राष्ट्रपति का 78वें स्वतन्त्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संदेश
भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने 14 अगस्त को 78वें स्वतन्त्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित किया। राष्ट्र के नाम संदेश में उन्होंने कहा कि वर्ष 2021 से वर्ष 2024 के बीच 8 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि दर हासिल करके भारत सबसे तेज गति से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है। इससे न केवल देशवासियों के हाथों में अधिक पैसा आया है, बल्कि गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की संख्या में भी भारी कमी आई है।
यहां प्रस्तुत है उनके संबोधन के मुख्य अंश :
मैं आप सभी को स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देती हूं। सभी देशवासी 78वें स्वतन्त्रता दिवस का उत्सव मनाने की तैयारी कर रहे हैं, यह देखकर मुझे बहुत खुशी हो रही है। स्वाधीनता दिवस के अवसर पर लहराते हुए तिरंगे को देखना – चाहे वह लाल किले पर हो, राज्यों की राजधानियों में हो या हमारे आस-पास हो – हमारे हृदय को उत्साह से भर देता है। यह उत्सव 140 करोड़ से अधिक देशवासियों के साथ अपने इस महान देश का हिस्सा होने की हमारी खुशी को अभिव्यक्त करता है।
पंद्रह अगस्त के दिन देश-विदेश में सभी भारतीय ध्वजारोहण समारोहों में भाग लेते हैं, देशभक्ति के गीत गाते हैं और मिठाइयां बांटते हैं। बच्चे सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। जब हम बच्चों को अपने महान राष्ट्र तथा भारतीय होने के गौरव के बारे में बातें करते हुए सुनते हैं तो उनके उद्गारों में हमें महान स्वतंत्रता सेनानियों की भावनाओं की प्रतिध्वनि सुनाई देती है। हमें यह अनुभव होता है कि हम उस परंपरा का हिस्सा हैं जो स्वाधीनता सेनानियों के सपनों और उन भावी पीढ़ियों की आकांक्षाओं को एक कड़ी में पिरोती है जो आने वाले वर्षों में हमारे राष्ट्र को अपना सम्पूर्ण गौरव पुनः प्राप्त करते हुए देखेंगी।
देशप्रेमियों ने अनेक जोखिम उठाए और सर्वोच्च बलिदान दिए
इतिहास की इस शृंखला की एक कड़ी होने का बोध हमारे अंदर विनम्रता का संचार करता है। यह बोध हमें उन दिनों की याद दिलाता है जब हमारा देश विदेशी शासन के अधीन था। राष्ट्र-भक्ति और वीरता से ओत-प्रोत देशप्रेमियों ने अनेक जोखिम उठाए और सर्वोच्च बलिदान दिए। हम उनकी पावन स्मृति को नमन करते हैं। उनके अथक प्रयासों के बल पर भारत की आत्मा सदियों की नींद से जाग उठी। अंतर-धारा के रूप में सदैव विद्यमान रही हमारी विभिन्न परंपराओं और मूल्यों को पीढ़ी-दर-पीढ़ी हमारे महान स्वाधीनता सेनानियों ने नई अभिव्यक्ति प्रदान की।
मार्गदर्शक-नक्षत्र की तरह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने स्वाधीनता संग्राम की विभिन्न परंपराओं और उनकी विविध अभिव्यक्तियों को एकजुट किया। साथ ही, सरदार पटेल, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और बाबासाहब आंबेडकर तथा भगत सिंह और चंद्रशेखर आज़ाद जैसे अनेक महान जन-नायक भी सक्रिय थे। यह एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन था, जिसमें सभी समुदायों ने भाग लिया। आदिवासियों में तिलका मांझी, बिरसा मुंडा, लक्ष्मण नायक और फूलो-झानो जैसे कई अन्य लोग थे, जिनके बलिदान की अब सराहना हो रही है।
हमने भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाना शुरू किया है। अगले वर्ष उनकी 150वीं जयंती का उत्सव राष्ट्रीय पुनर्जागरण में उनके योगदान को और अधिक गहराई से सम्मान देने का अवसर होगा।
आज, 14 अगस्त को हमारा देश विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मना रहा है। यह विभाजन की भयावहता को याद करने का दिन है। जब हमारे महान राष्ट्र का विभाजन हुआ, तब लाखों लोगों को मजबूरन पलायन करना पड़ा। लाखों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। स्वतंत्रता दिवस मनाने से एक दिन पहले हम उस अभूतपूर्व मानवीय त्रासदी को याद करते हैं और उन परिवारों के साथ एक-जुट होकर खड़े होते हैं जो छिन्न-भिन्न कर दिए गए थे।
हमारे नव-स्वाधीन राष्ट्र की यात्रा में गंभीर बाधाएं आईं
हम अपने संविधान की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। हमारे नव-स्वाधीन राष्ट्र की यात्रा में गंभीर बाधाएं आई हैं। न्याय, समानता, स्वतंत्रता और बंधुता के संवैधानिक आदर्शों पर दृढ़ रहते हुए हम इस अभियान के साथ आगे बढ़ रहे हैं कि भारत विश्व-पटल पर अपना गौरवशाली स्थान पुनः प्राप्त करे।
इस वर्ष हमारे देश में आम चुनाव हुए। कुल मतदाताओं की संख्या लगभग 97 करोड़ थी, जो एक ऐतिहासिक कीर्तिमान है। मानव समुदाय इतिहास की सबसे बड़ी चुनाव प्रक्रिया का साक्षी बना। इस तरह के विशाल आयोजन के सुचारु और त्रुटि-रहित संचालन के लिए भारत का निर्वाचन आयोग बधाई के योग्य है।
वर्ष 2021 से वर्ष 2024 के बीच 8 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि दर
वर्ष 2021 से वर्ष 2024 के बीच 8 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि दर हासिल करके भारत सबसे तेज गति से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है। इससे न केवल देशवासियों के हाथों में अधिक पैसा आया है, बल्कि गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की संख्या में भी भारी कमी आई है।
यह हम सभी के लिए गर्व की बात है कि भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और हम शीघ्र ही विश्व की तीन शीर्षस्थ अर्थव्यवस्थाओं में स्थान प्राप्त करने के लिए तैयार हैं। यह सफलता किसानों और श्रमिकों की अथक मेहनत, नीति-निर्माताओं और उद्यमियों की दूरगामी सोच तथा देश के दूरदर्शी नेतृत्व के बल पर ही संभव हो सकी है।
हाल के वर्षों में इन्फ्रास्ट्रक्चर को काफी बढ़ावा मिला
हमारे अन्नदाता किसानों ने उम्मीदों से बेहतर कृषि उत्पादन सुनिश्चित किया है। ऐसा करके उन्होंने भारत को कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने और हमारे देशवासियों को भोजन उपलब्ध कराने में अमूल्य योगदान दिया है। हाल के वर्षों में इन्फ्रास्ट्रक्चर को काफी बढ़ावा मिला है। सुविचारित योजनाओं एवं प्रभावी कार्यान्वयन ने सड़कों और राजमार्गों, रेलवे और बंदरगाहों का जाल बिछाने में मदद की है।
सामाजिक न्याय सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। सरकार ने अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और समाज के अन्य हाशिए के वर्गों के कल्याण के लिए अनेक अभूतपूर्व कदम उठाए हैं। उदाहरण के लिए प्रधानमंत्री सामाजिक उत्थान एवं रोजगार आधारित जनकल्याण, यानी पीएम-सूरज का उद्देश्य हाशिए पर के लोगों को सीधे वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा-अभियान यानी पीएम-जनमन ने एक जन अभियान का रूप ले लिया है। इसके तहत विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों, यानी पीवीटीजी की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सुधार के लिए निर्णायक कदम उठाए जा रहे हैं।
महिला कल्याण और महिला सशक्तीकरण को समान महत्व
हमारे समाज में महिलाओं को केवल समानता का ही नहीं, बल्कि समानता से भी ऊपर का दर्जा दिया जाता है। हालांकि, उन्हें परंपरागत पूर्वाग्रहों का कष्ट भी झेलना पड़ा है, लेकिन मुझे यह जानकर खुशी होती है कि सरकार ने महिला कल्याण और महिला सशक्तीकरण को समान महत्व दिया है।
पिछले दशक में इस उद्देश्य के लिए बजट प्रावधान में तीन गुना से अधिक की वृद्धि हुई है। श्रम बल में उनकी भागीदारी बढ़ी है। इस संदर्भ में जन्म के समय बेटियों के अनुपात में हुए उल्लेखनीय सुधार को सबसे उत्साहजनक विकास कहा जा सकता है।
महिलाओं को केंद्र में रखते हुए सरकार द्वारा अनेक विशेष योजनाएं भी लागू की गई हैं। नारी शक्ति वंदन अधिनियम का उद्देश्य महिलाओं का वास्तविक सशक्तीकरण सुनिश्चित करना है।
न्याय के संदर्भ में मैं यह भी उल्लेख करना चाहती हूं कि इस वर्ष जुलाई से भारतीय न्याय संहिता को लागू करने में हमने औपनिवेशिक युग के एक और अवशेष को हटा दिया है। नई संहिता का उद्देश्य केवल दंड देने की बजाय अपराध-पीड़ितों के लिए न्याय सुनिश्चित करना है। मैं इस बदलाव को स्वाधीनता सेनानियों के प्रति श्रद्धांजलि के रूप में देखती हूं।
युवा प्रतिभा का समुचित उपयोग करने के लिए सरकार ने कौशल, रोजगार तथा अन्य अवसरों को सुलभ बनाने के लिए पहल की है। रोजगार और कौशल के लिए प्रधानमंत्री की पांच योजनाओं के माध्यम से पांच वर्षों में चार करोड़ दस लाख युवाओं को लाभ मिलेगा।
भारत में हम विज्ञान और प्रौद्योगिकी को ज्ञान की खोज के साथ-साथ मानवीयता-पूर्ण प्रगति के साधन के रूप में देखते हैं।
अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति
हाल के वर्षों में भारत ने अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की है। आप सभी के साथ मैं भी अगले साल होने वाले गगनयान मिशन के शुभारंभ की उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रही हूं। इस मिशन के तहत भारत के पहले मानव अंतरिक्ष यान में भारतीय अंतरिक्ष टीम को अंतरिक्ष में ले जाया जाएगा।
खेल जगत भी एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें हमारे देश ने पिछले दशक में बहुत प्रगति की है। सरकार ने खेल के बुनियादी ढांचे के विकास को समुचित प्राथमिकता दी है और इसके परिणाम सामने आ रहे हैं। हाल ही में संपन्न पेरिस ओलंपिक खेलों में भारतीय दल ने अपना उत्कृष्ट प्रयास किया। मैं खिलाड़ियों की निष्ठा और परिश्रम की सराहना करती हूं। उन्होंने युवाओं में प्रेरणा का संचार किया है।
क्रिकेट में भारत ने टी-20 विश्व कप जीता, जिससे बड़ी संख्या में क्रिकेट-प्रेमी आनंदित हुए। शतरंज में विलक्षण प्रतिभा वाले युवा खिलाड़ियों ने देश को गौरवान्वित किया है। इसे शतरंज में भारतीय युग का आरंभ माना जा रहा है। बैडमिंटन, टेनिस और अन्य खेलों में हमारे युवा खिलाड़ी विश्व मंच पर अपनी पहचान बना रहे हैं। उनकी उपलब्धियों ने अगली पीढ़ी को भी प्रेरित किया है।