मजबूत है देश की अर्थव्यवस्था : नरेंद्र मोदी

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द इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया के स्वर्ण जयंती वािर्षक समारोह में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि विकास के लिए और बड़े फैसले लेंगे और चुनावी फायदे के लिए देश का भविष्य दांव पर नहीं लगा सकते। श्री मोदी ने जीएसटी और नोटबंदी के मुद्दे पर बोलते हुआ कहा कुछ लोग कर्ण के सारथी शल्य की तरह निराश करने का काम करते हैं, ऐसे लोगों को पहचानने की जरूरत है। यहां प्रस्तुत है उनके संबोधन के मुख्य अंश का प्रथम भाग:

दइंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया (ICSI) के स्वर्ण जयंती वािर्षक समारोह में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 4 अक्टूबर को कहा कि हमारे देश में भी मुट्ठीभर लोग ऐसे हैं जो देश की प्रतिष्ठा को, हमारी ईमानदार सामाजिक संरचना को कमजोर करने का काम करते रहते हैं। इन लोगों को सिस्टम और संस्थाओं से हटाने के लिए सरकार ने पहले ही दिन से ‘स्वच्छता अभियान’ शुरू किया हुआ है और इस ‘स्वच्छता अभियान’ के तहत सरकार बनते ही SIT बनाई गई, जो सुप्रीम कोर्ट ने कई वर्षों पहले कहा था। हमारी सरकार बनने के बाद पहली ही कैबिनेट में वो काम कर दिया है।

श्री मोदी ने कहा कि विदेश में जमा काले धन के लिए बहुत कठोर ब्लैक मनी एक्ट बनाया गया। कई नए देशों के साथ कर संधियां की गईं और पुराने टैक्स समझौतों में बदलाव किया गया। उनके साथ बैठ करके नए तरीके ढूंढे। इन्सॉल्वेंसी और बैंकरप्सी कोड बनाया गया। 28 साल से अटका हुआ बेनामी संपत्ति कानून लागू किया गया। कई वर्षों से लटका हुआ गुड एंड सिम्पल टैक्स -GST लागू किया गया। विमुद्रीकरण का फैसला लेने की हिम्मत भी इसी सरकार ने दिखाई।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस सरकार ने देश में संस्थागत ईमानदारी को मजबूत करने के लिए काम किया है। ये सरकार के अथक परिश्रम का ही परिणाम है कि आज देश की अर्थव्यवस्था कम कैश के साथ चल रही है। विमुद्रीकरण के बाद कैश टू जीडीपी रेश्यो 9% आ गया है।

श्री मोदी ने कहा कि 9 नवम्बर, इतिहास में भ्रष्टाचार मुक्ति के अभियान का प्रारम्भ दिवस माना जाएगा, 8 नवम्बर, 2016 से पहले ये रेश्यो 12% था आज 9% है। अगर देश में, देश की अर्थव्यवस्था में ईमानदारी का नया दौर शुरू नहीं हुआ होता तो क्या ये संभव था? और आपसे अच्छा इसको कौन जानता है कि पहले जिस तरह आसानी से ब्लैक मनी का लेन-देन होता था, अब वैसा करने में पहले लोगों को 50 बार सोचना पड़ता है और मुझसे ज्यादा आप जानते हैं इस बात को।

उन्होंने कहा कि महाभारत में ही एक और किरदार थे; शल्य का नाम सुना होगा आपने? ये शल्य वैसे कर्ण के सारथी थे। उधर अर्जुन के साथ कृष्ण थे, इधर कर्ण के सारथी शल्य थे, लेकिन ये शल्य जो भी युद्ध में था, उनको हतोत्साहित करने का ही काम करता। उससे क्या लड़ोगे, तुम्हारे पास तो कोई दम नहीं है, अरे, तुम्हारे घोड़े में दम नहीं है। अब ये शल्य इंसान ही ऐसा नहीं है, शल्य वृत्ति है और कोई महाभारत के युग में ही ऐसा नहीं, आज के युग में भी है। कुछ नहीं होगा, कैसे करोगे?

