पूर्वोत्तर में पिछले 20 वर्ष में सबसे कम अलगाव की घटनाएं: राजनाथ सिंह

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पिछले तीन वर्ष में वामपंथी उग्रवादियों के समर्पण में रिकॉर्ड 185 प्रतिशत वृद्धि

केंद्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने 3 जून को कहा कि सरकार ने वामपंथी उग्रवाद, पूर्वोत्तर, जम्मू कश्मीर और अन्य क्षेत्रों की समस्याओं से निपटने के लिये कई प्रयास किए हैं। उन्होंने कहा कि सुरक्षा और विकास सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है।

उन्होंने कहा कि सरकार ने देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र में शांति और स्थिरता लाने के लिए विभिन्न प्रभावी उपाय किए हैं। पिछले तीन वर्ष के दौरान निरंतर सुरक्षा पहलों के कारण देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र में दशकों के अलगाव के बाद शांति और स्थिरता आई है। इस क्षेत्र में पिछले 20 वर्षों की तुलना में वर्ष 2016 में सबसे कम अलगाव की घटनाएं देखी गई हैं। वर्ष 2014 में उग्रवाद की 824 घटनाओं की तुलना में 2016 में 484 ऐसी वारदातें हुई। 2015 में 574 अलगाववाद घटनाएं हुई, जो 1997 के बाद से सबसे कम थी और 2016 में ऐसी घटनाएं और कम हो गई। पिछले तीन वर्ष में पूर्वोत्तर में मारे गये नागरिकों की संख्या भी काफी कम थी।

श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) की समस्या से निपटने के लिए सरकार ने जनवरी 2015 में राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना शुरू की है, जिसका उद्देश्य स्थानीय समुदायों के अधिकार तथा पात्रता सुनिश्चित कर उनकी सुरक्षा और विकास करना है। इसके परिणाम स्वरूप मई 2011 से अप्रैल 2014 की तुलना में मई 2014 से अप्रैल 2017 की अवधि के दौरान वामपंथी उग्रवाद से जुड़ी घटनाएं 25 प्रतिशत कम हुई और सुरक्षा बलों के हताहतों की संख्या में 42 प्रतिशत तक की कमी आई। इसके अलावा वामपंथी उग्रवादियों का सफाया करने में 65 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई और उग्रवादियों द्वारा आत्मसमर्पण में रिकॉर्ड 185 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की गयी। केंद्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में 8 मई, 2017 को हुई वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों की समीक्षा बैठक में वामपंथी उग्रवाद का मुकाबला करने के लिए एक परिचालन सिद्धांत ‘समाधान (एसएएमएडीएचए)’ स्थापित किया। इस रणनीति के मूल में एस का अर्थ स्मार्ट पुलिस और नेतृत्व, ए मतलब आक्रामक (एग्रेसिव) रणनीति, एम यानी बढ़ावा (मोटीवेशन) और प्रशिक्षण, ए- कार्रवाई (एक्शनेबल) करने योग्य खुफिया जानकारी, डी मतलब डैशबोर्ड आधारित महत्वपूर्ण परिणाम क्षेत्र और प्रमुख निष्पादन संकेतक, एच का अर्थ तकनीकी का उपयोग करना (हार्नेसिंग टेक्नोलॉजी), ए मतलब प्रत्येक कार्रवाई के लिए कार्य योजना (एक्शन प्लान) और एन का अर्थ उन तक धन राशि नहीं पंहुची है।

