मन की बात की 101वीं कड़ी में प्रधानमंत्री का सम्बोधन

| Published on:

मेरे प्यारे देशवासियो,नमस्कार। ‘मन की बात’ में एक बार फिर, आप सभी का बहुत-बहुत स्वागत है। इस बार ‘मन की बात’ का ये एपिसोड 2nd century का प्रारंभ है। पिछले महीने हम सभी ने इसकी special century को Celebrate किया है। आपकी भागीदारी ही इस कार्यक्रम की सबसे बड़ी ताकत है।100वें एपिसोड के Broadcast के समय, एक प्रकार से पूरा देश एक सूत्र में बंध गया था।हमारे सफाईकर्मी भाई-बहन हों या फिर अलग-अलग sectors के दिग्गज, ‘मन की बात’ ने सबको एक साथ लाने का काम किया है| आप सभी ने जो आत्मीयता और स्नेह ‘मन की बात’ के लिए दिखाया है, वो अभूतपूर्व है, भावुक कर देने वाला है। जब ‘मन की बात’ का प्रसारण हुआ, तो उस समय दुनिया के अलग-अलग देशों में, अलग-अलग Time zone में, कहीं शाम हो रही थी तो कहीं देर रात थी, इसके बावजूद, बड़ी संख्या में लोगों ने 100वें एपिसोड को सुनने के लिए समय निकाला। मैंने हजारों मील दूर New Zealand का वो विडियो भी देखा, जिसमें 100 वर्ष की एक माताजी अपना आशीर्वाद दे रही हैं। ‘मन की बात’ को लेकर देश-विदेश के लोगों ने अपने विचार रखे हैं। बहुत सारे लोगों ने Constructive Analysis भी किया है। लोगों ने इस बात को appreciate किया है कि ‘मन की बात’ में देश और देशवासियो की उपलब्धियों की ही चर्चा होती है। मैं एक बार फिर आप सभी को इस आशीर्वाद के लिए पूरे आदर के साथ धन्यवाद देता हूं।

मेरे प्यारे देशवासियो, बीते दिनों हमने ‘मन की बात’ में काशी- तमिल संगमम की बात की, सौराष्ट्र-तमिल संगमम की बात की। कुछ समय पहले ही वाराणसी में, काशी-तेलुगू संगमम भी हुआ। एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना को ताकत देने वाला ऐसे ही एक और अनूठा प्रयास देश में हुआ है। ये प्रयास है, युवा संगम का। मैंने सोचा, इस बारे में विस्तार से क्यों न उन्हीं लोगों से पूछा जाए, जो इस अनूठे प्रयास का हिस्सा रहे हैं। इसलिए अभी मेरे साथ फ़ोन पर दो युवा जुड़े हुए हैं – एक हैं अरुणाचल प्रदेश के ग्यामर न्योकुम जी  और दूसरी बेटी है बिहार की बिटिया विशाखा सिंह जी। आइए पहले हम ग्यामर न्योकुम से बात करते हैं।

प्रधानमंत्री जी : ग्यामर जी, नमस्ते !

ग्यामर जी :    नमस्ते मोदी जी !

प्रधानमंत्री जी : अच्छा ग्यामर जी जरा सबसे पहले तो मैं आपके विषय में जानना चाहता हूँ।

ग्यामर जी –    मोदी जी सबसे पहले तो मैं आपका और भारत सरकार का बहुत ही ज्यादा आभार व्यक्त करता हूँ, कि आपने बहुत कीमती Time निकाल के मुझ से बात करने का मुझे मौका दिया मैं National Institute Of Technology, Arunachal Pradesh में First year में Mechanical Engineering में पढ़ रहा हूँ

प्रधानमंत्री जी : और परिवार में क्या करते हैं पिताजी वगैरह।

ग्यामर जी :        जी मेरे पिताजी छोटे मोटे business और उसके बाद कुछ farming में सब करते हैं।

 

प्रधानमंत्री जी : युवा संगम के लिए आपको पता कैसे चला, युवा संगम में गए कहाँ, कैसे गए, क्या हुआ ?