श्री मोदी ने कहा कि कुछ लोगों को निराशा फैलाने में बड़ा आनंद आता है, उनको रात को बहुत अच्छी नींद आती है और ऐसे लोगों के लिए आजकल एक तिमाही की ग्रोथ कम होना, जैसे सबसे बड़ी खुराक मिल गया है। अब ऐसे लोगों को पहचानने की जरूरत है। ऐसे लोगों को जब डाटा अनुकूल होता है, तो उन्हें वो इंस्टीट्यूट भी अच्छे लगते हैं, वो प्रोसेस भी सही लगता है, लेकिन जैसे ही ये डाटा उनकी कल्पना के प्रतिकूल होता है, तो ये कहते हैं संस्थान ठीक नहीं है, प्रोसेस ठीक नहीं है, करने वाले ठीक नहीं हैं, भांति-भांति के आरोप लगाते हैं। किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले ऐसे लोगों को पहचानना बहुत जरूरी है। ये शल्य वृत्ति को जब तक हम नहीं जानेंगे, हम सत्य के रास्ते की जो सोच रहे हैं ना- सत्यम वद्।

उन्होंने कहा कि साथियों क्या आपको लगता है कि ऐसा पहली बार हुआ है कि देश में जीडीपी की ग्रोथ किसी तिमाही में 5.7 प्रतिशत तक पहुंची है? क्या ये पहली बार हुआ है क्या? पिछली सरकार में 6 साल में 8 बार ऐसे मौके आए, जब विकास दर 5.7 प्रतिशत या उससे नीचे गिरी थी। देश की अर्थव्यवस्था ने ऐसे तिमाही भी देखे हैं, जब विकास दर, भूलिए मत पुरानी बातों को, जब विकास दर 0.2 प्रतिशत, 1.5 प्रतिशत, यहां तक गिरी थी। ऐसी गिरावट अर्थव्यवस्था के लिए और ज्यादा खतरनाक होती है, क्योंकि उस कालखंड में, इन वर्षों में जब ये ग्रोथ दर इतनी नीचे गिरी थी, भारत हायर इन्फ्लेशन, हायर करेंट अकाउंट डेफिसिट और हायर फिस्कल डेफिसिट से जूझ रहा था। ऐसी संकट की घड़ी में ये हाल हुआ था।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अगर 2014 के पहले के दो वर्ष, यानी साल 2012-13 और और 13-14 देखें तो औसत वृद्धि 6 प्रतिशत के आसपास थी। अब कुछ लोग ये कह सकते हैं कि आपने दो ही साल क्यों लिए? क्योंकि आजकल शल्य वृत्ति कुछ भी काम कर सकती है। दो साल का संदर्भ मैंने इसलिए लिया, क्योंकि इस सरकार के तीन साल और पिछली सरकार के आखिरी के दो सालों में जीडीपी डाटा तय करने का तरीका एक ही रहा है।
उन्होंने कहा कि इंस्टीट्यूशन से प्रोसेस से, और इसलिए तुलना करना स्वाभाविक, सरल होता है। जब Central Statistics Office ने इस सरकार के दौरान जीडीपी में 7.4 प्रतिशत की वृद्धि का डाटा जारी किया था, तो इन्ही लोगों ने इसे खारिज कर दिया था और क्या कहा था कि ग्राउंड रियल्टी में हमें ऐसा लग नहीं रहा है। हमारी जो शल्य वृत्ति है, उसमें ये फिट नहीं होता है।

श्री मोदी ने कहा कि वो ही इंस्टीट्यूशन उस समय पंसद नहीं थे, पद्धति पसंद नहीं थी, लेकिन 5.6 हुआ; एकदम मजा आ गया। हां ये इंस्टीट्यूशन अच्छी है और ऐसे लोग कहते थे कि उन्हें फील नहीं हो रहा। अर्थव्यवस्था इतनी तेजी से आगे बढ़ रही है, ये हमारे गले नहीं उतरता है।

