पानीपत में 2जी इथेनॉल संयंत्र के उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री का संबोधन

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नमस्‍कार जी,

हरियाणा के राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय जी, केंद्रीय मंत्री परिषद के मेरे सहयोगी नरेंद्र सिंह तोमर जी, हरदीप सिंह पुरी जी, रामेश्वर तेली जी, सांसदगण, विधायकगण, पानीपत में बड़ी संख्या में उपस्थित मेरे प्‍यारे किसान भाई और बहन, इस कार्यक्रम से जुड़े अन्य सभी महानुभाव, देवियों और सज्जनों, आप सभी को विश्व बायोफ्यूल दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं !

आज का कार्यक्रम पानीपत, हरियाणा समेत पूरे देश के किसानों के लिए बहुत अहम है। ये जो पानीपत में आधुनिक इथेनॉल का प्लांट लगा है, जैविक ईंधन प्लांट बना है, वो तो एक शुरुआत मात्र है। इस प्लांट की वजह से दिल्ली-एनसीआर और पूरे हरियाणा में प्रदूषण कम करने में भी मदद मिलेगी। मैं हरियाणा के लोगों को विशेष रूप से किसान बहनों-भाइयों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। वैसे आज हरियाणा डबल बधाई का हकदार भी है। कॉमनवेल्थ गेम्स में हरियाणा के बेटे-बेटियों ने बहुत शानदार प्रदर्शन करके देश का माथा ऊंचा किया है, देश को बहुत सारे मेडल दिलाए हैं। खेल के मैदान में जो ऊर्जा हरियाणा के खिलाड़ी दिखाते हैं, वैसे ही अब हरियाणा के खेत भी, ऊर्जा पैदा करके दिखाएंगे।

साथियों,

प्रकृति की पूजा करने वाले हमारे देश में बायोफ्यूल या जैविक ईंधन, प्रकृति की रक्षा का ही एक पर्याय है। हमारे किसान भाई-बहन तो इसे और अच्छी तरह समझते हैं। हमारे लिए जैव ईंधन यानि हरियाली लाने वाला ईंधन, पर्यावरण बचाने वाला ईंधन। आप किसान भाई-बहन तो सदियों से इतने जागरूक हैं कि बीज बोने से लेकर फसल उगाने और फिर उसे बाजार में पहुंचाने तक किसी भी चीज को बर्बाद नहीं होने देते। किसान अपने खेत से उगने वाली हर चीज, उसका बखूबी इस्तेमाल करना जानते हैं। जिस खेत में लोगों के लिए अन्न उगता है, उसी से पशुओं के लिए चारा भी आता है। फसल कटाई के बाद खेत में जो पराली बच जाती है, उसका भी हमारे अधिकतर किसान सही उपयोग करना जानते हैं। पराली का इस्तेमाल पशुओं के चारे के लिए होता है, बहुत से गांवों में, मिट्टी के बर्तन पकाने के लिए भी पराली उपयोग में लाई जाती है। लेकिन ये भी सच है कि हरियाणा जैसे क्षेत्रों में जहां धान औऱ गेहूं की पैदावार ज्यादा होती है, वहां पराली का पूरा इस्तेमाल नहीं हो पाता था। अब यहां के किसानों को पराली के उपयोग का एक और साधन मिल रहा है। और ये साधन है  – आधुनिक इथेनॉल प्लांट, जैविक ईंधन प्लांट। पानीपत के जैविक ईंधन प्लांट से पराली का बिना जलाए भी निपटारा हो पाएगा। और इसके एक नहीं, दो नहीं बल्कि कई सारे फायदे एक साथ होने वाले हैं। पहला फायदा तो ये होगा कि पराली जलाने से धरती मां को जो पीड़ा होती थी, जो आग में धरती मां झुलसती थी, उस पीड़ा से धरती मां को मुक्ति मिलेगी। धरती मां को भी अच्छा लगेगा कि पराली का अब सही जगह इस्तेमाल हो रहा है। दूसरा फायदा ये होगा कि पराली काटने से लेकर उसके निस्तारण के लिए जो नई व्यवस्था बन रही है, नई मशीनें आ रही हैं, ट्रांसपोर्टेशन के लिए नई सुविधा बन रही है, जो ये नए जैविक ईंधन प्लांट लग रहे हैं, इन सबसे गांवों में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। ग्रीन जॉब का क्षेत्र मजबूत होगा। तीसरा फायदा होगा कि जो पराली किसानों के लिए बोझ थी, परेशानी का कारण थी, वही उनके लिए, अतिरिक्त आय का माध्यम बनेगी। चौथा फायदा ये होगा कि प्रदूषण कम होगा, पर्यावरण की रक्षा में किसानों का योगदान और बढ़ेगा। और पांचवा लाभ ये होगा कि देश को एक वैकल्पिक ईंधन भी मिलेगा। यानि पहले जो पराली नुकसान का कारण बनती थी, उसी से ये पांच अमृत निकलेंगे। मुझे खुशी है कि देश के अलग-अलग हिस्सों में ऐसे कई जैविक ईंधन प्लांट्स लगाने का काम किया जा रहा है।

