भारत की ऐतिहासिक वैक्सीनेशन यात्रा : जगत प्रकाश नड्डा

| Published on:

भारत में दुरूह, दुस्तर और अकल्पनीय समझे जाने वाले टीकाकरण अभियान ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में जिस तरह से दुनिया को आईना दिखाते हुए रिकॉर्ड समय में 100 करोड़ वैक्सीनेशन का आंकड़ा पार करते हुए ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है, वह अभूतपूर्व है और न्यू इंडिया के उस जज्बे की कहानी है जहां अब कुछ भी ‘असंभव’ नहीं है। भारत में ‘ये नहीं हो सकता’ से ‘हम यह कर सकते हैं’ और ‘ये होकर रहेगा’ का सफर इतना आसान नहीं था लेकिन तमाम बाधाओं और चुनौतियों को पार करते हुए नरेन्द्र मोदी सरकार ने देशवासियों को यह अहसास दिलाया है कि अगर 130 करोड़ देशवासी ठान लें तो भारत कदम-कदम पर सफलता के नए अध्याय जोड़ सकता है और देश को हर मुश्किल से निजात दिलाई जा सकती है।

घातक वैश्विक महामारी कोविड-19 के खिलाफ निर्णायक जंग का ऐलान करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने 16 जनवरी, 2021 को विश्व के सबसे बड़े और सबसे तेज गति से चलने वाले वैक्सीनेशन ड्राइव की शुरुआत की थी। वैक्सीनेशन कार्यक्रम के शुरू होने के 9 महीने के भीतर ही भारत ने 100 करोड़ वैक्सीन डोज एडमिनिस्टर कर एक नया रिकॉर्ड कायम कर दुनिया को आश्चर्यचकित कर दिया है। 18 वर्ष से अधिक उम्र के लगभग 70 प्रतिशत से अधिक नागरिकों को अब तक वैक्सीन का कम से कम एक डोज लगाया जा चुका है। भारत में कोविड वैक्सीनेशन अमेरिका में वैक्सीनेशन कार्यक्रम के आगाज होने के लगभग एक महीने बाद शुरू हुआ लेकिन यहां इस पर ध्यान देना जरूरी है कि इतने कम समय में ही भारत में अमेरिका की तुलना में लगभग दोगुना वैक्सीनेशन हुआ है। जहां पूरी दुनिया में अब तक कोविड वैक्सीन की लगभग 700 करोड़ खुराक दी गई है, वहीं अकेले भारत में 100 करोड़ से अधिक डोज लगाए जा चुके हैं। भले ही विश्व सकल घरेलू उत्पाद में हमारा हिस्सा केवल 3.5 प्रतिशत है लेकिन आज हम दुनिया का 14 प्रतिशत कोविड वैक्सीन डोज एडमिनिस्टर कर रहे हैं।

भारत उन सभी देशों की तुलना में काफी बेहतर वैक्सीनेशन अभियान चला रहा है जिनकी प्रति व्यक्ति जी.डी.पी. हमसे कहीं अधिक है। जाहिर है, कई बाधाओं और चुनौतियों के बावजूद भारत ने वह संभव कर दिखाया जिसकी किसी ने आशा भी नहीं की थी। पूरे यूरोपीय संघ में अब तक कोविड वैक्सीन डोज एडमिनिस्टर किए गए हैं, उससे भी कहीं अधिक टीके भारत ने लगाए हैं। हिमाचल प्रदेश, गोवा, सिक्किम, दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव, लद्दाख और लक्षद्वीप ने 18 वर्ष से अधिक उम्र के नागरिकों के कम एक खुराक के साथ 100 प्रतिशत टीकाकरण का लक्ष्य हासिल कर लिया है। उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों के वैक्सीनेटिड नागरिकों की संख्या सऊदी अरब, ईरान, ऑस्ट्रेलिया, पेरू और संयुक्त अरब अमीरात की कुल आबादी से भी अधिक है।