उन्होंने कहा कि इसलिए इन चंद लोगों ने ये प्रचार शुरू कर दिया कि जीडीपी तय करने के तरीके में कुछ गड़बड़ है। तब ये लोग डाटा के आधार पर नहीं, अपनी फीलिंग पर बातें कर रहे थे और इसलिए उन्हें अर्थव्यवस्था में विकास होता नहीं दिख रहा था, लेकिन जैसे ही पिछले दो तिमाही में विकास दर 6.1 और 5.7 प्रतिशत हुई, इन्हीं शल्य वृत्ति को ये डाटा बहुत प्यारा लगने लगा, बहुत भाने लगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं न कोई अर्थशास्त्री हूं और न ही कभी मैंने अर्थशास्त्री होने का दावा किया है, लेकिन आज जब ये अर्थव्यवस्था पर इतनी चर्चा हो रही है, तो मैं आपको जरा फ़्लैश बैक में भी लेकर जाना चाहता हूं। एक वो दौर था जब अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में भारत को एक नए ग्रुप का हिस्सा बनाया गया था और ये नया ग्रुप यानी आपको लगता होगा- G7 होगा, G8 होगा, G20 होगा, इसमें कहीं रखा होगा, जी नहीं। इस ग्रुप का नाम था फ्रैजाइल फाइव।

उन्होंने कहा कि इसे ऐसा डेंजरस ग्रुप माना गया था जिसकी खुद की अर्थव्यवस्था तो एक समस्या थी, लेकिन दुनिया को लग रहा था कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की रिकवरी में भी ये बाधा बन रहे हैं और उसमें भारत का नाम था। यानी हमारा काम ठीक नहीं कर पाएंगे, लेकिन हम औरों का भी बुरा करेंगे, ये इसलिए फ्रैजाइल फाइव के ग्रुप में ये भारत का नाम जोड़ दिया गया था।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरे जैसे अर्थशास्त्र के कम जानकार को अब भी ये समझ नहीं आ रहा है कि उस समय बड़े-बड़े अर्थशास्त्रियों के रहते ऐसा कैसे हो गया? आपको ये अवश्य याद होगा कि हमारे देश में उस समय जीडीपी ग्रोथ से ज्यादा इन्फ्लेशन में ग्रोथ थी, इसी की चर्चा होती थी। फिस्कल डेफिसिट और करेंट अकाउंट डेफिसिट में ग्रोथ पर चर्चा प्रमुख रहती थी।

उन्होंने कहा कि रुपए के मुकाबले डॉलर की कीमत में ग्रोथ होने पर अखबारों में मुख्य खबरें बना करती थीं। यहां तक की ब्याज दर में ग्रोथ भी सभी की चर्चा में शामिल हुआ करता था। देश के विकास को विपरीत दिशा में ले जाने वाले ये सभी पैरामीटर्स तब कुछ लोगों को पसंद आते थे। अब जब वही पैरामीटर्स सुधरे हैं, विकास को सही दिशा मिली है तो ऐसे कुछ लोगों ने आंखों पर पर्दा डाल लिया है। इस पर्दे के कारण उन्हें दीवार पर स्पष्ट लिखी चीजें भी नहीं दिखाई दे रही हैं और मैं आपके सामने रखना चाहता हूं।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 10 प्रतिशत से ज्यादा की इन्फ्लेशन कम होकर अब इस साल औसतन 2.5 प्रतिशत पर आ गई है। कहां 10 कहां अढ़ाई? लगभग 4 प्रतिशत का करेंट अकाउंट डेफिसिट, औसतन 1 प्रतिशत के आसपास आ गया है। आप देख सकते हैं। इन सारे पैरामीटर्स को सुधारते समय, केंद्र सरकार अपना फिस्कल डेफिसिट पिछली सरकार के 4.5% प्रतिशत से घटाकर 3.5% प्रतिशत पर ले आई है। आज विदेशी निवेशक भारत में रिकॉर्ड निवेश कर रहे हैं। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 30 हजार करोड़ डॉलर से बढ़कर 40 हजार करोड़ डॉलर के पार कर गया है। 25 प्रतिशत वृद्धि हुई है।

उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में ये सुधार, ये विश्वास, ये सफलताएं शायद उनकी नजर में मायने नहीं रखती हैं। इसलिए देश के लिए अभी ये सोचने का समय है कि कुछ लोग देश हित साध रहे हैं या किसी और का हित साध रहे हैं। ये बात सही है कि पिछले तीन वर्षों में 7.5 प्रतिशत की औसत ग्रोथ हासिल करने के बाद इस वर्ष अप्रैल-जून की तिमाही में जीडीपी ग्रोथ में कमी दर्ज की गई, हम इसको इंकार नहीं करते हैं, लेकिन ये बात भी उतनी ही सही है कि सरकार इस ट्रेंड को रिवर्स करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है, क्षमतावान है और हम फैसले लेने के लिए तैयार हैं।

उन्होंने कहा कि कई जानकारों ने इस बात पर सहमति जताई है कि देश की अर्थव्यवस्था के fundamentals मजबूत हैं। हमने सुधार से जुड़े हुए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं और ये प्रक्रिया लगातार जारी है। देश की फाइनेंसियल स्टेबिलिटी को भी मेन्टेन रखा जाएगा। निवेश बढ़ाने के और आर्थिक विकास को गति देने के लिए हम हर आवश्यक कदम उठाते रहेंगे।

श्री मोदी ने कहा कि मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि सरकार द्वारा लिए गए कदम, देश को आने वाले वर्षों में विकास की एक नई लीग में रखने वाले हैं। आज भी रिजर्व बैंक ने कहा है कि अगली तिमाही के जो आने वाले हैं, आंकड़े की संभावना बताई है, उन्होंने बढ़ते-बढ़ते 7.7 तक ले जाएगा, ये आज रिजर्व बैंक ने भी अनुमानित किया है।

श्री मोदी ने कहा कि वर्तमान में अगर इन मूलभूत सुधारों की वजह से किसी सेक्टर को तत्काल सहायता की आवश्यकता है, तो सरकार उसके प्रति सजग भी है और वो चाहे MSME हो, या एक्सपोर्ट सेक्टर हो या फिर हमारी नॉन-फॉर्मल इकॉनमी का हिस्सा और आज इस मंच पर मैं अपनी एक बात फिर दोहराना चाहूंगा और आपके माध्यम से जल्दी पहुंचेगा कि बदलती हुई देश की इस अर्थव्यवस्था में अब ईमानदारी को लाभ मिलेगा। ईमानदारों के हितों की सुरक्षा की जाएगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं ये जानता हूं कि जो लोग अब मुख्यधारा में लौट रहे हैं, ऐसे कुछ व्यापारियों के मन में एक डर रहता है कि कहीं ये नए कारोबार को देख करके पुराने की कल्पना कर करके पुराने रिकॉर्ड तो नहीं खंगाले जाएंगे? मैं फिर एक बार विश्वास दिलाता हूं ऐसा नहीं होने दिया जाएगा, क्योंकि पहले सरकार, सरकारों के नियम, लोगों का आचरण ऐसा था, ये सब शायद करना पड़ा होगा और उसके कारण अब आपको सही धारा में आने से रोकना, इससे बड़ा कोई पाप नहीं हो सकता है और इसलिए हमारी सरकार का इरादा है कि जितने लोग ईमानदारी की मुख्यधारा में आना चाहते हैं, उनके लिए स्वागत है और पुरानी चीजों को वहीं छोड़ करके आइए। आप चिंता मत कीजिए, आगे के लिए हम आपके साथ रहेंगे।