साथियों,

जिन लोगों में राजनीतिक स्वार्थ के लिए शॉर्ट-कट अपनाकर, समस्याओं को टाल देने की प्रवृत्ति होती है, वो कभी समस्याओं का स्थाई समाधान नहीं कर सकते। शॉर्ट-कट अपनाने वालों को कुछ समय के लिए वाहवाही भले मिल जाए, राजनीतिक फायदा भले हो जाए, लेकिन समस्या कम नहीं होती। इसलिए ही मैं कहता हूं कि शॉर्ट-कट अपनाने से शॉर्ट-सर्किट अवश्य होता है। शॉर्ट-कट पर चलने के बजाय हमारी सरकार समस्याओं के स्थाई समाधान में जुटी है। पराली की दिक्कतों के बारे में भी बरसों से कितना कुछ कहा गया। लेकिन शॉर्टकट वाले इसका समाधान नहीं दे पाए। हम किसानों की पराली से जुड़ी समस्याओं को समझते हैं, इसलिए उन्हें इससे छुटकारा पाने के आसान विकल्प भी दे रहे हैं।

हमने जो किसान उत्पाद संघ हैं, FPO’s हैं, उन्हें पराली के निस्तारण के लिए आर्थिक मदद दी। इससे जुड़ी आधुनिक मशीनों की खरीद के लिए 80 प्रतिशत तक की सब्सिडी भी दी। अब पानीपत में लगा ये जैविक ईंधन प्लांट भी पराली की समस्या के स्थाई समाधान में मदद करने वाला है।इस आधुनिक प्लांट में धान और गेहूं के भूसे के साथ ही मक्के का बचा हुआ हिस्सा, गन्ने की खोई, सड़ा-गला अनाज, इन सभी का इस्तेमाल इथेनॉल बनाने में किया जाएगा। यानि किसानों की बहुत बड़ी चिंता समाप्त होगी। हमारे अन्नदाता जो मजबूरी में पराली जलाते थे, जिन्हें इस वजह से बदनाम कर दिया गया था, उन्हें भी अब गर्व होगा कि वो इथेनॉल या जैविक ईंधन के उत्पादन में भी मदद कर रहे हैं, राष्ट्र निर्माण में मदद कर रहे हैं। गाय-भैंसों से जो गोबर होता है, खेतों से जो कचरा निकलता है, उसके निपटारे के लिए सरकार ने और एक योजना चलाई है, गोबरधन योजना भी शुरू की है। गोबरधन योजना भी किसानों की आय बढ़ाने का एक और माध्यम बन रही है।

साथियों,

आज़ादी के इतने दशकों तक हम फर्टिलाइज़र हो, केमिकल हो, खाने का तेल हो, कच्चा तेल हो, गैस हो, इनके लिए विदेशों पर बहुत अधिक निर्भर रहे हैं। इसलिए जैसे ही वैश्विक परिस्थितियों की वजह से सप्लाई चेन में अवरोध आता है, भारत भी दिक्‍कतों से बच नहीं सकता। बीते 8 वर्षों से देश इन चुनौतियों के स्थाई समाधान पर भी काम कर रहा है। देश में नए फर्टिलाइजर प्लांट लग रहे हैं, नैनो फर्टिलाइजर का उत्पादन हो रहा है, खाद्य तेल के लिए नए-नए मिशन भी शुरू हुए हैं। आने वाले समय में ये सभी देश को समस्याओं के स्थाई समाधान की तरफ ले जाएंगे।

साथियों,

आजादी के अमृतकाल में देश आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को साकार करने की तरफ तेजी से बढ़ रहा है। हमारे गांव और हमारे किसान आत्मनिर्भरता के सबसे बड़े उदाहरण हैं। किसान अपनी जरूरत की चीजें काफी हद तक अपने गांव में ही जुटा लेते हैं। गांव की सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था ऐसी होती है कि जब एक-दूसरे की जरूरतों को पूरा भी करने के लिए सब साथ आ जाते हैं। यही वजह है कि गांव के लोगों में बचत की प्रवृत्ति भी बहुत मजबूत होती है। उनकी ये प्रवृत्ति देश के पैसे भी बचा रही है। पेट्रोल में इथेनॉल मिलाने से बीते 7-8 साल में देश के करीब-करीब 50 हजार करोड़ बाहर विदेश जाने से बचे हैं। और करीब-करीब इतने ही हजार करोड़ रुपए इथेनॉल ब्लेडिंग की वजह से हमारे देश के किसानों के पास गए हैं। यानि जो पैसे विदेश जाते थे, वो एक तरह से हमारे किसानों को मिले हैं।

साथियों,

21वीं सदी के नए भारत में एक और बहुत बड़ा परिवर्तन हुआ है। आज देश बड़े संकल्प ले रहा है और उन्हें सिद्ध भी करके दिखा रहा है। कुछ साल पहले देश ने तय किया था कि पेट्रोल में 10 प्रतिशत तक इथेनॉल मिलाने का लक्ष्य पूरा करेंगे। हमारे किसान भाई-बहनों की मदद से, देश ने ये लक्ष्य समय से पहले ही हासिल कर लिया। आठ साल पहले हमारे देश में इथेनॉल का उत्पादन सिर्फ 40 करोड़ लीटर के आसपास होता था। आज करीब-करीब 400 करोड़ लीटर इथेनॉल का उत्पादन हो रहा है। इतनी बड़ी मात्रा में इथेनॉल बनाने के लिए कच्चा माल हमारे किसानों के खेतों से ही तो आता है। खासकर गन्ना किसानों को इससे बहुत बड़ा लाभ हुआ है।

देश कैसे बड़े लक्ष्य हासिल कर रहा है, इसका मैं अपने किसान भाई-बहनों को एक और उदाहरण देता हूं। 2014 तक देश में सिर्फ 14 करोड़ के आसपास एलपीजी गैस कनेक्शन थे। देश की आधी आबादी को, माताओं-बहनों को रसोई के धुएं में छोड़ दिया गया था। बहनों-बेटियों के खराब स्वास्थ्य और असुविधा से जो नुकसान होता है, उसकी पहले परवाह ही नहीं की गई। मुझे खुशी है कि आज उज्जवला योजना से ही 9 करोड़ से ज्यादा गैस कनेक्शन गरीब बहनों को दिए जा चुके हैं। अब हम देश में करीब-करीब शत-प्रतिशत एलपीजी कवरेज तक पहुंच चुके हैं। 14 करोड़ से बढ़कर आज देश में करीब 31 करोड़ गैस कनेक्शन हैं। इससे हमारे गरीब परिवार, मध्यम वर्ग के लोगों को बहुत ज्यादा सुविधा हुई है।

साथियों,

देश में CNG नेटवर्क बढ़ाने और पाइप से सस्ती गैस घर-घर पहुंचाने के लिए भी तेज़ी से काम चल रहा है। हमारे देश में 90 के दशक में CNG स्टेशन लगने शुरु हुए थे। 8 साल पहले तक देश में CNG के 800 से भी कम स्टेशन थे। घरों में पाइप से आने वाली गैस के कनेक्शन भी कुछ लाख ही थे। आज देशभर में साढ़े 4 हज़ार से अधिक CNG स्टेशन हैं और पाइप से गैस के कनेक्शन का आंकड़ा 1 करोड़ को छू रहा है। आज जब हम आजादी के 75 वर्ष पूरे कर रहे हैं, तो देश इस लक्ष्य पर भी काम कर रहा है कि अगले कुछ वर्षों में देश के 75 प्रतिशत से ज्यादा घरों में पाइप से गैस पहुंचने लगे।

साथियों,

आज जो सैकड़ों किलोमीटर लंबी गैस पाइप लाइनें हम बिछा रहे हैं, जो आधुनिक प्लांट, जो फैक्ट्रियां, हम लगा रहे हैं, इनका सबसे अधिक लाभ हमारी युवा पीढ़ी को होगा। देश में Green Jobs के निरंतर नए अवसर बनेंगे, रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। आज की समस्याएं हमारी भावी पीढ़ियों को कष्ट नहीं देंगीं। यही सही विकास है, यही विकास की सच्ची प्रतिबद्धता है।

साथियों,

अगर राजनीति में ही स्वार्थ होगा तो कोई भी आकर पेट्रोल-डीजल भी मुफ्त देने की घोषणा कर सकता है। ऐसे कदम हमारे बच्चों से उनका हक छीनेंगे, देश को आत्मनिर्भर बनने से रोकेंगे। ऐसी स्वार्थ भरी नीतियों से देश के ईमानदार टैक्स पेयर का बोझ भी बढ़ता ही जाएगा। अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए ऐसी घोषणाएं करने वाले कभी नई टेक्नॉलॉजी पर निवेश नहीं करेंगे। वो किसान से झूठे वायदे करेंगे, लेकिन किसानों की आय बढ़ाने के लिए इथेनॉल जैसे प्लांट नहीं लगाएंगे। वो बढ़ते प्रदूषण पर हवा-हवाई बातें करते रहेंगे, लेकिन इसको रोकने के लिए जो कुछ करना होगा, उससे दूर भागेंगे।

मेरे प्‍यारे भाइयो, बहनों,

ये नीति नहीं, अनीति है। ये राष्ट्रहित नहीं, ये राष्ट्र अहित है। ये राष्ट्र निर्माण नहीं, राष्ट्र को पीछे धकेलने की कोशिश है। देश के सामने जो चुनौतियां हैं, उनसे निपटने के लिए साफ नीयत चाहिए, निष्ठा चाहिए, नीति चाहिए। इसके लिए परिश्रम की पराकाष्ठा करनी पड़ती है और सरकार को बहुत सारी राशि निवेश करनी पड़ती है। जब सरकारों के पैसा होगा ही नहीं, उसके पास धन ही नहीं होगा तो इथेनॉल प्लांट, बायोगैस प्लांट, बड़े-बड़े सोलर प्लांट, हाइड्रोजन गैस के प्लांट जो आज लग रहे हैं, वो भी बंद हो जाएंगे। हमें ये याद रखना है कि हम भले ही रहें या न रहें, लेकिन ये राष्ट्र तो हमेशा रहेगा, सदियों से रहता आया है, सदियों तक रहने वाला है। इसमें रहने वाली संतानें हमेशा रहेंगी। हमें हमारी भावी संतानों के भविष्‍य को बर्बाद करने का हक नहीं है।

साथियो,

आज़ादी के लिए अपना जीवन बलिदान करने वालों ने भी इसी शाश्वत भावना से काम किया है। अगर वो भी तब अपना सोचते, अपना स्वार्थ देखते तो उनके जीवन में भी कोई कष्ट नहीं आता। वो कठिनाइयों से, गोलियों से, फांसी के फंदे से, यातनाओं से बच जाते, लेकिन उनकी संतानें, यानि हम भारत के लोग, आज आज़ादी का अमृत महोत्सव नहीं मना पाते। अगस्त का ये महीना क्रांति का महीना है। इसलिए एक देश के रूप में हमें ये संकल्प लेना है कि ऐसी हर प्रवृत्ति को बढ़ने नहीं देंगे। ये देश का सामूहिक दायित्व है।

साथियों,

आजादी के इस अमृत महोत्सव में, आज जब देश तिरंगे के रंग में रंगा हुआ है, तब कुछ ऐसा भी हुआ है, जिसकी तरफ मैं देश का ध्यान दिलाना चाहता हूं। हमारे वीर स्वतंत्रता सेनानियों को अपमानित करने का, इस पवित्र अवसर को अपवित्र करने का प्रयास किया गया है। ऐसे लोगों की मानसिकता देश को भी समझना जरूरी है। हम जानते हैं कभी-कभी कोई मरीज अपनी लंबी बीमारी के इलाज से थक जाता है, निराश हो जाता है, अच्छे-अच्‍छे डॉक्‍टरों से सलाह लेने के बावजूद जब उसे लाभ नहीं होता, तो वो कितना ही पढ़ा-लिखा क्‍यों न हो, अंधविश्वास की तरफ बढ़ने लग जाता है। वो झाड़-फूंक कराने लगता है, टोने-टोटके पर, काले जादू पर विश्वास करने लगता है। ऐसे ही हमारे देश में भी कुछ लोग हैं जो नकारात्मकता के भंवर में फंसे हुए हैं, निराशा में डूबे हुए हैं। सरकार के खिलाफ झूठ पर झूठ बोलने के बाद भी जनता जनार्दन ऐसे लोगों पर भरोसा करने को तैयार नहीं हैं। ऐसी हताशा में ये लोग भी अब काले जादू की तरफ मुड़ते नजर आ रहे हैं।

अभी हमने 5 अगस्त को देखा है कि कैसे काले जादू को फैलाने का भरपूर प्रयास किया गया। ये लोग सोचते हैं कि काले कपड़े पहनकर, उनकी निराशा-हताशा का काल समाप्त हो जाएगा। लेकिन उन्हें पता नहीं है कि वो कितनी ही झाड़-फूंक कर लें, कितना ही काला जादू कर लें, अंधविश्वास कर लें, जनता का विश्वास अब उन पर दोबारा कभी नहीं बन पाएगा। और मैं ये भी कहूंगा कि इस काले जादू के फेर में, आजादी के अमृत महोत्सव का अपमान ना करें, तिरंगे का अपमान ना करें।

साथियों,

कुछ राजनीतिक दलों की स्वार्थ नीति से अलग, हमारी सरकार सबका साथ-सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास के मंत्र पर काम करती रहेगी। मुझे पूरा विश्वास है कि विकास के लिए सकारात्मक विश्वास की ऊर्जा इसी तरह पैदा होती रहेगी। एक बार फिर हरियाणा के कोटि-कोटि साथियों को, किसान और पशुपालक बहन-भाइयों को बधाई। कल रक्षा बंधन का पवित्र त्योहार भी है। भाई-बहन के स्नेह के प्रतीक इस पर्व पर, हर भाई अपना कर्तव्य निभाने का संकल्प दोहराता है। कल एक नागरिक के तौर पर भी हमें देश के प्रति अपने कर्तव्य निभाने का संकल्प दोहराना है। इसी कामना के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद !