‘किसान हितैषी यात्रा काे अनवरत आगे बढ़ाएंगे’

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भाजपा राष्ट्रीय अधिवेशन में केंद्रीय गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कृषि पर प्रस्ताव रखा, जिसका समर्थन महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस, भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री वीरेन्द्र सिंह मस्त एवं सांसद श्री विजयपाल सिंह तोमर ने किया।

इस प्रस्ताव के माध्यम से कहा गया है कि राष्ट्रीय परिषद् एक स्वर में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार की कृषि विकास को समर्पित किसान हितैषी नीतियों के लिए उनकी सराहना करती है और यह संकल्प व्यक्त करती है कि 2019 में एक बार फिर हम श्री नरेंद्र मोदी जी को प्रचंड बहुमत विजय दिलाकर कृषि विकास और किसान हितैषी इस यात्रा को अनवरत आगे बढ़ाएंगे।
हम यहां कृषि पर प्रस्ताव का पूरा पाठ प्रकाशित कर रहे हैं:–

भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय परिषद, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा पिछले एक कार्यकाल में कृषि क्षेत्र के उत्थान एवं किसानों के हितों में सफलतापूर्वक किये गए बहुआयामी कार्यों के लिए श्री नरेंद्र मोदी का अभिनंदन करती है। भाजपा सरकार की कुशल एवं सफल कृषि नीतियों का परिणाम है कि आज इस क्षेत्र की स्थिति न सिर्फ बेहतर हुई है बल्कि किसानों के जीवन स्तर में भी सकारात्मक बदलाव नजर आ रहा है। भाजपा सरकार ने कृषि विकास व किसान समृद्धि के लिए किसानों की आय और ऊपज को बढ़ाने पर समग्रता से विचार किया है तथा इस दिशा में नीतिगत स्तर पर अनेक निर्णय लिए हैं। कृषि विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सरकार ने सॉयल हेल्थ कार्ड, सूक्ष्म सिंचाई की सुविधाएं, तीन फसलों की ऊपज एवं बुवाई, कम पानी में अधिक फसलों की सिंचाई तथा आधुनिक तकनीक के स्तर पर ठोस एवं परिणामदायक प्रयास किये हैं। भाजपा राज्य सरकारों ने सरकार ने किसानों के लिए पहले भी 4% और अभी भी 4% कृषि ऋण को ब्याज मुक्त करने तथा गेहूं और धान की खरीद प्रक्रिया को किसानों के लिए सरल और उनके आर्थिक हितों के अनुरूप बनाने का महत्वपूर्ण कार्य किया है।

वर्ष 2014 में जब केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार मोदी जी के नेतृत्व में बनी, उस दौरान देश का किसान कृषि क्षेत्र के लिए आवश्यक बुनियादी संरचना, आधारभूत जरूरतों, खाद एवं बीज की अनुपलब्धता, फसल की सही कीमत, भुगतान की समस्याओं, आर्थिक सुरक्षा की पारदर्शी नीतियों के अभाव सहित अनेक जटिलताओं से जूझ रहा था। ऐसी समस्याएं देश की कृषि व्यवस्था को लचर करने वाली थीं। लेकिन केंद्र में भाजपा की सरकार आने के बाद बिना देर किए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने किसानों से जुड़ी समस्याओं तथा कृषि क्षेत्र के हालात को बेहतर करने के लिए नीतिगत स्तर पर कार्य शुरू किया। सरकार ने किसान और कृषि को अपनी प्राथमिकता का हिस्सा बनाया। इस दिशा में वैज्ञानिक एवं व्यावहारिक दृष्टिकोण के साथ ठोस कदम उठाये गये। सरकार द्वारा किये गये बहुमुखी प्रयासों के परिणामस्वरूप आज देश में कृषि की स्थिति में सुधार हुआ है। अनेक प्रतिकूल स्थितियों के बावजूद आज खाद्यान्न उत्पादन की क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है।

