2023-24 के दौरान भारत की जीडीपी विकास दर रहेगी 6.0 से 6.8 प्रतिशत

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सरकार की उपलब्धियां: आर्थिक समीक्षा 2022-23

केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने 31 जनवरी, 2023 को संसद में ‘आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23’ पेश किया, जिसका अनुमान है कि जीडीपी विकास दर वित्त वर्ष 2024 के लिए वास्तविक आधार पर 6.5 प्रतिशत रहेगी। इस अनुमान की बहुपक्षीय एजेंसियों जैसे विश्व बैंक, आईएमएफ, एडीबी और घरेलू तौर पर आरबीआई द्वारा किए गए अनुमानों से तुलना की जा सकती है। सर्वेक्षण कहता है कि वित्त वर्ष 2024 में विकास की गति तेज रहेगी, क्योंकि कॉरपोरेट और बैंकिंग क्षेत्र के लेखा विवरण पत्रों के मजबूत होने से ऋण अदायगी और पूंजीगत निवेश के शुरू होने का अनुमान है। आर्थिक विकास को लोक डिजिटल प्लेटफॉर्म के विस्तार तथा ऐतिहासिक उपायों जैसे पीएम गतिशक्ति, राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति और उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजनाओं के माध्यम से समर्थन मिलेगा, जो निर्माण उत्पादन को बढ़ावा देंगे। आर्थिक समीक्षा की मुख्य बातें निम्न हैं :

आर्थिक हालात 2022-23 : पूर्ण रिकवरी हो गई है

 महामारी की वजह से दर्ज की गई गिरावट, रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रतिकूल असर और महंगाई से उबरने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में अब समस्त क्षेत्रों में उल्लेखनीय बेहतरी देखने को मिल रही है, जिससे यह वित्त वर्ष 2023 में महामारी पूर्व विकास पथ पर अग्रसर हो रही है।
 भारत में जीडीपी वृद्धि दर वित्त वर्ष 2024 में भी दमदार रहने की आशा। वित्त वर्ष 2024 में जीडीपी वृद्धि दर 6-6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान।
 केन्द्र सरकार का पूंजीगत व्यय और अब कंपनियों की मजबूत बैलेंस शीट की अगुवाई में निजी पूंजीगत व्यय चालू वर्ष के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में काफी मददगार साबित हो रहा है।
 एमएसएमई क्षेत्र के लिए कुल ऋणों में वृद्धि जनवरी-नवम्बर 2022 के दौरान औसतन 30.6 प्रतिशत से भी अधिक रही।
 खुदरा महंगाई नवम्बर, 2022 में घटकर फिर से आरबीआई के लक्षित दायरे में आ गई है।

राजस्व में तेज उछाल

 केन्द्र सरकार की वित्तीय स्थिति वित्त वर्ष 2023 के दौरान काफी सुदृढ़ हो गई है, जो कि आर्थिक गतिविध‍ियां बढ़ने, प्रत्यक्ष करों एवं जीएसटी से होने वाले राजस्व में तेज उछाल और बजट में यथार्थवादी अनुमान लगाए जाने से ही संभव हो पाई है।
 अप्रैल-नवम्बर 2022 के दौरान सकल कर राजस्व में 15.5 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई, जो कि प्रत्यक्ष करों और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में दमदार वृद्धि से संभव हुई है।
 जीएसटी अब केन्द्र और राज्य सरकारों का एक अहम राजस्व स्रोत बन गया है। अप्रैल-दिसम्बर 2022 के दौरान सकल जीएसटी संग्रह में वार्षिक आधार पर 24.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।

 चालू वित्त वर्ष के दौरान राजस्व व्यय की आवश्‍यकता काफी अधिक रहने के बावजूद केन्द्र सरकार की ओर से पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) पर निरंतर विशेष जोर दिया जाता रहा है। केन्द्र सरकार का पूंजीगत व्यय जीडीपी के 1.7 प्रतिशत के दीर्घकालिक वार्षिक औसत (वित्त वर्ष 2009 से वित्त वर्ष 2020 तक) से निरंतर बढ़कर वित्त वर्ष 2022 में जीडीपी का 2.5 प्रतिशत हो गया है।

कीमतें एवं महंगाई : सफलतापूर्वक संतुलन स्थापित करना

 जहां एक ओर तीन से चार दशकों के लंबे अंतराल के बाद विकसित देशों में आसमान छूती महंगाई

