देश में अब तक 75 हजार से अधिक स्टार्ट-अप्स

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हाल ही में भारत ने एक अहम पड़ाव हासिल किया। देश में अब तक 75 हजार से अधिक स्टार्ट-अप्स को मान्य किया गया है। उल्लेखनीय है कि उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) ने 75 हजार से अधिक स्टार्ट-अप्स को मान्यता प्रदान की है, जो आजादी के 75 वर्ष होने के क्रम में मील का पत्थर है।
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा तीन अगस्त को जारी एक बयान के अनुसार जहां 10 हजार स्टार्ट-अप्स को 808 दिनों में मान्यता मिली, वहीं अब 10 हजार स्टार्ट-अप्स की मान्यता 156 दिनों में ही कर दी गई। इस हिसाब से प्रतिदिन 80 से अधिक स्टार्ट-अप्स को मान्यता दी जा रही है– यह दर विश्व में सर्वाधिक है। इससे पता चलता है कि स्टार्ट-अप संस्कृति का भविष्य संभावनाओं से भरपूर और उत्साहवर्धक है।

कुल मान्यता प्राप्त स्टार्ट-अप्स में से लगभग
12 प्रतिशत आईटी सेवाओं की, नौ प्रतिशत
स्वास्थ्य-सुविधा और जीव विज्ञान की, सात
प्रतिशत शिक्षा की, पांच प्रतिशत व्यावसायिक
और वाणिज्यिक सेवाओं की और पांच प्रतिशत
कृषि की जरूरतों से सम्बंधित हैं

कुल मान्यता प्राप्त स्टार्ट-अप्स में से लगभग 12 प्रतिशत आईटी सेवाओं की, नौ प्रतिशत स्वास्थ्य-सुविधा और जीव विज्ञान की, सात प्रतिशत शिक्षा की, पांच प्रतिशत व्यावसायिक और वाणिज्यिक सेवाओं की और पांच प्रतिशत कृषि की जरूरतों से सम्बंधित हैं। भारतीय स्टार्ट-अप इको-सिस्टम ने 7.46 लाख रोजगार पैदा किये हैं और इसमें गत 6 वर्षों में सालाना 110 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वास्तव में कुल स्टार्ट-अप्स में से 49 प्रतिशत टीयर-2 और टीयर-3 शहरों से हैं, जो देश के युवाओं की जबरदस्त क्षमता का परिचायक है।
गौरतलब है कि 15 अगस्त, 2015 को लाल किले से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस वक्तव्य के दौरान एक नये भारत की परिकल्पना की थी, जो देशवासियों की उद्यमशील क्षमता को उजागर करेगा। इसके अगले वर्ष 16 जनवरी को, जिसे अब राष्ट्रीय स्टार्ट-अप दिवस के रूप में घोषित कर दिया गया है, उस दिन देश में स्टार्ट-अप और नवाचार को पोषित करने के लिये एक मजबूत इको-सिस्टम बनाने की कार्य-योजना शुरू की गई।