वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएं फिर से व्यवस्थित हो रही हैं। भारत अपने कच्चे माल, निम्न श्रम लागतों, बढ़ती विनिर्माण जानकारी और उद्यमशील क्षमता को देखते हुए एक वैकल्पिक आपूर्ति स्रोत के रूप् में उभर रहा है। केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस तथा आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने आज एक कार्यक्रम के दौरान यह जानकारी दी। वह पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) के 118वें सालाना सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
भारत की विनिर्माण आकांक्षाओं की चर्चा करते हुए श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि विनिर्माण क्षेत्र का देश के जीडीपी में 17 प्रतिशत योगदान है और इसमें 27.3 मिलियन से अधिक श्रमिक शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष विश्व इकोनोमिक फोरम में ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड‘ के लिए प्रधानमंत्री की अपील एक संकेत था कि भारत 2025 तक सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण का हिस्सा 17 प्रतिशत से बढ़ा कर 25 प्रतिशत करने के लिए तैयार और इच्छुक है।
श्री पुरी ने कहा कि जीएसटी, आईबीसी, ऐसेट मोनेटाइजेशन, श्रम कानून सुधार, पीएलआई, राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन और मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी के लिए पीएम गति शक्ति मिशन जैसे आर्थिक सुधारों और नीतियों ने कई संरचनागत कमियों को दूर कर दिया है।
भारत के मजबूत औद्योगिक आधार का उल्लेख करते हुए केंद्रीय मंत्री ने रेखांकित किया कि भारत इस्पात का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक, सीमेंट का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और कोयले का भी विश्व का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। बुनियादी ढांचे की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि देश के पास सभी प्रकार के भवनों का दूसरा सबसे बड़ा निर्मित्त इकोसिस्टम, चौथा सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क और दूसरा सबसे बड़ा सड़क नेटवर्क है। ऑटोमोबाइल उद्योग की चर्चा करते हुए श्री पुरी ने कहा कि भारत दुपहिया वाहनों का सबसे बड़ा उत्पादक और चार पहिया वाहनों का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई स्कीम) ने 14 कार्यनीतिक क्षेत्रों में विनिर्माण में क्रांति ला दी है। उन्होंने बताया कि पीएलआई योजनाओं के कारण विनिर्माण क्षेत्र में एफडीआई में 76 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि पीएलआई योजनाओं से अगले पांच वर्षों में 60 लाख अतिरिक्त रोजगारों का सृजन होने की उम्मीद है।
पीएलआई के परिवर्तनकारी प्रभाव की चर्चा करते हुए, श्री पुरी ने कहा कि तीन वर्षों की अवधि के भीतर मोबाइल विनिर्माण में 20 प्रतिशत का मूल्य वर्धन हुआ है और स्मार्टफोन के निर्यात में 139 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
कार्यक्रम के दौरान, श्री पुरी ने हाल के वर्षों में ऊर्जा सेक्टर में देखे गए बदलाव की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारत पारंपरिक ईंधन अन्वेषण और ऊर्जा रूपांतरण दोनों को एक साथ बढ़ा रहा है।
श्री पुरी ने कहा कि भारत का लक्ष्य 2025 तक अन्वेषण के तहत आपने शुद्ध भौगोलिक क्षेत्र को 8 प्रतिशत (0.25 मिलियन वर्ग किमी) से बढ़ा कर 15 प्रतिशत (0.5 मिलियन वर्ग किमी) करने का है।
उन्होंने कहा कि भारत पेट्रोलियम उत्पादों का एक वैश्विक निर्यातक है और उसके पास वैश्विक स्तर पर चौथी सबसे बड़ी रिफाइनिंग क्षमता है।
जैव ईंधन क्रांति में अर्जित की गई उल्लेखनीय उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए, उन्होंने कहा कि इथेनॉल मिश्रण 2013-14 के 1.53 प्रतिशत से बढ़कर 2023 में 11 प्रतिशत तक पहुंच गया है।
उन्होंने कहा कि भारत ने एक हरित हाइड्रोजन इकोसिस्टम का निर्माण करने के लिए 19,744 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन की भी शुरुआत की है।
हरित ऊर्जा रूपांतरण की दिशा में भारत की यात्रा की चर्चा करते हुए श्री पुरी ने कहा कि भारत पीएलआई के माध्यम से इलेक्ट्रिक वाहनों की सहायता कर रहा है और मई 2024 तक 22,000 रिटेल आउटलेटों पर वैकल्पिक ईंधन केंद्रों की स्थापना कर दी जाएगी।