आज दुनिया भारतवासियों की प्रतिभा का लोहा मानती है: जगत प्रकाश नड्डा

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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा ने आज बुधवार को टैगोर हॉल, अहमदाबाद (गुजरात) में आयोजित “प्रोफ़ेसर समिट” को संबोधित किया और आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में लाई गई क्रांति पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने विगत 8 वर्षों में दुनिया में भारत और भारतवासियों का मस्तक गर्व से ऊँचा किया है। कार्यक्रम में शिक्षा जगत से जुड़े हुए कई प्रोफेसर्स, शिक्षाविद और गणमान्य हस्ती उपस्थित थे। कार्यक्रम में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्री सी आर पाटिल एवं अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों की भी उपस्थिति रही।

श्री नड्डा ने भारत की महान पुरातन शिक्षा पद्धति और ज्ञान के अपार भंडार पर चर्चा करते हुए कहा कि भारत की शिक्षा व्यवस्था पुरातन समय से ही समृद्धि और सुसंस्कृत रही है। पाणिनि, धन्वन्तरि, सुश्रुत, चार्वाक, चरक और चाणक्य जैसे मनीषियों ने हमारी महान शिक्षा विरासत का का संवर्धन किया है। गुरु-शिष्य की महान परंपरा का केंद्र भी हमारा भारतवर्ष ही रहा है। नालंदा, तक्षशिला, विक्रमशिला – ये सब विश्वविद्यालय भारत की महान शैक्षणिक विरासत के आधारभूत स्तंभ रहे हैं। हमारा देश विद्या का केंद्र तो रहा ही है, साथ ही विश्वविद्यालय का कंसेप्ट भी हमारा ही है, इसलिए तो दुनिया भर से छात्र यहाँ विद्योपार्जन के लिए आते थे। दुनिया में तब कहीं किसी विश्वविद्यालय की उत्पत्ति भी नहीं हुई थी। हमें अपनी विरासत वाली शिक्षा पर गर्व करना चाहिए। आज उसी की नींव पर भारत आगे बढ़ रहा है।

माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में महान नालंदा विश्वविद्यालय को उसका खोया हुआ गौरव पुनः दिलाने के लिए लगभग 2700 करोड़ रुपये आवंटित किये हैं। श्री नरेन्द्र मोदी सरकार में शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया है और इसे कंसेप्ट आधारित बनाने के लिए नई शिक्षा नीति को क्रियान्वयित किया गया है। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 – नई शिक्षा नीति भी समय की मांग और जरुरत के हिसाब से देश की शिक्षा व्यवस्था को प्रभावी बनाये रखने के लिए लाई गयी है। नई शिक्षा नीति का उद्देश्य भारत में स्कूल और उच्च शिक्षा प्रणालियों में परिवर्तनकारी सुधारों का मार्ग प्रशस्त करना है। शिक्षा क्षेत्र पर जीडीपी के 6% हिस्से का सार्वजनिक व्यय भी इस शिक्षा नीति के तहत किया गया है।

श्री नड्डा ने कहा कि अब तक हमारी पुरानी शिक्षा नीति का उद्देश्य केवल काम करने वाले लोग पैदा करना था। अंग्रेजों की नीति पर आधारित शिक्षा नीति ने हमें अपनी महान विरासत से दूर रखने की तमाम कोशिशें की थी। उसमें भारतीयता और देश की मिट्टी की सुगंध का नामोनिशां नहीं था। लेकिन, आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में लाई गई नई शिक्षा नीति में मिट्टी की महक है तो आगे बढ़ने का रास्ता भी। इसमें गाँव और गरीब बच्चों को आगे बढ़ने का पूरा अवसर मिलेगा। इस शिक्षा नीति को लागू करने के पीछे लगभग 5 साल की कठोर तपस्या है। नई शिक्षा नीति को लागू करने से पहले लगभग ढाई लाख ग्राम पंचायतों और लगभग 12,500 स्थानीय निकायों को कंसल्टेशन प्रोसेस में शामिल किया गया। इस के मसौदे पर देश के लगभग 675 जिलों में चर्चा आयोजित की गई और लगभग 15 लाख सुझाव आये। इसमें से लगभग दो लाख सुझावों को आत्मसात कर नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 बन कर तैयार हुई और इसे इम्प्लीमेंट किया गया। आजाद भारत में आजादी के एहसास के साथ जो यह नई शिक्षा नीति तैयार हुई है, यह अपने आप में हमें गौरव प्रदान करने वाला है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के दृष्टिकोण में बहुआयामी सोच को अंगीकार किया गया है। इसके तहत शिक्षा को संकीर्ण मानसिकता से निकाल कर व्यापक सोच के दायरे में लाया गया है। यह इनोवेटिव सोच को बढ़ावा देता है। नई शिक्षा नीति अफोर्डेबल बनाई गई है। यह इक्वल अपॉर्चुनिटी फॉर ऑल, एक्सेप्टेबल फॉर ऑल और फ्लैक्सिबल फॉर ऑल है। यह एनालिटिकल कर्व को आगे बढ़ाने वाली शिक्षा नीति है।

माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि नई शिक्षा नीति अपनी स्थानीय मातृभाषा में छात्रों को पढ़ने का अवसर प्रदान कर रही है। यह बहुत बड़ी उपलब्धि है। अब यह सही अर्थों में भारतीय शिक्षा पद्धति बनी है। अब गाँव के गरीब, दलित, पिछड़े, शोषित, वंचित, आदिवासी और किसानों के बच्चे भी डॉक्टर, इंजीनियर, रिसर्चर और प्रोफ़ेसर बन सकते हैं। अब भारत सही मायनों में उठ खड़ा हुआ है। हमारी नई शिक्षा नीति केवल डिग्री होल्डर्स को ही प्रोड्यूस नहीं करती, बल्कि यह एक स्किल्ड, कॉन्फिडेंट और प्रैक्टिकल प्रोफेशनल को पैदा करने की अपॉर्चुनिटी भी देती है। श्री नरेन्द्र मोदी सरकार ने लगभग 14,500 स्कूलों को इंटरनेशनल स्टैण्डर्ड बनाने की योजना शुरू की है। 8 राज्यों में 14 इंजीनियरिंग कॉलेज में पांच स्थानीय भाषाओं में इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू कर दी गई है। इसी तरह स्थानीय राष्ट्रीय भाषाओं में मेडिकल की पढ़ाई भी शुरू की गई है। उच्च शिक्षा संस्थानों को सशक्त बनाने के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस टैगिंग की शुरुआत हुई है। इसके लिए अलग से बजट का निर्धारण किया गया है।

श्री नड्डा ने कहा कि आने वाले समय में भारत क्वालिटी एजुकेशन का बहुत बड़ा हब बनने वाला है। आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में आत्मनिर्भर भारत अभियान चल रहा है। सोशियो-इकॉनोमिक ट्रांसफॉरमेशन के लिए भी बहुत बड़ा काम चल रहा है। प्रधानमंत्री जी ने कौशल विकास के लिए ‘युवा’ कार्यक्रम शुरू किया है। बहुमुखी प्रतिभा संपन्न युवा लेखकों को तीन लाख रुपये तक की आर्थिक सहायता दी जा रही है। अब दूसरे देशों में भी आईआईटी (इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी) खोलने के लिए एक कमिटी बनाई गई है। यूएई, सऊदी अरब, मलेशिया, थाईलैंड, इजिप्ट और कतर में भी आईआईटी स्थापित करने पर काम चल रहा है।

माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि हम बालिकाओं की शिक्षा पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने कई बार कहा है कि आप यदि एक लड़की को शिक्षित करते हैं तो आप दो परिवारों को शिक्षित करते हैं। बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ अभियान ने भारत की सामाजिक चेतना को पुनः जागृत कर दिया है। महिला सशक्तिकरण के लिए आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने जितना काम किया है, उतना आज तक किसी ने नहीं किया।

श्री नड्डा ने कहा कि कांग्रेस ने अपने पूरे कार्यकाल में केवल एक एम्स बनाए, श्रद्धेय अटल वाजपेयी जी की सरकार के समय 6 एम्स बने। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के 8 वर्ष में 15 नए एम्स का निर्माण हुआ है। कांग्रेस की सरकार में केवल 5 आईआईटी बने, आज देश में आईआईटी की संख्या बढ़ कर 23 हो गई है। इसी तरह आईआईएम की संख्या भी 1 से 12 तक पहुँच गई। विश्वविद्यालयों की संख्या भी 723 से बढ़ कर 1043 हो गई है। हायर एजुकेशन में भी आर्थिक सहायता राशि बढ़ाई गई है। फोरेंसिक यूनिवर्सिटी और रेल एंड ट्रांसपोर्ट यूनिवर्सिटी भी स्थापित की गई है। एमबीबीएस और पोस्ट ग्रेजुएट की सीटों में भी क्रमशः 53% अरु 83% की वृद्धि हुई है।

