प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत अब तक 23.2 लाख करोड़ रुपये के ऋण किए गए स्वीकृत

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इस योजना के तहत लगभग 68% खाते महिला उद्यमियों के हैं और
51% खाते एससी/एसटी और ओबीसी श्रेणियों के उद्यमियों के हैं

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की सफल 8वीं वर्षगांठ के अवसर पर केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आठ अप्रैल को कहा कि इस योजना के शुभारंभ से लेकर 24 मार्च, 2023 तक 40.82 करोड़ ऋण खातों में लगभग 23.2 लाख करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए। इस योजना के तहत लगभग 68% खाते महिला उद्यमियों के हैं और 51% खाते एससी/एसटी और ओबीसी श्रेणियों के उद्यमियों के हैं। यह दर्शाता है कि देश के नवोदित उद्यमियों को आसानी से ऋण की उपलब्धता से नवाचार और प्रति व्यक्ति आय में सतत वृद्धि हुई है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने मुद्रा योजना के 8 वर्ष पूरे होने पर इसकी सराहना की। मायगवइंडिया के ट्वीट की एक शृंखला के जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मुद्रा योजना ने वित्त पोषण से वंचित लोगों का वित्त पोषण करने और असंख्य भारतीयों के लिए सम्मानित जीवन के साथ-साथ समृद्धि सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। श्री मोदी ने कहा कि मैं उन सभी लोगों के उद्यमशीलता भरे उत्साह को सलाम करता हूं, जो इससे लाभान्वित हुए और संपदा के सृजनकर्ता बने।

केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि एमएसएमई के विकास ने ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम में व्यापक योगदान दिया है, क्योंकि मजबूत घरेलू एमएसएमई की बदौलत घरेलू बाजारों के साथ-साथ निर्यात के लिए भी स्वदेश में उत्पादन काफी अधिक बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि पीएमएमवाई योजना से जमीनी स्तर पर बड़ी संख्या में रोजगार अवसर सृजित करने में मदद मिली है और यह भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के साथ-साथ गेम चेंजर भी साबित हुई है।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मुद्रा योजना का शुभारंभ 8 अप्रैल, 2015 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा आय सृजित करने वाली गतिविधियों के लिए गैर-कॉरपोरेट, गैर-कृषि लघु और सूक्ष्म उद्यमियों को 10 लाख रुपये तक के गिरवी-मुक्त सूक्ष्म ऋण आसानी से मुहैया कराने के उद्देश्य से किया गया था। ‘पीएमएमवाई’ के तहत ऋण दरअसल सदस्य ऋणदाता संस्थाओं (एमएलआई) यथा बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी), सूक्ष्म वित्त संस्थानों (एमएफआई) और अन्य वित्तीय मध्यस्थों द्वारा प्रदान किए जाते हैं।