महिला मोर्चा ने 75 स्थानों पर महिला स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धासुमन अर्पित किये

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स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर भारतीय जनता महिला मोर्चा द्वारा 75 चिन्हित स्थानों पर महिला स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धासुमन अर्पित किया गया।
इस अवसर पर भारतीय जनता महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्षा वन्नथि श्रीनिवासन ने तमिलनाडु के कड्डालूर की महान वीरांगना अंजलई अम्मल को श्रद्धांजलि अर्पित की।
तमिलनाडु से कई महिला स्वतंत्रता सेनानी हैं। कड्डालूर की अंजलई अम्मल अपनी तरह की अनूठी हैं।
अजलई अम्मल का जन्म 1890 में हुआ था और उन्होंने 5वीं कक्षा तक पढ़ाई की। जब गांधीजी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ असहयोग आंदोलन शुरू किया, तो अंजलई अम्मल उसमें कूद पड़ी। यह सार्वजनिक जीवन में उनका पहला कदम था।
अंजलई अम्मल ने भारत के 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के नरसंहार के लिए जिम्मेदार एक ब्रिटिश अधिकारी की प्रतिमा को हटाने के संघर्ष में सक्रिय रूप से भाग लिया और इसलिए अंजलई अम्मल को अपनी 9 वर्षीय बेटी अम्माकन्नू के साथ उस संघर्ष में भाग लेने के कारण जेल हुई।
अंजलई अम्मल भी 1932 में स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुईं और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। वेल्लोर जेल भेजे जाने पर वह गर्भवती थीं। गर्भावस्था के बावजदू जेल की जिंदगी का उनको कोई डर नहीं था। उन्हें अपनी बच्चे की डिलीवरी के लिए अंग्रेजों से एक महीने की पैरोल लेनी पड़ी। लेकिन अपने बेटे के जन्म के 2 सप्ताह के भीतर, अंजलई अम्मल अपने नवजात बच्चे के साथ वापस जेल में आ गईं। भारत के स्वतंत्रता संग्राम के संबंध में उनका दृढ़ संकल्प ऐसा था।
जब अंग्रेजों ने आम जनता को गांधी जी से मिलने से रोक दिया, तो अंजलई अम्मल बुर्का में उनसे मिलने गई। नतीजतन, गांधी जी ने उन्हें दक्षिण की झांसी की रानी कहा।
अंजलई अम्मल कड्डालूर की स्थानीय आबादी के बीच इतनी लोकप्रिय थीं कि वह भारत की स्वतंत्रता के बाद तीन बार विधान सभा के लिए चुनी गईं। अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों के लिए उनका सबसे बड़ा योगदान तीर्थपलयम की पेयजल समस्या को हल करना था।
समस्या को समाप्त करने के लिए अंजलई अम्मल नेवीरनम नहर से तीर्थमपलयम तक एक शाखा नहर बनाने की परियोजना पर काम किया। उस नहर को आज अंजलाई नहर कहा जाता है।