खरीदारी के समय स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता दें : नरेन्द्र मोदी

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                                                         मन की बात

अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 70वीं कड़ी में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि कोरोना के इस संकट काल में हमें संयम से ही काम लेना है, मर्यादा में ही रहना है

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 25 अक्टूबर को देशवासियों से त्योहारों के मौसम में बाजार से खरीदारी करते समय स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता देने का आह्वान करते हुए आग्रह किया कि वे कोरोना वायरस के इस संकट काल में संयम से काम लें और मर्यादा में रहें।

श्री मोदी ने देशवासियों से यह अनुरोध भी किया कि त्योहारों के इस मौसम में वे जब भी अपने घरों में दीया जलाएं तो एक दीया देश के उन वीर जवानों के नाम जलाएं, जो सरहदों पर देश की सुरक्षा में लगे हैं।

उन्होंने कहा कि त्योहारों की ये उमंग और बाजार की चमक, एक-दूसरे से जुड़ी हुई है, लेकिन इस बार जब आप खरीदारी करने जायें तो ‘वोकल फॉर लोकल’ का अपना संकल्प अवश्य याद रखें। बाजार से सामान खरीदते समय, हमें स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता देनी है।

श्री मोदी ने कहा कि बच्चों में तो त्योहारों को लेकर विशेष उत्साह रहता है कि इस बार त्योहार पर नया क्या मिलने वाला है? उन्होंने कहा कि जब त्योहार की बात करते हैं, तैयारी करते हैं, तो सबसे पहले मन में यही आता है, कि बाजार कब जाना है? क्या-क्या खरीदारी करनी है? कोरोना के इस संकट काल में हमें संयम से ही काम लेना है, मर्यादा में ही रहना है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के कई स्थानीय उत्पादों में वैश्विक होने की बहुत बड़ी शक्ति है और उनमें एक है खादी। कोरोना के समय में खादी के मास्क भी बहुत प्रचलित हो रहे हैं और देशभर में कई जगह स्व-सहायता समूह और दूसरी संस्थाएं खादी के मास्क बना रहे हैं।

उन्होंने बताया कि राजधानी दिल्ली के कनॉट प्लेस स्थित खादी स्टोर में इस बार गांधी जयंती पर एक ही दिन में एक करोड़ रुपये से ज्यादा की खरीदारी हुई।

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी की महिला सुश्री सुमन देवी का जिक्र करते हुए श्री मोदी ने कहा कि उन्होंने स्व सहायता समूह की अपनी साथी महिलाओं के साथ मिलकर खादी मास्क बनाना शुरू किया और धीरे-धीरे उनके साथ अन्य महिलाएं भी जुड़ती चली गईं। उन्होंने कहा कि अब वे सभी मिलकर हजारों खादी मास्क बना रही हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि त्योहारों के मौसम में सरहदों की रक्षा कर रहे सैनिकों को भी याद रखना है। उन्होंने कहा कि वे भारत-माता की सेवा और सुरक्षा कर रहें हैं। हमें उनको याद करके ही अपने त्योहार मनाने हैं। घर में एक दीया भारत माता के वीर बेटे-बेटियों के सम्मान में भी जलाना है। मैं अपने वीर जवानों से भी कहना चाहता हूं कि आप भले ही सीमा पर हैं, लेकिन पूरा देश आपके साथ है। आपके लिए कामना कर रहा है।

अनेक देशों में प्रचलित हो रहा है हमारा मलखम्ब

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि जब हमें अपनी चीजों पर गर्व होता है, तो दुनिया में भी उनके प्रति जिज्ञासा बढ़ती है। जैसे हमारे अध्यात्म ने, योग ने, आयुर्वेद ने, पूरी दुनिया को आकर्षित किया है। हमारे कई खेल भी दुनिया को आकर्षित कर रहे हैं। आजकल हमारा मलखम्ब भी अनेक देशों में प्रचलित हो रहा है। अमेरिका में चिन्मय पाटणकर और प्रज्ञा पाटणकर ने जब अपने घर से ही मलखम्ब सिखाना शुरू किया था, तो उन्हें भी अंदाजा नहीं था कि इसे इतनी सफलता मिलेगी।

उन्होंने कहा कि अमेरिका में आज कई स्थानों पर मलखम्ब ट्रेनिंग सेंटर्स चल रहे हैं। बड़ी संख्या में अमेरिका के युवा इससे जुड़ रहे हैं, मलखम्ब सीख रहे हैं। आज जर्मनी हो, पोलैंड हो, मलेशिया हो, ऐसे करीब 20 अन्य देशों में भी मलखम्ब खूब लोकप्रिय हो रहा है। अब तो इसकी वर्ल्ड चैंपियनशिप शुरू की गई है, जिसमें, कई देशों के प्रतिभागी हिस्सा लेते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में तो प्राचीन काल से कई ऐसे खेल रहे हैं, जो हमारे भीतर एक असाधारण विकास करते हैं। हमारे मस्तिष्क और शरीर संतुलन को एक नए आयाम पर ले जाते हैं, लेकिन संभवतः नई पीढ़ी के हमारे युवा साथी मलखम्ब से उतना परिचित ना हों। आप इसे इन्टरनेट पर जरूर सर्च करिए और देखिये।