मंत्री महोदय ने कहा कि सितंबर 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ की घटनाओं में 45 प्रतिशत तक की गिरावट आई है। प्रधान मंत्री के विकास पैकेज (पीएमडीपी 2015) के तहत 63 प्रमुख विकास परियोजनाओं के लिये 80,068 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं और 61,112 करोड़ रुपये की धनराधि जारी कर दी गयी है। विशेष पुलिस अधिकारियों (एसपीओ) का पारितोषिक 3,000 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 6,000 रुपये प्रति माह कर दिया गया है और मौजूदा 25,474 एसपीओ के अलावा 10,000 अतिरिक्त एसपीओ की तैनाती की मंजूरी दी गई है।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर से विस्थापित परिवारों के लिये कई कल्याणकारी योजनाएं, कश्मीरी प्रवासियों के लिए पारगमन आवास, कश्मीरी प्रवासियों के लिए प्रति व्यक्ति 2500 रूपये और प्रति परिवार के लिये 10,000 रुपये तक की मासिक नकद राहत और जम्मू से विस्थापितों के लिये भी पहली बार ऐसी ही राहत राशि मंजूर की गई है। पांच नयी भारतीय रिजर्व बटालियनों को मंजूरी दी गई है और राज्य सरकार से कहा गया है कि वे महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दें। अन्य राज्यों में पढ़ाई करने वाले जम्मू-कश्मीर के छात्रों की सहायता के लिए गृह मंत्रालय में एक नोडल अधिकारी और राज्य नोडल अधिकारी भी नियुक्त किये गये हैं।

श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में 10 वर्षों के अंतराल के बाद 16 जुलाई 2016 को अंतर राज्यीय परिषद की 11वीं बैठक आयोजित की गई थी। सरकार ने क्षेत्रीय परिषदों को भी पुर्नगठित किया और गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में क्षेत्रीय परिषदों की 8 बैठकें हुईं, जिनमें 199 विषयों पर चर्चा की गई और 87 मुद्दों का समाधान किया गया।

2015 के वार्षिक डीजीपी सम्मेलन में प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा रखी गई स्मार्ट नीति पहल के अनुरूप श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि गृह मंत्रालय ने लगभग 28,000 सर्वोत्तम तरीकों को ऑनलाइन साझा किया है, जिनका अन्य राज्य अनुकरण कर सकते हैं। अपराध और अपराधियों को पकड़ने का नेटवर्क और प्रणाली (सीसीटीएनएस) परियोजना का कार्य जल्दी ही संपन्न होने वाला है, जिसके तहत प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) साझा करने वाले राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की संख्या बढ़कर 33 हो गई है, जबकि यह आंकड़ा मार्च 2014 में शून्य था। मार्च 2014 में सीसीटीएनएस का उपयोग कर कुल पंजीकृत एफआईआर की संख्या 1.5 लाख से भी कम थी जो लगभग 100 गुना बढ़कर 1.25 करोड़ हो गई।

मंत्री महोदय ने कहा कि सीमा पर बुनियादी ढांचे और विकास कार्यों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने पिछले तीन वर्ष में 5,188 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जिनमें से 2,138 करोड़ रुपये भारत-बांग्लादेश और भारत-पाक सीमा परियोजनाओं के लिए जारी किए गए हैं। इनमें 200 किलोमीटर की बाड़ लगाना, 430 किलोमीटर लंबी सीमा सड़कों का निर्माण, 647 किमी की सीमाओं पर फ्लडलाईट और 110 समग्र सीमा चौकी बनाना शामिल हैं। भारत-चीन सीमा के संबंध में 2008 में स्वीकृत 27 सीमावर्ती सड़कों में से 2014-16 की अवधि के दौरान पहली 8 सड़कें बन चुकी हैं, जबकि अन्य 9 सड़कों का कार्य इस साल के अंत तक संपन्न हो जायेगा।

श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में आदर्श गांवों के निर्माण के लिए एक नई पहल की गई है। इसके लिए 7 राज्यों को 41 आदर्श गांव विकसित करने के लिए लगभग 92 करोड़ रूपये जारी किए गए हैं, जिनमें जम्मू-कश्मीर के 24 गांव शामिल हैं। सीमाओं पर व्यापार और यात्रियों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए सरकार एकीकृत जांच चौकियां (आईसीपी) स्थापित करने को बढ़ावा दे रही है। जून 2016 में रक्सौल में और नवंबर 2016 में जोगबनी में आईसीपी शुरू की गयी थीं। पिछले साल जुलाई में भारत और बांग्लादेश के प्रधान मंत्रियों द्वारा आईसीपी, पेट्रोपोल में कार्गो टर्मिनल का उद्घाटन किया गया था और जनवरी 2017 में मेघालय के दावकी में एक आईसीपी की आधारशिला रखी गई थी।

श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पिछले तीन वर्ष के दौरान वैध विदेशी यात्रियों की सुविधा के लिए वीज़ा व्यवस्था को उदार, सरलीकृत और तर्कसंगत बनाया गया है। 162 देशों के नागरिकों के लिए ई-वीजा सुविधा बढ़ा दी गई है। ई-वीज़ा पर ठहरने की अवधि 30 दिनों से बढ़ाकर 60 दिन कर दी गई है। मार्च 2016 से जापान के नागरिकों के लिए वीजा-पर-आगमन योजना शुरू की गई है, जबकि बांग्लादेश के वरिष्ठ नागरिकों के लिए बहु प्रवेश पर्यटक वीजा की अवधि एक साल से बढ़ा कर पांच साल तक कर दी गई है।

मंत्री महोदय ने कहा कि भारत दक्षिण एशियाई क्षेत्र में आपदा प्रबंधन में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा जून 2016 में शुरू की गई राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना सेंडाई रूपरेखा के चार प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को एकीकृत करने वाली दुनिया में पहली योजना है। भारत ने दिल्ली एनसीआर में पहले दक्षिण एशियाई आपदा प्रबंधन का अभ्यास किया और नवंबर 2016 में आपदा जोखिम को कम करने (डीआरआर) विषय पर 7वें एशियाई मंत्रिस्तरीय सम्मेलन की मेजबानी की, जिसमें प्रधान मंत्री ने डीआरआर के लिए 10 सूत्री योजना की घोषणा की। सरकार ने वर्ष 2015 में उत्तर प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश में बेहतर कवरेज के लिए एनडीआरएफ की दो अतिरिक्त बटालियनें भी गठित की।

श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि महिला सशक्तिकरण और महिलाओं की सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता रही है। मंत्रालय ने कांस्टेबल स्तर के 33 प्रतिशत पदों पर महिलाओं की भर्ती को मंजूरी दी है। सीआरपीएफ और सीआईएसएफ में कांस्टेबल स्तर के पदों के लिये 33 प्रतिशत आरक्षण और सीमा सुरक्षा बलों यानी बीएसएफ, एसएसबी और आईटीबीपी में कांस्टेबल स्तर के पदों के लिये 14-15 प्रतिशत आरक्षण तुरंत लागू होंगे। सरकार राष्ट्रीय आपातकालीन प्रतिक्रिया व्यवस्था (एनईआरएस) की वेबसाइट और मोबाइल ऐप भी तैयार कर रही है, जिसे इस साल अक्टूबर में शुरू किया जाएगा।

श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि 9 अप्रैल, 2017 को केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के वीरता दिवस के अवसर पर “भारत के वीर” नाम से वेब पोर्टल और मोबाइल एप्लिकेशन शुरू किया गया था। कर्तव्य निभाते हुये अपने जीवन का बलिदान करने वाले बहादुर सैनिकों के परिवार को योगदान देने वाले दाताओं के लिये यह पोर्टल एक आईटी आधारित मंच है। यहां दान की राशि उस केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल / केंद्रीय अर्ध सैन्य बल के सैनिक के ‘निकटतम संबंधी’ के खाते में जमा हो जाएगी, जिसके लिये दी गई है। पोर्टल पर जनता की अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है। केन्द्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने 11 मई, 2017 को केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के कर्मचारियों की शिकायत निवारण के लिए गृह मंत्रालय का मोबाइल एप्लीकेशन भी शुरू किया। मोबाइल एप्लिकेशन में मंत्रालय के लिए कर्मियों की शिकायतों पर विभिन्न सीएपीएफ द्वारा की गई कार्रवाई पर लगातार नजर रखने तथा शिकायत निवारण प्रणाली में और सुधार की प्रक्रिया को नियमित करने के प्रावधान हैं।