की वापसी देखने को मिली, वहीं दूसरी ओर भारत में मूल्यवृद्धि एक सीमा में बनी रही।
 वैसे तो भारत में खुदरा महंगाई दर अप्रैल, 2022 में बढ़कर 7.8 प्रतिशत के शिखर पर पहुंच गई जो कि आरबीआई की 6 प्रतिशत की ऊपरी सीमा से अधिक थी, लेकिन भारत में लक्षित सीमा से बढ़ी हुई महंगाई इसके बावजूद पूरी दुनिया में न्यूनतम में से एक रही।
– पेट्रोल और डीजल पर निर्यात शुल्क में कई चरणों में कटौती की गई।
– प्रमुख कच्चे माल पर आयात शुल्क को घटाकर शून्य कर दिया गया, जबकि लौह अयस्‍क एवं सांद्र के निर्यात पर देय कर को 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया।
– कपास के आयात पर देय सीमा शुल्क को 14 अप्रैल, 2022 से लेकर 30 सितम्बर, 2022 तक माफ कर दिया गया।
– एचएस कोड 1101 के तहत गेहूं उत्पादों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया और चावल पर निर्यात शुल्क लगाया गया।

सामाजिक अवसंरचना और रोजगार : विशेष जोर

 सामाजिक क्षेत्र पर सरकारी खर्च में व्यापक वृद्धि देखने को मिली।
 स्वास्थ्य क्षेत्र पर केन्द्र एवं राज्य सरकारों का अनुमानित व्यय बढ़कर वित्त वर्ष 2023 (बीई) में जीडीपी का 2.1 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2022 (आरई) में जीडीपी का 2.2 प्रतिशत हो गया, जो कि वित्त वर्ष 2021 में जीडीपी का 1.6 प्रतिशत ही था।
 सामाजिक क्षेत्र पर व्यय वित्त वर्ष 2016 के 9.1 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2023 (बीई) में 21.3 लाख करोड़ रुपये हो गया है।
 आर्थिक समीक्षा में बहुआयामी गरीबी सूचकांक पर यूएनडीपी की रिपोर्ट 2022 के निष्कर्षों पर प्रकाश डाला गया है जिनमें कहा गया है कि भारत में 41.5 करोड़ लोग वर्ष 2005-06 और वर्ष 2019-20 के बीच गरीबी से उबर गए।
 आकांक्षी जिला कार्यक्रम विशेषकर सुदूर एवं दुर्गम क्षेत्रों में सुशासन के उत्कृष्ट उदाहरण के रूप में सामने आया है।
 असंगठित कामगारों का एक राष्ट्रीय डेटाबेस बनाने के लिए ई-श्रम पोर्टल विकसित किया गया जिसका सत्यापन ‘आधार’ से होता है। 31 दिसम्बर, 2022 तक कुल मिलाकर 28.5 करोड़ से भी अधिक असंगठित कामगारों ने ई-श्रम पोर्टल पर अपना पंजीकरण कराया है।
 जैम (जन-धन, आधार, एवं मोबाइल) के साथ-साथ डीबीटी ने समाज के हाशिए पर रहने वाले लोगों को औपचारिक वित्तीय प्रणाली से जोड़ दिया है, जिससे लोगों को सशक्‍त करते हुए पारदर्शी एवं उत्तरदायी गवर्नेंस के मार्ग में क्रांति आ गई है।
 ‘आधार’ ने को-विन प्लेटफॉर्म को विकसित करने और टीके की 2 अरब से भी अधिक खुराक लोगों को पारदर्शी ढंग से देने में अहम भूमिका निभाई है।
 शहरी और ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों में श्रम बाजार मुश्किलों से उबर कर कोविड पूर्व स्तर से ऊपर चला गया है। यही नहीं, बेरोजगारी दर वर्ष 2018-19 के 5.8 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2020-21 में 4.2 प्रतिशत रह गई है।
 वित्त वर्ष 2022 में स्कूलों में सकल दाखिला अनुपात (जीईआर) में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई और इसके साथ ही बालक-बालिका अनुपात भी बेहतर हो गया। 6 से 10 साल के आयु वर्ग में आबादी के प्रतिशत के रूप में कक्षा 1 से लेकर कक्षा 5 में प्राथमिक दाखिले को लेकर जीईआर वित्त वर्ष 2022 में बालिकाओं के साथ-साथ बालकों के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई है।
 स्वास्थ्य क्षेत्र में सरकार द्वारा उठाए गए अनेक कदमों की वजह से कुल स्वास्थ्य व्यय के प्रतिशत के रूप में व्यक्ति की जेब से होने वाला खर्च वित्त वर्ष 2014 के 64.2 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2019 में 48.2 प्रतिशत रह गया।
 बाल मृत्यु दर (आईएमआर), 5 साल से कम उम्र के बच्‍चों की मृत्यु दर (यू5एमआर) और नवजात शिशु मृत्यु दर (एनएमआर) में निरंतर गिरावट दर्ज की गई है।
 6 जनवरी, 2023 तक कोविड टीके की 220 करोड़ से भी अधिक खुराक लोगों को दी गई हैं।
 4 जनवरी, 2023 तक आयुष्मान भारत योजना के तहत लगभग 22 करोड़ लाभार्थियों का सत्यापन किया गया है। आयुष्मान भारत के तहत देश भर में 1.54 लाख से भी अधिक स्वास्थ्य एवं वेलनेस केन्द्रों को चालू किया गया है।

जलवायु परिवर्तन व पर्यावरण : भावी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार करना

 भारत ने वर्ष 2070 तक शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने के लिए ‘नेट जीरो’ का संकल्प व्यक्त किया।
 भारत ने गैर-जीवाश्म ईंधनों से 40 प्रतिशत अधिष्ठापित बिजली क्षमता का अपना लक्ष्य वर्ष 2030 से पहले ही हासिल कर लिया।
 गैर-जीवाश्म ईंधनों से संभावित अधिष्ठापित क्षमता वर्ष 2030 तक 500 जीडब्ल्यू से भी अधिक हो जाएगी, जिससे वर्ष 2014-15 की तुलना में वर्ष 2029-30 तक औसत उत्सर्जन दर में लगभग 29 प्रतिशत की कमी आ जाएगी।
 भारत अपनी जीडीपी की उत्सर्जन तीव्रता को वर्ष 2005 के स्तर की तुलना में वर्ष 2030 तक 45 प्रतिशत कम कर देगा।
 वर्ष 2030 तक लगभग 50 प्रतिशत संचयी बिजली अधिष्ठापित क्षमता गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा स्रोतों से हासिल होगी।
 पर्यावरण के लिए जीवन शैली ‘लाइफ’ के रूप में जन आंदोलन शुरू किया गया।
 सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड फ्रेमवर्क (एसजीआरबी) नवम्बर, 2022 में जारी किया गया।
 आरबीआई ने 4000 करोड़ रुपये के सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड फ्रेमवर्क (एसजीआरबी) की दो किस्तों की नीलामी की।
 राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन से भारत वर्ष 2047 तक ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर हो जाएगा।
 वर्ष 2030 तक कम से कम 5 एमएमटी (मिलियन मीट्रिक टन) की वार्षिक हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता विकसित कर ली जाएगी। राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत वर्ष 2030 तक जीवाश्म ईंधन के आयात में 1 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक की संचयी कटौती की जाएगी और 6 लाख से भी अधिक रोजगार सृजित किए जाएंगे। वर्ष 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में लगभग 125 जीडब्ल्यू की वृद्धि की जाएगी और जीएचजी के वार्षिक उत्सर्जन में लगभग 50 एमएमटी की कमी की जाएगी।
 आर्थिक समीक्षा में सीसी पर एनएपी के तहत आठ मिशनों की दिशा में हुई प्रगति पर प्रकाश डाला गया है, ताकि जलवायु से जुड़ी चिंताओं को दूर किया जा सके और सतत विकास को बढ़ावा दिया जा सके।
 अधिष्ठापित सौर ऊर्जा क्षमता, जो कि राष्ट्रीय सौर मिशन के तहत एक अहम पैमाना है, अक्टूबर 2022 में 61.6 जीडब्ल्यू दर्ज की गई।
 भारत नवीकरणीय ऊर्जा के लिए एक पसंदीदा देश बनता जा रहा है; सात वर्षों में कुल निवेश 78.1 अरब अमेरिकी डॉलर आंका गया है।
 सतत पर्यावास पर राष्ट्रीय मिशन के तहत 62.8 लाख व्यक्तिगत घरेलू शौचालयों और 6.2 लाख सामुदायिक एवं सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण (अगस्त, 2022) किया गया।