प्राकृतिक कारणों से फसलों के नुकसान की स्थिति में किसानों की आर्थिक सुरक्षा का ख्याल सरकार ने रखा है। किसानों के लिए खाद और बीज की उपलब्धता के संकट से मुक्ति मिल गयी है। न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की बहुप्रतीक्षित मांग को भी सरकार ने पूरा करने का कार्य किया है। कृषि क्षेत्र के लिए बजटीय आवंटन में वृद्धि हुई है। साथ ही किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य की ओर सरकार आगे बढ़ रही है। राष्ट्रीय परिषद यह विश्वास व्यक्त करता है कि तय सीमा में हम ‘किसानों की आय दोगुनी’ करने के लक्ष्य को हासिल कर लेंगे।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में सरकार के कार्यों ने देश की सवा करोड़ जनता के बीच यह भरोसा व्यक्त करने में सफलता अर्जित की है कि आज देश में ‘किसान-हितैषी’ सरकार कार्य कर रही है, जिसकी प्राथमिकता में उनका ‘अन्नदाता’ है। राष्ट्रीय परिषद केंद्र सरकार की किसान हितैषी नीतियों तथा कृषि क्षेत्र को मजबूती प्रदान करने में सफलता पूर्वक आगे बढ़ने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का पुन: अभिनंदन करते हुए बधाई व्यक्त करती है।
अगर देश के कृषि क्षेत्र में हुए बदलावों की बात करें तो उपलब्धियों की लंबी सूची बनकर आती है। बदलाव और बेहतरी के मोर्चे में देश ने अनेक लक्ष्यों को हासिल किया है। आज जब हम यहां राष्ट्रीय परिषद में कृषि क्षेत्र के विविध पहलुओं पर विचार और मंथन कर रहे हैं, तो उपलब्धियों के इन बिन्दुओं को रेखांकित करना आवश्यक भी है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि: सही कीमत, समृद्ध किसान

किसानों को उनकी ऊपज का सही मूल्य मिले, इसको लेकर लंबे समय से चर्चा चलती रही। यूपीए सरकार के दौरान ‘स्वामीनाथन आयोग’ ने भी इस संबंध में सिफारिशें की थीं, लेकिन किसानों के हितों से जुड़े इस महत्वपूर्ण विषय पर पिछली कांग्रेस सरकार मौन साधे बैठी रही। लेकिन केंद्र में ‘किसान हितैषी’ भाजपा सरकार ने इसे पूरा करने का संकल्प व्यक्त किया तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य को लागत से डेढ़ गुना अधिक करने का निर्णय किया। सरकार ने रबी और खरीफ की फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में डेढ़ गुने की बढ़ोत्तरी करके यह प्रमाणित किया है, कि भाजपानीत मोदी सरकार किसानों के हितों के लिए हर संभव प्रयास करने में पीछे नहीं रहने वाली है। राष्ट्रीय परिषद इस महत्वपूर्ण और बहुप्रतीक्षित मांग को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी एवं उनके नेतृत्व में कार्य कर रही भाजपानीत सरकार का अभिनन्दन करता है। सरकार के इस निर्णय के बाद लगभग भी फसलों पर किसानों को 50 फीसद से ज्यादा लाभ मिलने वाला है। बाजरा और उड़द जैसे फसलों पर तो लाभ की सीमा 65 से 96 फीसद तक मिल रही है।

बजटीय आवंटन: कृषि आधार को मजबूती

कृषि विकास के लिए बजटीय आवंटन को लेकर मोदी सरकार ने लगातार उत्साह दिखाया है। देश के कृषि हालात बदहाली से निकलाने और इसकी बुनियाद को सुदृढ़ करने के लिए बड़े आर्थिक प्रबन्धन की आवश्यकता बताई जा रही थी। मोदी सरकार ने इस चुनौती को न सिर्फ गंभीरता से लिया, बल्कि इसके समाधान को सफलतापूर्वक अमल में भी लेकर आई है। इसी का परिणाम है कि देश के कृषि बजट के आकार में अभूतपूर्व वृद्धि गत साढ़े वर्षों में हुई है। कृषि क्षेत्र के निम्नवत कार्यों के लिए सरकार द्वारा तुलनात्मक रूप से अधिक बजट आवंटित किया है।

बजटीय आवंटन: मोदी सरकार के 2014 से 2019 तक के पांच वर्षों में कृषि क्षेत्र के बजट का आकार 2,11,694 करोड़ है, जो कि कांग्रेसनीत यूपीए के 2009 से 2014 तक के पांच वर्षों के कार्यकाल में दिए गए 1,21,082 करोड़ की तुलना में लगभग दो गुना है। इस तुलना से स्पष्ट होता है कि सरकार ने कृषि क्षेत्र की स्थिति को बेहतर करने के लिए बजटीय आवंटन में व्यापक वृद्धि की है।

आपदा सहायता: प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में राष्ट्रीय आपदा अनुक्रिया कोष से कृषि क्षेत्र को अपने एक कार्यकाल में सरकार ने 32,208 करोड़ से ज्यादा की राशि प्रदान की है, जो पिछली सरकार के पांच वर्षों की तुलना में लगभग ढाई गुना अधिक है। सरकार द्वारा SDRF के अंतर्गत भी प्रदान की गयी राशि पिछली सरकार की तुलना में 82 फीसद अधिक है।

कृषि क्षेत्र के लिए संचित निधि: मोदी सरकार कृषि क्षेत्र बहु-क्षेत्रीय आवश्यकताओं को अपनी नीतियों में रेखांकित किया है। इसके लिए संचित निधि का आवंटन अलग-अलग कार्यों में किया गया है। सरकार ने सूक्ष्म सिंचाई कोष के लिए 5,000 करोड़, डेयरी प्रसंस्करण के लिए 10,881 करोड़, लॉन्ग टर्म इरीगेशन फंड के मद में 40,000 करोड़, कृषि विकास अवसंरचना विकास कोष के लिए 2000 करोड़, मत्स्य एवं जलीय विज्ञान विकास के लिए 7,550 करोड़ तथा पशुपालन अवसंरचना विकास के लिए 2,450 करोड़ की राशि आवंटित की है।

नीतिगत योजनाओं से हुआ बदलाव

भाजपा सरकार की कृषि संबंधी नीतियों एवं योजनाओं में इस क्षेत्र की लंबे समय से चलती आ रही समस्याओं के समाधान का संकल्प दिखाई देता है। मोदी सरकार ने समस्याओं को चिन्हित करने तथा उनके समाधान के लिए ठोस नीति निर्धारण का कार्य लक्ष्यावधि में किया है। योजनाओं का निर्माण एवं उनके व्यावहारिकता का परीक्षण तथा लागू कराने के मोर्चे पर सरकार सफल रही है। जैविक खेती के विकास, मृदा पहचान के लिए प्रयोगशालाओं की स्थापना, सिंचाई की व्यवस्था के सुदृढीकरण सहित कवर क्षेत्रों के विस्तार की दिशा में सरकार ने उल्लेखनीय कार्य किये हैं।

हर खेत पानी: मोदी सरकार ने हर खेत पानी पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत ‘पर ड्राप मोर क्रॉप’ को अभियान की तरह चलाया। इस योजना ने देश की सूक्ष्म सिंचाई व्यवस्था को एक नया आकार देने का कार्य किया है। मोदी सरकार ने यूपीए सरकार की तुलना में इस योजना के लिए बजटीय आवंटन में 16.21 फीसद की बढ़ोत्तरी करते हुए 5,460 करोड़ की अतिरिक्त राशि प्रदान की है। वहीं वृहत सिंचाई क्षेत्र की सुदृढ़ता के लिए 40,000 करोड़ की राशि नाबार्ड के तहत सृजित की गयी है, जिससे 76.03 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई के दायरे में लाया जा सकता है।

किसानों की आर्थिक सुरक्षा का ख्याल: फसल बीमा के माध्यम से नुकसान अथवा जोखिम की स्थिति में किसानों की आर्थिक सुरक्षा संबंधी नीतियों की अनेक खामियों को मोदी सरकार ने आने के तुरंत बाद चिन्हित किया। मोदी सरकार के लिए देश का किसान प्राथमिकताओं की सूची में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यही कारण है कि किसानों की सहूलियत और उनकी स्थिति के लिहाज से सरकार द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत बीमा की प्रीमियम राशि को पहले की तुलना में कम किया गया तथा जोखिम की स्थिति में कवर के दायरे को विस्तार देने कार्य हुआ है। किसान हितैषी मोदी सरकार ने बिना किसी भेदभाव के इस योजना के तहत देश के हर राज्य तक इसके लाभ को किसानों तक पहुंचाने की दिशा में संकल्पबद्ध रूप से कार्य किया है। कांग्रेसनीत यूपीए के कार्यकाल के अंतिम वर्ष में 2013-14 में फसल बीमा योजना के तहत 2,151 करोड़ राशि खर्च हुई, जो कि मोदी सरकार के दौरान 2018-19 के 6 गुने की वृद्धि के साथ 13,000 करोड़ पहुंच गयी है तथा इसका भूमि विस्तार भी बढ़ा है। किसानों को आपदा प्रबंधन के अंतर्गत पहले सिर्फ 50 प्रतिशत क्षति होने पर ही बीमा का लाभ मिलता था लेकिन अब 33 प्रतिशत क्षति पर भी वे बीमा का फायदा उठा सकते हैं। वर्ष 2014 से पहले बीमाधारक गैर-ऋणी एवं ऋणी किसानों की संख्या क्रमश: 29 लाख और 6.37 करोड़ थी, जो भाजपा सरकार आने के बाद बढ़कर क्रमश: 2.75 करोड़ और 8.16 करोड़ हो गयी है।

पहले किसानों को इसके अंतर्गत 4,718 रुपये मिलते थे जो वर्तमान में बढ़कर 5,400 रुपये हुए हैं। सरकार ने 2017-18 में किसानों से प्राप्त बीमा प्रीमियम की कुल राशि की तुलना में चार गुनी अधिक राशि का भुगतान किसानों को जोखिम दावों के तहत किया है। आज देश की 10.78 करोड़ हेक्टेयर भूमि अगर बीमा क्षेत्र के अंतर्गत आई है, तो इसका श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को जाता है।

कृषि क्षेत्र में वैज्ञानिक दृष्टिकोण एवं यांत्रिकी को प्रोत्साहन: श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने कृषि क्षेत्र को अधिक समृद्ध, उपयोगी और उत्पादकता की दृष्टि से लाभाकारी बनाने के लिए यांत्रिकी को प्रोत्साहन देने एवं मृदा पहचान की तकनीक को सुदृढ़ करने का कार्य किया है। सॉयल हेल्थ कार्ड के बजट में लगभग 12 गुने से ज्यादा की वृद्धि तथा यांत्रिकी के बजटीय आवंटन को यूपीए सरकार के 58 करोड़ की तुलना में 1165 करोड़ का आवंटन किया गया है। अभी तक 17.53 करोड़ सॉयल हेल्थ कार्ड वितरित किये जा चुके हैं ताकि किसान अपने खेतों में सही उर्वरक का प्रयोग कर पाएं। यूरिया की नीम कोटिंग ने यूरिया की कालाबाजारी को समाप्त कर दिया है। मोदी सरकार द्वारा किया गया यह कार्य, इस बात का प्रमाण है कि सरकार कृषि क्षेत्र को लेकर हर दृष्टि से गंभीर रही है।

कृषि उत्पादन में वृद्धि

केंद्र की भाजपा सरकार के कृषि क्षेत्र में किये बहुमुखी एवं बहुक्षेत्रीय प्रयासों के परिणाम खाद्यानों के उत्पादन में स्पष्ट नजर आते हैं। उत्पादकता में वृद्धि के आंकड़े भाजपा सरकार द्वारा किये गए कृषि विकास तथा किसानों के हितों में किये गये कार्यों को प्रमाणित करने वाले हैं।

खाद्यान्न उत्पादन: अगर तुलनात्मक दृष्टि से देखें तो खाद्यानों के उत्पादन के मामले में 2010-15 के औसत उत्पादन की तुलना में 2017-18 में चौथे अनुमान के हिसाब से 11.44 फीसद की वृद्धि दर्ज की गयी। इस दौरान हमारा खाद्यान्न उत्पादन 284.83 मिलियन टन रहा। ये आंकड़े कृषि क्षेत्र के लिए उत्साहजनक तो हैं ही, साथ ही मोदी सरकार की सफल कृषि नीतियों को भी दर्शाते हैं।

बागवानी एवं दलहन उत्पादन: वर्ष 2017-18 के तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार बागवानी उत्पादन 306.82 मिलियन टन बताया गया है। अगर तुलनात्मक दृष्टि से देखें तो 2010-15 के औसत उत्पादन से यह 17.55 फीसद अधिक है। वहीं दलहन के उत्पादन में 2017-18 में तुलनात्मक रूप से 40.09 फीसद की वृद्धि दर्ज की गयी है।

दुग्ध और मछली उत्पादन: डेयरी और मछली पालन की को लेकर सरकार के प्रयासों की बदौलत इस क्षेत्र में देश की उत्पादन क्षमता बढ़ी है। दुग्ध उत्पादन की वार्षिक दर में 2014-18 के बीच लगभग 49 फीसद की बढ़ोत्तरी दर्ज की गयी है। डेयरी उद्योग से जुड़े किसानों की आय में 30.5 फीसद (2014-18) तथा प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता में 22.5 फीसद (2017-18) की बढ़ोत्तरी दर्ज की गयी है। मछली उत्पादन में पिछले वित्त वर्ष में 42.22 फीसद की वृद्धि दर्ज की गयी थी। सरकार द्वारा मत्स्य उद्योग को प्रोत्साहन देने का परिणाम रहा कि मोदी सरकार के एक कार्यकाल में इस दिशा में भारत की निर्यात क्षमता में 180 फीसद की बढ़ोत्तरी करने में हमें कामयाबी मिली है।

खरीद प्रक्रिया में सुधार

सरकार की पारदर्शी एवं कृषि हितों के लिए बनाई गयी प्राइस सपोर्ट स्कीम के तहत किसानों की उपज की खरीद प्रक्रिया में अभूतपूर्व बढ़ोत्तरी हुई है। तुलनात्मक दृष्टि से अगर फसलों की खरीद का मूल्यांकन करें तो 2010-14 के बीच 7.24 लाख मीट्रिक टन दलहन-तिलहन की खरीद की तुलना में भाजपा सरकार के 2014-15 से दिसंबर 2018 तक 78.61 लाख मीट्रिक टन की खरीद की गयी। यह आंकड़े यूपीए सरकार के दौरान हुई खरीद से लगभग ग्यारह गुना ज्यादा हैं। इसके लिए सरकार ने यूपीए सरकार द्वारा खर्च 300 करोड़ रुपये आवंटित किये गये थे, जिसकी तुलना में केवल दो वर्षों भाजपा सरकार ने लगभग 15,000 करोड़ रुपये आवंटित किये हैं। वहीं कपास की खरीद में भी सरकार ने 325 फीसद की बढ़ोत्तरी की है। किसानों को अपने उत्पादों के लिए कभी अच्छे दाम नहीं मिलते थे। इस समस्या का हल करने के लिए सरकार ने ई-नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट या ई-नाम बनाया है जिसके अंतर्गत देश के सभी 585 कृषि बाज़ारों को एक प्लेटफार्म पर जोड़ दिया गया है। इस ऑनलाइन कृषि बाज़ार पर 1.41 करोड़ पंजीकृत क्रेता और विक्रेता उपलब्ध हैं तथा 58,930 करोड़ रूपए मूल्य के 2.25 करोड़ टन कृषि उत्पादों की खरीद बिक्री की जा चुकी है।

किसानों के हित में कृषि व्यापार में नीतिगत बदलाव

देश की कृषि आयात पर निर्भरता को कम करने तथा किसानों के हितों को सुरक्षित रखने की दृष्टि से आयात एवं निर्यात को लेकर मोदी जी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने नीतिगत बदलाव किये। गेहूं पर आयात शुल्क में 20 फीसद तथा तूर पर 10 फीसद की बढ़ोत्तरी की गयी। अन्य कृषि उत्पादों पर आयात शुल्क में वृद्धि करके आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने की दिशा में सरकार ने सफलता अर्जित की है। कुछ कृषि उत्पादों पर मात्रात्मक सीमा भी तय की गयी है।

कृषि शिक्षा का विस्तार

भारतीय जनता पार्टी की सरकार केंद्र में आने के बाद कृषि शिक्षा के क्षेत्र में आधारभूत संरचना के विकास और देश के हर हिस्से तक इसकी पहुंच को सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाये गये हैं। श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में सरकार ने 2018-19 के बजट में 2013-14 की तुलना में 55 फीसद से ज्यादा की बढ़ोत्तरी की है। कुल 1100 करोड़ रुपये के खर्च से ‘राष्ट्रीय कृषि उच्चतर शिक्षा परियोजना’ शुरू की गयी तथा चार नए डिग्री कार्यक्रम शुरू किये गये हैं।

किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य

किसानों की आय में वृद्धि हो, कृषि कार्य के प्रति उत्साह का भाव पैदा हो, किसानों के आर्थिक सुरक्षा का ख्याल हो, जागरूकता का विषय हो अथवा कृषि उत्पादों की खपत का सवाल हो, केंद्र में बैठी श्री नरेंद्र मोदी सरकार ने इस सभी विषयों पर सफलतापूर्वक कार्य किये हैं। भारतीय जनता पार्टी की सरकार का लक्ष्य देश के अन्नदाता को सबल, सक्षम और स्वावलंबी बनाने का है। इसके लिए सरकार ‘किसानों की आय को दोगुने’ तक पहुंचाने का लक्ष्य लेकर पूर्ण समर्पण और प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ रही है। उपर जिन उपलब्धियों की चर्चा संक्षिप्त में की गयी है, वो सभी इस लक्ष्य तक पहुंचने का कारगर माध्यम हैं। आज जब श्री मोदी जी की सरकार के एक कार्यकाल पूरा होने वाला है और हम उपरोक्त उपलब्धियों को देखते हैं तो यह विश्वास और मजबूत होता है कि हम जिस ‘न्यू इण्डिया’ के निर्माण की तरफ आगे बढ़ रहे हैं, वहां हम ‘किसानों की आय को दोगुना’ करने के लक्ष्य को न सिर्फ हासिल कर चुके होंगे, बल्कि उसके आगे का रास्ता भी तय कर रहे होंगे। कृषि विकास को समर्पित गत साढ़े वर्षों में हमने एक ऐसी किसान हितैषी सरकार देखी है, जो किसानों की हर समस्या की चिंता भी करती है और समाधान के उपाय भी निकालती है।

राष्ट्रीय परिषद् एक स्वर में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भाजपा सरकार की कृषि विकास को समर्पित किसान हितैषी नीतियों के लिए उनकी सराहना करते हुए एक बार फिर यह संकल्प व्यक्त करती है कि 2019 में एक बार फिर हम श्री नरेंद्र मोदी जी को प्रचंड बहुमत विजय दिलाकर कृषि विकास की इस किसान हितैषी यात्रा को अनवरत आगे बढ़ाएंगे।