मजबूत है देश की अर्थव्यवस्था : नरेंद्र मोदी

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द इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया के गोल्डन जुबली ईयर समारोह में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि विकास के लिए और बड़े फैसले लेंगे, चुनावी फायदे के लिए देश का भविष्य दांव पर नहीं लगा सकते। श्री मोदी ने कहा कि देश के आर्थिक क्षेत्र को खोलने के बाद से लेकर अब तक जितना विदेशी निवेश भारत में हुआ है, उसकी तुलना अगर पिछले तीन वर्षों में हुए निवेश से करेंगे, तो आपको पता चलेगा कि हमारी सरकार जो रिफॉर्म कर रही है, उसका नतीजा क्या मिल रहा है। यहां प्रस्तुत है उनके संबोधन के मुख्य अंश का दूसरा और अंतिम भाग:

धानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अगर इसी तरह रेलवे सेक्टर की बात करें, तो पिछली सरकार के आखिरी तीन वर्षों में लगभग 1100 किलोमीटर नई रेल लाइन का निर्माण हुआ था। इस सरकार ने तीन वर्षों में 2100 किलोमीटर से ज्यादा तक पहुंच गए हम। यानी हमने लगभग दोगुनी गति से नई रेलवे लाइन बिछाई है। पिछली सरकार के आखिरी तीन सालों में 1300 किलोमीटर रेल लाइनों का दोहरीकरण हुआ, जबकि इस सरकार के तीन साल में 2600 किलोमीटर रेल लाइन का दोहरीकरण हुआ है, यानी हमने दोगुनी रफ्तार में रेल लाइनों का दोहरीकरण करके दिखाया है।

उन्होंने कहा कि पिछली सरकार के आखिरी के तीन वर्षों में लगभग 1 लाख 49 हजार करोड़ का कैपिटल एक्सपेंडिचर किया गया था। इस सरकार के तीन वर्षों में लगभग 2 लाख 64 हजार करोड़ रुपए का कैपिटल एक्सपेंडिचर किया गया है। यानी ये भी 75 प्रतिशत से ज्यादा है।

श्री मोदी ने कहा कि अगर अब मैं रिन्यूएबल एनर्जी की बात करूं- सोलर एनर्जी, विंड एनर्जी और उसके विकास की मैं चर्चा करूं- पिछली सरकार के आखिरी के तीन वर्षों में कुल 12 हजार मेगावॉट की रिन्यूएबल एनर्जी की नई क्षमता जोड़ी गई थी, अगर इस सरकार के तीन सालों की बात करें, तो 22 हजार मेगावॉट से ज्यादा रिन्यूएबल एनर्जी की नई क्षमता को ग्रिड पावर से जोड़ा गया है। यानी यहां भी सरकार का परफॉरमेंस लगभग दोगुना अच्छा है। पिछली सरकार ने अपने आखिरी के तीन सालों में रिन्यूएबल एनर्जी पर 4 हजार करोड़ रुपया खर्च किया था। हमारी सरकार ने अपने तीन साल में इस सेक्टर पर 10600 करोड़ रुपए से भी अधिक खर्च किए हैं।

उन्होंने कहा कि पिछली सरकार की तुलना में शिपिंग इंडस्ट्री में विकास की बात करें, तो जहां पहले जहां कार्गो हैंडलिंग की ग्रोथ निगेटिव थी, वहीं इस सरकार के तीन सालों में 11 प्रतिशत से ज्यादा वृद्धि हुई है। देश के फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े रेल-सड़क-बिजली जैसे महत्वपूर्ण सेक्टरों के साथ-साथ, सरकार सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर को भी मजबूत करने पर पूरा ध्यान दे रही है।