कृषि एवं खाद्य प्रबंधन

 कृषि और संबंधित क्षेत्र का प्रदर्शन पिछले कुछ वर्षों से मजबूत रहा है। काफी हद तक इसका कारण फसल एवं मवेशी उत्पादकता में वृद्धि, समर्थन मूल्य के माध्यम से किसानों को निश्चित आमदनी सुनिश्चित करने, फसलों में विविधता को बढ़ावा देने किसान उत्पादक संगठनों की स्थापना के माध्यम से बाजार अवसंरचना में सुधार लाने तथा कृषि अवसंरचना निधि के माध्यम से ढांचागत सुविधाओं में निवेश को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से किए गए उपाय रहे हैं।
 वर्ष 2020-21 में कृषि क्षेत्र में निजी निवेश 9.3 प्रतिशत बढ़ा।
 वर्ष 2018 से अनिवार्य सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य, पूरे भारत में उत्पादन की औसत लागत का 1.5 गुणा निर्धारित किया गया।
 वर्ष 2021-22 में कृषि क्षेत्र के लिए संस्थागत ऋण लगातार बढ़कर 18.6 लाख करोड़ हो गया।
 भारत में खाद्यान्न उत्पादन में निरंतर वृद्धि देखी गई और वर्ष 2021-22 में यह बढ़कर 315.7 मिलियन टन हो गया।
 राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत 1 जनवरी, 2023 से एक वर्ष के लिए लगभग 81.4 करोड़ लाभार्थियों के लिए मुफ्त खाद्यान्न।
 योजना के अंतर्गत अप्रैल-जुलाई 2022-23 भुगतान चक्र में लगभग 11.3 करोड़ किसानों को कवर किया गया।
 कृषि अवसंरचना निधि के तहत फसल पश्चात समर्थन और सामुदायिक खेती के लिए 13,681 करोड़ रुपये मंजूर।
 राष्ट्रीय कृषि बाजार योजना (ई-नाम) के तहत 1.74 करोड़ किसानों और 2.39 लाख व्यापारियों के साथ ऑनलाइन, प्रतिस्पर्धी, पारदर्शी निविदा प्रणाली लागू।

 परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) के तहत किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के माध्यम से जैविक कृषि को बढ़ावा दिया जा रहा है।
 अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष पहल के माध्यम से भारत मोटे अनाजों को बढ़ावा देने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

उद्योग : निरंतर सुधार

 औद्योगिक क्षेत्र द्वारा समग्र सकल मूल्य संवर्धन (जीवीडब्ल्यू) में 3.7 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई (वित्तीय वर्ष 2022-23 की पहली छमाही के लिए), जो पिछले दशक के पूर्वाद्ध के दौरान हासिल की गई 2.8 प्रतिशत की औसत वृद्धि से अधिक है।
 वर्ष की पहली छमाही के दौरान निजी अंतिम उपभोग व्यय (पीएफसीई) में मजबूत वृद्धि, निर्यात प्रोत्साहन, संवर्द्धित सार्वजनिक पूंजीगत व्यय और मजबूत बैंक एवं कॉरपोरेट बैलेंस शीट के कारण निवेश की मांग में वृद्धि।
 बढ़ी हुई मांग के प्रति उद्योग की आपूर्ति प्रतिक्रिया मजबूत रही है।
 जुलाई, 2021 से 18 महीनों के लिए पीएमआई विनिर्माण विस्तार क्षेत्र में कायम रहा है। औद्योगिक विस्तार सूचकांक में उत्साहवर्धक वृद्धि हुई है।
 सूक्ष्म, लघु और मझौले उद्यमों को ऋण में जनवरी, 2022 से औसतन लगभग 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और बड़े उद्योगों में अक्टूबर, 2022 से दहाई के आंकड़े में वृद्धि देखी गई है।
 इलेक्ट्रॉनिक्स के निर्यात में वित्त वर्ष 2019 में 4.4 बिलियन डॉलर से वित्त वर्ष 2022 में 11.6 बिलियन तक लगभग तीन गुणा वृद्धि हुई है।
 भारत वैश्विक स्तर पर मोबाइल फोन का दूसरा सबसे बड़ा निर्माता बन गया है। यहां हैंडसेट का उत्पादन वित्त वर्ष 2015 में 6 करोड़ यूनिट से बढ़कर वित्त वर्ष 2021 में 29 करोड़ तक पहुंच गया।
 फार्मा उद्योग में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में चार गुणा वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 2019 में 180 मिलियन डॉलर से बढ़कर यह वित्त वर्ष 2022 में 699 मिलियन डॉलर हो गया।
 भारत को वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं में शामिल करने के लिए पीएलआई योजनाएं अगले पांच वर्षों में अनुमानित चार लाख करोड़ पूंजीगत व्यय के साथ 24 श्रेणियों में शुरू की गई हैं। वित्त वर्ष 2022 में पीएलआई योजनाओं के अंतर्गत 47,500 करोड़ का निवेश देखा गया, जो कि वर्ष के लिए निर्धारित लक्ष्य का 106 प्रतिशत था। पीएलआई योजनाओं के कारण 3.85 लाख करोड़ रुपए मूल्य की उत्पादन/बिक्री और 3.0 लाख का रोजगार का सृजन हुआ है।
 जनवरी, 2023 तक 39,000 से अधिक अनुपालनों में कमी आई है और 3500 से अधिक प्रावधानों को अपराध की श्रेणी से हटाया गया है।

