों/संस्थानों को पांच वर्षों की अवधि में 1000 करोड़ रुपये उपलब्ध कराये जाएंगे, ताकि वे विश्व स्तरीय विश्वविद्यालय के रूप में विकसित हो सकें।

9 जुलाई 2017 को ऑनलाइन शिक्षा प्लेटफॉर्म ‘स्वयं’ लांच किया गया। इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से शिक्षण-प्रशिक्षण, स्नातक और स्नातकोत्तर विषयों की पढ़ाई की जा सकती है। इसके तहत 837 पाठ्यक्रमों में कुल 16,83,828 लोग पंजीकृत हैं। डिजिटल चैनल स्वयंप्रभा के जरिए स्वयं की पहुंच का विस्तार किया गया है।