श्री मोदी ने कहा कि उसी प्रकार से मैं आज GST के संबंध में भी कहना चाहता हूं। तीन महीने हुए। तीन महीने के बाद क्या हो रहा है, क्या नहीं; हर चीज को हमने भली-भांति देखा है। बारीक से बारीक चीजों के फीडबैक लिए हैं और GST कौंसिल की मीटिंग के लिए मैंने उनसे कहा है कि अब तीन साल हो गए हैं, हम पूरी तरह उसका रिव्यु करें, और जहां-जहां कठिनाइयां हैं, व्यापारी वर्ग को दिक्कत है, तकनीक की दिक्कत है, फॉर्म भरने की दिक्कत है, जो भी दिक्कत है; उसको एक बार रिव्यु किया जाए और सभी राजनीतिक पार्टियां, सभी सरकारें, क्योंकि सभी राज्य सरकारों में कोई न कोई पॉलिटिकल पार्टी है- मिल करके क्या बदलाव करने की आवश्यकता होगी, उस पर करें और मैं देश के व्यापारी वर्ग को विश्वास दिलाना चाहता हूं, हम लकीर के फकीर नहीं हैं और हम कभी ये दावा नहीं करते हैं सब ज्ञान हमको ही है, लेकिन सही दिशा में जाने का प्रयास है। जहां कहीं रुकावटें हैं, तीन महीने में जो अनुभव आया है, उसके आधार पर आवश्यक जो भी बदलाव करना होगा, सुधार करना होगा, ये सरकार आपके साथ है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे पक्का यकीन है कि जब आपने अपनी पहली गाड़ी खरीदी थी, मैं नहीं मानता हूं कि आपमें से किसी ने उसे मजबूरी में खरीदा होगा। गाड़ी खरीदने से पहले आपने रसोई का बजट देखा होगा, बच्चों की पढ़ाई का खर्च देखा होगा, बड़े-बुजुर्गों की दवाई का खर्च देखा होगा और इसके बाद अगर पैसे बचते हैं, तब जाकर घर या गाड़ी के बारे में सोचा होगा। सीधी-सीधी बात है? ये हमारे समाज की बहुत बेसिक सोच है कि ऐसे में अगर देश में जून महीने के बाद पैसेंजर कारों की बिक्री में लगभग 12 प्रतिशत वृद्धि हुई हो, तो आप उसको क्या कहेंगे भाई?

श्री मोदी ने कहा कि आप क्या कहेंगे जब आपको पता चलेगा कि जून के बाद कमर्शियल गाड़ियों की बिक्री में 23 प्रतिशत से ज्यादा वृद्धि हुई है? आप क्या कहेंगे जब देश में दो पहिया वाहनों की बिक्री में 14 प्रतिशत से ज्यादा वृद्धि हुई है। आप क्या कहेंगे जब डोमेस्टिक एयर ट्रैफिक, हवाई जहाज में जाने वाले यात्रा करने वालों की संख्या में पिछले दो महीने में 14 प्रतिशत वृद्धि हुई है। आप क्या कहेंगे जब अंतरराष्ट्रीय Air freight ( फ्रेट) ट्रैफिक यानी हवाई जहाज के जरिए माल ढुलाई में लगभग 16 प्रतिशत वृद्धि हुई है। आप क्या कहेंगे जब देश में टेलीफोन उपभोक्ताओं में 14 प्रतिशत से ज्यादा वृद्धि हुई है।

