भारत अपने गौरव, वैभव की पुनर्स्थापना कर रहा है : प्रधानमंत्री

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उज्जैन में महाकाल लोक परियोजना का पहला चरण राष्ट्र को समर्पित

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 11 अक्टूबर को महाकाल लोक परियोजना के पहले चरण को राष्ट्र को समर्पित करने और मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकाल मंदिर के आंतरिक गर्भगृह में पूजा और आरती करने के बाद एक सार्वजनिक समारोह को संबोधित किया।

श्री मोदी ने कहा कि ज्योतिषीय गणनाओं में उज्जैन न केवल भारत का केंद्र रहा है, बल्कि ये भारत की आत्मा का भी केंद्र रहा है। ये वो नगर है, जो हमारी पवित्र सात पुरियों में से एक गिना जाता है। ये वो नगर है, जहां स्वयं भगवान कृष्ण ने भी आकर शिक्षा ग्रहण की थी। उज्जैन ने महाराजा विक्रमादित्य का वो प्रताप देखा है, जिसने भारत के नए स्वर्णकाल की शुरुआत की थी। महाकाल की इसी धरती से विक्रम संवत के रूप में भारतीय काल गणना का एक नया अध्याय शुरू हुआ था।

उन्होंने कहा कि उज्जैन के क्षण-क्षण में, पल-पल में इतिहास सिमटा हुआ है, कण-कण में आध्यात्म समाया हुआ है और कोने-कोने में ईश्वरीय ऊर्जा संचारित हो रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उज्जैन ने हजारों वर्षों तक भारत के धन और समृद्धि, ज्ञान और सम्मान, सभ्यता और साहित्य का नेतृत्व किया है।
भारत में धर्म के अर्थ पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि यह हमारे कर्तव्यों का सामूहिक संकल्प है। हमारे संकल्पों का ध्येय है, विश्व का कल्याण, मानव मात्र की सेवा। श्री मोदी ने दोहराया कि हम शिव की आराधना करते हैं और विश्वपति को नमन करते हैं, जो अनेक रूपों से पूरे विश्व के हितों में लगे हैं। यही भावना हमेशा भारत के तीर्थों, मंदिरों, मठों और आस्था केन्द्रों की भी रही है। उन्होंने कहा कि विश्व के हित के लिए, विश्व की भलाई के लिए कितनी प्रेरणाएं यहां निकल सकती हैं।

श्री मोदी ने कहा कि जहां नवोन्मेष है, वहीं पर नवीकरण भी है। उन्होंने कहा कि हमने गुलामी के कालखंड में जो खोया, आज भारत उसे फिर से हासिल कर रहा है। भारत के गौरव, वैभव की पुनर्स्थापना हो रही है और इसका लाभ पूरे देश और मानवता को मिलेगा। अपना भाषण समाप्त करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि महाकाल के आशीर्वाद से भारत की भव्यता विश्व के विकास की नई संभावनाओं को जन्म देगी और भारत की दिव्यता दुनिया के लिए शांति का मार्ग प्रशस्त करेगी।

महाकाल लोक

प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश के उज्जैन में श्री महाकाल लोक में महाकाल लोक  परियोजना का पहला चरण राष्ट्र को समर्पित किया

महाकाल लोक परियोजना का पहला चरण विश्व स्तरीय आधुनिक सुविधाएं प्रदान करके यहां मंदिर में आने वाले तीर्थयात्रियों के अनुभव को समृद्ध करने में मदद करेगा। इस परियोजना का उद्देश्य इस पूरे क्षेत्र में भीड़-भाड़ को कम करना और विरासत संरचनाओं के संरक्षण और जीर्णोद्धार पर विशेष जोर देना है। इस परियोजना के तहत मंदिर परिसर का करीब सात गुना विस्तार किया जाएगा। इस पूरी परियोजना की कुल लागत लगभग 850 करोड़ रुपये है। इस मंदिर का मौजूदा फुटफॉल वर्तमान में लगभग 1.5 करोड़ प्रति वर्ष है। इसके दोगुना होने की उम्मीद है। इस परियोजना के विकास की योजना दो चरणों में बनाई गई है।

यहां महाकाल पथ में 108 स्तंभ हैं जो भगवान शिव के आनंद तांडव स्वरूप (नृत्य रूप) को दर्शाते हैं। महाकाल पथ के किनारे भगवान शिव के जीवन को दर्शाने वाली कई धार्मिक मूर्तियां स्थापित की गई हैं। इस पथ के साथ-साथ बने भित्ति चित्र शिव पुराण में वर्णित सृजन के कार्य, गणेश के जन्म, सती और दक्ष की कहानियों पर आधारित है। इस प्लाजा का क्षेत्रफल 2.5 हेक्टेयर में फैला हुआ है और एक ये कमल के तालाब से घिरा हुआ है, जिसमें पानी के फव्वारे के साथ शिव की मूर्ति है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सर्विलांस कैमरों की मदद से इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर द्वारा इस पूरे परिसर की चौबीसों घंटे निगरानी की जाएगी।