पिछले कुछ हफ्तों में भारत कम से कम पांच बार एक दिन में 1 करोड़ टीकाकरण का आंकड़ा पार करने में कामयाब रहा है जो अपने-आप में एक रिकॉर्ड है। 17 सितंबर को हमारे माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के जन्मदिन पर समग्र राष्ट्र ने वैक्सीनेशन के यज्ञ रूपी ‘जन अभियान’ में अपनी समग्र भागीदारी देते हुए एक दिन में अढ़ाई करोड़ से अधिक नागरिकों का टीकाकरण करके देश को एक नया कीर्तिमान स्थापित करने में मदद की। मोदी सरकार के प्रयासों को कलंकित करने के लिए कुछ विपक्षी दलों द्वारा खास तरीके से डिजाइन किए गए ‘टूल किट’ के जरिए पूरी तरह एक प्रायोजित दुष्प्रचार अभियान चलाया गया। इस मायने में विपक्षी दलों का पाखंड अतुलनीय है।

वैक्सीन और वैक्सीनेशन के संदर्भ में भारत की ऐतिहासिक उपलब्धि को कमजोर करने के लिए विपक्ष टीकों की पूर्ण संख्या के बजाय आबादी के सापेक्ष एडमिनिस्टर्ड किए गए टीकों के प्रतिशत की बात करने लगता है लेकिन जब वैश्विक संदर्भ में भारत के प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद और अन्य स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे के मापदंडों को ध्यान में रखते हुए भारत के कोविड प्रबंधन की तुलना दुनिया के बाकी हिस्सों से करते हुए उसी मैट्रिक्स का उपयोग करने की बात होती है तो विपक्ष काल्पनिक वीभत्स परिदृश्यों को चित्रित करते हुए कोरोना से देश में हुई मौत के आंकड़ों की ओर चर्चा को मोड़ देता है। यहां विपक्ष आबादी के सापेक्ष मृत्यु दर या फैटेलिटी पर्सेंटेज की बात करने के बजाय कुल मृत्यु के आंकड़े की बात करने लगता है। मतलब कि चित भी मेरी, पट भी मेरी! अब उत्तर प्रदेश का ही उदाहरण लें। लगभग 24 करोड़ की आबादी वाला यह राज्य अब कई हफ्तों से नए कोविड मामलों की संख्या को प्रतिदिन 50 से भी नीचे लाने में कामयाब रहा है। यू.पी. में कोविड के कारण मृत्यु की संख्या 23,000 से भी कम है।

इसका मतलब यह है कि भारत की आबादी के लगभग 18 प्रतिशत वाले राज्य में कोविड के कारण हुई मृत्यु के आंकड़े देश में कोविड के कारण हुई मौतों के आंकड़ों का केवल 5 प्रतिशत है। उत्तर प्रदेश ने अब तक 11 करोड़ से अधिक डोज एडमिनिस्टर किए हैं और 8 करोड़ से अधिक टेस्टिंग की है जो देश में सर्वाधिक है। अफसोस की बात है कि राजनीतिक पाखंड, बौद्धिक बेईमानी और अवसरवाद की ‘महामारी’ के लिए अभी तक कोई टीका विकसित नहीं हुआ है जो अर्ध-सत्य और पक्षपातपूर्ण आख्यानों को आगे बढ़ाकर भारत की ऐतिहासिक उपलब्धि कमजोर करने का कुप्रयास करता है। आज हमने कोविड वैक्सीन और वैक्सीनेशन के संदर्भ में जो मील के पत्थर हासिल किए हैं, वे किसी एक पार्टी या एक सरकार के नहीं बल्कि पूरे देश के लिए है। केवल इसलिए कि आप उस व्यक्तित्व को नापसंद करते हैं जिसके नेतृत्व में भारत नित नई ऊंचाइयों को छू रहा है, हमारे वैज्ञानिकों, हमारे स्वास्थ्य कर्मियों और भारत के लोगों के मनोबल को कमजोर करने के लिए यह कोई कारण नहीं होना चाहिए। अंतत: झूठ और दुष्प्रचार को सत्य और तथ्यों के टीके से परास्त कर ही दिया जाएगा। आइए, हम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में इस महामारी को हराने के लिए मिलकर काम करना जारी रखें और इस महामारी को समूल नष्ट करने में अपनी भागीदारी दें।

                          (लेखक भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं)