पराजित हुई झूठ-फरेब की राजनीति

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न्यायालय के सर्वोच्च मंदिर में झूठ और फरेब की षड्यंत्रकारी राजनीति पुन: पराजित हुई। देश में जहरीले प्रोपेगंडा के माध्यम से संदेह के बीज बोने के हथकंडों का पर्दाफाश हो गया है। जस्टिस लोया के मौत के इर्द-गिर्द बेसिर-पैर के दावों पर गढ़े गये निराधार आरोप सर्वोच्च न्यायालय ने ध्वस्त कर दिया। देश के सर्वोच्च न्यायालय ने इन आरोपों को न केवल सिरे से खारिज किया, बल्कि इसे न्यायपालिका पर हमला भी बताया। कांग्रेस और इसके प्यादों द्वारा रचे गये राजनैतिक षड्यंत्र को न्यायालय ने बेनकाब कर धराशायी कर दिया है। यह उन लोगों के मुंह पर एक तमाचा है जो यह समझते है कि न्यायपालिका पर षड्यंत्रों एवं झूठी प्रोपेगंडा से दबाव बनाकर अपना हित साधा जा सकता है। एक बार फिर से न्यायपालिका ने इन षड्यंत्रकारियों के हाथों का खिलौना बनने से इंकार कर दिया है, तथा दूध का दूध और पानी का पानी करते हुए सच को पूरे देश के सामने लाया है। इतना ही नहीं देश की सबसे बड़ी अदालत ने इन षड्यंत्रकारियों को उनके शरारतपूर्ण राजनैतिक मंशा, जनहित याचिका के प्रावधानों का दुरुपयोग तथा न्यायपालिका पर हमले के लिए जमकर फटकार लगाई है। इस षड्यंत्रकारी राजनीति के पीछे जिन लोगों का हाथ है उनकी अब यह नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि अपने इस कृत्य के लिए वे तत्काल पूरे देश से माफी मांगे।

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि कांग्रेस एवं इसके सहयोगियों ने निराधार आरोपों एवं मनगढ़ंत किस्सों के द्वारा पूरे देश में संदेह एवं अविश्वास का वातावरण बनाने का प्रयास किया है ताकि जनता को भ्रमित किया जा सके। परंतु शायद वे बार-बार पिछले अनुभवों को भूल जाते हैं जब उन्हें मुंह की खानी पड़ी थी। वास्तव में यदि देखा जाये, जब भी इन्होंने राजनैतिक कारणों से भाजपा नेतृत्व पर निशाना साधा, ये बुरी तरह विफल हुए हैं। किसी भी भाजपा नेता के विरुद्ध अपने आरोपों को साबित करने में ये हमेशा असफल रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह इसके ताजे उदाहरण हैं, जिन्हें इन्होंने दुर्भावनापूर्ण दुष्प्रचार एवं निराधार आरोपों से घेरना चाहा परन्तु न्यायालय ने न केवल षड्यंत्रों को बेनकाब किया, बल्कि इस तरह के राजनैतिक कुचक्रों की कठोर से कठोर शब्दों में भर्त्सना की।

जस्टिस लोया मामले में भी ठीक ही कहा गया है कि न्यायालय को राजनैतिक षड्यंत्रों का अखाड़ा नहीं बनाया जा सकता। अब जबकि कांग्रेस यह समझ चुकी है कि जनता ने उसे पूरी तरह खारिज कर दिया है वह न्यायालयों का दुरुपयोग कर देश की जनता को भ्रमित करना चाहती है। इसके षड्यंत्रकारी चरित्र और भी अधिक प्रमाणित हो जाता है जब सत्ता में रहते कांग्रेस ने किस तरह ‘भगवा आतंकवाद’ का राप अलापा था, तथा अपनी राजनैतक रोटियां सेंकने के लिए पूरे देश को भी बदनाम करने से नहीं चूकी। अब यह साबित हो गया है कि कांग्रेस की सरकार में उच्च स्तर पर ‘भगवा आतंकवाद’ के नाम पर साजिश रची गई तथा कई निर्दोषों को पकड़कर यातना देकर उनसे जबरदस्ती उन बातों को कबूल करवाया गया जो उन्होंने किया ही नहीं था तथा कठोर कानून के अंतर्गत उन्हें जेल में डाल दिया गया। परंतु आज असलियत देश के सामने है। यह अपराधिक षड्यंत्र की परतें खुल चुकी हैं और सभी निर्दोषों को न्यायालय द्वारा रिहा कर दिया गया है। कांग्रेस द्वारा रचा गया ‘भगवा आतंकवाद’ का शिगूफा सीधे-सीधे देश के राष्ट्रीय चरित्र पर हमला था, जो अब बेनकाब हो चुका है, परन्तु आश्चर्य की बात है कि कांग्रेस अब तक देश से इस पर माफी मांगने से कतरा रही है।

कांग्रेस की यह आदत है कि जब वह सत्ता में होती है तब शक्ति का दुरुपयोग कर लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करना अपना अधिकार समझती है। साथ ही जब सत्ता से बाहर होती है तब लोकतांत्रिक संस्थाओं की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न खड़े कर दुष्प्रचार तथा दबाव की राजनीति से उनको प्रभावित करने का प्रयास करती है। इसने देश की हर संवैधानिक संस्थाओं को नीचा दिखाया, देश पर आपातकाल थोपा, न्यायपालिका पर हमले किये, मीडिया पर सेंसरशिप लगाया, सामाजिक कार्यकर्ताओं का उत्पीड़न किया तथा लोकतंत्र का अपहरण करने का प्रयास किया ताकि यह सत्ता में बनी रहे। अब जबकि देश की जनता ने इसे सत्ता से बाहर कर दिया है यह तरह-तरह के प्रपंच रचकर जनता को गुमराह करना चाहती है। भगवा आतंकवाद के नाम पर पकड़े गये निरपराधों की हाल में रिहाई और जस्टिस लोया मामले में इसके द्वारा खड़े किये गये याचिकाकर्ताओं को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कड़ी फटकार कांग्रेस के लिए बहुत ही शर्मनाक है। परंतु विडंबना है यह है कि कांग्रेस का आज का नेतृत्व इन शर्मनाक घटनाओं को भूलकर दूसरी बेशर्मी करने में विश्वास रखता है। इन्होंने कसम खा रखी है कि न तो ये सुधरेंगे, न ही संभलेंगे। दुष्प्रचार की राजनीति, राजनैतिक षड्यंत्र, झूठ एवं फरेब पर अब कांग्रेस का अटूट विश्वास बन गया है, जिसके कारण वे लगातार देश की राजनीति के हाशिये पर जनता द्वारा लगातार धकेले जा रहे हैं।

                                   shivshakti@kamalsandesh.org