नरेन्द्र मोदी : एक कर्मयोगी की सच्ची भावना

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मोदी स्टोरी                                                                                    दिलीप त्रिवेदी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की मां हीराबेन मोदी का 100 वर्ष की आयु में 30 दिसंबर, 2022 को निधन हो गया। प्रधानमंत्री श्री मोदी जी गुजरात के गांधीनगर में अपनी मां के अंतिम संस्कार में शामिल हुए। अपनी मां के दाह संस्कार के कुछ घंटों बाद ही प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी अपने कर्तव्य मार्ग पर फिर से चल पड़े और सभी पूर्व निर्धारित बैठकों में भाग लिया।

लेकिन यह पहली बार नहीं है जब प्रधानमंत्री श्री मोदी ने व्यक्तिगत क्षति सहने के बाद भी अपने कर्तव्यों को पूर्ण किया है। इसी प्रकार जब 1989 में उनके पिता श्री दामोदरदास मोदी का निधन हुआ था, तब भी श्री नरेन्द्र मोदी ने अपने काम के प्रति ऐसी ही प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया था।

गुजरात के श्री दिलीप त्रिवेदी 1989 की घटना याद करते हुए बताते हैं कि अहमदाबाद में सांगठनिक बैठक होनी थी। उस बैठक में श्री नरेन्द्र मोदी को भी शामिल होना था। जैसे ही कार्यकर्ता कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे, उन्होंने श्री नरेन्द्र मोदी के बारे में पूछताछ की, जो तब तक कार्यक्रम स्थल पर नहीं पहुंचे थे। कुछ देर बाद किसी ने सूचना दी कि श्री नरेन्द्र मोदी के पिता का निधन हो गया है और वे अंतिम संस्कार के लिए वडनगर गए हैं।

सभी ने सोचा कि श्री मोदी बैठक में शामिल नहीं हो पाएंगे और इसलिए कार्यकर्ताओं ने उनके बिना बैठक शुरू करने का फैसला किया। सभी को आश्चर्यचकित करते हुए श्री नरेन्द्र मोदी दोपहर में बैठक स्थल पर पहुंचे और शेष सत्र में भाग लिया।

बैठक समाप्त होने के बाद हम उनके पास गए और घर में क्षति के बावजूद बैठक में उनकी उपस्थिति के बारे में पूछा। इस पर उन्होंने जवाब दिया कि अंतिम संस्कार में शामिल होने के बाद वह बैठक के लिए घर से निकले। श्री मोदी ने आगे कहा कि चूंकि यह एक महत्वपूर्ण बैठक थी और हमें अपने काम के साथ आगे बढ़ना है, इसलिए इस बैठक में भाग लेना आवश्यक था। श्री त्रिवेदी कहते हैं कि वहां उपस्थित सभी कार्यकर्ताओं के लिए यह एक महत्वपूर्ण सीख थी कि इतने बड़े व्यक्तिगत क्षति के बावजूद श्री नरेन्द्र मोदी अपने कर्तव्यों के प्रति प्रतिबद्ध थे। श्री त्रिवेदी आगे कहते हैं कि यह कर्मयोगी होने का सच्चा उदाहरण है!