भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने 2017-18 में 7,400 किलोमीटर के ठेके दिये

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वित्तीय वर्ष 2017-18 में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने 7,400 किलोमीटर के 1,22,000 करोड़ रुपये मूल्य की 150 सड़क परियोजनाओं के ठेके दिये। पिछले 5 वर्षों में एनएचएआई द्वारा प्रदान की गई सड़क परियोजनाओं की औसत लंबाई 2,860 किमी थी, जो पिछले वित्तीय वर्ष में 4,335 किमी थी। इसकी तुलना में, वित्त वर्ष 2017-18 में दी गई परियोजनाओं की लंबाई सबसे उच्च स्तर पर है और एनएचएआई द्वारा 1995 में इसकी स्थापना के बाद से एक रिकॉर्ड उपलब्धि है।

नवंबर 2017 में महत्वाकांक्षी भारतमाला कार्यक्रम की मंजूरी के बाद और नवंबर 2017 में स्वीकृति के लिए नई प्रक्रिया शुरू करने के बाद ही परियोजनाओं की निविदाएं और ठेके दिये जा रहे थे। नए प्रोटोकॉल के अन्तर्गत, एनएचएआई बोर्ड को ईपीसी परियोजनाओं को मंजूरी देने के लिए पूर्ण शक्तियां सौंपी गई। इससे एनएचएआई में उच्चस्तरीय परियोजनाओं की मूल्यांकन समिति और लागत समिति को उचित स्थान दिया गया था।

इस अभियान के दौरान, भारतमाला के बाद, लगभग 11,200 किलोमीटर सड़क की लंबाई की 1,96,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत की 232 परियोजनाओं की निविदाएं लगाई गई थीं। भूमि अधिग्रहण में तेजी लाने के लिए, कई सेवानिवृत्त अधिकारी कार्यरत थे और मजबूत निगरानी तंत्र को इस कार्य के लिए लगाया गया था, लेकिन कुछ राज्यों में भूमि अधिग्रहण में देरी के लिए दिये गये आंकड़े अभी भी अधिक हो सकते हैं। यह संभावना व्यक्त की जाती है कि लगभग 3,000 किलोमीटर की परियोजनाएं अगले वित्त वर्ष 2018-19 के पहले दो महीनों में दे दी जाएंगी। कुल प्रदान की गई परियोजनाओं में से, 43,000 करोड़ रुपये की लागत की 3,791 किलोमीटर लंबाई को ईपीसी मोड पर प्रदान किया गया था। 76,500 करोड़ रुपये की लागत की 3,396 किलोमीटर लम्बाई को हाइब्रिड एन्युइटी मोड पर प्रदान किया गया था और 2,500 करोड़ रुपये की लागत पर 209 किमी को टोल मोड पर प्रदान किया गया था।

दी गई परियोजनाओं में, राजस्थान में 1,234, महाराष्ट्र में 739 किमी, ओडिशा में 747 किमी, उत्तर प्रदेश में 725 किमी, तमिलनाडु में 511 किमी, आंध्र प्रदेश में 504 किमी, कर्नाटक में 468 किमी, गुजरात में 449 किमी, मध्य प्रदेश में 389 किमी, हरियाणा में 331 किमी, बिहार में 232 किमी, झारखंड में 201 किमी, तेलंगाना में 189 किमी, पश्चिम बंगाल में 126 किमी, पंजाब में 120 किमी, जम्मू-कश्मीर में 100 किमी, और शेष अन्य राज्यों में। प्रदान किये गये कार्यों में उपरोक्त उछाल के साथ एनएचएआई ने अक्टूबर, 2017 में सरकार द्वारा अनुमोदित “महत्वाकांक्षी” भारतमाला परियोजनाओं के लिए एक अच्छी शुरुआत की है, जिसे 5 वर्ष (2017-18 से 2021-22) के बहुत ही कठोर लक्ष्य के साथ लागू किया जाना है।

ऊर्जा क्षेत्र और अन्य औद्योगिक उपभोक्ताओं के लिये 344.5 कोयला रेकों की रिकार्ड ढुलाई

कोल इंडिया लिमिटेड ने 28.03.2018 को एक दिन में 2 मि. टन कोयले की ढुलाई का रिकॉर्ड दर्ज किया है, जिसमें रेलवे की मदद से सीआईएल के अपने क्षेत्रों से 289.5 रेकों का रिकॉर्ड परिवहन भी शामिल है। निजी कोयला धुलाई केंद्रों और माल भाड़ा गोदामों की आपूर्ति को मिलाकर रेलवे ने 28.03.2018 को 344.05 कोल रेकों की ढुलाई की। कोयला और रेल मंत्रालय के बीच सामंजस्य ने 342 रेकों की प्रति दिन ढुलाई के स्थापित मानक से बेहतर प्रदर्शन भी संभव हुआ, जो कोयले के संकट का सामना कर रहे ऊर्जा क्षेत्र और अन्य औद्योगिक उपभोक्ताओं को राहत देने के लिये निर्धारित किया गया था।

प्रतिदिन 230 रेक भेजने के लक्ष्य के विपरीत इसी दिन एक दिन में बिजली घरों को 252 रेक भेजने का एक नया रिकार्ड भी बनाया गया। मौजूदा वर्ष में अथक प्रयासों के जरिये रेल के जरिये ऊर्जा क्षेत्र को ढुलाई में 7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी है। पिछले 10 दिनों में बिजली घरों को औसत ढुलाई प्रतिदिन के लक्ष्य 1.4 मि. टन ढुलाई से ज्यादा ढुलाई हुई। इसके परिणामस्वरूप बिजली घरों में औसत भण्डार जो कि अक्टूबर 2017 में 7 मि. टन तक गिर गया था, वह कोयले की खपत में तेज वृद्धि के बावजूद बढ़कर 16 मि. टन पहुंच गया है।