राष्ट्रीय शिक्षा नीति, करोड़ों युवाओं की आशाओं और आकांक्षाओं को साकार करने का एक साधन : धर्मेंद्र प्रधान

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जुलाई को मैंने शिक्षा मंत्रालय का कार्यभार संभाला। यह चुनौतीपूर्ण और रोमांचक है। यह अनुभूति केवल इस मंत्रालय के शानदार इतिहास को देखते हुए ही नहीं, अपितु यहां चल रहे राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी), 2020 के कार्यान्वयन के कारण भी है। यह नीति 34 वर्ष की प्रतीक्षा के बाद आई, जो 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं कि एनईपी, 2020 एक ऐसा दस्तावेज है, जिसका देश के शैक्षणिक परिदृश्य पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा। इससे आंतरिक बदलाव होगा और संसाधनों को बढ़ावा मिलेगा, जिससे भारत के भविष्य को नई दिशा मिलेगी और विश्व में उसकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी। आप चाहें तो कह सकते हैं कि गुणवत्ता, समानता, पहुंच और सामर्थ्य के सिद्धांतों पर तैयार की गई यह नीति हमारी सरकार के लिए एक मार्गदर्शक फलसफा है, एक मूल पाठ है, जो करोड़ों युवाओं की आशाओं और आकांक्षाओं को साकार करने का एक साधन है।

एनईपी 2020 की पहली विशेषता यह है कि इस नीतिगत उपाय के माध्यम से समावेशी शिक्षा पर विशेष जोर देकर हम प्री स्कूल से ही एक बच्चे के लिए अधिक सक्षम परिवेश सुनिश्चित करते हैं। एनईपी में सीखने की प्रक्रिया को रोचक बनाकर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से जोड़ा गया है। नई 5334 स्कूली शिक्षा प्रणाली के जरिये एक बच्चे को औपचारिक स्कूलों के लिए तैयार किया जाना है। अब तक प्ले स्कूल का विचार मुख्य रूप से शहरों के मध्यम या उच्च वर्ग तक ही सीमित था, क्योंकि वे निजी स्कूलों का खर्च वहन कर सकते थे।

दूसरी विशेषता पहली से ही जुड़ी हुई है कि कौशल और स्कूली शिक्षा (अकादमिक), पाठ्यक्रम संबंधी और पाठ्यक्रम के अलावा मानविकी और विज्ञान के बीच के वर्गीकरण को तोड़कर बहु-विषयकता, वैचारिक समझ और आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा दिया गया है। इसमें रचनात्मक संयोजन करने की पूरी संभावना है। उदाहरण के लिए पेंटिंग के साथ गणित विषय का संयोजन।

एक छात्र के जीवन में आने वाले कई प्रकार के तनाव से निपटने के लिए शैक्षणिक सत्र की समाप्ति पर मार्कशीट के बजाय एक समग्र प्रोग्रेस कार्ड दिया जाएगा। उसमें योग्यता के साथ बच्चे के कौशल, दक्षता, पात्रता और अन्य प्रतिभाओं का आकलन किया जाएगा। हाईस्कूल के प्रत्येक बच्चे को व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त करनी होगी। यह छठी कक्षा से शुरू होगी और इसमें इंटर्नशिप शामिल होगी। स्नातक और स्नातकोत्तर छात्र के लिए कभी भी पाठ्यक्रम को छोड़ने के लिए उपयुक्त प्रमाणन के साथ पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने और छोड़ने के कई विकल्प होंगे।

स्कूली शिक्षा के लिए एक डिजिटल बुनियादी ढांचा तैयार किया गया है, जो स्वतंत्र रूप से काम करेगा, लेकिन यह सिद्धांतों, मानकों और दिशानिर्देशों की व्यवस्था-नेशनल डिजिटल एजुकेशन आर्किटेक्चर यानी एनडीईएआर के माध्यम से आपस में जुड़ा होगा। इससे संपूर्ण डिजिटल शिक्षा इकोसिस्टम सक्रिय होगा और यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा परिकल्पना किए गए इस क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण सुधारों के लिए आवश्यक है।

