भारतीय पोषण कृषि कोष का शुभारंभ

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                           2013 से मातृ मृत्यु दर में 26.9 प्रतिशत की कमी

केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास तथा कपड़ा मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी ने 18 नवंबर को नई दिल्ली में बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के सह अध्यक्ष बिल गेट्स के साथ मिलकर भारतीय पोषण कृषि कोष (बीपीकेके) का शुभारंभ किया। यह कोष बेहतर पोषण परिणामों के लिए भारत में 128 कृषि-जलवायु क्षेत्रों में विविध प्रकार की फसलों का भंडार होगा।

श्रीमति ईरानी ने इस अवसर पर कहा कि यह अपने आप में एक अनोखा अवसर है जब देश को पोषण के मामले में सशक्त बनाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी, किसानों और नागरिक समाज के सदस्यों के साथ एक मंच पर आयी है।

उन्होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सतत जारी रहने वाली हरित क्रांति के उस संदेश के अनुरूप है जिसके जरिए देश के नागरिकों के पोषक आहार की जरुरतों तथा देश में फसल उगाए जाने के तरीकों और कृषि उत्पादन के बीच सामंजस्य लाया जा सके।

केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार ने जल शक्ति के नाम से एक अलग मंत्रालय बनाया है, जो अब देश के हर घर को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने पर काम कर रहा है। उन्होंने बताया कि इस साल सितंबर में पोषण माह मनाया गया था और एक महीने में देश भर में 36 मिलियन पोषण संबंधित गतिविधियां आयोजित की गई थीं।

उन्होंने कहा कि मजदूरी के नुकसान की भरपाई करके प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना का लाभ 10 मिलियन लाभार्थियों तक पहुंचाया गया जिससे 2013 से मातृ मृत्यु दर में 26.9 प्रतिशत की कमी आई।
श्रीमती ईरानी ने कहा कि वह उन 1.3 मिलियन आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और राज्यों की ऐसी ऐजेंसियों को धन्यवाद देना चाहती हैं जो पौष्टिक लक्ष्यों को जीवंत बनाए रखने में मदद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन आंगनवाड़ी सहायकों और राज्य की एजेंसियों ने 85 मिलियन लाभार्थियों तक पहुंच बनाई है और उन्हें डैशबोर्ड पर दैनिक अपडेट के माध्यम से सरकार से जोड़ा है।

उन्होंने कहा कि भारत को सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) हासिल करने के लिए अब संचार के वैज्ञानिक तरीकों को कार्यान्वयन विज्ञान के साथ जोड़ना होगा, ताकि स्वच्छता और स्वच्छ पेयजल के साथ ही पोषण भी राजनीतिक और प्रशासनिक एजेंडे में शामिल हो सके।

बिल गेट्स ने कहा कि भारत में अगर कोई ऐसी समस्या है जिसका निराकरण बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन करना चाहेगा तो वह महिलाओं, गर्भवती महिलाओं और बच्चों में कुपोषण की समस्या है। उन्होंने कहा कि इस समस्या का निराकरण देश के विकास में अभूतपूर्व बदलाव लाएगा और उसे सतत विकाल लक्ष्यों को हासिल करने में मदद करेगा।

उन्होंने बताया कि फाउंडेशन को देश में कुपोषण की चुनौती से निबटने के लिए एक सतत पोषण कार्यक्रम बनाने में भारत सरकार, डब्ल्यूसीडी और अन्य मंत्रालयों के साथ मिलकर काम करने में खुशी होगी।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जाने माने कृषि वैज्ञानिक डॉ. एम एस स्वामिनाथन ने कहा कि भारत को पोषण के मामले में सुरक्षित बनाने के लिए पांच सूत्री कार्य योजना लागू करनी होगी जिसमें :

– महिलाओं, गर्भवती महिलाओं तथा बच्चों के लिए कैलरी से भरपूर आहार सुनिश्चित करना,

महिलाओं और बच्चों में भुखमरी खत्म करने के लिए भोजन में समुचित मात्रा में दालों के रूप में प्रोटीन का शामिल किया जाना सुनिश्चित करना

विटामिन ए, विटामिन बी, आयरन तथा जिंक जैसे माइक्रो न्यूट्रीएंट की कमी की वजह से होने वाली भूख को खत्म करना

स्वच्छ पीने के पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करना

100 दिन से कम आयु के बच्चों वाले गांवों में महिलाओं को पोषण के बारे में जागरुक बनाना शामिल हो।

डाॅ. स्वामिनाथन ने कहा कि बच्चों में पोषक तत्वों की कमी न केवल उनके शारीरिक विकास को अवरुद्ध करती है, बल्कि उसके मानसिक विकास को भी प्रभावित करती है। उन्होंने भुखमरी से निबटने के लिए मंत्रालय से सामुदायिक स्तर पर ऐसे लोगों का समूह बनाने का आग्रह किया, जिन्हें इस पांच सूत्रीय कार्यक्रम का पालन करते हुए महिलाओं, गर्भवती महिलाओं और बच्चों के बीच भुखमरी की समस्या से निबटने के लिए भलिभांति प्रशिक्षित किया जा सके।

इस कार्यक्रम में महिला और बाल विकास राज्य मंत्री देबाश्री चौधरी के साथ कृषि, मानव संसाधन विकास, नीति आयोग, प्रधानमंत्री कार्यालय, यूनीसेफ और विश्व बैंक के कई वरिष्ठ अधिकारी और नागरिक समाज के सदस्य मौजूद थे।