श्री मोदी ने कहा कि हमने सस्ते आवास के क्षेत्र में ऐसे-ऐसे नीतिगत निर्णय लिए हैं, वित्तीय सुधार किए हैं, जो इस क्षेत्र के लिए अभूतपूर्व हैं। पिछली सरकार ने अपने पहले के तीन वर्षों में सिर्फ 15 हजार करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी थी, इस सरकार ने अपने पहले के तीन वर्षों में 1 लाख 53 हजार करोड़ रुपए की परियोजनाओं को मंजूरी दी है और ये वो प्रोजेक्ट हैं जो गरीबों को, मध्यम वर्ग को घर देने के हमारे कमिटमेंट की ताकत दिखाता है। देश में हो रहे इन चौतरफा विकास कार्यों के लिए अधिक पूंजी निवेश की भी आवश्यकता है। ज्यादा से ज्यादा विदेशी पूंजी कैसे भारत आए, इस पर भी सरकार बल दे रही है।

श्री मोदी ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि आप में से कुछ को याद होगा कि जब देश में इंश्योरेंस सेक्टर के रिफॉर्म की चर्चा हुई थी तो अखबारों की हेडलाइन बनती थी- मैं पिछली सरकार की बात करता हूं- हेडलाइन बनती थी कि ऐसा हो गया तो बहुत बड़ा आर्थिक रिफॉर्म माना जाएगा। खैर पिछली सरकार नहीं कर पाई। वो सरकार चली गई, लेकिन इंश्योरेंस सेक्टर में रिफॉर्म नहीं हुआ। बहुत अच्छे काम हैं वो हमारे लिए छोड़कर गए हैं।

श्री मोदी ने कहा कि ये रिफॉर्म हमने किया, इस सरकार में हुआ और पहले जो मानसिकता थी उससे काफी अच्छा किया और अधिक किया, लेकिन वो शल्य वृत्ति की समस्या है कि उनको ये रिफॉर्म नजर ही नहीं आया। जो कभी हैडलाइन हुआ करता था कि ऐसा होगा तो ऐसा होगा, होने के बाद शल्य वृत्ति रुकावट बन गई, क्योंकि ये पसंद इसलिए नहीं आता है ये रिफॉर्म उस दौर में नहीं हुआ। उनकी पसंद की सरकार ने नहीं किया। रिफॉर्म-रिफॉर्म के गीत गाने वालों को भी मैं बताना चाहता हूं कि पिछले तीन वर्षों में 21 क्षेत्रों में 87 छोटे-बड़े रिफॉर्म करने का काम इस सरकार ने करके दिखाया है। चाहे कंस्ट्रक्शन सेक्टर हो, चाहे डिफेन्स सेक्टर हो, चाहे फाइनेंसियल सर्विसेज का सेक्टर हो, चाहे फ़ूड प्रोसेसिंग का हो, जैसे कितने ही सेक्टरों में निवेश के नियमों में बड़े बदलाव हुए हैं।

उन्होंने कहा कि देश के आर्थिक क्षेत्र को खोलने के बाद से लेकर अब तक जितना विदेशी निवेश भारत में हुआ है, उसकी तुलना अगर पिछले तीन वर्षों में हुए निवेश से करेंगे, तो आपको पता चलेगा कि हमारी सरकार जो रिफॉर्म कर रही है, उसका नतीजा क्या मिल रहा है। ये जो मैं आंकड़े बताने वाला हूं- आप इस क्षेत्र के हैं, आप इसी क्षेत्र में डूबे हुए लोग हैं, लेकिन अब मैं जो आंकड़े दे रहा हूं, मैं बिल्कुल बताता हूं, आप चौंक जाएंगे। 1992 के बाद उदारीकरण का कालखंड शुरू हुआ। अगर मैं उसी को एक आधार मानूं तो क्या स्थिति है। उसका हिसाब देखिए- उदारीकरण से ले करके 2014 तक, 2014 से 2017 तक क्या हुआ है- कंस्ट्रक्शन सेक्टर में अब तक के कुल विदेशी पूंजी निवेश का 75 प्रतिशत सिर्फ इस तीन साल में आया है।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि एयर ट्रांसपोर्ट सेक्टर में भी अब तक के कुल विदेशी पूंजी निवेश का 69 प्रतिशत पिछले तीन वर्ष में आया है। माइनिंग सेक्टर में अब तक के कुल विदेशी पूंजी निवेश का 56 प्रतिशत, पिछले तीन साल में आया है। कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर में भी अब तक के कुल विदेशी पूंजी निवेश का 53 प्रतिशत पिछले तीन वर्ष में आया है। इलेक्ट्रिक इक्विपमेंट में भी अब तक के कुल विदेशी पूंजी निवेश का 52 प्रतिशत, इसी सरकार ने तीन वर्षों में हासिल किया है। रिन्यूएबल एनर्जी, इस सेक्टर में भी अभी तक के कुल विदेशी पूंजी निवेश का 49 प्रतिशत, इसी सरकार के तीन साल में देश ने प्राप्त किया है।