सेवाएं- सुदृढ़ता का स्रोत

 वित्त वर्ष 2022 में 8.4 प्रतिशत (वर्ष दर वर्ष) की तुलना में वित्त वर्ष 2023 में सेवा क्षेत्र के 9.1 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है।
 जुलाई, 2022 से पीएमआई सेवाओं, जो कि सेवा क्षेत्र की गतिविधियों का संकेतक है, में जबरदस्त विस्तार देखा गया।
 भारत 2021 में शीर्ष दस सेवा निर्यात करने वाले देशों में शामिल था, विश्व वाणिज्यिक सेवाओं के निर्यात में इसकी हिस्सेदारी 2015 में 3 प्रतिशत से बढ़कर 2021 में 4 प्रतिशत हो गई।
 कोविड-19 महामारी के दौरान और भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के बीच डिजिटल समर्थन, क्लाउड सेवाओं और बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण की उच्च मांग द्वारा प्रेरित भारत का सेवा निर्यात सशक्त बना रहा।
 जुलाई, 2022 से सेवा क्षेत्र के लिए ऋण में 16 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है।
 वित्त वर्ष 2022 में सेवा क्षेत्र में 7.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश इक्विटी का प्रवाह।
 वित्त वर्ष 2023 में संपर्क-गहन सेवाएं महामारी से पहले के स्तर की वृद्धि दर को पुनः हासिल करने के लिए तैयार हैं।
 रियल एस्टेट क्षेत्र में निरंतर वृद्धि 2021 और 2022 के बीच 50 प्रतिशत की वृद्धि के साथ, आवास की बिक्री को महामारी के पूर्व-स्तर पर ले जा रही है।
 होटल ऑक्यूपेंसी दर अप्रैल, 2021 में 30-32 प्रतिशत से बढ़कर नवंबर, 2022 में 68-70 प्रतिशत हो गई है।
 वित्त वर्ष 2023 में भारत में विदेश पर्यटकों के आगमन के साथ-साथ निर्धारित अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की बहाली और कोविड-19 नियमों में ढील के साथ पर्यटन क्षेत्र के पुनर्जीवित होने के संकेत मिल रहे हैं।
 डिजिटल प्लेटफॉर्म भारत की वित्तीय सेवाओं में बदलाव ला रहे हैं।
 भारत का ई-कॉमर्स बाजार 2025 तक सालाना 18 फीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान है।

बाहरी क्षेत्र

 अप्रैल-दिसम्बर 2022 के दौरान व्यापार निर्यात 332.8 बिलियन डॉलर रहा।
 भारत ने अपने बाजार को विभिन्न वर्गों में विविधिकृत किया और ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, सऊदी अरब के लिए अपने निर्यात में बढ़ोतरी की।
 बाजार के विस्तार और बेहतर पहुंच सुनिश्चित करने के लिए 2022 में यूएई के साथ सीईपीए और ऑस्ट्रेलिया के साथ ईसीटीए लागू हुआ।
 भारत 2022 में 100 बिलियन डॉलर प्राप्त करने के द्वारा विश्व में प्रेषण का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता रहा। सेवा निर्यात के बाद प्रेषण बाह्य वित्त पोषण का दूसरा सबसे बड़ा प्रमुख स्रोत है।
 दिसम्बर, 2022 तक विदेशी मुद्रा भंडार 9.3 महीनों के आयात को कवर करते हुए 563 बिलियन डॉलर पर रहा।
 नवम्बर, 2022 के अंत तक भारत विश्व में छठा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार धारक है।