एनडीईएआर समग्र शिक्षा स्कीम 2.0 में भी सहायता करेगी, जिसे अगले पांच वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया है। इसके लिए इस माह की शुरुआत में 2.94 लाख करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय की घोषणा की गई थी। यह एक व्यापक कार्यक्रम है, जो सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों के प्री-स्कूल से लेकर 12वीं कक्षा तक के 11.6 लाख स्कूलों, 15.6 करोड़ से अधिक छात्रों और 57 लाख शिक्षकों के लिए है। सभी बाल केंद्रित वित्तीय सहायता डीबीटी के जरिये सीधे छात्रों को प्रदान की जाएगी।

उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिए एक एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (एबीसी) होगा, जो विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों (एचईआई) से अजिर्त सभी शैक्षणिक क्रेडिट के डिजिटल स्टोरेज की सुविधा प्रदान करेगा, ताकि इन्हें अंतिम डिग्री में शामिल किया जा सके। इसमें व्यावसायिक और शैक्षणिक प्रशिक्षण शामिल हैं। विशेष रूप से यह छात्रों के किसी विदेशी संस्थान में एक सेमेस्टर पूरा करने के लिए एनईपी के तहत परिकल्पित विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ जुड़ने की व्यवस्था में सहायक होगा। विधिक और चिकित्सा संस्थानों को छोड़कर पूरे देश में उच्च शिक्षा संस्थानों का एक ही नियामक होगा, जिसे भारतीय उच्च शिक्षा परिषद् (एचईसीआइ) कहा जाता है। यह ‘हल्का लेकिन सख्त’ नियामक ढांचा सुनिश्चित करेगा।

एनईपी मूक-बधिर छात्रों के लिए राष्ट्रीय और राज्य पाठ्यक्रम की सामग्री को भारतीय सांकेतिक भाषा (आइएसएल) में तैयार करने के मानकीकरण सहित शिक्षा के माध्यम के रूप में मातृभाषा/स्थानीय भाषा या क्षेत्रीय भाषा के लिए तीन भाषा नीति की भाषाई दक्षता के माध्यम से ज्ञान अर्थव्यवस्था तैयार करती है। यूनेस्को ने आइएसएल आधारित सामग्री पर विशेष ध्यान देते हुए प्रौद्योगिकी-सक्षम समावेशी शिक्षण सामग्री के माध्यम से दिव्यांग व्यक्तियों की शिक्षा को सक्षम बनाने के लिए किंग सेजोंग साक्षरता पुरस्कार 2021 से सम्मानित किया है। इन सभी पहलों को एक साथ जोड़ने के लिए लैंगिक समावेशन कोष की स्थापना, वंचित क्षेत्रों और समूहों के लिए विशेष शिक्षा जोन के लिए सामाजिक और आíिर्थक रूप से वंचित समूहों पर विशेष जोर दिया जाएगा और राज्यों को बाल भवन या डे बोर्डिग यानी दिन के लिए बोर्डिग स्कूल स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

प्रधानमंत्री मोदी का मानना है कि एनईपी 2020 विद्यार्थियों की उच्चतम क्षमता और कौशल को बढ़ाएगी। यह नीति विश्व स्तर की शिक्षा प्रणालियों के इतिहास में सबसे अधिक परामर्श प्रक्रियाओं के बाद लाई गई है और भारत को ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के शीर्ष पर पहुंचाने में हमारे नेतृत्व के संकल्प और दृष्टिकोण को दर्शाती है। जैसा कि हम अमृत महोत्सव या भारत की स्वतंत्रता के 75वां वर्ष मना रहे हैं, वैसे ही यह नई नीति आज के 5 से 15 वर्ष तक की आयु के उन बच्चों को तैयार करेगी, जो भारत की स्वतंत्रता के सौ वर्ष पूरे होने के अवसर पर 30 से 40 वर्ष आयु के होंगे। मेरा सौभाग्य है कि मुझे ऐसा कार्यबल तैयार करने की इस प्रक्रिया में शामिल होने का एक अवसर दिया गया है, जो वैज्ञानिक विचार, आलोचनात्मक सोच और मानवतावाद पर आधारित एक वैश्विक समुदाय का प्रणोता होगा।

             (लेखक भारत सरकार में केंद्रीय शिक्षा मंत्री हैं)