‘आत्मनिर्भर बिहार’ का साकार होता स्वप्न

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बिहार में चुनावी बिगुल बजते ही लोकतांत्रिक प्रक्रिया शुरू हो गई और विधानसभा चुनावों में चल रहे प्रचार में लोग राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को अपना भारी समर्थन देने निकल पड़े हैं। श्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में राजग सरकार को बिहार में लालू काल के 15 वर्ष तक चले लंबे ‘जंगलराज’ को समाप्त कर शांति, प्रगति, सुशासन एवं विकास के नए युग को प्रारंभ करने का श्रेय जाता है। पिछले 15 वर्षों में भ्रष्टाचार, अपराध-तंत्र, जातिवाद, कुशासन, लोकतांत्रिक आवाजों का दमन एवं विकास विरोधी नीतियों के चक्र से निकालकर बिहार के सर्वांगीण विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ है। प्रदेश की अनेक उपलब्धियों को जनता महसूस कर रही है िजसे सुशासन, बदली हुई कार्य-संस्कृति, विकास एवं कानून व्यवस्था की पुनर्बहाली में प्रत्यक्ष रूप से देखा जा सकता है। एक ओर जहां बिहार तीव्र विकास की दौड़ में शामिल हो चुका है, वहीं दूसरी ओर विकास के विभिन्न मानदंडों पर इसकी उपलब्धियां भविष्य के लिए आशा जगा रही हैं।

बिहार की जनता राजद काल के वो 15 वर्षों के ‘जंगलराज’ को कभी नहीं भूल सकती, जो अब भी एक दुःस्वप्न की भांति उनकी स्मृतियों को झकझोरती रहती है। परंतु ऐसा लगता है कि राजद अपने पुराने जनविरोधी नीतियों से कोई सबक नहीं सीखना चाहती, अन्यथा वो लोकतंत्र विरोधी एवं अराजकता एवं हिंसा में विश्वास करने वाली ताकतों से कभी हाथ नहीं मिलाती। इसका कम्युनिस्टों के साथ गठबंधन प्रदेश की शांतिप्रिय जनता के लिए एक चेतावनी है। राजद का ‘गुंडाराज’ एवं कम्युनिस्टों का ‘बंदूकराज’ का गठजोड़ प्रदेश को फिर से हिंसा एवं अराजकता के दलदल में डाल सकता है। साथ ही, राजद वंशवादी राजनीति का एक ऐसा उदाहरण है जो कांग्रेस की वंशवादी राजनीति के साथ ‘नीम पर करेला चढ़ा’ साबित हो रहा है। वास्तव में देखा जाए तो राजद-कांग्रेस-कम्युनिस्ट गठजोड़ लोकतंत्र विरोधी एवं विकास विरोधी ताकतों का ऐसा सिद्धांतहीन गठजोड़ है जो किसी भी हाल में सत्ता में आकर प्रदेश का दोहन करना चाहती है। ऐसे गठजोड़ को राष्ट्रीयता एवं लोकतंत्र को पूजने वाली बिहार की जनता कभी स्वीकार नहीं करेगी।

यदि राजग शासन के पिछले 15 वर्षों की तुलना लालू काल के 15 वर्षों से की जाए, तब तस्वीर एकदम से स्पष्ट हो जाती है। यदि सकल घरेलू उत्पाद विकास दर पर नजर डाली जाए, तो पिछले 15 वर्षों में यह मात्र 3.19 प्रतिशत से बढ़कर 11 प्रतिशत से भी अधिक हो गई है तथा कृषि विकास दर 2.35 प्रतिशत से बढ़कर 8.50 प्रतिशत हो चुकी है। प्रति व्यक्ति आय भी केवल रु. 8000 से बढ़कर अब रु. 43,822 हो गई है। एक ओर जहां प्रदेश का 100 प्रतिशत विद्युतीकरण हो चुका है, वहीं दूसरी ओर राजग शासन में 96 प्रतिशत सड़कों का पक्कीकरण हो चुका है। प्रदेश ने न केवल व्यापक कृषि विकास देखा है, बल्कि औद्योगिक विकास दर भी 17 प्रतिशत है, जिसे किसी भी पैमाने पर उत्कृष्ट कहा जा सकता है।

इन अद्भुत उपलब्धियों के अलावा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का बिहार से विशेष लगाव रहा है, जो उनके द्वारा बिहार पर विशेष ध्यान देने से स्पष्ट दिखाई देता है। प्रदेश के लिए अपने विशेष लगाव के कारण उन्होंने न केवल 1.25 लाख करोड़ रुपए का विशेष पैकेज दिया, बल्कि 40,000 करोड़ रुपए की अतिरिक्त सहायता बिहार के विकास के लिए उपलब्ध कराई। इसका परिणाम यह है कि आज बिहार में उच्चस्तरीय अवसंरचना का निर्माण हो रहा है जिससे आने वाले दिनों में विकास की नई गाथाएं लिखी जाएंगी।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के आह्वान से प्रेरणा लेते हुए बिहार भाजपा ने ‘आत्मनिर्भर बिहार’ लिए स्वयं को प्रतिबद्ध किया है। बिहार में इस आह्वान को जन-जन का भारी जनसमर्थन मिल रहा है जिसे देखकर भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा ने ठीक ही कहा है कि बिहार में लोग राजग की सरकार पुनः बनाने का मन बना चुके हैं। आज जब बिहार शांति, प्रगति, सुशासन एवं विकास के पथ पर अबाध गति से चलने को कृत-संकल्पित है तथा राजग को जन-जन का भारी समर्थन िमल रहा है, ऐसे में ‘आत्मनिर्भर बिहार’ का स्वप्न साकार होता दिख रहा है।

                                                                                                                                                      shivshakti@kamalsandesh.org