7.94 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण

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ग्रामीण भारत में स्वच्छता के क्षेत्र में स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) तेजी से प्रगति कर रहा है। 31 जुलाई 2018 को भारत में स्वच्छता कवरेज 88.9 प्रतिशत है। 2 अक्टूबर 2014 के बाद से 7.94 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण किया जा चुका है। 4.06 लाख गांव, 419 जिले और 19 राज्य तथा केन्द्रशासित प्रदेश खुले में शौच से मुक्त घोषित किए जा चुके हैं। प्रगति की रफ्तार बराबर बनी हुई है और भारत अक्टूबर 2019 तक खुले में शौच से मुक्ति प्राप्त करने की राह पर है।

दरअसल, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 24 सितम्बर 2014 को स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) को मंजूरी दी थी, जो 2 अक्टूबर 2014 से प्रभावी हुई। इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में 2 अक्टूबर, 2019 तक सार्वभौमिक स्वच्छता कवरेज का लक्ष्य प्राप्त करना तय हुआ था। स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत महत्वपूर्ण प्रगति हो चुकी है और यह मिशन अपने अंतिम पड़ाव के नजदीक है।

वित्त मंत्री द्वारा बजट घोषणाओं के अनुरूप वर्ष 2018-19 के लिए स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) लक्ष्यों की प्राप्ति के संबंध में वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के लिए 30,343 करोड़ रुपये की रकम आवंटित की गई थी। प्रस्ताव था कि 15,343 करोड़ रुपये आम बजटीय समर्थन और शेष 15,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त बजट संसाधनों के जरिए जुटाए जाएंगे। इसके बाद आर्थिक कार्य विभाग के सचिव की अध्यक्षता में ईवीआर संबंधी संचालन समूह ने नाबार्ड के जरिए स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के लिए 2018-19 के दौरान 15,000 करोड़ रुपये तक ईबीआर को बढ़ाने की सिफारिश की थी।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने 1 अगस्त को निम्नलिखित विषयों को मंजूरी दी:

वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान नाबार्ड के जरिए स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के लिए अतिरिक्त बजट संसाधन के रूप में 15,000 करोड़ रुपये तक निधियों को बढ़ाना।

अंतर्राष्ट्रीय पेयजल गुणवत्ता केन्द्र नामक सोसायटी के कार्य विस्तार को अधिकृत करना, एसबीएम(जी) के लिए ईबीआर निधियों को प्राप्त करना, राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों की एजेंसियों के लिए आवंटन और उसका पुनर्भुगतान।

‘अंतर्राष्ट्रीय पेयजल गुणवत्ता केन्द्र’ का नाम बदल कर ‘राष्ट्रीय पेयजल, स्वच्छता एवं गुणवत्ता केन्द्र’ किया जाना।

इस निर्णय से स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) और एसएलडब्ल्यूएम गतिविधियों के लिए ग्राम पंचायतों के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए योग्य लगभग 1.5 करोड़ ग्रामीण घरों को फायदा होगा। देशभर के गांवों में खुले में शौच से मुक्ति का दर्जा प्राप्त करने और उसे कायम रखने के लिए निधियों का इस्तेमाल किया जाएगा।