कमल पुष्प : पंडित जी सिद्धांत आधारित राजनीति और नि:स्वार्थ सेवा के लिए जाने जाते हैं

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पंडित देवेंद्र शास्त्री
जन्म तिथि: 20 मई 1921
सक्रिय वर्ष: 1951 – 2012
बिजनौर, उत्तर प्रदेश और
देहरादून, उत्तराखंड
निस्वार्थ सेवा की कहानी

पंडित देवेंद्र शास्त्री जी ने 1936 में अपनी युवावस्था में एक स्वतंत्रता सेनानी रहते हुए अन्याय और तुष्टीकरण के खिलाफ आवाज उठाई और वह आजीवन इन सिद्धांतों पर कायम रहे। 1947 में भी उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए कि शेखपुरा, लायलपुर, पाकिस्तानी पंजाब के हिस्से से हिंदुओं को सुरक्षित निकाला जाए, अपने जीवन को जोखिम में डाला। जनसंघ के स्थापना काल से ही वह विभिन्न जनांदोलन में भाग लेते रहे, जिससे उन्हें अपार लोकप्रियता हासिल हुई। श्रमदान देते हुए उन्होंने हरिद्वार के भगवानपुर गांव में एक सिंचाई नहर का निर्माण करवाया, जिसका उद्घाटन बाद में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने किया।

1953 के ‘कश्मीर बचाओ आंदोलन’ में भाग लेने के कारण शास्त्री जी को गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें तीन महीने बिजनौर, उत्तर प्रदेश और दिल्ली की जेलों में बिताने पड़े। 1951 और 1977 के बीच शास्त्री जी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के संगठन मंत्री के रूप में भी कार्य किया। 1977 में आपातकाल के बाद वे देहरादून से विधान सभा के सदस्य के रूप में चुने गए। साथ ही, उन्हें उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी का उपाध्यक्ष और उत्तरांचल प्रदेश संघर्ष समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। बाद में वे उत्तर प्रदेश विधान परिषद् के सदस्य भी बने, जबकि पहले जनसंघ और बाद में भारतीय जनता पार्टी के आजीवन सदस्य बने रहे। आम लोगों के मुद्दों को उठाने के साथ-साथ विभिन्न स्थानों पर अलग उत्तरांचल राज्य के अभियान का नेतृत्व करने के लिए उन्हें लगभग तीन साल तक जेल में भी रखा गया था। पंडित देवेंद्र शास्त्री जीवन भर सिद्धांत आधारित राजनीति, नि:स्वार्थ सेवा और राष्ट्रवाद के लिए जाने जाते रहे।