पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र पर निरंतर भयंकर हमले हो रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस प्रदेश में भाजपा को मिल रहे व्यापक समर्थन को रोकने के लिए हर तरह के हथकंडे अपना रही है। यह इतना नीचे तक चली गई है कि भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह के हेलीकॉप्टर को भी जनसभा के लिए उतरने नहीं देना चाहती। और तो और, भाजपा के सभी कार्यक्रमों में तरह-तरह के अड़ंगे लगाए जा रहे हैं। रथ यात्रा रोकी जा रही है। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जनसभा के लिए लगाये गये तोरण द्वार, बैनर, पोस्टर एवं अन्य सजावट को भी तृणमूल के गुंडे बख्शने से गुरेज नहीं कर रहे। यह सब तृणमूल कांग्रेस द्वारा लगातार जनता का विश्वास खोते जाने की खिसियाहट ही है। हमारे देश में लोकतंत्र जन-जन की भागीदारी से मजबूत हुआ है और जनता के मन में लोकतांत्रिक परंपरा एवं मूल्यों के प्रति भारी आदर है। यही कारण है कि तृणमूल कांग्रेस के लोकतंत्र विरोधी हथकंडों का जवाब देने मालदा की जनसभा में जनता ने जबरदस्त भागीदारी कर इसे सफल बनाया। यह तृणमूल कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी है।
यह अत्यंत दूर्भाग्यपूर्ण है कि जो तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में वाममोर्चे की सरकार के लोकतंत्र विरोधी क्रियाकलापों का िवरोध कर सत्ता में आयी थी, आज उन्हीं सब हथकंडों को अपनाकर सत्ता में बने रहना चाहती है। अब अपने गुंडातंत्र से सत्ता पर कब्जा जमाना और सरकारी मशीनरी पर कब्जा कर उसका दुरुपयोग कर अपना राजनीतिक हित साधने के जुगत में लगी हुई है। स्थिति इतनी खराब है कि हिंसा और सत्ता के दुरुपयोग में इसने वाम मोर्चो को भी अब पीछे छोड़ दिया है। पंचायत चुनावों में जिस प्रकार की हिंसा देखी गई, यहां तक कि कई लोगों की जानें तक चली गईं, यह केवल ममता बनर्जी की सत्ता लिप्सा को ही दिखाता है। इतना ही नहीं, इस हिंसा की राजनीति में सौ से अधिक भाजपा कार्यकर्ता अब तक लोकतंत्र की लड़ाई लड़ते हुए शहीद हो गए हैं। आज पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस का मतलब गुंडाराज, हिंसा, तोड़-फोड़, भ्रष्टाचार, कुशासन और लोकतंत्र का विरोध है।
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ‘परिवर्तन’ का नारा देकर सत्ता में आई थी, परंतु इनके शासन में प्रदेश की स्थिति बद से बदतर हो गई है। पश्चिम बंगाल एक ऐसा प्रदेश रहा है जिसने संस्कृति से लेकर आर्थिक मामलों में देश का नेतृत्व किया, परंतु ममता बनर्जी प्रदेश के इस समृद्ध विरासत को पुनर्जीवित करने में पूरी तरह से असफल साबित हुई है। जब देश में राष्ट्रीय आंदोलन की बयार बह रही थी, सांस्कृतिक एवं सामाजिक पुनर्जागरण के केंद्र में यह प्रदेश था, परंतु वाममोर्चा एवं ममता बनर्जी की सरकार ने जिस दुरवस्था में प्रदेश को पहुंचा दिया इसे हर कोई समझ सकता है। यह अब एक ऐसा प्रदेश बन चुका है जहां तुष्टीकरण की राजनीति के कारण दुर्गा पूजा विसर्जन तथा सरस्वती पूजा पर रोक लगाने का प्रयास होता है। जो प्रदेश अपने कल-कारखानों एवं व्यापार के लिए जाना जाता था, आज वह सुशासन एवं विकास के मानदंडों में पिछड़ चुका है। यहां बेरोजगारी की समस्या बांग्लादेश से तृणमूल सरकार की राजनीतिक सरपरस्ती में हो रहे घुसपैठ से और भी विकराल रूप ले चुकी है। यह अत्यंत दु:ख की बात है कि पश्चिम बंगाल आज एक ऐसे प्रदेश का उदाहरण है जहां यह देखा जा सकता है कि वोट बैंक की राजनीति किस प्रकार से किसी प्रदेश को बर्बाद कर सकती है।
यह अत्यंत दुर्भाग्यजनक है कि जो अपने प्रदेश में विकास और सुशासन नहीं दे पाई, आज पूरे देश को नेतृत्व देने का ख्वाब पाल रही है। ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल सरकार हर मोर्चे पर विफल रही है फिर भी हास्यास्पद तरीके से इन्हें लगता है कि राष्ट्रीय स्तर पर इन्हें स्वीकार लिया जाएगा। श्री नरेन्द्र मोदी गुजरात में मुख्यमंत्री के रूप में लंबे समय तक अपने जबरदस्त कार्यों से प्रदेश को देश में अग्रणी प्रदेश में ले आये और यही कारण था कि पूरा देश उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहता था। यह उनके कड़े परिश्रम, ईमानदारी एवं राजनीतिक इच्छाशक्ति का ही परिणाम था कि देश के कोने-कोने में उनके लिए भारी समर्थन जुटने लगा। पर ममता बनर्जी को लगता है कि अपने प्रदेश को बर्बाद कर कुछ ऐसे नेताओं को जुटा कर, जो स्वयं अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं, वो प्रधानमंत्री बन सकती है, तो यह उनकी भयंकर भूल है। पश्चिम बंगाल की जनता भाजपा को जनादेश देने का मन बना चुकी है। श्री अमित शाह की मालदा रैली में आया जबरदस्त जनसैलाब आने वाले दिनों की कहानी बयां कर रहा है। ममता बनर्जी लोकतंत्र विरोधी हथकंडों से भाजपा को रोकने में कोई कसर नहीं छोड़ रही, परंतु जिस प्रकार का जनसमर्थन भाजपा के पक्ष में दिख रहा है इतना अवश्य कहा जा सकता है कि अंततः पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र की ही जीत होगी।
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