प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के हाल के जर्मनी, डेनमार्क एवं फ्रांस की यात्रा से संभावनाओं के नए द्वार खुले हैं। साथ ही, इस यात्रा से भारत के नए क्षेत्रों में भागीदारी के लिए सक्रिय प्रयासों का परिणाम भी सामने आया। भारत की विदेश नीति में प्रवाहित होती यह नई ऊर्जा देश के वैश्विक दायित्वों के निर्वहन करने की तत्परता एवं विभिन्न देशों के साथ बहुस्तरीय भागीदारी में परिलक्षित हो रही है। यह प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में उदय हो रहे एक नए भारत का उद्घोष है जो ‘शीत युद्ध’ के साये से बाहर निकल चुका है और बिना किसी हिचक के हर देश से सकारात्मक संबंध बनाने को प्रयासरत है। यूरोपीय देशों के साथ भागीदारी से आने वाले दिनों में भारत के लिए संभावनाओं के अनेक द्वार खुलेंगे तथा भागीदारी करने वाले देशों की भी अनेक आवश्यकताएं पूरी होंगी। जहां जर्मनी के साथ हरित एवं स्थायी विकास पर समझौता हुआ, वहीं ग्रीन हाइड्रोजन एवं अक्षय ऊर्जा पर सहयोग भी उल्लेखनीय है। इस यात्रा में ‘माइग्रेशन एंड माॅबिलिटी’ पर हुए समझौते से दोनों देश के संबंध और भी अधिक मजबूत होंगे।
कोविड-19 वैश्विक महामारी के पिछले दो वर्ष के दौरान भारत विश्व के एक अग्रणी देश के रूप में उभरा है। भारत ने न केवल इस महामारी की चुनौतियों का दृढ़तापूर्वक सामना किया, बल्कि अन्य देशों को भी उनके संकट के समय में दवाइयां, पीपीई किट आॅक्सीजन, टीके एवं अन्य चिकित्सकीय उपकरण उपलब्ध कराकर सहायता की
डेनमार्क की यात्रा से अनेक क्षेत्रों में दोनों देशों के मध्य भागीदारी और भी अधिक सुदृढ़ हुई है। ग्रीन प्रौद्योगिकी, ग्रीन हाइड्रोजन, अक्षय एवं स्थाई हरित विकास में सहयोग के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध लड़ाई तेज करने के संकल्प से दोनों देशों के बीच ‘ग्रीन सामरिक भागीदारी’ और भी अधिक मजबूत हुई है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी एवं डेनमार्क की प्रधानमंत्री श्रीमती मेट्टे फ्रेडेरिकसेन के बीच विस्तृत वार्ता के फलस्वरूप अर्थव्यवस्था, व्यापार, निवेश, डिजिटल एवं नवाचार के क्षेत्रों में विस्तार होगा। इनके अलावा, कौशल विकास, व्यावसायिक शिक्षा एवं उद्यमशीलता के क्षेत्रों में समझौते हुए तथा पशुपालन एवं दुग्ध उत्पादन से लेकर आर्कटिक क्षेत्र तक में सहयोग पर सहमति बनी। भारत-नाॅर्डिक सम्मेलन मंे शामिल होते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने फिनलैंड, स्वीडन, नाॅर्वे, डेनमार्क एवं आइसलैंड के नेताओं से विभिन्न विषयों पर चर्चा की। देश वापस आने के रास्ते में फ्रांस में कुछ समय तक रुककर राष्ट्रपति मैक्रों से भी प्रधानमंत्री श्री मोदी की दोनों देशों के मध्य संबंधों को प्रगाढ़ करने के संबंध में चर्चा हुई। दोनों शीर्ष नेताओं ने रक्षा, अंतरिक्ष, असैनिक परमाणु सहयोग तथा जनता से जनता का संपर्क सहित अनेक द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की।
कोविड-19 वैश्विक महामारी के पिछले दो वर्ष के दौरान भारत विश्व के एक अग्रणी देश के रूप में उभरा है। भारत ने न केवल इस महामारी की चुनौतियों का दृढ़तापूर्वक सामना किया, बल्कि अन्य देशों को भी उनके संकट के समय में दवाइयां, पीपीई किट आॅक्सीजन, टीके एवं अन्य चिकित्सकीय उपकरण उपलब्ध कराकर सहायता की। जिस प्रकार से रूस-यूक्रेन युद्ध का समाधान निकालने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से विश्व के अनेक नेताओं ने अपील की, उससे अंतरराष्ट्रीय पटल पर भारत के बढ़ते हुए कद का आभास होता है। कोविड-19 महामारी के दौरान, युद्ध या प्राकृतिक आपदा के दौरान सहायता के अलावा, भारत ने काॅप-26 में जलवायु परिवर्तन पर पांच प्रतिबद्धताओं पर भी तेजी से कार्य करना प्रारंभ कर दिया है। भारत की पहल पर ‘अंतरराष्ट्रीय सौर संगठन’ की स्थापना की पूरे विश्व में भूरि-भूरि प्रशंसा हो रही है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सुदृढ़ नेतृत्व में भारत आज वैश्विक दायित्वों का भी सफलतापूर्वक निर्वहन कर रहा है और पूरे विश्व के लिए आशा की एक नई किरण बनकर उभर रहा है। इसमें कोई संदेह नहीं कि इन देशों के साथ हुए समझौतों से यूरोप के साथ भारत की एक लंबी भागीदारी की शुरुआत हुई है तथा संभावनाओं के नए द्वार खुले हैं।
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