सिखों के सरोकार को समर्पित मोदी सरकार

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-तरुण चुग

दिनांक 26 मई, 2014 का दिन भारतीय राजनीति का वह ऐतिहासिक मोड़ है जिस दिन के बाद भारतीय समाज के हर धर्म, पंथ, सम्प्रदाय, वर्ग को यथोचित मान-सम्मान की स्थापना होनी शुरू हो गई। इस दिन श्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार सम्भाला। हालांकि, प्रधानमंत्री बनने से वर्षों पूर्व अपने विभिन्न दायित्वों का निर्वहन करते समय कई अवसरों पर उन्होंने अपनी ‘सर्वधर्म समभाव’ और ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की अवधारणा को सुस्पष्ट कर दिया था।

सिख धर्म के समस्त सिख भाइयों के साथ भी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने समुचित न्याय किया है। 26 मई, 2014 से अब तक सिखों के लिए उठाए गए उनके कदमों की फेहरिश्त काफी लम्बी है, जिससे सम्पूर्ण सिख समुदाय न केवल अति उत्साह और उमंग से सराबोर व प्रसन्नचित है, बल्कि प्रधानमंत्री जी की भूरि-भरि प्रशंसा करते नहीं थकता। अभी-अभी प्रधानमंत्री जी द्वारा गुरू गोविन्द सिंह जी के प्रकाश पर्व के शुभ अवसर पर सिखों के दसवें गुरु गुरू गोविंद सिंह जी के दोनों पुत्रों के सम्मान में उनके शहादत दिवस 26 दिसंबर को ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा से प्रफुल्लित, उत्साहित और गौरवान्वित महसूस कर रहा है। सिखों के आदर्श गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश दिवस को प्रधानमंत्री जी के इस घोषणा ने महान ऐतिहासिक दिन बना दिया है।

प्रधानमंत्री जी ने वीर बाल दिवस की घोषणा कर भारत ही नहीं विश्व के समस्त बालकों को प्रेरणास्पद संदेश देने का काम किया है, जो प्रलय पर्यंत, चाहे कोई भी देश हो, कोई भी समाज हो, समस्त मानव जाति के लिए पथ-प्रदर्शक का काम करेगा

अनेकता में एकता के दर्शन का भारत विभिन्न धर्मों, पंथों, सम्प्रदायों का देश है। सिख धर्म भी भारतीय समाज का एक अभिन्न अंग है। धर्म, विचारों, परम्परागत रीति-रिवाजों, सिद्धांतों, संस्कारों की एक मिश्रित पद्धति है जिसका अनुसरण करते हुए एक मानव जन्म से लेकर मृत्युपर्यन्त अपना जीवन व्यतीत करता है। अलग-अलग धर्मों में जीवन जीने यह पद्धति थोड़ी बहुत बदलाव के साथ हो सकती है, परन्तु किसी भी धर्म को अपनाने के लिए हर मानव पूर्णतया स्वतंत्र है। यह उसकी अपनी इच्छाशक्ति और आंतरिक रूझान पर निर्भर करता है कि वह किस धर्म का अनुसरण करना चाहता है।

गुरू नानकदेव जी ने एक ईश्वर, गुरू और गुरूद्वारे आधारित सिख धर्म की स्थापना की, जो उस समय के भारतीय समाज में व्याप्त कुप्रथाओं, अंधविश्वासों, जर्जर रूढ़ियों और पाखण्डों को दूर करते हुए प्रेम, सेवा, परिश्रम, परोपकार और भाई-चारे की दृढ़ नींव रखने का काम किया। गुरू नानकदेव जी से लेकर गुरू गोबिन्दसिंह जी तक सिख सम्प्रदाय में दस गुरू हुए। सभी ने गुरू नानकदेव जी की शिक्षाओं को प्रचारित-प्रसारित करने का काम किया। परंतु यह काम इतना आसान नहीं था। तत्कालीन मुगलिया सल्तनत के बढ़ते प्रसार ने, जिनका मुख्य ध्येय समस्त इलाके का इस्लामीकरण था, सिख गुरुओं और इनके अनुयायिओं पर भयानक अत्याचार किए। सिखों ने भी जमकर लोहा लिया। सिख सम्प्रदाय की विशेषता यह थी कि इसमें जात-पात, छोटा-बड़ा, ऊंच-नीच सब मिश्रित हो गया और वास्तव में एकीकृत समाज का उत्थान हुआ। यदि इसे पहला धर्म-सम्प्रदाय निरपेक्ष समाज कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। कई मायनों में यह एक सर्वोच्च धर्म के रूप में स्थापित हुआ।

परंतु इस्लाम के प्रचारक सुल्तानों के लिए सिखों की एकता उनकी आंखों की किरकिरी बन गई और वे सिख गुरुओं पर ही हमले करने लगे। उन्हें धर्म परिवर्तन को विवश करने लगे। परंतु गुरूनानक देव जी की शिक्षाओं का ही कमाल था कि धर्म गुरुओं सहित सिखों ने मार्मिक कत्लेआम के बावजूद अपना पंथ नहीं छोड़ा और प्राणों का बलिदान देकर एक आदर्श स्थापित किया। आज भी वे, उनका जज्बा और प्राणाहुति केवल सिख ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण भारतीय समाज के लिए प्रेरणादायी है।

प्रधानमंत्री जी द्वारा दसवें गुरू गुरू गोबिन्द सिंह जी के प्यारे पुत्रों के शहादत दिवस को ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा ने समस्त सिख समाज के मस्तक को गर्व से ऊंचा कर दिया है। गुरू जी के साहसी वीर मासूम बालकों ने लाख यातनाओं के बावजूद भी अपने धर्म की राह न छोड़ी और अपने दादा परदादाओं की तरह ही पूरी वीरता और साहस से हंसते-हंसते मौत को गले लगा लिया। पूरे विश्व के इतिहास में धर्म, सिद्धांत और विचारों की रक्षा के लिए मासूमों द्वारा किये गये बलिदान को कोई उदाहरण अन्यत्र नहीं मिलता है।

भारत के अति संवेदनशील हृदय वाले प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की उदारता, संवेदनशीलता, प्रजा को सर्वोपरि मानने को भाव, यथोचित को समुचित सम्मान का ऐसा उदाहरण भारत की राजनीति में आज तक नहीं मिलता।

प्रधानमंत्री जी ने ‘वीर बाल दिवस’ की घोषणा कर भारत ही नहीं विश्व के समस्त बालकों को प्रेरणास्पद संदेश देने का काम किया है, जो प्रलय पर्यंत, चाहे कोई भी देश हो, कोई भी समाज हो, समस्त मानव जाति के लिए पथ-प्रदर्शक का काम करेगा।

यह पहला अवसर नहीं है कि प्रधानमंत्री जी ने सिख समाज के लिए ऐतिहासिक कदम उठाया है। 26 मई, 2014 से अब तक उन्होंने सिखों की भावनाओं के सम्मान, कष्टों से निवारण, सर्वांगीण विकास तथा उत्थान के लिए अनेक उल्लेखनीय कदम उठाए हैं।

