देश आज जिस ऊंचाई पर है, वहां तक उसे पहुंचाने में प्रत्येक सरकार का योगदान है : नरेन्द्र मोदी

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 14 अप्रैल को नई दिल्ली में ‘प्रधानमंत्री संग्रहालय’ का उद्घाटन किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने आज मनाए जा रहे विभिन्न त्योहारों का उल्लेख किया। उन्होंने बाबासाहेब अंबेडकर को भी श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि बाबासाहेब जिस संविधान के मुख्य शिल्पकार रहे, उस संविधान ने हमें संसदीय प्रणाली का आधार दिया। इस संसदीय प्रणाली का मुख्य दायित्व देश के प्रधानमंत्री का पद रहा है। यह मेरा सौभाग्य है कि आज मुझे ‘प्रधानमंत्री संग्रहालय’ देश को समर्पित करने का अवसर मिला है। उन्होंने इस अवसर पर उपस्थित पूर्व प्रधानमंत्रियों के परिजनों का अभिनंदन किया और उन्हें बधाई दी।

श्री मोदी ने कहा कि जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तब यह संग्रहालय एक भव्य प्रेरणा बनकर आया है। इन 75 वर्षों में देश ने कई गौरवमय पल देखे हैं। इतिहास के झरोखे में इन पलों का जो महत्व है, वो अतुलनीय है।

प्रधानमंत्री ने आजादी के बाद से सभी सरकारों के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि देश आज जिस ऊंचाई पर है, वहां तक उसे पहुंचाने में स्वतंत्र भारत में बनी प्रत्येक सरकार का योगदान है। मैंने लाल किले से भी यह बात कई बार दोहराई है।

‘प्रधानमंत्री संग्रहालय’ स्वतंत्रता के बाद से भारत के प्रत्येक प्रधानमंत्री की विचारधारा अथवा कार्यकाल से इतर देश के प्रति उनके योगदानों के लिए एक श्रद्धांजलि है

श्री मोदी ने कहा कि यह संग्रहालय प्रत्येक सरकार की साझा विरासत का जीवंत प्रतिबिंब भी बन गया है। देश के हर प्रधानमंत्री ने संविधान सम्मत लोकतंत्र के लक्ष्यों की पूर्ति में भरसक योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि उन्हें स्मरण करना स्वतंत्र भारत की यात्रा को जानना है। यहां आने वाले लोग देश के पूर्व प्रधानमंत्रियों के योगदान से रूबरू होंगे, उनकी पृष्ठभूमि, उनके संघर्ष-सृजन को जानेंगे।
दरअसल, राष्ट्र निर्माण की दिशा में भारत के सभी प्रधानमंत्रियों के योगदान को सम्मान देने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की दूरदर्शिता से निर्देशित ‘प्रधानमंत्री संग्रहालय’ स्वतंत्रता के बाद से भारत के प्रत्येक प्रधानमंत्री की विचारधारा अथवा कार्यकाल से इतर देश के प्रति उनके योगदानों के लिए एक श्रद्धांजलि है। श्री मोदी के नेतृत्व में यह एक समावेशी प्रयास है, जिसका उद्देश्य युवा पीढ़ी को हमारे सभी प्रधानमंत्रियों के नेतृत्व, दूरदृष्टि और उपलब्धियों के प्रति संवेदनशील बनाना और प्रेरणा देना है।

एक नजर में प्रधानमंत्री संग्रहालय

पुराने और नए के सहज मिश्रण का प्रतिनिधित्व करते हुए संग्रहालय ब्लॉक I के रूप में नामित तत्कालीन तीन मूर्ति भवन को ब्लॉक II के रूप में नामित नवनिर्मित भवन के साथ एकीकृत किया गया है। दो ब्लॉकों का कुल क्षेत्रफल 15,600 वर्ग मीटर से अधिक है।

संग्रहालय भवन का डिजाइन उभरते भारत की कहानी से प्रेरित है, जिसे इसके नेताओं के हाथों से आकार दिया और ढाला गया है। परियोजना पर कार्य के दौरान न तो किसी वृक्ष को काटा गया है और न ही प्रतिरोपित किया गया है। संग्रहालय का लोगो राष्ट्र और लोकतंत्र के प्रतीक धर्म चक्र को धारण करने वाले भारत के लोगों के हाथों का प्रतिनिधित्व करता है।

अभिलेखागार के उचित उपयोग (संग्रहित कार्य और अन्य साहित्यिक कार्य, महत्वपूर्ण पत्राचार), कुछ व्यक्तिगत वस्तुएं, उपहार और यादगार वस्तुएं (सम्मान पत्रों, सम्मान, प्रदान किए गए पदक, स्मारक टिकट, सिक्के, आदि), प्रधानमंत्रियों के भाषण और विचारधाराओं के उपाख्यानात्मक प्रतिनिधित्वों एवं प्रधानमंत्रियों के जीवन के विभिन्न पहलुओं को एक विषयगत प्रारूप में दर्शाया गया है।

संग्रहालय ने विषय-वस्तुओं में विविधता और इनके प्रदर्शन को निरंतर रूप से नया रंग देने के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी-आधारित इंटरफेस को शामिल किया गया है। होलोग्राम, वर्चुअल रियलिटी, ऑगमेंटेड रियलिटी, मल्टी-टच, मल्टीमीडिया, इंटरेक्टिव कियोस्क, कम्प्यूटरीकृत काइनेटिक मूर्तियां, स्मार्टफोन एप्लिकेशन, इंटरेक्टिव स्क्रीन, अनुभवात्मक इंस्टॉलेशन आदि प्रदर्शनी सामग्री को अत्यधिक संवादात्मक और आकर्षक रूप प्रदान करते हैं।

संग्रहालय में कुल 43 गैलरी हैं। स्वतंत्रता संग्राम के प्रदर्शन से शुरू होकर संविधान के निर्माण तक यह संग्रहालय इस गाथा को सुनाता है कि कैसे हमारे प्रधानमंत्रियों ने विभिन्न चुनौतियों के बावजूद देश को नई राह दी और देश की सर्वांगीण प्रगति को सुनिश्चित किया।