ग्यामर जी :    मोदी जी मुझे युवा संगम का हमारे जो institution हैं जो NIT हैं उन्होंने हमें बताया था कि आप इसमें भाग ले सकते हैं। तो मैंने फिर थोड़ा internet में खोज किया फिर मुझे पता चला कि  ये बहुत ही अच्छा Programme है जिसने मुझे एक भारत श्रेष्ठ भारत का जो visionहै उसमें भी बहुत ही योगदान दे सकते हैं और मुझे कुछ नया चीज़ जानने का मौका मिलेगा ना, तो तुरंत, मैंने, फिर, उसमें website में जाके enrol किया।  मेरा अनुभव बहुत ही मजेदार रहा, बहुत ही अच्छा था।

प्रधानमंत्री जी : कोई selection आप को करना था?

ग्यामर जी :    मोदी जी जब website खोला था तो अरुणाचल वालों के लिए दो option था। पहला था आँध्रप्रदेश जिसमें IIT तिरुपति था और दूसरा था Central University, Rajasthan तो मैंने राजस्थान में किया था अपना First preference, Second Preference मैंने IIT तिरुपति किया था। तो मुझे राजस्थान के लिए select हुआ था। तो मैं राजस्थान गया था।

प्रधानमंत्री जी : कैसा रहा आपका राजस्थान यात्रा? आप पहली बार राजस्थान गए थे!

ग्यामर जी :    हाँ मैं पहली बार अरुणाचल से बाहर गया था मैंने तो जो राजस्थान के किले ये सब तो मैंने बस फिल्म और फ़ोन में ही देखा था न, तो, मैंने, जब, पहली बार गया तो मेरा experience बहुत ही वहां के लोग बहुत ही अच्छे थे और जो हमें treatmentदिया बहुत ही ज्यादा अच्छे थे। क्या हमें नया-नया चीज़ सीखने को मिला मुझे  राजस्थान के बड़े झील और उधर के लोग जैसे कि rain water harvesting बहुत कुछ नया-नया चीज़ सीखने को मिला, जो मुझे बिलकुल ही मालूम नहीं था, तो, ये programme मुझे बहुत ही अच्छा था, राजस्थान का visit।

प्रधानमंत्री जी : देखिये आपको तो सबसे बड़ा फायदा ये हुआ है, कि, अरुणाचल में भी वीरों की भूमि है, राजस्थान भी वीरों की भूमि है और राजस्थान से सेना में भी बहुत बड़ी संख्या में लोग हैं, और अरुणाचल में सीमा पर जो सैनिक हैं उसमें जब भी राजस्थान के लोग मिलेंगे तो आप जरुर उनसे बात करेंगे, कि देखिये,मैं राजस्थान गया था, ऐसा अनुभव था तो, आपकी तो निकटता, एकदम से बढ़ जाएगी। अच्छा आपको वहां कोई समानताएं भी ध्यान में आई होगी आपको लगता होगा हां यार ये अरुणाचल में भी तो ऐसा ही है।

ग्यामर जी :    मोदी जी मुझे जो एक समानता मुझे मिली न वो थी कि जो देश प्रेम है नाऔर जो एक भारत श्रेष्ठ भारत का जो vision और जो feeling जो मुझे देखा, क्योंकि अरुणाचल में भी लोग अपने आप को बहुत ही गर्व महसूस करते हैं कि वो भारतीय हैं इसलिये और राजस्थान में भी लोग अपनी मातृ भूमि के लिए बहुत जो गर्व महसूस होता है वो चीज़ मुझे बहुत ही ज्यादा नज़र आया और specially जो युवा पीढ़ी है ना क्योंकि मैंने उधर में बहुत सारे युवा के साथ interact और बातचीत किया ना तो वो चीज़ जो मुझे बहुत similarity नज़र आया, जो वो चाहते हैं कि भारत के लिए जो कुछ करने का और जो अपने देश के लिए प्रेम है ना वो चीज़ मुझे बहुत ही दोनों ही राज्यों में बहुत ही similarity नज़र आया।

प्रधानमंत्री जी : तो वहां जो मित्र मिले हैं उनसे परिचय बढ़ाया कि आकर के भूल गए?

ग्यामर जी :    नहीं, हमने बढ़ाया परिचय किया।

प्रधानमंत्री जी : हाँ…! तो आप Social Media में active है ?

