विकास-प्रक्रिया में सहकारिता की महती भूमिका : पी. मुरलीधर राव

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भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्ता आधारित राजनीतिक दल है। भाजपा देशभर में अपने संगठन को मजबूत करने के लिए ‘महा प्रशिक्षण अभियान’ चला रही है। इसका उद्देश्य है कार्यकर्ताओं को निरंतर परिमार्जित करने हेतु पार्टी की विचारधारा व कार्यपद्धति से अवगत कराना। इसी क्रम में भाजपा ने सहकारी कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण की भी योजना बनाई है। इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एवं पार्टी प्रशिक्षण समिति के सदस्य श्री पी. मुरलीधर राव से कमल संदेश के सहायक संपादक संजीव कुमार सिन्हा ने बातचीत की। अपनी बेजोड़ सांगठनिक क्षमता एवं वैचारिक प्रखरता के लिए जाने जानेवाले श्री राव ने कहा कि राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के हित में और निर्धनता उन्मूलन के अभियान के लिए भाजपा अपने कार्यकर्ताओं को तैयार करती है ताकि सहकारिता से रोजगार संरक्षण और जीवनयापन की सुविधा उपलब्ध हो सके। प्रस्तुत है मुख्य अंश:

कृपया पहले आप सहकारिता आंदोलन के बारे में बताइए ?

सहकारिता को इसके सदस्यों द्वारा स्वैच्छिक रूप से परस्पर स्वीकृत भाव या कार्य के प्रोत्साहन के लिए एक संगठन के रूप में देखा जाता है। ऐसा तभी हो सकता है जहां वर्तमान दोनों पार्टियों के लिए पर्याप्त संसाधन हों या उनकी अंत:प्रक्रिया द्वारा निर्माण किया जा सकता हो। इसमें जीवन के सामाजिक पहलुओं का निर्माण होता है और स्वतंत्रता एवं समानता के आधार पर नए लोकतांत्रिक सामाजिक व्यवस्था को स्थापित करने का उद्देश्य निहित रहता है, जहां लोग एक परिवार की तरह सद्भावना, आपसी चिंता और भागीदारी के साथ रहते हैं, जहां भावना की एकता एवं समान आर्थिक बंधन की भागीदारी रहती है। सहकारिता को विभिन्न प्रकार की दिक्कतों से उन्मूलन की भूमिका निभानी होती है और सामाजिक तथा आर्थिक रूप से दृढ़ और स्थायी रास्ता बनाना होता है।

भाजपा किस प्रकार से सहकारिता आंदोलन को सशक्त करती है?

राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के हित में और निर्धनता उन्मूलन के अभियान के लिए भाजपा अपने कार्यकर्ताओं को तैयार करती है ताकि सहकारिता से रोजगार संरक्षण और जीवनयापन की सुविधा उपलब्ध हो सके। भाजपा सहकारिता प्रकोष्ठ ने अपनी ओर से पहल कर इस अभियान को सशक्त बनाया है जिससे विभिन्न समूहों के लिए ऋण सहायता, कानूनी सहायता सहित अनेक क्षेत्रों को एक नई दिशा मिल सके।

क्या भाजपा के पास सहकारी नेताओं को प्रोत्साहित करने की कोई योजना है? यदि ऐसा है तो क्या इसके लिए कोई प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार किया गया है?
भाजपा प्रशिक्षण अभियान में राजनीतिक नेतृत्व और सामाजिक सेवा संबंधी विभिन्न पहलू शामिल हैं, जिनमें सहकारिता क्षेत्र भी शामिल हैं। विशेष ध्यान इस बात पर भी दिया जाता है कि कार्यकर्ता और नेतागण प्रशिक्षित हों, जो सहकारिता क्षेत्र में कार्य करते हों। भाजपा एक ऐसा प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार कर रही है, जिसमें सहकारिता क्षेत्र के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान दिया जाए, साथ ही समाज पर इसके प्रभाव को देखा जाए, सर्वोत्तम प्रक्रियाएं अपनाई जाएंं और इस क्षेत्र से संबंधित कौशल आदि पर भी ध्यान दिया जाए। प्रशिक्षण कार्यक्रम को तैयार करने में सहकारी सोसाइटियों के चेयरपर्सनों को शामिल किया जाएगा और भाजपा के नेतृत्व में काम कर रही विभिन्न सहकारी संस्थाओं और संगठनों के नेताओं तथा भाजपा शासित राज्यों के विभागों के तहत काम कर रही विभिन्न सहकारी संस्थाओं को अपने कार्यक्षेत्र में सुधार लाने के लिए प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।

महाराष्ट्र और गुजरात को छोड़कर अन्य राज्यों में सहकारिता उद्यम ज्यादा मजबूत नहीं है, अत: अन्य राज्यों के बारे में क्या योजना है?

