2013 में 10 राज्यों में वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों की संख्या 126 से घटकर
2024 में (अप्रैल, 2024 से प्रभावी) 09 राज्यों में केवल 38 जिले रह गई है
वामपंथी उग्रवाद से जुड़ी हिंसा की घटनाओं में 2010 के उच्च स्तर की तुलना में 73 प्रतिशत की कमी आई है। इसके परिणामस्वरूप मौतें (सुरक्षा बल+नागरिक) 2010 के सर्वकालिक उच्चतम 1005 से 86 प्रतिशत कम होकर 2023 में 138 हो गई हैं। चालू वर्ष 2024 (30.06.2024 तक) में 2023 की इसी अवधि के आंकड़ों की तुलना में वामपंथी उग्रवाद द्वारा अंजाम दी गई घटनाओं में 32 प्रतिशत और नागरिकों एवं सुरक्षा बल कर्मियों की इसके कारण मौतों में 17 प्रतिशत की तीव्र कमी आई है।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री श्री नित्यानंद राय ने छह अगस्त को लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
वामपंथी उग्रवाद हिंसा का भौगोलिक प्रसार भी काफी हद तक सीमित हो गया है। 2013 में 10 राज्यों में वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों की संख्या 126 से घटकर 2024 में (अप्रैल, 2024 से प्रभावी) 09 राज्यों में केवल 38 जिले रह गई है।
वर्ष 2010 में 96 जिलों के 465 पुलिस स्टेशनों से वर्ष 2023 में 42 जिलों के 171 पुलिस स्टेशनों तक वामपंथी उग्रवाद से संबंधित हिंसा की रिपोर्ट करने वाले पुलिस स्टेशनों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है। वर्ष 2024 (जून, 2024 तक) में 30 जिलों के 89 पुलिस स्टेशनों से वामपंथी उग्रवाद से संबंधित हिंसा की रिपोर्ट की गई है।
गौरतलब है कि वामपंथी उग्रवाद के खतरे का समग्र रूप से समाधान करने के लिए भारत सरकार ने 2015 में ‘वामपंथी उग्रवाद का समाधान करने के लिए राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना’ को मंजूरी दी। नीति में सुरक्षा संबंधी उपायों, विकास संबंधी क्रियाकलापों, स्थानीय समुदायों के अधिकारों और हकों को सुनिश्चित करने आदि को शामिल करते हुए एक बहुआयामी रणनीति की परिकल्पना की गई है।