विद्युत और नवीकरणीय क्षेत्र

 30 सितम्बर, 2022 तक सरकार ने 16 राज्यों में 59 सोलर पार्कों के विकास को मंजूरी दी है, जिसकी कुल लक्ष्य क्षमता 40 जीडब्ल्यू है।
 वित्त वर्ष 2022 के दौरान 17.2 लाख जीडब्ल्यूएच विद्युत का उत्पादन हुआ।
 कुल स्थापित ऊर्जा क्षमता (उद्योग, जिनकी मांग एक मेगावाट (एमडब्ल्यू) और अधिक है), 31 मार्च, 2021 के 460.7 जीडब्ल्यू के मुकाबले 31 मार्च, 2022 को 482.2 जीडब्ल्यू हो गयी।

भारतीय लॉजिस्टिक क्षेत्र को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना

 राष्ट्रीय राजमार्गों और सड़कों के निर्माण में तेजी; वित्त वर्ष 2016 के 6061 किलोमीटर की तुलना में वित्त वर्ष 2022 के दौरान 10,457 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों/सड़कों का निर्माण किया गया।
 वित्त वर्ष 2020 के 1.4 लाख करोड़ रुपये की तुलना में बजट परिव्यय बढ़कर वित्त वर्ष 2023 में 2.4 लाख करोड़ रुपये हो गया। इस प्रकार पूंजीगत व्यय में वृद्धि हुई।
 अक्टूबर, 2022 तक 2359 किसान रेलों ने लगभग 7.91 लाख टन सब्जियों/फलों का परिवहन किया।
 आठ वर्षों में प्रमुख पत्तनों की क्षमता दोगुनी हुई।

भारत की डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना

 भारत में कुल टेलीफोन उपभोक्ताओं की संख्या 117.8 करोड़ (सितम्बर, 2022 तक) है, 44.3 प्रतिशत उपभोक्ता ग्रामीण क्षेत्रों में।
 कुल टेलीफोन उपभोक्ताओं में से 98 प्रतिशत मोबाइल फोन द्वारा जुड़े हुए हैं।
 मार्च, 2022 में भारत का कुल टेली–घनत्व 84.8 प्रतिशत है।
 2015 से 2021 के दौरान ग्रामीण इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या में 200 प्रतिशत की वृद्धि।
 प्रसार भारती (भारत का स्वायत्त लोक प्रसारक) 479 स्टेशनों के माध्यम से 23 भाषाओं और 179 उप-भाषाओं में अपने कार्यक्रम प्रसारित करता है, जिसकी पहुंच 92 प्रतिशत क्षेत्र और कुल आबादी के 99.1 प्रतिशत तक है।

आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 का सारांश

 आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 का अनुमान है कि जीडीपी विकास दर वित्त वर्ष 2024 के लिए वास्तविक आधार पर 6.5 प्रतिशत रहेगी
 अर्थव्यवस्था की विकास दर मार्च, 2023 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए 7 प्रतिशत (वास्तविक) रहने का अनुमान है, पिछले वित्त वर्ष में विकास दर 8.7 प्रतिशत रही थी
 सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र के लिए ऋण में तेज वृद्धि दर्ज की गई है, जो जनवरी-नवम्बर, 2022 के दौरान औसत आधार पर 30.5 प्रतिशत रही
 केन्द्र सरकार का पूंजीगत व्यय (कैपेक्स), जो वित्त वर्ष 2023 के आठ महीनों के दौरान 63.4 प्रतिशत की दर से बढ़ा, यह वर्तमान वर्ष के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास को गति देने का प्रमुख कारण रहा है
 निर्माण गतिविधियों में प्रवासी श्रमिकों के लौटने से निर्माण सामग्री के जमा होने की प्रक्रिया, जो पिछले साल के 42 महीनों के मुकाबले वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही में 33 महीनों की रही है, में महत्वपूर्ण कमी दर्ज करने में मदद मिली है
 वित्त वर्ष 2022 में निर्यात में तेजी दर्ज की गई, वित्त वर्ष 2023 की पहली छमाही में उत्पादन प्रक्रिया में तेज वृद्धि दर्ज की गई है
 वित्त वर्ष 2023 की दूसरी तिमाही में निजी खपत जीडीपी के प्रतिशत के रूप में 58.4 प्रतिशत रही, जो 2013-14 के बाद के सभी वर्षों की दूसरी तिमाहियों के मुकाबले सबसे ज्यादा है, जिसे संपर्क आधारित सेवाओं जैसे व्यापार, होटल और परिवहन की मजबूती से समर्थन मिला