हमारे देश में सहकारिता अभियान ने अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में पर्याप्त विकास किया है। लगभग 6.10 लाख सहकारी सोसाइटियों के नेटवर्क और 249.20 मिलियन सदस्यों के नेटवर्क को देखते हुए भारत का सहकारिता अभियान विश्व का सबसे बड़ा अभियान है। सहकारिता के माध्यम से कृषि क्रेडिट की एडवांस राशि ने बड़ी मात्र में बढ़ोतरी की है जिससे यह 1960–61 में मामूली सी 214.35 करोड़ से बढ़कर 2011–12 में 86185 करोड़ रुपए तक जा पहुंची जिससे कुछ संस्थागत कृषि ऋण बढ़कर लगभग 17 प्रतिशत शेयर में बदल गया। उर्वरक वितरण में सहकारिता का शेयर 36 प्रतिशत है और चीनी उत्पादन में लगभग 39.7 प्रतिशत है। सहकारिता द्वारा गेहूं प्राप्ति भी लगभग 24.8 प्रतिशत है। खुदरा उचित मूल्य की दुकानों पर सहकारिता क्षेत्र में वितरण की सांझेदारी 54 प्रतिशत और 20.3 प्रतिशत है।

सहकारिता क्षेत्र प्रत्यक्ष और स्वरोजगार क्षेत्र में देश में लगभग 17.80 मिलियन लोगों को प्रत्यक्ष तथा स्वरोजगार देता है और मत्स्यपालन, श्रम, हैण्डलूम सेक्टरों और महिला सहकारिताओं के जरिए समाज के कमजोर वर्गों की सामाजिक–आर्थिक स्थितियों के सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। ‘श्वेत क्रांति’ के माध्यम से डेयरी कोऑपरेटिव दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त कर ली है। आवास सहकारिताएं कमजोर वर्गों और कम आय समूहों के लिए मकान निर्माण में समुचित दरों पर अपना योगदान दे रहा है। उचित मूल्य दुकानों के माध्यम से कॉऑपरेटिव समाज के कमजोर वर्गों के लिए रियायती दर पर आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति कर रहा है। इस प्रकार कोऑपरेटिव पर्याप्त रूप से हमारे प्रयासों को फलीभूत कर रहा है, जिसमें विकास भी शामिल है। यह दो प्रमुख राज्यों, अर्थात् महाराष्ट्र और गुजरात में सफल रहा है। क्रेडिट, बैंकिंग ढांचा, जीवनयापन, शिक्षा में असंतुलन होने के कारण अन्य राज्यों ने थोड़ा बहुत कार्य किया है, परन्तु जागरूकता, साक्षरता और सहकारिता अभियान चलाकर इसे मजबूत किया जा सकता है।

बहुत हद तक सहकारिता उद्यम निष्क्रिय बन गए हैं। इस स्थिति से उबरने के लिए क्या उपाए किए जा रहे हैं?

देश के युवाओं की समर्थता और ऊर्जा को देखते हुए सहकारिता अभियान को उल्लेखनीय तथा राष्ट्र निर्माण मुद्दों पर एक नई पहचान की दिशा दी जानी चाहिए, जिसे सामाजिक एवं आर्थिक रूप से दोनों तरह से युवा तथा वंचित वर्गों द्वारा अपनाया जा सकता है। मेक इन इंडिया, स्किल इण्डिया, मुद्रा योजना आदि योजनाएं लघु उद्योग क्षेत्र में उत्कृष्ट शिक्षा एवं रोजगार निर्माण में सहायक हो रही हैं।

सहकारिता आंदोलन को सशक्त बनाने के लिए केन्द्रीय भाजपा सरकार और राज्य सरकारें क्या नए उपाए कर रही हैं?

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में हमारी भाजपा सरकार देश के विकास के लिए कई नए उपाए कर रही है, जैसे कि कन्या शिक्षा की उन्नति के लिए सभी स्कूलों में शौचालय निर्माण, जन–धन योजना कार्यान्वयन, 6 करोड़ लघु विक्रेताओं और व्यापारियों के लिए वित्तीयकरण, जिसमें एससी, एसटी, ओबीसी तथा अल्पसंख्यक 61 प्रतिशत हैं और बैंकिंग सेक्टर में शामिल वित्तीय स्थिति के लिए 14 करोड़ से अधिक खाते खोले गए हैं। निर्धन लोगों के लिए एलपीजी सब्सिडी सुनिश्चित करने के लिए हमारे प्रधानमंत्री ने डीबीटी को कार्यान्वित किया है जिससे सब्सिडी ठीक लक्षित व्यक्ति तक सीधे पहुंच सके। देश में कृषि क्षेत्र को मजबूत करने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, सॉइल हैल्थ कार्ड योजना की शुरूआत की जिससे कृषि उत्पादकता बढ़ सके, जिसके बारे में कांग्रेस ने विगत 60 वर्षों में सोचा तक नहीं। भाजपा सरकार ने निर्धन तथा वंचित वर्गों की व्यापक सामाजिक सुरक्षा योजना के प्रावधान किए और साथ ही गरीबों के लिए स्वास्थ्य और हाईजीन मुद्दे लिए गए, भारतीय रेलवे द्वारा प्रदत्त सेवाओं का विकास हुए, कौशल मीडिया मंत्रालय की स्थापना कर युवाओं के लिए रोजगार सृजन किए गए, हम ‘मेक इन इण्डिया’, केन्द्र शासित क्षेत्रों के पुलिस बलों में महिलाओं के लिए आरक्षण, कोयला नीलामी द्वारा 3 लाख करोड़ से अधिक लोगों के लिए रोजगार निर्माण आदि के लिए प्रतिबद्ध है। माननीय प्रधानमंत्री द्वारा लिए गए नए उपायों से मुझे विश्वास है सहकारिता भी अपने सदस्यों को बेहतर सेवाएं प्रदान करने के लिए विकसित हो सकेगी।