ग्यामर जी :    जी मोदी जी, मैं active हूँ।

प्रधानमंत्री जी : तो आपने Blog लिखना चाहिए, अपना ये युवा संगम का अनुभव कैसा रहा, आपने उसमें enrol कैसे किया, राजस्थान में अनुभव कैसा रहा ताकि देशभर के युवाओं को पता चले कि एक भारत श्रेष्ठ भारत का माहात्मय क्या है, ये योजना क्या है ? उसका फायदा युवक कैसे ले सकते हैं, पूरा अपने experience का blog लिखना चाहिए, तो बहुत लोगों को पढ़ने के लिए काम आयेगा।

ग्यामर जी :    जी मैं जरुर करूँगा।

प्रधानमंत्री जी : ग्यामर जी, बहुत अच्छा लगा आपसे बात कर करके, और आप सब युवा देश के लिए, देश के उज्जवल भविष्य के लिए, क्योंकि ये 25 साल अत्यंत महत्वपूर्ण हैं – आपके जीवन के भी और देश के जीवन के भी, तो मेरी बहुत बहुत शुभकामनाएं है धन्यवाद।

ग्यामर जी :    धन्यवाद मोदी जी आपको भी।

प्रधानमंत्री जी : नमस्कार, भईया।

साथियो, अरुणाचल के लोग इतनी आत्मीयता से भरे होते हैं, कि उनसे बात करते हुए, मुझे, बहुत आनंद आता है। युवा संगम में ग्यामर जी का अनुभव तो बेहतरीन रहा। आइये, अब बिहार की बेटी विशाखा सिंह जी से बात करते हैं।

प्रधानमंत्री जी : विशाखा जी, नमस्कार।

विशाखा जी :   सर्वप्रथम तो भारत के माननीय प्रधानमंत्री जी कोमेरा प्रणाम और मेरे साथ सभी Delegates की तरफ़ से आप को बहुत-बहुत प्रणाम।

प्रधानमंत्री जी : अच्छा विशाखा जी पहले अपने बारे में बताइए। फिर मुझे युवा संगम के विषय में भी जानना है।

विशाखा जी :   मैं बिहार के सासाराम नाम के शहर की निवासी हूँ और मुझे युवा संगम के बारे में मेरे कॉलेज के WhatsApp group के message के through पता चला था सबसे पहले। तो, उसके बाद फिर मैंने पता करा इसके बारे में और detail निकाली कि ये क्या है ? तो मुझे पता चला कि ये प्रधानमंत्री जी की एक scheme ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के through युवा संगम है। तो उसके बाद मैंने apply करा और जब मैंने apply  करा तो मैं excited थी इससे join होने के लिए लेकिन जब वहाँ से घूम के तमिलनाडु जा के वापस आई। वो जो exposure मैंने gain किया उसके बाद मुझे अभी बहुत ज्यादा ऐसा proud feel होता है that I have been the part of this programme, तो मुझे बहुत ही ज्यादा ख़ुशी है उस programme में part लेने की और मैं तहे दिल से आभार व्यक्त करती हूँ आपका कि आपने हमारे जैसे युवाओं के लिए इतना बेहतरीन programme बनाया जिससे हम भारत के विभिन्न भागों के culture को adapt कर सकते हैं।

प्रधानमंत्री जी : विशाखा जी, आप क्या पढ़ती हैं?

विशाखा जी :   मैं Computer Science Engineering की Second Year की छात्रा हूँ।

प्रधानमंत्री जी : अच्छा विशाखा जी, आपने किस राज्य में जाना है, कहाँ जुड़ना है ? वो निर्णय कैसे किया ?

विशाखा जी :   जब मैंने ये युवा संगम के बारे में search करना शुरू किया Google पर, तभी मुझे पता चल गया था कि बिहार के delegates को तमिलनाडु के delegates के साथ exchange किया जा रहा है। तमिलनाडु काफी rich cultural state है हमारे country का तो उस time भी जब मैंने ये जाना, ये देखा कि बिहार वालों को तमिलनाडु भेजा जा रहा है तो इसने भी मुझे बहुत ज्यादा मदद किया ये decision लेने में कि मुझे form fill करना चाहिए, वहाँ जाना चाहिए या नहीं और मैं सच में आज बहुत ज्यादा गौरवान्वित महसूस करती हूँ कि मैंने इसमें part लिया और मुझे बहुत खुशी है।

प्रधानमंत्री जी : आपका पहली बार जाना हुआ तमिलनाडु?

विशाखा जी :   जी, मैं पहली बार गई थी।

प्रधानमंत्री जी : अच्छा, कोई ख़ास यादगार चीज अगर आप कहना चाहें तो क्या कहेंगें? देश के युवा सुन रहें हैं आपको|

विशाखा जी :   जी, पूरा journey ही माने तो मेरे लिए बहुत ही ज्यादा बेहतरीन रहा है। एक-एक पड़ाव पर हमने बहुत ही अच्छी चीजें सीखी हैं। मैंने तमिलनाडु में जाके अच्छे दोस्त बनाए हैं। वहाँ के culture को adapt किया है। वहाँ के लोगों से मिली मैं। लेकिन सबसे ज्यादा अच्छी चीज जो मुझे लगी वहाँ पे वो पहली चीज़ तो ये कि किसी को भी मौका नहीं मिलता है ISRO में जाने का और हम delegates थे तो हमें ये मौका मिला था कि हम ISRO में जाएँPlus दूसरी बात सबसे अच्छी थी वो जब हम राजभवन में गए और हम तमिलनाडु के राज्यपाल जी से मिले। तो वो दो moment जो था वो मेरे लिए काफी सही था और मुझे ऐसा लगता है कि जिस age में हम हैंas a youth हमें वो मौका नहीं मिल पाता जोकि युवा संगम के through मिला है। तो ये काफ़ी सही और सबसे यादगार moment था मेरे लिए।

प्रधानमंत्री जी :बिहार में तो खाने का तरीका अलग है, तमिलनाडु में खाने का तरीका अलग है।

विशाखा जी :   जी।

प्रधानमंत्री जी : तो वो set हो गया था पूरी तरह ?

विशाखा जी :   वहाँ जब हम लोग गए थे, तो South Indian Cuisine है वहाँ पे तमिलनाडु में। तो जैसे ही हम लोग गए थे तो वहाँ जाते के साथ हमें डोसा, इडली, सांभर, उत्तपम, वड़ा, उपमा ये सब serve किया गया था। तो पहले जब हमने try करा तो that was too good!वहाँ का खाना जो है वो बहुत ही healthy है actually बहुत ही ज्यादा taste में भी बेहतरीन है और हमारे North के खाने से बहुत ही ज्यादा अलग है तो मुझे वहाँ का खाना भी बहुत अच्छा लगा और वहाँ के लोग भी बहुत अच्छे लगे।

प्रधानमंत्री जी : तो अब तो दोस्त भी बन गए होंगे तमिलनाडु में ?

विशाखा जी :   जी ! जी वहाँ पर हम रुके थे NIT Trichyमें, उसके बाद IIT Madras में तो उन दोनों जगह के Students से तो मेरी दोस्ती हो गई है।Plus बीच में एक CII का Welcome Ceremony था तो वहां पे वहाँ के आस-पास के college के भी बहुत सारे students आये थे। तो वहाँ हमने उन students से भी interact किया और मुझे बहुत अच्छा लगा उन लोगों से मिल के, काफ़ी लोग तो मेरे दोस्त भी हैं। और कुछ delegate से भी मिले थे जो तमिलनाडु के delegate बिहार आ रहे थे तो  हमारी बातचीत उनसे भी हुई थी और हम अभी भी आपस में बात करते हैं तो मुझे बहुत अच्छा लगता है।

प्रधानमंत्री जी : तो विशाखा जी, आप एक blog लिखिए और social media पर ये आपको पूरा अनुभव एक तो इस युवा संगम का फिर ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ का और फिर तमिलनाडु में अपनापन जो मिला, जो आपको स्वागत-सत्कार हुआ। तमिल लोगों का प्यार मिला, ये सारी चीजें देश को बताइये आप। तो लिखोगी आप ?

विशाखा जी :   जी जरुर !

प्रधानमंत्री जी : तो मेरी तरफ़ से आपको बहुत शुभकामना है और बहुत-बहुत धन्यवाद।

विशाखा जी :   जी thank you so much।नमस्कार।

ग्यामर और विशाखा आपको मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं। युवा संगम में आपने जो सीखा है, वो जीवनपर्यंत आपके साथ रहे। यही मेरी आप सबके प्रति शुभकामना है।

साथियो, भारत की शक्ति इसकी विविधता में है। हमारे देश में देखने के लिए बहुत कुछ है। इसी को देखते हुए Education Ministry ने ‘युवासंगम’ नाम से एक बेहतरीन पहल की है। इस पहल का उद्देश्य People to People Connect बढ़ाने के साथ ही देश के युवाओं को आपस में घुलने-मिलने का मौका देना। विभिन्न राज्यों के उच्च शिक्षा संस्थानों को इससे जोड़ा गया है। ‘युवासंगम’ में युवा दूसरे राज्यों के शहरों और गावों में जाते हैं, उन्हें अलग-अलग तरह के लोगों के साथ मिलने का मौका मिलता है। युवासंगम के First Round में लगभग 1200 युवा, देश के 22 राज्यों का दौरा कर चुके हैं। जो भी युवा इसका हिस्सा बने हैं, वे अपने साथ ऐसी यादें लेकर वापस लौट रहे हैं, जो जीवनभर उनके ह्रदय में बसी रहेंगी। हमने देखा है किकई बड़ी कंपनियों के CEO, Business leaders, उन्होंने Bag-Packers की तरह भारत में समय गुजारा है। मैं जब दूसरे देशों के Leaders से मिलता हूँ, तो कई बार वो भी बताते हैं कि वो अपनी युवावस्था में भारत घूमने के लिए गए थे। हमारे भारत में इतना कुछ जानने और देखने के लिए है कि आपकी उत्सुकता हर बार बढ़ती ही जाएगी। मुझे उम्मीद है कि इन रोमांचक अनुभवों को जानकर आप भी देश के अलग-अलग हिस्सों की यात्रा के लिए जरुर प्रेरित होंगे।

मेरे प्यारे देशवासियो, कुछ दिन पहले ही मैं जापान में हिरोशिमा में था।वहां मुझे Hiroshima Peace Memorial museum में जाने का अवसर मिला। ये एक भावुक कर देने वाला अनुभव था। जब हम इतिहास की यादों को संजोकर रखते हैं तो वो आने वाली पीढ़ियों की बहुत मदद करता है| कई बार Museum में हमें नए सबक मिलते हैं तो कई बार हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। कुछ दिन पहले ही भारत में International Museum Expo का भी आयोजन किया था। इसमें दुनिया के 1200 से अधिक Museumsकी विशेषताओं को दर्शाया गया। हमारे यहां भारत में अलग-अलग प्रकार के ऐसे कई Museums हैं, जो हमारे अतीत से जुड़े अनेक पहलुओं को प्रदर्शित करते हैं,  जैसे, गुरुग्राम में एक अनोखा संग्रहालय है – Museo Camera, इसमें 1860 के बाद के 8 हजार से ज्यादा कैमरों का collection मौजूद है। तमिलनाडु के Museum of Possibilities को हमारे दिव्यांगजनों को ध्यान में रखकर,design किया गया है। मुंबई का छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संग्रहालय एक ऐसा museum है, जिसमें 70 हजार से भी अधिक चीजेंसंरक्षित की गई हैं। साल 2010 में स्थापित, Indian Memory Project एक तरह का Online museum है। ये जो दुनियाभर से भेजी गयी तस्वीरों और कहानियों के माध्यम से भारत के गौरवशाली इतिहास की कड़ियों को जोड़ने में जुटा है। विभाजन की विभिषिका से जुड़ी स्मृतियों को भी सामने लाने का प्रयास किया गया है। बीते वर्षों में भी हमने भारत में नए-नए तरह के museum और memorial बनते देखे हैं। स्वाधीनता संग्राम में आदिवासी भाई–बहनों के योगदान को समर्पित 10 नए museum बनाए जा रहे हैं। कोलकाता के Victoria Memorial में बिप्लोबी भारत Gallery हो या फिर जलियावालां बाग memorial का पुनुरुद्धार,देश के सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों को समर्पित PM Museum भी आज दिल्ली की शोभा बढ़ा रहा है। दिल्ली में ही National War Memorial और Police Memorial में हर रोज अनेकों लोग शहीदों को नमन करने आते हैं। ऐतिहासिक दांडी यात्रा को समर्पित दांडी memorial हो या फिर Statue of Unity Museum. खैर, मुझे यहीं रुक जाना पड़ेगा क्योंकि देशभर में Museumsकी list काफ़ी लम्बी है और पहली बार देश में सभी museums के बारे में जरुरी जानकारियों को compile भी किया गया है।Museum किस Theme पर आधारित है, वहाँ किस तरह की वस्तुएं रखी हैं, वहां की contact details क्या है – ये सब कुछ एक online directory में समाहित है। मेरा आपसे आग्रह है कि आपको जब भी मौका मिले, अपने देश के इन Museums को देखने जरुर जाएँ। आप वहां की आकर्षक तस्वीरों को #(Hashtag)Museum Memories पर share करना भी ना भूलें। इससे अपनी वैभवशाली संस्कृति के साथ हम भारतीयों का जुड़ाव और मजबूत होगा।

