भारत सरकार, असम सरकार और आठ आदिवासी समूहों के बीच ऐतिहासिक त्रिपक्षीय समझौते पर हुए हस्ताक्षर

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केंद्रीय गृह मंत्री एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह की अध्यक्षता में 15 सितंबर को नई दिल्ली में भारत सरकार, असम सरकार और आठ आदिवासी समूहों के प्रतिनिधियों के बीच ऐतिहासिक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर हुए। इस समझौते से असम में आदिवासियों और चाय बागान श्रमिकों की दशकों पुरानी समस्या समाप्त हो जाएगी। समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले आठ समूहों में BCF, ACMA, AANLA, APA, STF, AANLA (FG), BCF (BT) और ACMA (FG) शामिल हैं।

इस ऐतिहासिक समझौते के अवसर पर केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के शांतिपूर्ण और समृद्ध उत्तर पूर्व के विजन के अनुसार यह समझौता 2025 तक उत्तर-पूर्व को उग्रवाद मुक्त बनाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।

उन्होंने कहा कि श्री नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उत्तर-पूर्व को शांत और विकसित बनाने की दिशा में कई प्रयास किए गए हैं जिनमें सबसे प्रमुख पूर्वोत्तर में शांति स्थापित करना है। श्री शाह ने कहा कि असम के आदिवासी समूहों के 1182 कैडर हथियार डालकर मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि गत तीन वर्षों में भारत सरकार, असम सरकार और इस क्षेत्र की अन्य सरकारों ने आपस में और विभिन्न उग्रवादी गुटों के साथ अनेक समझौते किए हैं। 2019 में NLFT, 2020 में BRU-REANG और बोडो समझौता, 2021 में कार्बी आंगलोंग समझौता और 2022 में असम-मेघालय अंतरराज्यीय सीमा समझौते के तहत लगभग 65 प्रतिशत सीमा विवाद को हल कर दिया गया।

श्री शाह ने कहा कि भारत और असम सरकार, आज असम के आदिवासी समूहों के साथ हुए समझौते की शर्तों के पूरी तरह पालन को सुनिश्चित करेंगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार का ये रिकॉर्ड है कि उसने अब तक किए गए सभी समझौतों के 93 प्रतिशत काम पूरे किए हैं। इसके परिणामस्वरूप असम सहित पूरे पूर्वोत्तर में शांति बहाल हुई है।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा पूर्वोत्तर में शांति और समृद्धि के लिए उठाए गए अनेक कदमों के प्रति विश्वास व्यक्त करते हुए 2014 से अब तक लगभग 8,000 उग्रवादी हथियार डालकर समाज की मुख्यधारा में शामिल हुए हैं। पिछले दो दशकों में सबसे कम उग्रवाद की घटनाएं वर्ष 2020 में दर्ज हुई हैं। 2014 की तुलना में 2021 में उग्रवाद की घटनाओं में 74 प्रतिशत की कमी आई है। इसी अवधि में सुरक्षा बलों की जानहानि में 60 प्रतिशत और आम नागरिकों की मृत्यु की संख्या में 89 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।