उन्होंने कहा कि ये वृद्धि संकेत दे रही हैं कि लोग गाड़ियां खरीद रहे हैं, फोन कनेक्शन ले रहे हैं, हवाई यात्राएं कर रहे हैं। ये इंडीकेटर्स शहरी क्षेत्रों में मांग की ग्रोथ को दर्शाते हैं। अब अगर ग्रामीण मांग से जुड़े, इंडीकेटर्स को देखें तो हाल के महीनों में ट्रैक्टर की बिक्री में 34 प्रतिशत से ज्यादा वृद्धि हुई है।
उन्होंने कहा कि FMCG के क्षेत्र में भी डिमांड-ग्रोथ का ट्रेंड सितंबर महीने में बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है। ऐसा तब होता है जब देश के लोगों का विश्वास बढ़ता है। जब देश के लोगों को लगता है कि अर्थव्यवस्था मजबूत है। अभी रिलीज हुआ PMI का Manufacturing Index Expansion Mode ये दर्शा रहा है कि Future Output Index तो 60 का आंकड़ा पार कर चुका है। हाल में आए आंकड़ों को देखें तो कोयले, बिजली, स्टील और नेचुरल गैस से उत्पादन में भी काफी अच्छी वृद्धि दर्ज की गई है।

श्री मोदी ने कहा कि पर्सनल लोन के वितरण में भी तेज वृद्धि देखी जा रही है। हाउसिंग फाइनेंस कंपनीज और Non-Banking फाइनेंस कंपनीज के द्वारा दिए गए लोन में भी काफी वृद्धि हुई है। इतना ही नहीं, कैपिटल मार्केट में अब म्यूच्यूअल फंड और बीमा में अधिक निवेश हो रहा है।

श्री मोदी ने कहा कि कंपनियों ने IPO’s के द्वारा इस साल पहले 6 महीने में ही 25 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि जुटाई की है। पिछले साल पूरे वर्ष में ये राशि 29 हजार करोड़ तक ही पहुंची थी। Non-Financial Entities में कॉरपोदर बॉन्ड और प्राइवेट प्लेसमेंट के द्वारा सिर्फ चार महीने में ही 45 हजार करोड़ रुपयों का निवेश किया गया है।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ये सारे आंकड़े देश में फाइनेंसिंग के ब्रॉड बेस को दर्शाते हैं, यानी भारत में अब फाइनेंसिंग केवल बैंकों के लोनों तक ही सीमित नहीं रह गई है। इस सरकार ने समय और संसाधन, दोनों के द्वारा उसके सही इस्तेमाल पर लगातार जोर दिया है। पिछली सरकार के तीन साल के काम की रफ्तार और हमारी सरकार के तीन साल के काम की रफ्तार का फर्क आपको साफ-साफ आयेगा।

श्री मोदी ने कहा कि ये सड़कें देख लीजिए, पिछली सरकार के आखिरी तीन सालों में गांवों में 80 हजार किलोमीटर सड़क बनी थी। हमारी सरकार के तीन साल में 1 लाख 20 हजार किलोमीटर सड़क बनाई है, यानी 50 प्रतिशत से ज्यादा ग्रामीण सड़कों का निर्माण हुआ है। पिछली सरकार ने अपने आखिरी के तीन साल में 15 हजार किलोमीटर नेशनल हाइवेज बनाने के काम दिया गया था।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने अपने तीन साल में 34 हजार किलोमीटर से ज्यादा नेशनल हाइवेज बनाने का काम दिया गया है। कहां 15 हजार, कहां 34 हजार। अगर इसी सेक्टर में निवेश की बात की जाए, तो पिछली सरकार ने अपने आखिरी के तीन वर्षों में भूमि लेने और सड़कों के निर्माण पर 93000 करोड़ की राशि खर्च की थी। इस सरकार में ये राशि बढ़कर 1 लाख 83000 करोड़ रुपए से ज्यादा हो गई है। यानी लगभग दोगुना निवेश इस सरकार ने करके दिखाया है। आपको भी पता होगा कि हाइवेज के निर्माण में सरकार को कितने प्रशासनिक और वित्तीय कदम उठाने पड़ते हैं। ये आंकड़े दिखाते हैं कि कैसे सरकार ने पॉलिसी पैरालिसिस से निकल करके पॉलिसी मेकर और पॉलिसी इम्प्लीमेंटर का रोल अदा करके दिखाया है।