मेरे प्यारे देशवासियो, हम सबने एक कहावत कई बार सुनी होगी, बार-बार सुनी होगी – बिन पानी सब सून। बिना पानी जीवन पर संकट तो रहता ही है, व्यक्ति और देश का विकास भी ठप्प पड़ जाता है। भविष्य की इसी चुनौती को देखते हुए आज देश के हर जिले में 75 अमृत सरोवरों का निर्माण किया जा रहा है। हमारे अमृत सरोवर, इसलिए विशेष हैं, क्योंकि, ये आजादी के अमृत काल में बन रहे हैं और इसमें लोगों का अमृत प्रयास लगा है। आपको जानकर अच्छा लगेगा कि अब तक 50 हजार से ज्यादा अमृत सरोवरों का निर्माण भी हो चुका है। ये जल संरक्षण की दिशा में बहुत बड़ा कदम है।

साथियो, हम हर गर्मी में इसी तरह, पानी से जुड़ी चुनौतियों के बारे में बात करते रहते हैं। इस बार भी हम इस विषय को लेंगे, लेकिन इस बार चर्चा करेंगे जल संरक्षण से जुड़े Start-Ups की। एक Start-Up है –FluxGen।ये Start-Up IOT enabled  तकनीक के जरिए water management के विकल्प देता है। ये technology पानी के इस्तेमाल के patterns बताएगा और पानी के प्रभावी इस्तेमाल में मदद करेगा। एक और startupहैLivNSense। ये artificial intelligence और machine learning पर आधारित platform है। इसकी मदद से water distribution की प्रभावी निगरानी की जा सकेगी। इससे ये भी पता चल सकेगा कि कहाँ कितना पानी बर्बाद हो रहा है। एक और Start-Up है ‘कुंभी कागज (KumbhiKagaz)’। ये कुंभी कागज (KumbhiKagaz) एक ऐसा विषय है, मुझे पक्का विश्वास है, आपको भी बहुत पसंद आएगा। ‘कुंभी कागज’ (KumbhiKagaz) Start-Up उसने एक विशेष काम शुरू किया है। वे जलकुंभी से कागज बनाने का काम कर रहे हैं, यानी, जो जलकुंभी, कभी, जलस्त्रोतों के लिए एक समस्या समझी जाती थी, उसी से अब कागज बनने लगा है।

साथियो, कई युवा अगर innovation और technology  के जरिए काम कर रहे हैं, तो कई युवा ऐसे भी हैं जो समाज को जागरूक करने के mission में भी लगे हुए हैं जैसे कि छत्तीसगढ़ में बालोद जिले के युवा हैं। यहाँ के युवाओं ने पानी बचाने के लिए एक अभियान शुरु किया है। ये घर-घर जाकर लोगों को जल-संरक्षण के लिए जागरूक करते हैं। कहीं शादी-ब्याह जैसा कोई आयोजन होता है, तो, युवाओं का ये groupवहाँ जाकर, पानी का दुरूपयोग कैसे रोका जा सकता है, इसकी जानकारी देता है। पानी के सदुपयोग से जुड़ा एक प्रेरक प्रयास झारखंड के खूंटी जिले में भी हो रहा है। खूंटी में लोगों ने पानी के संकट से निपटने के लिए बोरी बाँध का रास्ता निकाला है। बोरी बांध से पानी इकट्ठा होने के कारण यहाँ साग-सब्जियाँ भी पैदा होने लगी हैं। इससे लोगों की आमदनी भी बढ़ रही है, और, इलाके की जरूरतें भी पूरी हो रहीं हैं। जनभागीदारी का कोई भी प्रयास कैसे कई बदलावों को साथ लेकर आता है, खूंटी इसका एक आकर्षक उदाहरण बन गया है। मैं, यहाँ के लोगों को इस प्रयास के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।

