कृषि संकट के प्रभावी समाधान के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 में सत्ता में आने के बाद से कई योजनाओं की शुरुआत की और पिछली योजनाओं की कमजोरियों को दूर किया। उन योजनाओं और पहलों में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) का कृषक समाज पर दूरगामी प्रभाव पड़ा है। इस योजना के माध्यम से प्रधानमंत्री श्री मोदी ने मेहनतकश किसानों के आर्थिक हितों की रक्षा में आने वाली बाधाओं को दूर करने का प्रयास किया है। नतीजतन, यह योजना प्राकृतिक आपदाओं से जुड़े कृषि में जोखिम को कम करने में मददगार साबित हो रही है। आम तौर पर देखा गया है कि फसलें अचानक बाढ़, चक्रवात, भारी और बेमौसम बारिश, अकारण बर्फबारी, बीमारी के हमले आदि से प्रभावित होती हैं। ऐसी परिस्थितियों में पीएमएफबीवाई फसल के लिए बीमा कवरेज प्रदान करता है।
प्रधानमंत्री की ‘फसल बीमा योजना’ दुनिया में किसानों की भागीदारी के मामले में सबसे बड़ी बीमा योजना है और यह प्रीमियम के मामले में तीसरी सबसे बड़ी योजना है। मोदी सरकार का उद्देश्य अधिक से अधिक किसानों को इस योजना का लाभ देना है। इस उद्देश्य के साथ सरकार किसानों के लिए देशभर में सबसे कम और एक समान प्रीमियम पर कृषि में जोखिम का व्यापक समाधान प्रदान करती है। इसे और अधिक समावेशी बनाते हुए इसके तहत बुवाई से पहले से लेकर फसल कटाई के बाद के नुकसान तक का जोखिम कवरेज प्रदान किया जा रहा है।
वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए केंद्र सरकार ने PMFBY के लिए 16,000 करोड़ रुपये आवंटित किए। यह आवंटन बजट में पिछले आवंटन से ₹305 करोड़ अधिक था। बढ़े हुए आवंटन के माध्यम से सरकार का इरादा अधिक से अधिक किसानों को बीमा का लाभ उपलब्ध कराने का है।
अनावश्यक नौकरशाही बाधाओं को दूर करके इस योजना का किसानों को आसानी से लाभ मिल सके इसके लिए मोदी सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी का योजना के क्रियान्वयन में उपयोग में लाया है। योजना के तहत किसान फसल नुकसान की सूचना फसल बीमा एप, कॉमन सर्विस सेंटर या नजदीकी कृषि अधिकारी के माध्यम से घटना के 72 घंटे के भीतर दे सकते हैं। क्लेम का लाभ पात्र किसानों के बैंक खातों में इलेक्ट्रॉनिक ट्रान्सफर के जरिए प्रदान किया जाता है। पीएमएफबीवाई पोर्टल के साथ भूमि रिकॉर्ड का एकीकरण, किसानों के आसान नामांकन के लिए फसल बीमा मोबाइल ऐप, और फसल नुकसान का आकलन करने के लिए उपग्रह इमेजरी, रिमोट-सेंसिंग तकनीक, ड्रोन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग जैसी तकनीक का उपयोग किया जा रहा है।
निष्पादन और डेटाबेस बनाने के लिए भारत सरकार ने राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल (एनसीआईपी) (www.pmfby.gov.in) को डिजाइन और विकसित किया है। बीमा पोर्टल ने किसानों, राज्यों, बीमाकर्ताओं और बैंकों के बीच बेहतर प्रशासन और समन्वय लाया है। साथ ही, साथ सूचना का वास्तविक समय पर प्रसार और कार्यान्वयन में पारदर्शिता सुनिश्चित की है। पोर्टल को 2018 में परिचालन में लाया गया था। पोर्टल के संचालन के बाद से राज्य सरकारें समन्वय के लिए एनसीआईपी(नेशनल क्रॉप बीमा पोर्टल)में स्थानांतरित हो गई है। सरकार द्वारा जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार सालाना आधार पर 5.5 करोड़ से अधिक किसानों के आवेदन प्राप्त होते हैं।
2020 में योजना में सुधार करते हुए इस योजना को किसानों के लिए स्वैच्छिक बनाया गया था। जब इसे 2016 में शुरू किया गया था, तो यह गैर-स्वैच्छिक था। बैंकों से फसल ऋण लेने वालों के लिए यह अनिवार्य था। अब, उन किसानों के लिए यह अनिवार्य नहीं है जो कृषि ऋण का लाभ उठा रहे हैं। अब से यह योजना गैर-ऋणी किसानों और अन्य किसानों सहित सभी किसानों के लिए वैकल्पिक है।
2021-22 में 16000 करोड़ रुपये के बजट प्रावधान में 9719.24 करोड़ रुपये का उपयोग किया गया है। 2021 में खरीफ सीजन के दौरान 244.7 लाख हेक्टेयर क्षेत्र के लिए कुल 484.6 लाख किसानों ने 99,368 करोड़ रुपये की बीमा राशि के लिए आवेदन दर्ज किया हैं। वर्ष 2020-21 में कुल आए 11,148 करोड़ रुपये के क्लेम के आवेदनों में से 110.7 लाख किसान को 10,385 करोड़ रुपये का भुगतान पहले ही किया जा चुका है।
पिछले पांच वर्षों के दौरान सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 29 करोड़ से अधिक किसानों के आवेदनों को मंजूरी दी गई है। इस योजना के तहत खरीफ सीजन 2016 से रबी सीजन 2020-21 तक कुल 29.16 करोड़ किसानों के आवेदन (68% ऋणी किसान का आवेदन और 32% गैर-ऋणी किसान आवेदन सहित) स्वीकृत किए गए हैं। सिर्फ 21 हजार करोड़ रुपये का प्रीमियम भुगतान पर इस योजना के तहत मुआवजे में एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा राशि आवंटित की गई है। इस योजना के प्रभावकारी होने के कारण किसानों का कृषि में रुचि बढ़ गयी है और वे नए-नए इनोवेशन और तकनीक का प्रयोग कृषि हेतु कर रहे हैं।
विकास आनन्द