श्री नड्डा ने कहा कि आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने इस स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से देशवासियों ने जो पंच प्रण लेने का आह्वान किया, हमें उसे संकल्प भाव के साथनिभाना है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में हमें अगले 25 वर्षों में भारत को एक विकसित देश बनाना है, गुलामी की सभी मानसिकता से आजादी पानी है, अपनी महान विरासत पर गर्व करते हुए आगे बढ़ना है, एकता और एकजुटता के साथ ‘न्यू इंडिया’ के निर्माण के लिए काम करना है और देश के प्रति अपने कर्तव्यों का भी सही से पालन करना है। हमें हार्डवेयर के साथ-साथ सॉफ्टवेयर को भी बेस्ट बनाने की जरूरत है। आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने शिक्षा के क्षेत्र में अपना काम बखूबी किया है, अब बेस्ट रिसोर्स देने की जिम्मेवारी आप सुधी शिक्षकों पर है। हमें औपनिवेशिक मानसिकता से बाहर निकलना है। हमें अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत पर गर्व करना चाहिए। हमारी संस्कृति सबसे प्रेम करना सिखाती है। वसुधैव कुटुंबकम का भाव हमारे मूल में हैं। हमें इसकी नींव पर भविष्य का भारत खड़ा करना है।

माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कोविड के दौरान आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व की भूरि-भूरि सराहना करते हुए कहा कि जिस तरह से आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने कोविड काल में न केवल देशवासियों को सुरक्षित किया बल्कि अर्थतंत्र के चक्र को भी गतिशील किया, वह अपने आप में अद्भुत है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना ने दुनिया को बताया कि आदरणीय प्रधानमंत्री जी अपने नागरिकों के लिए कितने संवेदनशील हैं। वैक्सीनेशन के क्षेत्र में भारत ने तमाम बाधाओं को पार करते हुए न केवल दो-दो स्वदेशी वैक्सीन का निर्माण किया बल्कि 217 करोड़ से अधिक वैक्सीन डोज का एडमिनिस्ट्रेशन भी अब तक हो चुका है। इतना ही नहीं, हमने दुनिया के कई देशों को मानवता की रक्षा के लिए वैक्सीन भी मुहैया कराई और कई देशों को तो मुफ्त में भी दी।

श्री नड्डा ने गुजरात में विकास की कहानी को रेखांकित करते हुए कहा कि 2001 में गुजरात की जीडीपी लगभग 99,000 करोड़ रुपये थी जो अब बढ़ कर लगभग 19 लाख करोड़ रुपये हो गई है। ज्योति ग्राम योजना के तहत राज्य के लगभग 81,000 गाँवों में चौबीसों घंटे बिजली पहुँच रही है। गुजरात में स्कूलों से स्टूडेंट ड्रॉप आउट रेशियो 2001 में 33% हुआ करता था जो आज घट कर 3% से नीचे आ गया है। राज्य में मेडिकल सीटों की संख्या भी 1,300 से बढ़ कर 5,700 हो गई है, यूनिवर्सिटी की संख्या 21 से बढ़ कर 103 हो गई है, कॉलेजों की संख्या 1,775 से बढ़ कर 3,117 हो गई है और इंजीनियरिंग कॉलेजों की संख्या भी 26 से बढ़ कर 133 हो गई है। सूरत डायमंड एंड मर्केंटाइल सिटी के रूप में जाना जा रहा है तो अहमदाबाद फार्मा हब, राजकोट मशीन टूल्स हब, मोरबी सेरेमिक सेंटर और वापी केमिकल हब के रूप में आज जाना जाने लगा है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत ने चिप बायर से चिप मेकर के बनने तक का सफ़र तय किया है। भारत आज पूरी दुनिया में एक बड़े मैन्युफेक्चरिंग हब के रूप में स्थापित हो रहा है।