मेरे प्यारे देशवासियो, 1965 के युद्ध के समय, हमारे पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने जय जवान, जय किसान का नारा दिया था। बाद में अटल जी ने इसमें जय विज्ञान भी जोड़ दिया था। कुछ वर्ष पहले, देश के वैज्ञानिकों से बात करते हुए मैंने जय अनुसंधान की बात की थी। ‘मन की बात’ में आज बात एक ऐसे व्यक्ति की, एक ऐसी संस्था की, जो, जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान, इन चारों का ही प्रतिबिंब है। ये सज्जन हैं, महाराष्ट्र के श्रीमान् शिवाजी शामराव डोले जी। शिवाजी डोले, नासिक जिले के एक छोटे से गाँव के रहने वाले हैं। वो गरीब आदिवासी किसान परिवार से आते हैं, और, एक पूर्व सैनिक भी हैं। फौज में रहते हुए उन्होंने अपना जीवन देश के लिए लगाया।Retire होने के बाद उन्होंने कुछ नया सीखने का फैसला किया और Agriculture में Diploma किया, यानी,वो, जय जवान से, जय किसान की तरफ बढ़ चले। अब हर पल उनकी कोशिश यही रहती है कि कैसे कृषि क्षेत्र में अपना अधिक से अधिक योगदान दें। अपने इस अभियान में शिवाजी डोले जी ने 20 लोगों की एक छोटी-सी Team बनाई और कुछ पूर्व सैनिकों को भी इसमें जोड़ा। इसके बाद उनकी इस Team ने Venkateshwara Co-Operative Power & Agro Processing Limitedनाम की एक सहकारी संस्था का प्रबंधन अपने हाथ में ले लिया।ये सहकारी संस्था निष्क्रिय पड़ी थी, जिसे revive करने का बीड़ा उन्होंने उठाया। देखते ही देखते आज Venkateshwara Co-Operative का विस्तार कई जिलों में हो गया है। आज ये team महाराष्ट्र और कर्नाटका में काम कर रही है। इससे करीब 18 हजार लोग जुड़े हैं, जिनमें काफी संख्या में हमारे Ex-Servicemen भी हैं। नासिक के मालेगाँव में इस team के सदस्य 500 एकड़ से ज्यादा जमीन में Agro Farming कर रहे हैं। ये team जल संरक्षण के लिए भी कई तालाब भी बनवाने में जुटी है। खास बात यह है कि इन्होंने Organic Farming और Dairy भी शुरू की है। अब इनके उगाए अंगूरों को यूरोप में भी export किया जा रहा है। इस team की जो दो बड़ी विशेषतायें हैं, जिसने मेरा ध्यान आकर्षित किया है, वो ये है – जय विज्ञान और जय अनुसंधान। इसके सदस्य technology और Modern Agro Practices का अधिक से अधिक उपयोग कर रहे हैं। दूसरी विशेषता ये है कि वे export के लिए जरुरी कई तरह के certifications पर भी focus कर रहे हैं। ‘सहकार से समृद्धि’ की भावना के साथ काम कर रही इस team की मैं सराहना करता हूँ। इस प्रयास से ना सिर्फ बड़ी संख्या में लोगों का सशक्तिकरण हुआ है, बल्कि, आजीविका के अनेक साधन भी बने हैं। मुझे उम्मीद है कि यह प्रयास ‘मन की बात’ के हर श्रोता को प्रेरित करेगा।

मेरे प्यारे देशवासियो, आज 28 मई को, महान स्वतंत्रता सेनानी, वीर सावरकर जी की जयंती है। उनके त्याग, साहस और संकल्प-शक्ति से जुड़ी गाथाएँ आज भी हम सबको प्रेरित करती हैं। मैं, वो दिन भूल नहीं सकता, जब मैं, अंडमान में, उस कोठरी में गया था जहाँ वीर सावरकर ने कालापानी की सजा काटी थी। वीर सावरकर का व्यक्तित्व दृढ़ता और विशालता से समाहित था। उनके निर्भीक और स्वाभिमानी स्वाभाव को गुलामी की मानसिकता बिल्कुल भी रास नहीं आती थी। स्वतंत्रता आंदोलन ही नहीं, सामाजिक समानता और सामाजिक न्याय के लिए भी वीर सावरकर ने जितना कुछ किया उसे आज भी याद किया जाता है।

साथियो, कुछ दिन बाद 4 जून को संत कबीरदास जी की भी जयंती है। कबीरदास जी ने जो मार्ग हमें दिखायाहै, वो आज भी उतना ही प्रासंगिक है। कबीरदास जी कहते थे,

“कबीरा कुआँ एक है, पानी भरे अनेक।

बर्तन में ही भेद है, पानी सब में एक।|”

यानी,कुएं पर भले भिन्न-भिन्न तरह के लोग पानी भरने आए, लेकिन, कुआँ किसी में भेद नहीं करता, पानी तो सभी बर्तनों में एक ही होता है। संत कबीर ने समाज को बांटने वाली हर कुप्रथा का विरोध किया, समाज को जागृत करने का प्रयास किया। आज, जब देश विकसित होने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है, तो हमें, संत कबीर से प्रेरणा लेते हुए, समाज को सशक्त करने के अपने प्रयास और बढ़ाने चाहिए।

मेरे प्यारे देशवासियो, अब मैं आपसे देश की एक ऐसी महान हस्ती के बारे में चर्चा करने जा रहा हूँ जिन्होंने राजनीति और फिल्म जगत में अपनी अद्भुत प्रतिभा के बल पर अमिट छाप छोड़ी। इस महान हस्ती का नाम है एन.टी. रामाराव, जिन्हें हम सभी, एन.टी.आर(NTR) के नाम से भी जानते हैं। आज, एन.टी.आर की 100वीं जयंती है। अपनी बहुमुखी प्रतिभा के बल पर वो न सिर्फ तेलुगु सिनेमा के महानायक बने, बल्कि उन्होंने, करोड़ो लोगों का दिल भी जीता। क्या आपको मालूम है कि उन्होंने 300 से अधिक फिल्मों में काम किया था? उन्होंने कई ऐतिहासिक पात्रों को अपने अभिनय के दम पर फिर से जीवंत कर दिया था। भगवान कृष्ण, राम और ऐसी कई अन्य भूमिकाओं में एन.टी.आर की acting को लोगों ने इतना पसंद किया कि लोग उन्हें आज भी याद करते हैं। एन.टी.आर ने सिनेमा जगत के साथ-साथ राजनीति में भी अपनी अलग पहचान बनाई थी। यहाँभी उन्हें लोगों का भरपूर प्यार और आशीर्वाद मिला। देश-दुनिया में लाखों लोगों के दिलों पर राज करने वाले एन.टी. रामाराव जी को मैं अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।

मेरे प्यारे देशवासियो, ‘मन की बात’ में इस बार इतना ही। अगली बार कुछ नए विषयों के साथ आपके बीच आऊँगा, तब तक कुछ इलाकों में गर्मी और ज्यादा बढ़ चुकी होगी। कहीं-कहीं पर बारिश भी शुरू हो जाएगी। आपको मौसम की हर परिस्थिति में अपनी सेहत का ध्यान रखना है। 21 जून को हम ‘World Yoga Day’ भी मनाएंगे। उसकी भी देश-विदेश में तैयारियां चल रही हैं। आप इन तैयारियों के बारे में भी अपने ‘मन की बात’ मुझे लिखते रहिए। किसी और विषय पर कोई और जानकारी अगर आपको मिले तो वो भी मुझे बताइयेगा। मेरा प्रयास ज्यादा से ज्यादा सुझावों को ‘मन की बात’ में लेने का रहेगा। एक बार फिर आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद। अब मिलेंगे – अगले महीने, तब तक के लिए मुझे विदा दीजिए।