श्री मोदी ने कहा कि टेक्सटाइल सेक्टर में अब तक के कुल विदेशी पूंजी निवेश का 45 प्रतिशत इन तीन साल में आया है और एक चौंकाने वाली बात बताता हूं। 1980 से हमारे यहां ऑटो-मोबिलाइजेशन में उदारीकरण की चर्चा रही है, ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री, जिसमें पहले से ही काफी विदेशी पूंजी निवेश हो चुका है, उस सेक्टर में भी, ये आपको हैरानी होगी सुन करके, उस सेक्टर में भी कुल विदेशी पूंजी निवेश का 44 प्रतिशत इसी तीन साल में आया है।

उन्होंने कहा कि भारत में FDI इनफ्लो का बढ़ना इस बात का सबूत है कि विदेशी निवेशक देश की अर्थव्यवस्था पर कितना भरोसा कर रहे हैं। एक सरकार ने विश्वास पैदा किया है। इसी का ये नतीजा है। नीतियों के कारण विश्वास पैदा हुआ है। नीति और रीति के कारण पैदा हुआ है और उससे भी ऊपर हमारी नीयत के कारण पैदा हुआ है। ये सारे निवेश देश के विकास की गति को तेज करने और जॉब क्रिएशन में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। इतने रोड बढ़ना, इतनी रेल बढ़ना, इतनी ये वृद्धि होना, क्या जॉब क्रिएशन नहीं होते हैं क्या। ऐसे ही हो गया होगा क्या? लेकिन अब शल्य वृत्ति चल रही है।

उन्होंने कहा कि मेहनत से कमाए गए आपके एक-एक पैसे की कीमत ये सरकार भली-भांति समझती है और मैं देशवासियों को विश्वास दिलाता हूं और इसलिए सरकार की नीतियों और योजनाओं में इस बात का भी ध्यान रखा जा रहा है कि वो गरीबों और मध्यम वर्गों की जिंदगी तो आसान बनाएं हीं, उनके पैसों की बचत हो।

उन्होंने कहा कि ये सरकार की लगातार कोशिश का ही नतीजा है, कि पिछली सरकार के समय, अब ये भेद देखिए कि वहीं मध्यम वर्गीय परिवार, निम्न- वर्गीय परिवार का पैसा कितना बच रहा है। पिछली सरकार के समय जो एलईडी बल्ब था उसकी कीमत 350 रुपए थी, अब इसकी कीमत सरकार ने ‘उजाला स्कीम’ का बड़ा अभियान चलाया, साढ़े तीन सौ का एलईडी बल्ब 40-45 रुपये पर आ गया। अब मुझे बताइए जो एलईडी बल्ब खरीदने वाला मध्यम वर्गीय, निम्न-मध्यम वर्गीय, उसकी जेब में पैसा बचा कि नहीं बचा? उसको मदद हुई कि नहीं हुई? और अब समझ में नहीं आता है उस समय 350 रुपए क्यों थे? अब वो खोज का विषय है।

श्री मोदी ने कहा कि अब तक देश में 26 करोड़ से ज्यादा एलईडी बल्ब बांटे गए हैं। अगर एक बल्ब की कीमत में औसतन 250 रुपए की भी कमी मानें, तो देश के मध्यम वर्ग को इससे लगभग साढ़े 6 हजार करोड़ रुपयों की बचत हुई है। ये छोटा आंकड़ा नहीं है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इतना ही नहीं, ये बल्ब हर घर में बिजली की खपत कम कर रहे हैं, तो इसमें बिजली का कंजम्पशन कम होता है और बिजली बिल कम कर रहे हैं। इससे भी देश के मध्यम वर्ग में सिर्फ एक साल में, ये एलईडी बल्ब लगाने वाले परिवारों में एक साल में देश में करीब-करीब 14 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा अनुमानित राशि की बचत हुई है। पहले मैंने बताया एलईडी बल्ब खरीदी में 6 हजार, बिजली कंजम्पशन में 14 हजार करोड़। 20 हजार करोड़ रुपये करीब-करीब बचना। ये अपने-आप में मध्यम वर्गीय परिवारों में कितनी ताकत देता है।