 1984 में पंजाब सहित सम्पूर्ण भारत में निर्दोष सिखों के दर्दनाक सामूहिक कत्लेआम के दोषियों को आज तक सजा नहीं मिल पाई थी। प्रधानमंत्री जी ने सरकार बनते ही एसआईटी बनाकर जांच करवाई तथा दोषी कांग्रेस के दिग्गजों को जेल पहुंचाकर पीड़ित सिख परिवारों को इंसाफ दिलवाया तथा उनके आंसू पोंछे।
लगभग 35 वर्षों पश्चात् 1984 के दंगों के पीड़ित परिवारों को श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने अनुदान राशि देने का काम किया।
पिछले 73 वर्षों से भारत सहित विश्व के करोड़ों सिखों की लालसा सिखों के प्रथम गुरू नानकदेव साहब जी के स्वयं के हाथों से सिंचित पाकिस्तान के करतारपुर स्थित गुरूद्वारा करतार साहिब में पूजा-अर्चना करने की थी। प्रधानमंत्री जी ने करतारपुर काॅरिडोर खोलवाकर उनकी इच्छा पूरी की।
विश्व प्रसिद्ध अमृतसर स्थित सिखों का सबसे प्राचीन गुरूद्वारा श्री हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) को 1984 की घटना के बाद विदेशों से दान लेना प्रतिबंधित था। परंतु प्रधानमंत्री जी ने इस प्रतिबंध को हटाया, जिससे अब एफसीआरए द्वारा श्री हरमंदिर साहिब को सभी देशों से दान व सहयोग मिलना सुलभ हो गया है।
कांग्रेस की कुनीतियों और कुत्सित मानसिकता के कारण पिछले 35 सालों से आतंकवाद के दौर मंे बाहर गए सिखों की काली सूची बनाई गई थी। प्रधानमंत्री जी ने इस काली सूची को खत्म कर समाज से कटे इन लोगों को पुनः समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का किया।
धार्मिक स्थलों के नवीनीकरण के क्रम में प्रधानमंत्री जी की सरकार ने श्री हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) के आस-पास काॅरिडोर बनाने के लिए करोड़ों रुपए का अनुदान दिया।
जब श्री नरेन्द्र मोदी सभी दलों और घटक दलों द्वारा प्रधानमंत्री चुने गए तब पंजाब के वयोवृद्ध नेता सरदार प्रकाश सिंह बादल को सबके सामने चरण स्पर्श कर अपनी सादगी और सरलता का अनूठा उदाहरण पेश करते हुए समस्त सिख समाज को मान दिया।
प्रधानमंत्री जी द्वारा किसानों के विकास के लिए स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशें लागू कर किसानों को लागत से डेढ़ गुना मूल्य मिलने की घोषणा मुक्तसर पंजाब सरदार प्रकाश सिंह बादल के गांव से करना और 6000 रुपये प्रतिवर्ष के रूप में भारत की पहली सबसे बड़ी किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत किसानों को दिया जाना एक सराहनीय कदम है।
प्रधानमंत्री जी की ही पहल पर सिखों के प्रथम गुरू श्री गुरूनानकदेव जी के 550वें वर्ष के उपलक्ष्य में देश-विदेश में गुरूनानक देव का प्रकटोत्सव मनाया जाना समस्त सिख समाज की सर्वोत्कृष्ट प्रतिष्ठा स्थापना है।
प्रधानमंत्री जी की सरकार ने सिख धर्म में महत्वपूर्ण स्थान रखनेवाले एवं गुरू नानक साहब के साथ जुड़े सुलतानपुर लोधी को भव्य धार्मिक स्थल के रूप में विकसित करने के लिए करोड़ों की लागत से विकास कार्य करवाए गए।
सिखों के दसवें और अंतिम गुरू गोविंद सिंह जी 350वें प्रकाश वर्ष पर देश भर में प्रकाशोत्सव कार्यक्रम किया जाना, स्वयं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का उनके जन्म स्थल पटना साहिब गुरूद्वारे में मत्था टेकना और गुरू गोविन्द सिंह जी के सम्मान में उनके छवि का सिक्का और डाक टिकट जारी करना सिख समाज को सर्वप्रतिष्ठित करता है।
प्रधानमंत्री जी द्वारा श्री गुरू तेगबहादुर जी के 400वें प्रकाश पर्व पर प्रकाशोत्सव और वर्ष भर पूरे देश में विभिन्न कार्यक्रम मनाने का निर्णय सिख समाज को गौरवान्वित किया।
विश्वभर में खासतौर पर यूरोप और अमेरिका में लगभग 50 हजार सिख नौजवान लगभग 20-25 वर्षों से राजनैतिक संरक्षण लेकर बैठे थे। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने उनको दुबारा पासपोर्ट दिलवाने का महत्वपूर्ण कार्य किया।
पवित्र गुरू ग्रन्थ साहिब के स्वरूप को सम्मान के साथ अफगानिस्तान से भारत वापस लाने की सुनिश्चितता प्रधानमंत्री जी का अद्भुत कार्य है।
अफगानिस्तान में संकट की स्थिति में वहां से 457 अफगान सिखों को सुरक्षित भारत लाया जाना सिख समाज की हर हालत में हर जगह सुरक्षा की गारंटी निश्चित करता है।
गुरूद्वारों के पवित्र लंगर को कर के दायरे से बाहर रखा जाना सिख समाज के लिए महान सम्मान की बात है, जो प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने किया।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने श्री गुरू गोबिंद सिंह जी से जुड़े पवित्र स्थलों पर रेल सुविधाओं को 50 करोड़ रुपए की लागत से आधुनिक बनाया गया।
गुजरात के जामनगर में श्री गुरू गोबिंद सिंह जी की याद में 750 बिस्तरों का अस्पताल श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार द्वारा ही किया गया।
सिख संगत के लिए श्री हेमकुंड साहिब के खुले दर्शन हेतु रोप-वे बनाने की परियोजना को हरी झंडी श्री नरेन्द्र मोदी नीत सरकार ने किया।
पहली बार प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार की पहल पर अमृतसर में नेशनल इंस्टिट्यूट आॅफ इंटर-फेथ स्टडीज की स्थापना की गई।

इन सबके अलावा भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी नीत सरकार ने न जाने और कितने छोटे बड़े कार्य सिख समाज के उत्थान, विकास, सम्मान और प्रतिष्ठा के लिए किए हैं; गिनना और कहना मुश्किल है।
कुल मिलाकर हम यही कह सकते हैं कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की यह भारत सरकार सिखों के सरोकार को समर्पित सरकार है।

(लेखक भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री हैं)