‘पीपल्स पद्म’ पुरस्कार : गौरव को पुनर्स्थापित किया

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विपुल शर्मा

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 में पदभार ग्रहण करने के बाद से ही पद्म पुरस्कारों के खोए हुए गौरव को पुनर्स्थापित करने के प्रयास आरंभ कर दिये थे और प्रधानमंत्री श्री मोदी के ईमानदार प्रयासों के परिणाम अब दिखने लगे हैं, ऐसा ही कुछ हमें 8 नवंबर को देखने को मिला जब राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने वर्ष 2020 और 2021 के विजेताओं को नई दिल्ली में इन प्रतिष्ठित नागरिक पुरस्कारों से सम्मानित किया। पुरस्कार विजेताओं की सूची ने सुर्खियां बटोरीं और इस बात को स्पष्ट कर दिया कि इन पुरस्कारों पर अब किसी विशेष वर्ग का एकाधिकार नहीं है। पुरस्कार विजेता उन लोगों में से थे जो बहुत ही विनम्र पृष्ठभूमि से आते हैं, जिसमें नंगे पांव पुरस्कार लेने पहुंची कर्नाटक की पर्यावरणविद् तुलसी गौड़ा भी शामिल थीं और नारंगी बेचने वाले और स्कूल बनाने वाले हरेकाला हजब्बा भी शामिल थे, यह इस बात को स्पष्ट करता है कि इन पुरस्कार के माध्यम से अब उन लोगों को सम्मानित किया जा रहा है जो वास्तव में इसके हकदार हैं और जो राष्ट्र निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।

पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री – भारत रत्न के बाद सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार हैं, जो सामाजिक कार्य, विज्ञान, चिकित्सा, साहित्य, खेल और कला जैसे विभिन्न क्षेत्रों में योगदान के लिए दिए जाते हैं। पद्म पुरस्कार वर्ष 1954 में शुरू किए गए थे और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, श्री अरुण जेटली, श्रीमती सुषमा स्वराज, जार्ज फर्नांडिस और रामविलास पासवान जैसी हस्तियों को दिए जा चुके हैं।
पूरी प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाने और इस पूरी प्रक्रिया में आम आदमी की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार ने 2017 में एक वेबसाइट लॉन्च की थी। चयन प्रक्रिया में भी बदलाव किया गया और पद्म पुरस्कार समिति का विस्तार किया गया। इससे चयन प्रक्रिया में स्पष्ट परिवर्तन देखा गया है और उसी वर्ष बहुत ही विनम्र और ग्रामीण पृष्ठभूमि के लोगों को इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। विजेताओं की सूची में मीनाक्षी अम्मा शामिल थीं, जो लगभग 70 वर्षों से कलारीपयट्टू का अभ्यास और शिक्षण दे रही थीं, जिनको लोकप्रिय तौर पर ‘तलवार वाली दादी’ के नाम से संबोधित किया जाता है। इसके अलावा सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक सक्रियता को संरक्षित करने के लिए लोक गायिका सुकरी बोम्मगौड़ा को भी इस साल सम्मानित किया गया।

पूरी प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाने और इस पूरी प्रक्रिया में आम आदमी की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार ने 2017 में एक वेबसाइट लॉन्च की थी। चयन प्रक्रिया में भी बदलाव किया गया

इन वर्षों के दौरान पद्म पुरस्कारों के लिए नामांकन की संख्या में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। सरकार को 2020 पुरस्कारों के लिए 46,000 नामांकन प्राप्त हुए, वहीं 2014 में केवल 2,200 नामांकन आए थे। सरकार ने 2018 में पद्म प्रतियोगिता भी शुरू की, यह एक ऑनलाइन प्रतियोगिता थी, जो विजेताओं को पद्म पुरस्कार विजेताओं के साथ व्यक्तिगत रूप से बातचीत करने का अवसर प्रदान करती है।
योग्य लोगों को नामांकित करने से लेकर पुरस्कार विजेताओं के साथ बातचीत करने का मौका मिलने तक, सरकार ने इन पुरस्कारों की पूरी अवधारणा को ही बदल दिया है। इन पुरस्कारों को अब ‘पीपल्स पद्म’ के रूप में संदर्भित किया जा रहा है क्योंकि वे भारत की 1.4 बिलियन आबादी का प्रतिनिधित्व करने लगे हैं, न कि केवल विशिष्ट वर्ग का।

तुलसी गौड़ा– कर्नाटक के अंकोला तालुक के होन्नाली गांव की रहने वाली तुलसी गौड़ा एक पर्यावरणविद् हैं, जिन्होंने 30,000 से अधिक पौधे लगाए हैं। वह पिछले छह दशकों से पर्यावरण संरक्षण और संबंधित गतिविधियों में शामिल रही हैं। उन्हें अक्सर ‘जंगल का विश्वकोष’ कहा जाता है और उसकी जनजाति के लोग उनको जंगल के पेड़ और पौधों की व्यापक जानकारी के लिए ‘पेड़ देवी’ भी कहते है।
हरेकाला हजब्बा– कर्नाटक के मंगलुरु के नारंगी विक्रेता हरेकाला हजब्बा ने अपनी कमाई के पैसों से अपने गांव में एक स्कूल बनवाया। जो अब सरकार और निजी संस्थाओं के समर्थन से विकसित किया गया है और इसे हजब्बा स्कूल के रूप में जाना जाता है।

कृष्णम्मल जगन्नाथन– तमिलनाडु राज्य से आने वाली कृष्णम्मल जगन्नाथन, जिन्हें प्यार से ‘अम्मा’ के नाम से जाना जाता है, एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं, जो अहिंसा के सिद्धांत के प्रचार के माध्यम से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन लाने के लिए सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों की यात्रा करती रही हैं। 1926 में जन्मी जगन्नाथन ने भूमिहीनों और गरीबों के उत्थान के लिए बड़े पैमाने पर काम किया है।
राहीबाई सोमा पोपेरे– ‘बीज मां’ के रूप में लोकप्रिय, रहीबाई सोमा पोपरे महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के अकोले आदिवासी ब्लॉक के कोम्बले गांव की एक महादेव कोली आदिवासी किसान हैं। वह गरीबी के कारण स्कूल नहीं जा पायी, इसलिए उन्होंने दस साल की उम्र में अपने परिवार की मदद करने के लिए कृषि और गाय पालन का काम शुरू किया। स्कूल न जाने के बावजूद उन्होंने अपने अभ्यास और अनुभव से कृषि जैव विविधता, जंगली खाद्य संसाधनों और पारंपरिक संस्कृति के बारे में बहुत कुछ सीखा।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पुरस्कार विजेताओं की सराहना करते हुए कहा, पर्यावरण से उद्यम तक, कृषि से कला तक, विज्ञान से समाज सेवा तक, लोक प्रशासन से सिनेमा तक … पीपल्स पद्म के प्राप्तकर्ता विविध पृष्ठभूमि से आते हैं। मैं आप सभी से प्रत्येक पुरस्कार विजेताओं के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करने का आग्रह करता हूं, जिससे सभी प्रेरित हों।

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा ने सभी पद्म पुरस्कार प्राप्त करने वालों को बधाई देते हुए कहा, मोदी सरकार ने योग्य लोगों को पद्म पुरस्कार देकर बहुत अच्छा काम किया है। मैं आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीजी को दिल से बधाई देता हूं और पद्म पुरस्कार से सम्मानित सभी को बधाई देता हूं। देश को आप सभी पर गर्व है।