उन्होंने कहा कि सरकार ने कोशिश की और उसकी वजह से जहां लोकल बॉडीज हैं, अपनी स्ट्रीट लाइट, लोकल बॉडीज की जो स्ट्रीट लाइट हैं, उसमें भी एलईडी बल्ब लग रहे हैं। काफी शहरों ने लगाए हैं। उन नगरपालिका, महानगर पालिकाओं को भी आर्थिक फायदा हो रहा है। अगर हम Tier-II सिटीज देखें, जिसका एक मोटा-मोटा मैं अंदाज करता हूं, तो करीब-करीब सालाना उनका बिजली बिल 10 से 15 करोड़ रुपये कम हुआ है। 10-15 करोड़ रुपये एक नगरपालिका में खर्चा कम होने का मतलब, उस नगर के अंदर सुविधाएं बढ़ाने के लिए उसके पास आर्थिक व्यवस्था पनपी है।

श्री मोदी ने कहा कि सरकार ने मध्यम वर्ग को घर बनाने के लिए पहली बार- हमारे देश में मध्यम वर्ग को घर बनाने में ब्याज दर की कभी भी राहत नहीं दी गई। पहली बार ये सरकार है जिसने मध्यम वर्ग के लोगों को अपना घर बनाने के लिए ब्याज के अंदर मदद करने के लिए फैसला किया है। मध्यम वर्ग का बोझ कम करने, निम्न मध्यम वर्ग को अवसर प्रदान करने और गरीबों का सशक्तिकरण करने के लिए ये सरकार लगातार ठोस कदम उठाती रहती है। नीतियां बनानी होती हैं, और उसे समयबद्ध तरीके से लागू भी करना होता है और इस मकसद को पूरा करने के लिए हम हर कदम उठाते रहे हैं।

श्री मोदी ने कहा कि मैं जानता हूं, राजनीति का स्वभाव मैं भलीभांति जानता हूं, समझता भी हूं कि रेवड़ी बांटने के बजाय- चुनाव आए रेवड़ी बांटो, लेकिन क्या रेवड़ी बांटने के बजाय भी देश को मजबूत करने के लिए कोई और रास्ता नहीं हो सकता है? क्या सिर्फ सत्ता और वोट की ही चिंता करेंगे? हमने वो रास्ता चुना है, कठिन है; लेकिन वो रास्ता चुना और और उसमें हम एम्पावरमेंट ऑफ़ पीपुल, उसको हम कर रहे हैं और उसके कारण मेरी आलोचना भी होती है, क्योंकि रेवड़़ी बांटो तो जय-जयकार करने वाले बहुत लोग हो जाते हैं। मेरी आलोचना भी होती है। बहुत आलोचना होती है, हितधारक तत्वों को काफी तकलीफ होती है। अगर मैं डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर से पैसे भेजता हूं, तो कई जो भूतिया लोग, नकली लोग फायदा उठाते थे, अब उनके नाम कम हो रहे हैं।

उन्होंने कहा कि तब वो मोदी को पसंद कैसे करेगा जी? और इसलिए सामान्य मानवी को एमपॉवर करना, देश के सामान्य नागरिक को एमपॉवर करना, उस पर बल दे रहे हैं और मैं एक बात देशवासियों के सामने नम्रतापूवर्क कहना चाहता हूं कि मैं अपने वर्तमान की चिंता में, मैं अपने वर्तमान की चिंता में देश के भविष्य को दांव पर नहीं लगा सकता हूं।

उन्होंने कहा कि इस सरकार ने प्राइवेट सेक्टर और पब्लिक सेक्टर के साथ पर्सनल सेक्टर पर भी जोर दिया है। वरना हमारे देश में दो ही प्राइवेट सेक्टर, पब्लिक सेक्टर इसी की चर्चा हो रही थी। एक और भी आयाम है पर्सनल सेक्टर, उसका भी उतना ही तवज्जो होना चाहिए। पर्सनल सेक्टर, जो लोगों की पर्सनल एस्पिरेशन से जुड़ा हुआ है और इसलिए ये सरकार ऐसे नौजवानों को हर संभव मदद दे रही है, जो अपने दम पर कुछ करना चाहते हैं, अपने सपने पूरे करना चाहते हैं।

उन्होंने कहा कि ‘मुद्रा योजना’ से, बिना बैंक गारंटी 9 करोड़ से ज्यादा खाता धारकों को पौने चार लाख करोड़ रुपए से ज्यादा कर्ज दिया गया है। आप कल्पना कर सकते हैं बिना गारंटी 9 करोड़ लोगों को पौने चार करोड़ रुपया और इन 9 करोड़ में से 2 करोड़ 63 लाख नौजवान ऐसे हैं, जिन्होंने पहली बार बैंकों से कारोबार के लिए ‘मुद्रा योजना’ से ये धन पाया है, कर्ज लिया है।

श्री मोदी ने कहा कि सरकार, स्किल इंडिया मिशन, स्टैंडअप इंडिया, स्टार्टअप इंडिया जैसी योजनाओं के माध्यम से भी स्वरोजगार को बढ़ावा दे रही है। ज्यादा से ज्यादा लोगों को फॉर्मल सेक्टर में लाने के लिए कंपनियों को आर्थिक प्रोत्साहन भी दिया जा रहा है।

श्री मोदी ने कहा कि फॉर्मल सेक्टर में रोजगार के कुछ इंडीकेटर्स को देखें, तो मार्च 2014 के अंत में ऐसे 3 करोड़ 26 लाख कर्मचारी थे, जो सक्रिय रूप से Employees Provident Fund Organization में हर महीने PF का पैसा जमा करा रहे थे। ये आंकड़ा याद रखना। पिछले तीन साल में ये संख्या बढ़ करके 4 करोड़ 80 लाख पहुंच गई है। कुछ लोग, शल्य- यह भी ये भूल जाते हैं कि बिना रोजगार बढ़े ये संख्या कभी बढ़ती नहीं है।

श्री मोदी ने कहा कि हम सारी योजनाओं को उस दिशा की तरफ ले जा रहे हैं जो गरीब, निम्न मध्यम वर्ग और मध्यम वर्ग की जिंदगी में गुणात्मक सुधार लाए। जनधन योजना के तहत अब तक 30 करोड़ से ज्यादा गरीबों के बैंक अकाउंट खोले जा चुके हैं, ‘उज्ज्वला योजना’ के तहत 3 करोड़ से ज्यादा महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन दिया जा चुका है, लगभग 15 करोड़ गरीबों को सरकार की बीमा योजनाओं के दायरे में लाया गया है। कुछ दिन पहले ही हर गरीब को मुफ्त बिजली कनेक्शन देने के लिए ‘सौभाग्य योजना’ की शुरुआत की गई है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस सरकार की सारी योजनाएं गरीबों को सशक्त कर रही हैं, लेकिन उन्हें सबसे ज्यादा नुकसान अगर किसी चीज से होता है, तो वो है भ्रष्टाचार, वो है कालाधन। भ्रष्टाचार और कालेधन पर रोक लगाने में आपके संस्थान और देश की कंपनी सेक्रेटरीज की बहुत बड़ी भूमिका है। नोटबंदी के बाद जिन तीन लाख संदिग्ध कंपनियों के बारे में पता चला था, जिनके माध्यम से कालेधन का लेन-देन किए जाने की आशंका है, उनमें से 2 लाख 10 हजार कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जा चुका है। हमारे देश में एक कम्पनी भी अगर बंद करो तो काले झंडों के जुलूस निकलते हैं। 2 लाख 10 हजार की हैं, कोई समाचार ही नहीं आ रहा है। न कोई मोदी का पुतला जला रहे हैं, यानी कितनी झूठी दुनिया चली होगी, आप कल्पना कर सकते हैं ?

श्री मोदी ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि नकली कंपनियों के खिलाफ इस सफाई अभियान के बाद डायरेक्टरों में भी जागरूकता बढ़ेगी और इसके असर से कंपनियों में पारदर्शिता भी आएगी और आप उस भूमिका को बहुत अच्छी तरह निभाएंगे। देश के इतिहास में ये कालखंड बहुत बड़े परिवर्तन का है, बहुत बड़े बदलाव का है। देश में ईमानदार और पारदर्शी शासन का महत्व समझा जाने लगा है। कोर्पो दर गवर्नेंस फ्रेमवर्क के निर्धारण के समय ICSI की सिफारिशों की काफी सकारात्मक भूमिका रही थी। अब समय की मांग है कि आप एक नया बिज़नेस कल्चर पैदा करने में भी सक्रिय भूमिका निभाएं।
उन्होंने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद इनडायरेक्ट टैक्स के दायरे में 19 लाख नए नागरिक आए हैं। छोटा व्यापारी हो या बड़ा, जीएसटी में समाहित ईमानदार व्यवस्था को अपनाए, इसके लिए व्यापारी वर्ग को प्रेरित करते रहना, ये मेरी आप सबसे अपेक्षा है।

श्री मोदी ने कहा कि 2022 में देश आजादी के 75 साल मनाएगा और हमारे दिल में एक सपना होना चाहिए कि जिन महापुरुषों ने देश की आजादी के लिए अपनी जवानी खपा दी, मौत को गले लगाया, जिंदगी जेलों में बिता दी, आजीवन संघर्ष करते रहे, मां भारती के लिए अनेक सपने देखे हुए थे। 2022 में उस आजादी के 75 साल हो रहे हैं। हर हिन्दुस्तानी के लिए 2022 ऐसा ही सपना होना चाहिए कि 1942 में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के समय देशवासियों के अंदर ज्वार आया था कि अब तो अंग्रेजों को निकाल कर रहेंगे। हम भी 2022, 75 साल के लिए ऐसे कुछ सपनों को ले करके चलें।

श्री मोदी ने कहा कि क्या आपका संस्थान, अगर मैं उनसे कुछ वादा चाहूं, मैं नहीं चाहता हूं आज ही मुझे हां कर दीजिए, लेकिन आप सोचिए, क्या आप 2022 तक कुछ संकल्प ले सकते हैं क्या? वो वादों में आपके संकल्प होंगे और उन संकल्पों को आप ही को सिद्ध करना होगा। क्या आप 2022 तक देश को एक हाई टैक्स कॉम्प्लिएंट सोसाइटी बनाने का बीड़ा उठा सकते हैं ?

उन्होंने कहा कि क्या आप ये सुनिश्चित कर सकते हैं कि 2022 तक देश में एक भी नकली कंपनी नहीं रहेगी? क्या आप ये सुनिश्चित कर सकते हैं कि 2022 तक देश में हर कंपनी ईमानदारी से टैक्स भरेगी? तालियां कम हो गईं, वो कठिन कार्य था। क्या आप अपनी मदद का दायरा बढ़ाकर 2022 तक देश में एक ईमानदार बिज़नेस कल्चर स्थापित कर सकते हैं? मैं उम्मीद करता हूं कि 49 साल की यात्रा आपने पूरी की है। स्वर्ण जयंती वर्ष की शुरुआत है। ICSI इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए अलग से कुछ दिशा-निर्देश तय करेगा और उन्हें अपनी कार्य संस्कृति में भी शामिल करेगा।

उन्होंने कहा कि देश में जो एक पैरामीटर मैंने दिखाया, ऐसे कई पैरामीटर हैं जो भारत की अर्थव्यवस्था की मजबूती का सबूत देते हैं, सरकार की निर्णय शक्ति का सबूत देते हैं। सरकार की दिशा और गति का सबूत देते हैं और देश और दुनिया में भारत के प्रति जो विश्वास बढ़ा है, उसकी भली-भांति उसमें ताकत नजर आती है। इसको हम नजरअंदाज न करें और हम नए भारत के निर्माण के लिए नया उत्साह, नया विश्वास, नई उमंग, नई संस्कृति लेकर चल पड़ें।